बारदोली सत्याग्रह

  1. बारडोली सत्याग्रह
  2. Q. Under which one of the following Satyagraha, Gandhiji admitted to have committed a “Himalayan miscalculation”? Q. निम्न में से किस सत्याग्रह के तहत, गांधीजी ने "हिमालयी मिसकैलकुलेषन " करने के लिए स्वीकार किया था?
  3. किसान आन्दोलन
  4. Swantrata Andolan ka Tishra Charan
  5. बारदोली सत्याग्रह क्या था?
  6. वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किसने दी?
  7. अखण्ड भारत का सपना : सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875
  8. भारतीय इतिहास के प्रमुख विद्रोह एवं आंदोलन
  9. बारदोली सत्याग्रह क्या था?
  10. अखण्ड भारत का सपना : सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875


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बारडोली सत्याग्रह

बारडोली सत्याग्रह घटनाक्रम बारडोली तालुक्यातील साठ गांवांमधील प्रतिनिधींची एक बैठक कडोद विभागातील बामणी या गावामध्ये घेतली. या बैठकीतील निर्णयानुसार स्थानिक काँग्रेस पुढाऱ्यांनी वल्लभ भाई पटेल यांना या विरोधाचे नेतृत्व करण्यासाठी आमंत्रित केले. स्थानिक नेत्यांनी महात्मा गांधींशी संपर्क साधून त्यांना अहिंसापालनाचे वचन दिले.कल्यानजी आणि कुवर्जी हे मेहता बन्धु , दयालजी देसाई , मोहनलाल पंड्या , नरहरी पारिख आणि रविशंकर व्यास अशा स्थानिक नेत्यांचा पटेलांना पाठिंबा होता. वल्लभ भाई पटेलांनी शेतकऱ्यांच्या मागण्या सरकारला पत्र लिहून कळवल्या. सर्व शेतकऱ्यांनी वाढीव शेतसारा न भरण्याची शपथ घेतली. सध्या अस्तित्वात असणारा शेतसारा सरकारने वसूल करावा असा एक प्रस्ताव बारडोलीमधील शेतकऱ्यांनी मंजूर केला. हिंदू शेतकऱ्यांनी 'प्रभू'ची तर मुसलमान शेतकऱ्यांनी 'अल्ला'ची शपथ घेऊन बारडोली सत्याग्रहाचे फलित मिठुबेन पेटीट, शारदाबेन शाह , मणीबेन पटेल, भक्तिबा, अश्या स्त्रियांनी बारडोली सत्याग्रहात महिलांचा सभाग वाढवला. शेतकऱ्यांना प्रेरित करणारे , या सत्याग्रहाची यशस्वी आखणी करून सामान्य शेतकऱ्यांना ब्रिटिश सत्तेविरुद्ध उभे करणाऱ्या पटेलांना बारडोलीतील महिलावर्गाने 'सरदार' असे संबोधण्यास सुरुवात केली

Q. Under which one of the following Satyagraha, Gandhiji admitted to have committed a “Himalayan miscalculation”? Q. निम्न में से किस सत्याग्रह के तहत, गांधीजी ने "हिमालयी मिसकैलकुलेषन " करने के लिए स्वीकार किया था?

Q. Under which one of the following Satyagraha, Gandhiji admitted to have committed a “Himalayan miscalculation”? Q. निम्न में से किस सत्याग्रह के तहत, गांधीजी ने "हिमालयी मिसकैलकुलेषन " करने के लिए स्वीकार किया था? More • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Q. Under which one of the following Satyagraha, Gandhiji admitted to have committed a “Himalayan miscalculation”? Q. निम्न में से किस सत्याग्रह के तहत, गांधीजी ने "हिमालयी मिसà...

