बातचीत

  1. 1. बातचीत पाठ का व्‍याख्‍या
  2. बालकृष्ण भट्ट :: :: :: बातचीत :: निबंध
  3. बात करने की कला
  4. बात करने की कला
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  6. बालकृष्ण भट्ट :: :: :: बातचीत :: निबंध


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1. बातचीत पाठ का व्‍याख्‍या

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 12 के हिन्‍दी के गद्य भाग के पाठ एक ‘बातचीत’ (Batchit Class 12 Hindi) का हिन्‍दी व्‍याख्‍या के साथ इसका सारांश पढ़ेंगे। 1. बातचीत लेखक परिचय लेखक- बालकृष्‍ण भट्ट जन्म- 23 जून 1844 निधन- 20 जुलाई 1914 निवास- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश रचनाएँ : उपन्यास- रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान, गुप्त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा, हमारी घड़ी, सदभाव का अभाव। नाटक – पद्मावती, किरातर्जुनीय, वेणी संहार, शिशुपाल वध, नल दमयंती या दमयंती स्‍वयंवर, शिक्षा दान, चंद्रसेन, सीता वनवास, पतित पंचम, मेघनाथ वध, कट्टर सूम की एक नकल, वहन्नला, इंग्लैंडेश्वरी और भारत जननी, भारतवर्ष और कलि, दो दूरदेशी, एक रोगी और एक वैध, रेल का विकेट खेल, बालविवाह, प्रहसन- जैसा काम वैसा परिणाम, नई रौशनी का विष, आचार विडंबन इत्यादि । निबंध- लगभग 1000 निबंध जिनमें सौ से ऊपर बहुत महत्त्वपूर्ण। ‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में एक संग्रह प्रकाशित। बालकृष्‍ण भट्ट आधुनिक काल के भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार में से एक हैं। यह तेजस्‍वी लेखन के द्वारा साहित्‍य सेवा करते रहने वाले समर्पित साहित्‍यकार थे। Batchit Class 12 Hindi Explanation बातचीत निबंध का सारांश ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध आधुनिक काल के प्रसिद्ध निबंधकार बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखा गया है जिसमें वाक्शक्ति को लेखक ने ईश्वर का वरदान बताया है। बालकृष्ण जी कहते हैं कि वाकशक्ति अगर मनुष्य में ना होती तो ना जाने इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता। वे कहते हैं कि बातचीत में वक्ता को स्पीच की तरह नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता। स्‍पीच में वक्‍तृता (भाषण) और बातचीत दोनों है। भाषण में मानव पहले संभल-संभल कर बोलता है और फिर कोई ...

बालकृष्ण भट्ट :: :: :: बातचीत :: निबंध

इसे तो सभी स्‍वीकार करेंगे कि अनेक प्रकार की शक्तियाँ जो वरदान की भाँति ईश्‍वर ने मनुष्‍यों को दी हैं, उनमें वाक्शक्ति भी एक है। यदि मनुष्‍य की और-और इंद्रियाँ अपनी-अपनी शक्तियों से अविकल रहतीं और वाक्शक्ति उनमें न होती तो हम नहीं जानते इस गूँगी सृष्टि का क्‍या हाल होता। सब लोग लुंज-पुंज से हो मानो एक कोने में बैठा दिये गये होते और जो कुछ सुख-दु:ख का अनुभव हम अपनी दूसरी-दूसरी इंद्रियों के द्वारा करते उसे अवाक् होने के कारण आपस में एक दूसरों से कुछ न कह सुन सकते। अब इस वाक्शक्ति से अनेक फायदों में 'स्‍पीच' वक्तृता और बातचीत दोनों हैं किंतु स्‍पीच से बातचीत का कुछ ढंग ही निराला है। बातचीत में वक्ता को नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता कि वह एक बड़े अंदाज से गिन-गिनकर पाँव रखता हुआ पुलपिट पर जा खड़ा हो और पुण्‍याहवाचन या नांदीपाठ की भाँति घड़ियों तक साहबान मजलिस, चेयरमैन, लेडीज एंड जेंटिलमेन की बहुत सी स्‍तुति कर कराय तब किसी तरह वक्तृता का आरंभ किया गया जहाँ कोई मर्म या नोंक की कोई नुकीली चुटीली बात बड़ा वक्ता महाशय के मुख से निकली कि करतल-ध्‍वनि से कमरा गूँज उठा। इसलिए वक्ता को खामखाह ढूँढ़ कर कोई ऐसा मौका अपनी वक्तृता में लाना ही पड़ता है जिसमें करतल-ध्‍वनि अवश्‍य हो। वह हमारी साधारण बातचीत का कुछ ऐसा घरेलू ढंग है कि उसमें न करतलध्‍वनि को कोई मौका है न लोगों को कहकहे उड़ाने की कोई बात उसमें रहती है। हम तुम दो आदमी प्रेम पूर्वक संलाप कर रहे हैं कोई चुटीली बात आ गई हँस पड़े तो मुस्‍कराहट से होंठों का केवल फरक उठना ही इस हँसी की अंतिम सीमा है। स्‍पीच का उद्देश्‍य अपने सुनने वालों के मन में जोश और उत्‍साह पैदा कर देना है। घरेलू बातचीत मन रमाने का एक ढंग है इसमें स्‍पी...

