बैल पोला कब है

  1. Bail Pola 2022: बैल पोला पर्व आज, जानें क्यों और कैसे मनाया जाता यह त्योहार, Bail Pola festival today, learn why and how this festival is celebrated.
  2. Bail Pola 2021 : बैल पोला ये कौन सा त्यौहार होता है? महाराष्ट्रीयन समाज के इस त्यौहार ​के बारे में कुछ जरूरी बाते
  3. Bail Pola 2022: आज मनाया जा रहा है बैल पोला पर्व, जानें इस दिन क्यों की जाती है बैल की पूजा
  4. Bail Pola 2022 बैल पोला पर्व आज जानिए महत्व और मनाने का तरीका
  5. पोला पिठोरा क्या है, जानिए कैसे मनाया जाता है यह पर्व
  6. बैल पोला कब आता है? – ElegantAnswer.com
  7. Bail Pola 2021
  8. Bail Pola 2022
  9. Bail Pola 2022
  10. Bail Pola 2022 बैल पोला पर्व आज जानिए महत्व और मनाने का तरीका


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Bail Pola 2022: बैल पोला पर्व आज, जानें क्यों और कैसे मनाया जाता यह त्योहार, Bail Pola festival today, learn why and how this festival is celebrated.

Bail Pola 2022: महाराष्ट्र में बैल पोला का त्योहार आज बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा हैं. यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस त्योहार को मुख्य रूप से महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में मनाया जाता हैं. इस बार बैल पोला का त्योहार आज 27 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा हैं. बैल पोला को मोठा पोला और तनहा पोला के नाम से भी जाना जाता है. बैल पोला पर्व कैसे मनाते पोला पर्व के एक दिन भादो अमावस्या के दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है और उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है. इसके बाद पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है. इसके बाद उन्हें सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है. जिन गाय या बैलों के संग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं. इसके बाद बैलों का जुलूस निकाला जाता है. बैल पोला के दिन स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं जैसे पूरन पोली, गुजिया आदि. पोला पर्व मनाने के पीछे की पौराणिक कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु से कृष्ण अवतार लेकर जन्माष्टमी के दिन जन्म लिया था. जब इसे बारे में कंस को पता चला, तो उसने कान्हा को मारने के लिए अनेकों असुर भेजे थे. इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर, राक्षस पोलासुर ने अपनी लीलाओं से कान्हा ने वध कर दिया था. कान्हा से भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोला सुर का वध किया था. इसी कारण इस दिन पोला कहा जाने लगा.

Bail Pola 2021 : बैल पोला ये कौन सा त्यौहार होता है? महाराष्ट्रीयन समाज के इस त्यौहार ​के बारे में कुछ जरूरी बाते

Bail Pola 2021 : भारत देश में कई त्योहार है और हर त्यौहार का कुछ ना कुछ महत्व होता है। उनमें से एक त्योहार है बैल पोला, ये त्यौहार बैलों को समर्पित किया गया हैं। हम जानते है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। इस देश में खेती करने वाले लोग ज्यादा है। महाराष्ट्र में इस त्योहार को हर साल मनाया जाता है ताकि वो बैलों को खेत में मदद करने के लिए शुक्रिया कर सके। जानिए इस महाराष्ट्र में मनाए जाने वाले त्योहार के बारे में कुछ जरूरी बातें। ऐसे मनाया जाता है बैल पोला का त्यौहार (Bail Pola 2021) पोला के त्यौहार को हर साल भादो माह के अमावस्या के दिन मनाया जाता है जो की सितंबर महीने में आता है। इस त्यौहार को बड़े जश्न से मनाया जाता है। पोला का त्योहार खास तौर पर महाराष्ट्र के विदर्भ भाग में मनाया जाता है। इस त्यौहार को दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को बड़ा पोला कहते है और दूसरे दिन को छोटा पोला कहते है। पोला के पहले दिन बैलों को सजाया जाता है, उन्हे जो रस्सी बांधकर रखी जाती है वो इस दिन निकाल दी जाती है। इसके साथ उनके गले पर बांधी हुई रस्सी भी निकाल दी जाती है। इस दिन बैलों को अच्छे से धोया जाता है और उनको अच्छे से साफ किया जाता है। फिर बैलों को बाजरे की खिचड़ी खिलाई जाती है। बैलों को फिर अलग अलग रंगों का इस्तेमाल करके सजाया जाता है, उनके सिंग को भी रंग दिया जाता है। इसके अलावा उनको फूलो से सजाया जाता है। उसके बाद शाम को सब लोग अपने बैलों को बाहर निकालते है और एक जगह शामिल करते है। फिर उसके बाद बैलों को छोड़ दिया जाता है। शाम को बैलों को घर लाकर उनकी पूजा की जाती है और अच्छी फसल और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। छोटा पोला बच्चो की खुशी और उनकी सेहत के लिए मनाया जाता है, इस दिन ...