किसान आन्दोलन

मुख्य लेख: पाबना ज़िले के काश्तकारों को 1859 ई. में एक एक्ट द्वारा बेदख़ली एवं लगान में वृद्धि के विरुद्ध एक सीमा तक संरक्षण प्राप्त हुआ था, इसके बाबजूद भी ज़मींदारों ने उनसे सीमा से अधिक लगान वसूला एवं उनको उनकी ज़मीन के अधिकार से वंचित किया। ज़मींदार को ज़्यादती का मुकाबला करने के लिए 1873 ई. में पाबना के युसुफ़ सराय के किसानों ने मिलकर एक 'कृषक संघ' का गठन किया। इस संगठन का मुख्य कार्य पैसे एकत्र करना एवं सभायें आयोजित करना होता था। दक्कन विद्रोह · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · ·

Swantrata Andolan ka Tishra Charan

स्वतंत्रता आंदोलन का तीसरा चरण और महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का तीसरा चरण और महात्मा गांधी (1919-1929) स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के तीसरे चरण में गांधीजी का सक्रिय राजनीति में प्रवेश हुआ। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किए। इससे पूर्व 1894 से 1914 ई. तक गांधीजी अफ्रीका में रहे। वहाँ उन्होंने जातीय भेदभाव के विरूद्ध सफल सत्याग्रह आंदोलन चलाया। 1915 में भारत आकर गांधीजी भारतीय राजनीति में प्रविष्ट हुए। 1916 ई. में अहमदाबाद के समीप उन्होंने साबरमती आश्रम की स्थापना की। 1917 में बिहार स्थित चंपारण में किसान आंदोलन चलाया गया। 1918 में खेड़ा में ‘ कर नही ‘ आंदोलन चलाया गया तथा अहमदाबार में मिल मजदूरी की लड़ाई लडी गई। प्रारंभ में गांधीजी भारत में संवैधानिक सुधारों के हिमायती थे इसलिए उन्होंने तिलक एवं एनीबेसेण्ट द्वारा चलाए गए होमरूल लीग आंदोलन में भाग नहीं लिया। किन्तु 1919 के अमृतसर अधिवेशन के बाद गांधीजी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई और भारतीय राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया। आंदोलन के इस तृतीय चरण में अनेक घटनाए घटित हुई। 1919 से 1929 तक की प्रमुख घटनाएँ खिलाफत आंदोलन (1919-1922) ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भारतीय मुसलमानों को उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का वचन दिया था , किन्तु उन्होंने अपने वचन का पालन नहीं किया और टर्की में खलीफा के पद को समाप्त कर दिया। इसके प्रति मुसलमानों द्वारा विरोध किया गया। मौलाना मोहम्मद अली और शौकत अली ने खिलाफत कमेटी का गठन कर अंग्रेजों के खिलाफ ‘ खिलाफत आंदोलन ‘ प्रारंभ कर दिया। इस आंदोलन का समर्थन कांग्रेस द्वारा किया गया , क्योंकि महात्मगा गांधी के विचार से अंग्रेजों के खिलाफ हिन्दू और मु...

बारदोली सत्याग्रह क्या था?

बारदोली सत्याग्रह राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गुजरात का सबसे संगठित, व्यापक एवं सफल कृषक आंदोलन था। यह लगान अदायगी न करने के संबंध में चलाया गया था। वर्ष 1927 में कपास के मूल्य में गिरावट आने के बावजूद सरकार ने बारदोली में राजस्व दर को 30% बढ़ा दिया था। इस आंदोलन में न केवल भू-स्वामी किसानों ने, बल्कि कालीपराग (काले लोग) ने भी भाग लिया। कालीपरा जनजाति की स्थिति बदतर थी, उन्हें हाली पद्धति के अंतर्गत उच्च जातियों के यहां पुश्तैनी मजदूर के रूप में कार्य करना होता था। वर्ष 1927 में कालीपराजों के वार्षिक सम्मेलन में महात्मा गांधीजी ने इनका नाम परिवर्तित कर 'रानीपराज' (वनवासी) कर दिया। वल्लभभाई पटेल, कनवरजी, कल्याणजी तथा दयालजी ने गुजरात किसानों को संगठित किया गया वर्ष 1927 में भीम भाई नाइक और श्विदासानी के नेतृत्व में किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बंबई सरकार के राजस्व विभाग के प्रमुख से मिला। सरकार ने लगान वृद्धि को घटाकार 21.97% कर दिया, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हुए। इसके पश्चात् काकोद संभाग के बामलो गांव में 60 गांवों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई जिसमें वल्लभभाई पटेल को आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया। आंदोलन को देखते हुए लॉर्ड इरविन ने बंबई के गवर्नर विल्सन को मामला निपटाने का आदेश दिया। अंत में सरकार ने ब्रुमफिल्ड की अध्यक्षता में इसकी जांच के आदेश दिए। जांच में 30% लगान की वृद्धि को अनुचित बताया गया और इसे घटाकर 6.03% कर दिया गया। बारदोली सत्याग्रह में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसमें मीठबेन, भक्तिबा, मनीबेन पटेल, शारदाबेन शाह तथा शारदा मेहता प्रमुख थी। इसी आंदोलन के दौरान यहां की महिलाओं की ओर से गांधीजी ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि दी थी। स्टोरी आॅफ बारदो...

वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किसने दी?

वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि महात्मा गाधी ने बारदोली आंदोलन की सफलता पर महिलाओं की ओर से दी ​थी। बारदोली सत्याग्रह गुजरात का सबसे संगठित, व्यापक एवं सफल कृषक आंदोलन था। यह लगान अदायगी न करने के संबंध में चलाया गया था। जिसके परिणाम स्वरूप सरकार ने लगान वृद्धि को घटाकार 21.97% कर दिया, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हुए। इसके पश्चात् काकोद संभाग के बामलो गांव में 60 गांवों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई जिसमें वल्लभभाई पटेल को आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया। आंदोलन को देखते हुए लॉर्ड इरविन ने बंबई के गवर्नर विल्सन को मामला निपटाने का आदेश दिया। अंत में सरकार ने ब्रुमफिल्ड की अध्यक्षता में इसकी जांच के आदेश दिए। जांच में 30% लगान की वृद्धि को अनुचित बताया गया और इसे घटाकर 6.03% कर दिया गया। बारदोली सत्याग्रह में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसमें मीठबेन, भक्तिबा, मनीबेन पटेल, शारदाबेन शाह तथा शारदा मेहता प्रमुख थी। Tags :

अखण्ड भारत का सपना : सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875

टैग्स: • • चर्चा में क्यों ? 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन एकता दिवस के रूप में मनाया गया । इसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती के रूप में मनाया गया । • राष्ट्रीय एकता दिवस को पहली बार 2014 में नई दिल्ली में भारत की केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया था । परिचय • सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था । • लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। • महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया । • आप सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे । स्वतंत्रता आंदोलनों में भूमिका • स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था । • इन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। • खेड़ा आंदोलन: • यह आंदोलन अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट के लिए किसानों द्वारा किया गया था, जिसकी अस्वीकृति पर सरदार पटेल, गांधी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्त्व किया । • अंततः सरकार झुकी और उस वर्ष करो में राहत दी गई। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी। • बारदोली सत्याग्रह: • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुए एक प्रमुख किसान आंदोलन का नेतृत्त्व सरदार पटेल ने किया । उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी । पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। • इस आन्दोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की । • सरदार पटेल को गांधी जी की अहिंसा नीति ने प्रभावित किया । इसलिये गांधी जी...

भारतीय इतिहास के प्रमुख विद्रोह एवं आंदोलन

• 1946 के उत्तरार्ध में बंगाल के बंटाईदारों ने फैसला किया कि वे अब जोतदारों को उपज का आधा हिस्सा नहीं , बल्कि एक-तिहाई देंगे तथा बंटवारे तक उपज उनके ही खलिहानों में रहेगी। • फ्रलाउड आयोग ने ऐसी ही सिफारिश की थी। उधर आदिवासी नकद में लगान देने के पक्ष में थे। • बंगाल प्रांतीय किसान सभा के नेतृत्व में संघर्ष छिड़ गया। जब सुहरावर्दी के मुस्लिम लीग मंत्रिमंडल ने बंगाल वर्गादार अस्थायी नियमन विधेयक प्रकाशित किया तो , आन्दोलनकारियों को एहसास हुआ कि उनकी मांगें अब गैर-कानूनी नहीं हैं। अब संघर्ष छिड़ गया और हिंसक वारदातें होने लगीं। • खानपुर में 20 किसान मारे गये। 1950 में कांग्रेस सरकार ने वर्गादार विधेयक पारित कर आन्दोलनकारियों की मांगों की पूर्ति की। • इस आन्दोलन के मुख्य केन्द्र रहे दिनाजपुर , रंगपुर , जलापाईगुड़ी , मैमनसिंह , मिदनापुर , 24 परगना और खुलना। • राजवंशी क्षत्रिय किसान , मुसलमान , हजोंग , संथाल व उरांवों ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई। • इस आन्दोलन के प्रमुख नेता कृष्णविनोद राय , अवनी लाहिरी , सुनील सेन , भवानी सेन , मोनी सिंह , अनंत सिंह , विभूति साह , अजित राय , सुशील सेन , संभर गांगुली और गुरूदास तालुकदार थे। • सूरत के बारदोली तालुका में लगान न देने का आन्दोलन , असहयोग आन्दोलन का ही देन था। यहाँ से गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन शुरू करने का फैसला लिया था , पर ऐसा नहीं हुआ। • स्थानीय नेता कल्याणजी व कुँवरजी मेहता , दयालजी देसाई , केशवजी गणेशजी आदि के प्रयासों से यहाँ राजनीतिक चेतना विकसित हुई थी। • यहाँ की 60 फीसदी आबादी अश्वेतजन कालिपराज तथा बाकी सवर्णों की थी। • हाली पद्धति (बंधुआ मजूदूरी) व सामाजिक कुरीतियों के खिलापफ आवाज उठने लगी। • 1927 के वार्षिक कालिपराज सम्मेलन...