बात करने की कला

बात करने की कला तरीका| Baat Karne Ka Tarika In Hindi जहाँ आदमी को अपनी जिन्दगी मजेदार बनाने के लिए खाने पीने चलने फिरने आदि की जरुरत रहती है. वहां बातचीत की भी हमे अत्यत आवश्यकता रहती है. जो कुछ मवाद या धुआ जमा रहता है. वह सब बातचीत के जरिये भाप बनकर बाहर निकल जाता है. बात करने की कला | Baat Karne Ka Tarika In Hindi अपना बड़ा हर्ज कर देना उन्हें पसंद आता है पर बातचीत का मजा नही खोना चाहते है. राबिन्सन क्रुर्सो का किस्सा बहुधा लोगों ने पढ़ा होगा. जिसे सोलह वर्ष तक मनुष्य का मुख देखने को नही मिला था. कुत्ता बिल्ली आदि जानवरों के बिच रहा सोलह वर्ष के उपरांत जब उसने फ्राइडे के मुख से एक बात सुनी, यधपि उसने अपनी जंगली बोली में कहा था, पर उस समय रोबिन्सन को ऐसा आनन्द हुआ मानो इसने नए सिरे से आदमी का चोला पाया. इससे सिद्ध होता है मनुष्य की वाक्शक्ति में खान तक लुभा लेने की ताकत है. जिनसे केवल पत्र व्यवहार है कभी एक बार भी साक्षात्कार नही हुआ है उसे अपने प्रेम से कितनी लालसा बात करने को रहती है. अपना आभ्यंतरिक भाव दुसरे को प्रकट करना और उसका आशय आप ग्रहण कर लेना केवल शब्दों के द्वारा ही हो सकता है. बेन जानसन का यह कहना कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है बहुत ही उचित बोध होता है. Telegram Group इस बातचीत की सीमा दो से लेकर वहां तक रखी जा सकती है जितना की जमात, मीटिग या सभा न समझ ली जाए. एडिसन का मत है कि असल बातचीत केवल दो में ही हो सकती है. जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते है तभी अपने दिल की बात दुसरे के सामने खोलते है. जब तीन हुए तब वह बात कोसों दूर गई. सफलता के लिए जरूरी है बोलने की कला (The art of speaking is essential for success) हमारी बोली अर्थात बातची...

बात करने की कला

बात करने की कला तरीका| Baat Karne Ka Tarika In Hindi जहाँ आदमी को अपनी जिन्दगी मजेदार बनाने के लिए खाने पीने चलने फिरने आदि की जरुरत रहती है. वहां बातचीत की भी हमे अत्यत आवश्यकता रहती है. जो कुछ मवाद या धुआ जमा रहता है. वह सब बातचीत के जरिये भाप बनकर बाहर निकल जाता है. बात करने की कला | Baat Karne Ka Tarika In Hindi अपना बड़ा हर्ज कर देना उन्हें पसंद आता है पर बातचीत का मजा नही खोना चाहते है. राबिन्सन क्रुर्सो का किस्सा बहुधा लोगों ने पढ़ा होगा. जिसे सोलह वर्ष तक मनुष्य का मुख देखने को नही मिला था. कुत्ता बिल्ली आदि जानवरों के बिच रहा सोलह वर्ष के उपरांत जब उसने फ्राइडे के मुख से एक बात सुनी, यधपि उसने अपनी जंगली बोली में कहा था, पर उस समय रोबिन्सन को ऐसा आनन्द हुआ मानो इसने नए सिरे से आदमी का चोला पाया. इससे सिद्ध होता है मनुष्य की वाक्शक्ति में खान तक लुभा लेने की ताकत है. जिनसे केवल पत्र व्यवहार है कभी एक बार भी साक्षात्कार नही हुआ है उसे अपने प्रेम से कितनी लालसा बात करने को रहती है. अपना आभ्यंतरिक भाव दुसरे को प्रकट करना और उसका आशय आप ग्रहण कर लेना केवल शब्दों के द्वारा ही हो सकता है. बेन जानसन का यह कहना कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है बहुत ही उचित बोध होता है. Telegram Group इस बातचीत की सीमा दो से लेकर वहां तक रखी जा सकती है जितना की जमात, मीटिग या सभा न समझ ली जाए. एडिसन का मत है कि असल बातचीत केवल दो में ही हो सकती है. जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते है तभी अपने दिल की बात दुसरे के सामने खोलते है. जब तीन हुए तब वह बात कोसों दूर गई. सफलता के लिए जरूरी है बोलने की कला (The art of speaking is essential for success) हमारी बोली अर्थात बातची...