Bail Pola 2022: आज मनाया जा रहा है बैल पोला पर्व, जानें इस दिन क्यों की जाती है बैल की पूजा

• • Faith Hindi • Bail Pola 2022: आज मनाया जा रहा है बैल पोला पर्व, जानें इस दिन क्यों की जाती है बैल की पूजा Bail Pola 2022: आज मनाया जा रहा है बैल पोला पर्व, जानें इस दिन क्यों की जाती है बैल की पूजा Bail Pola 2022: पोला का त्यौहार 2 दिन मनाया जाता है. इस त्यौहार को बैल पोला, मोठा पोला और तनहा पोला के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में इस दिन बैलों की पूजा का महत्व है. जानते हैं इसके बारे में... Bail Pola 2022: पोला का त्यौहार मुख्यतौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है. यह त्यौहार पोला मोठा, तनहा पोला, बैल पोला आदि के नाम से जाना जाता है. वहीं तिथि के अनुसार इस त्यौहार को पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं. इस दिन बैलों की पूजा की जाती है. साथ ही बच्चों के लिए मिट्टी का या लकड़ी का घोड़ा तैयार किया जाता है. बच्चे उस घोड़े के साथ घर-घर जाकर गिफ्ट और पैसे लेकर आते हैं. ऐसे में इस त्यौहार को मनाने के पीछे का कारण और महत्व के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि इस त्योहार को मनाने के पीछे क्या कारण है. पढ़ते हैं आगे… पोला पर्व को मनाने का कारण जब धरती पर कृष्ण जी के अवतार के रूप में भगवान विष्णु धरती पर आए तो उनका जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ. इस बारे में जब कंस को पता चला तो उसने श्री कृष्ण को मारने के लिए कई योजनाएं बनाईं और अनेकों असुरों को भेजा. इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर. श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं से राक्षस पोलासुर का वध कर दिया. यही कारण है कि इस दिन को पोला कहा जाने लगा. चुकि श्री कृष्ण ने भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोलासुर का वध किया था इसलिए पोला पर्व मनाया जाता है. बैल पोला पर्व मनाने ...

Bail Pola 2022 बैल पोला पर्व आज जानिए महत्व और मनाने का तरीका

नई दिल्ली, Bail Pola 2022: देश में, खासकर महाराष्ट्र में धूमधाम से बैल पोला पर्व मनाया जाता है। दो दिवसीय इस पर्व में बैल की पूजा करने का विधान है।महाराष्ट्र में ये पर्व सावन मास की पिथौरी अमावस्या पर पड़ता है। इस दिन, किसान खेत-खलिहान में मदद करने के लिए अपने मवेशियों की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार महाराष्ट्र में अविश्वसनीय खुशी के साथ मनाया जाता है और इसेपोला मराठी त्योहार के रूप में जाना जाता है। पोला पर्व मनाने का कारण पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु से कृष्ण अवतार लेकर जन्माष्टमी के दिन जन्म लिया था। जब इसे बारे में कंस को पता चला, तो उसने कान्हा को मारने के लिए अनेकों असुर भेजे थे। इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर। राक्षस पोलासुर ने अपनी लीलाओं से कान्हा ने वध कर दिया था। कान्हा से भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोला सुर का वध किया था। इसी कारण इस दिन पोला कहा जाने लगा। इसी कारण इस दिन बच्चों का दिन कहा जाता है। इस तरह मनाते है बैल पोला पर्व पोला पर्व के एक दिन भादो अमावस्या के दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है और उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है। इसके बाद पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है। इसके बाद उन्हें सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है। जिन गाय या बैलों के संग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं। Pic Credit- Freepik डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचा...

पोला पिठोरा क्या है, जानिए कैसे मनाया जाता है यह पर्व

अगस्त महीने में खेती-किसानी का काम समाप्त हो जाने के बाद भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पोला त्योहार मनाया जाता है। प्रतिवर्ष पिठोरी अमावस्या पर मनाया जाने वाला पोला-पिठोरा पर्व मूलत: खेती-किसानी से जुड़ा त्योहार है। भाद्रपद कृष्ण अमावस्या को यह पर्व विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। महाराष्ट्रीयन समाज में पिठोरी अमावस्या पर पोला (पोळा) पर्व धूमधाम से मनाया जाता है और यह छत्तीसगढ़ का लोक पर्व भी है। इस दिन अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए चौसष्ठ योगिनी और पशुधन का पूजन किया जाएगा। इस अवसर पर जहां घरों में बैलों की पूजा की जाएगी, वहीं लोग पकवानों का लुत्फ भी उठाएंगे। इसके साथ ही इस दिन 'बैल सजाओ प्रतियोगिता' का आयोजन किया जाता है। पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी का काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्नमाता गर्भ धारण करती है यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार पुरुषों-स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। इस दिन पुरुष पशुधन (बैलों) को सजाकर उनकी पूजा करते हैं। स्त्रियां इस त्योहार के वक्त अपने मायके जाती हैं। छोटे बच्चे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं। इस दिन पोला पर्व की शहर से लेकर गांव तक धूम रहती है। इस दौरान जगह-जगह बैलों की पूजा-अर्चना होती है। गांव के किसान भाई सुबह से ही बैलों को नहला-धुलाकर सजाएंगे और फिर घरों में लाकर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करके घरों में बने पकवान उन्हें खिलाते हैं। पर्व के 2-3 दिन पहले से ही बाजारों में मिट्टी के बैलजोड़ी बिकते दिखाई देते हैं। बढ़ती महंगाई के कारण इनके दामों में भी बढ़ोतरी हो गई है। इसके अलावा म...