बारदोली सत्याग्रह क्या था?

बारदोली सत्याग्रह राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गुजरात का सबसे संगठित, व्यापक एवं सफल कृषक आंदोलन था। यह लगान अदायगी न करने के संबंध में चलाया गया था। वर्ष 1927 में कपास के मूल्य में गिरावट आने के बावजूद सरकार ने बारदोली में राजस्व दर को 30% बढ़ा दिया था। इस आंदोलन में न केवल भू-स्वामी किसानों ने, बल्कि कालीपराग (काले लोग) ने भी भाग लिया। कालीपरा जनजाति की स्थिति बदतर थी, उन्हें हाली पद्धति के अंतर्गत उच्च जातियों के यहां पुश्तैनी मजदूर के रूप में कार्य करना होता था। वर्ष 1927 में कालीपराजों के वार्षिक सम्मेलन में महात्मा गांधीजी ने इनका नाम परिवर्तित कर 'रानीपराज' (वनवासी) कर दिया। वल्लभभाई पटेल, कनवरजी, कल्याणजी तथा दयालजी ने गुजरात किसानों को संगठित किया गया वर्ष 1927 में भीम भाई नाइक और श्विदासानी के नेतृत्व में किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बंबई सरकार के राजस्व विभाग के प्रमुख से मिला। सरकार ने लगान वृद्धि को घटाकार 21.97% कर दिया, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं हुए। इसके पश्चात् काकोद संभाग के बामलो गांव में 60 गांवों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई जिसमें वल्लभभाई पटेल को आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया। आंदोलन को देखते हुए लॉर्ड इरविन ने बंबई के गवर्नर विल्सन को मामला निपटाने का आदेश दिया। अंत में सरकार ने ब्रुमफिल्ड की अध्यक्षता में इसकी जांच के आदेश दिए। जांच में 30% लगान की वृद्धि को अनुचित बताया गया और इसे घटाकर 6.03% कर दिया गया। बारदोली सत्याग्रह में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसमें मीठबेन, भक्तिबा, मनीबेन पटेल, शारदाबेन शाह तथा शारदा मेहता प्रमुख थी। इसी आंदोलन के दौरान यहां की महिलाओं की ओर से गांधीजी ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि दी थी। स्टोरी आॅफ बारदो...

अखण्ड भारत का सपना : सरदार वल्लभ भाई पटेल (1875

टैग्स: • • चर्चा में क्यों ? 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन एकता दिवस के रूप में मनाया गया । इसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती के रूप में मनाया गया । • राष्ट्रीय एकता दिवस को पहली बार 2014 में नई दिल्ली में भारत की केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया था । परिचय • सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था । • लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। • महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया । • आप सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे । स्वतंत्रता आंदोलनों में भूमिका • स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था । • इन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। • खेड़ा आंदोलन: • यह आंदोलन अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट के लिए किसानों द्वारा किया गया था, जिसकी अस्वीकृति पर सरदार पटेल, गांधी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्त्व किया । • अंततः सरकार झुकी और उस वर्ष करो में राहत दी गई। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी। • बारदोली सत्याग्रह: • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुए एक प्रमुख किसान आंदोलन का नेतृत्त्व सरदार पटेल ने किया । उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी । पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। • इस आन्दोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की । • सरदार पटेल को गांधी जी की अहिंसा नीति ने प्रभावित किया । इसलिये गांधी जी...