1. बातचीत पाठ का व्‍याख्‍या

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 12 के हिन्‍दी के गद्य भाग के पाठ एक ‘बातचीत’ (Batchit Class 12 Hindi) का हिन्‍दी व्‍याख्‍या के साथ इसका सारांश पढ़ेंगे। 1. बातचीत लेखक परिचय लेखक- बालकृष्‍ण भट्ट जन्म- 23 जून 1844 निधन- 20 जुलाई 1914 निवास- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश रचनाएँ : उपन्यास- रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान, गुप्त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा, हमारी घड़ी, सदभाव का अभाव। नाटक – पद्मावती, किरातर्जुनीय, वेणी संहार, शिशुपाल वध, नल दमयंती या दमयंती स्‍वयंवर, शिक्षा दान, चंद्रसेन, सीता वनवास, पतित पंचम, मेघनाथ वध, कट्टर सूम की एक नकल, वहन्नला, इंग्लैंडेश्वरी और भारत जननी, भारतवर्ष और कलि, दो दूरदेशी, एक रोगी और एक वैध, रेल का विकेट खेल, बालविवाह, प्रहसन- जैसा काम वैसा परिणाम, नई रौशनी का विष, आचार विडंबन इत्यादि । निबंध- लगभग 1000 निबंध जिनमें सौ से ऊपर बहुत महत्त्वपूर्ण। ‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में एक संग्रह प्रकाशित। बालकृष्‍ण भट्ट आधुनिक काल के भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार में से एक हैं। यह तेजस्‍वी लेखन के द्वारा साहित्‍य सेवा करते रहने वाले समर्पित साहित्‍यकार थे। Batchit Class 12 Hindi Explanation बातचीत निबंध का सारांश ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध आधुनिक काल के प्रसिद्ध निबंधकार बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखा गया है जिसमें वाक्शक्ति को लेखक ने ईश्वर का वरदान बताया है। बालकृष्ण जी कहते हैं कि वाकशक्ति अगर मनुष्य में ना होती तो ना जाने इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता। वे कहते हैं कि बातचीत में वक्ता को स्पीच की तरह नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता। स्‍पीच में वक्‍तृता (भाषण) और बातचीत दोनों है। भाषण में मानव पहले संभल-संभल कर बोलता है और फिर कोई ...

बालकृष्ण भट्ट :: :: :: बातचीत :: निबंध

इसे तो सभी स्‍वीकार करेंगे कि अनेक प्रकार की शक्तियाँ जो वरदान की भाँति ईश्‍वर ने मनुष्‍यों को दी हैं, उनमें वाक्शक्ति भी एक है। यदि मनुष्‍य की और-और इंद्रियाँ अपनी-अपनी शक्तियों से अविकल रहतीं और वाक्शक्ति उनमें न होती तो हम नहीं जानते इस गूँगी सृष्टि का क्‍या हाल होता। सब लोग लुंज-पुंज से हो मानो एक कोने में बैठा दिये गये होते और जो कुछ सुख-दु:ख का अनुभव हम अपनी दूसरी-दूसरी इंद्रियों के द्वारा करते उसे अवाक् होने के कारण आपस में एक दूसरों से कुछ न कह सुन सकते। अब इस वाक्शक्ति से अनेक फायदों में 'स्‍पीच' वक्तृता और बातचीत दोनों हैं किंतु स्‍पीच से बातचीत का कुछ ढंग ही निराला है। बातचीत में वक्ता को नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता कि वह एक बड़े अंदाज से गिन-गिनकर पाँव रखता हुआ पुलपिट पर जा खड़ा हो और पुण्‍याहवाचन या नांदीपाठ की भाँति घड़ियों तक साहबान मजलिस, चेयरमैन, लेडीज एंड जेंटिलमेन की बहुत सी स्‍तुति कर कराय तब किसी तरह वक्तृता का आरंभ किया गया जहाँ कोई मर्म या नोंक की कोई नुकीली चुटीली बात बड़ा वक्ता महाशय के मुख से निकली कि करतल-ध्‍वनि से कमरा गूँज उठा। इसलिए वक्ता को खामखाह ढूँढ़ कर कोई ऐसा मौका अपनी वक्तृता में लाना ही पड़ता है जिसमें करतल-ध्‍वनि अवश्‍य हो। वह हमारी साधारण बातचीत का कुछ ऐसा घरेलू ढंग है कि उसमें न करतलध्‍वनि को कोई मौका है न लोगों को कहकहे उड़ाने की कोई बात उसमें रहती है। हम तुम दो आदमी प्रेम पूर्वक संलाप कर रहे हैं कोई चुटीली बात आ गई हँस पड़े तो मुस्‍कराहट से होंठों का केवल फरक उठना ही इस हँसी की अंतिम सीमा है। स्‍पीच का उद्देश्‍य अपने सुनने वालों के मन में जोश और उत्‍साह पैदा कर देना है। घरेलू बातचीत मन रमाने का एक ढंग है इसमें स्‍पी...