बैल पोला कब आता है? – ElegantAnswer.com

बैल पोला कब आता है? इसे सुनेंरोकेंगायों और बैलों को समर्पित यह त्यौहार ‘बैल-पोला’ हर साल भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन धूमधाम से मनाया जाता हैं। वही अंग्रेजी कैलेंडर और तिथि अनुसार यह त्यौहार हर साल 6 सितंबर को मनाया जाता हैं। पोंगल त्योहार संकेत बिन्दु 1 कब मनाया जाता है 2 मनाने का ढंग 3 तरह तरह के खेल 4 मस्ती ही मस्ती? इसे सुनेंरोकेंपोंगल (तमिळ – பொங்கல்) तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी तुलना नवान्न से की जा सकती है जो फसल की कटाई का उत्सव होता है (शस्योत्सव)। पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। बैल पोला क्यों मनाया जाता है? इसे सुनेंरोकेंयह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, इस दिन बच्चों को विशेष प्यार, लाढ देते है. भारत, जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है. पोला दो तरह से मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला. पोला पिथौरा कब है 2021? इसे सुनेंरोकेंरायपुर. Pola Festival 2021: छत्तीसगढ़ी लोक परंपरा का पोला पर्व 6 सितंबर को है। छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार पोला पर्व प्रदेशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। किसान के साथ हर वर्ग के लोग इस दिन घर में मिट्टी से बने बर्तन व बैलों को सजाकर छत्तीसगढ़ी व्यजनों का भोग लगाकर पूजा करते हैं। तीजा पोला कब है 2021? इसे सुनेंरोकेंTeeja Pola 2021: हरेली की तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के रायपुर स्थित निवास में तीजा-पोरा का तिहार 6 सितम्बर को सुबह 11 बजे से उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री निवास परिसर...

Bail Pola 2021

'बैल पोला' किसानों के सारथी गाय और बैलों को शुक्रिया कहने का है त्योहार, जानें कब और कैसे मनाते हैं यह पर्व भारत देश त्योहारों का उत्सवों का देश हैं। यहां कई त्यौहार मनाएं जाते हैं। यह त्यौहार लोगों को उनके धार्मिक परंपराओं के साथ जोड़े रखता हैं। वही भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। कृषि के उत्पाद को बढ़ाने के लिए मवेशियों का अहम रोल होता हैं। वही हिंदू धर्म में मवेशियों की पूजा अर्चना की जाती हैं। मवेशियों की पूजा अर्चना के लिए महाराष्ट्र। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ‘बैल-पोला’ मनाया जाता हैं। किसानों के सारथी बैलों और गायों की इस दिन पूजा कर उन्हें धन्यवाद किया जाता हैं। गायों और बैलों को समर्पित यह त्यौहार ‘बैल-पोला’ हर साल भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन धूमधाम से मनाया जाता हैं। वही अंग्रेजी कैलेंडर और तिथि अनुसार यह त्यौहार हर साल 6 सितंबर को मनाया जाता हैं। Bail-Pola 2021 आपको बता दे कि बैल-पोला दो दिवसीय त्यौहार हैं। इसके पहले दिन पर बड़ा पोला और दूसरे दिन छोटा पोला मनाते हैं। भारतीय किसान अपनी खेती बैल और गायों के मदद से करते हो। भले ही अब के जमाने में ट्रेक्टर का इस्तेमाल किया जाता हो। मगर पुराने जमाने में हर किसान अपनी गाय और बैलों के सहारे ही खेती करते थे। भारत देश और हिंदू धर्म में पशुओं को भगवान के बराबर मानते हैं। इसलिए उनकी पूजा अर्चना की जाती हैं। आज भी हमारे देश के अधिकतर घरों (गाओं) में दरवाजे पर गाय और बैल को बांधते हैं। किसानों का ऐसा मानना होता है कि जिस घर में जितने ज्यादा गाय और बैल होते हैं उस घर में उतनी ज्यादा सुख-समृद्धि आती हैं। उनके लिए उनके सारथी के रूप में पशु मां लक्ष्मी के समान हैं। आज कल गाओं में भले ही किसान के पास ट्रेक्टर आ गया हो लेकिन आज भ...

Bail Pola 2022

नई दिल्ली: देश में कई राज्य है और उन सभी राज्यों की अलग-अलग विशेषता है, ऐसे में आज है महाराष्ट्र के प्रमुख त्योहारों में से एक यानी बैल पोला। इस बार आज यानी भाद्रपद मास की अमावस्या 26 अगस्त, शुक्रवार को यह पर्व है। बता दें कि भाद्रपद मास की अमावस्या की अंतिम तिथि शनिवार दोपहर 1 बजे है। इस दिन कुशग्रहणी अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या, बैल पोला (Bail Pola 2022) और पिठौरी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। वैसे तो इस त्यौहार को खास कर बैल पोला के नाम से ही लोग जानते हैं। आपको बता दें कि ये बैल पोला त्योहार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के कुछ स्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है। इसे बैल पोला और पोला पर्व माना जाना जाता है। आइए आज बैल पोला के इस पर्व पर जानते है इससे जुड़ी कुछ खास बाते… महाराष्ट्र का प्रमुख त्योहार बैल पोला जैसा की हमने आपको बताया बैल पोला का यह त्योहार वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में इसका महत्व काफी ज्यादा है, यहां बैल पोला बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि विदर्भ में बैल पोला को मोठा पोला भी कहते हैं साथ ही इसके दुसरे दिन होने वाले त्योहार को तान्हा पोला कहा जाता है। पूरा विश्व जानता है कि भारत एक कृषिप्रधान देश है और ज्यादातर किसान खेती करने के लिए बैलों का प्रयोग करते हैं। इसलिए सभी किसान पशुओं की पूजा करके उन्हें धन्यवाद देते हैं, आज के दिन बैलों का सम्मान किया जाता है, उन्हें अच्छी तरह सजाया जाता है और इतना ही नहीं बल्कि उन्हें अच्छे -अच्छे पकवान भी खिलाएं जाते है। यह भी पढ़ें • जानें कैसे मनाते हैं बैल पोला सबसे पहले बैल ...

Bail Pola 2022

नई दिल्ली: देश में कई राज्य है और उन सभी राज्यों की अलग-अलग विशेषता है, ऐसे में आज है महाराष्ट्र के प्रमुख त्योहारों में से एक यानी बैल पोला। इस बार आज यानी भाद्रपद मास की अमावस्या 26 अगस्त, शुक्रवार को यह पर्व है। बता दें कि भाद्रपद मास की अमावस्या की अंतिम तिथि शनिवार दोपहर 1 बजे है। इस दिन कुशग्रहणी अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या, बैल पोला (Bail Pola 2022) और पिठौरी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। वैसे तो इस त्यौहार को खास कर बैल पोला के नाम से ही लोग जानते हैं। आपको बता दें कि ये बैल पोला त्योहार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के कुछ स्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है। इसे बैल पोला और पोला पर्व माना जाना जाता है। आइए आज बैल पोला के इस पर्व पर जानते है इससे जुड़ी कुछ खास बाते… महाराष्ट्र का प्रमुख त्योहार बैल पोला जैसा की हमने आपको बताया बैल पोला का यह त्योहार वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में इसका महत्व काफी ज्यादा है, यहां बैल पोला बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि विदर्भ में बैल पोला को मोठा पोला भी कहते हैं साथ ही इसके दुसरे दिन होने वाले त्योहार को तान्हा पोला कहा जाता है। पूरा विश्व जानता है कि भारत एक कृषिप्रधान देश है और ज्यादातर किसान खेती करने के लिए बैलों का प्रयोग करते हैं। इसलिए सभी किसान पशुओं की पूजा करके उन्हें धन्यवाद देते हैं, आज के दिन बैलों का सम्मान किया जाता है, उन्हें अच्छी तरह सजाया जाता है और इतना ही नहीं बल्कि उन्हें अच्छे -अच्छे पकवान भी खिलाएं जाते है। यह भी पढ़ें • जानें कैसे मनाते हैं बैल पोला सबसे पहले बैल ...

Bail Pola 2022 बैल पोला पर्व आज जानिए महत्व और मनाने का तरीका

नई दिल्ली, Bail Pola 2022: देश में, खासकर महाराष्ट्र में धूमधाम से बैल पोला पर्व मनाया जाता है। दो दिवसीय इस पर्व में बैल की पूजा करने का विधान है।महाराष्ट्र में ये पर्व सावन मास की पिथौरी अमावस्या पर पड़ता है। इस दिन, किसान खेत-खलिहान में मदद करने के लिए अपने मवेशियों की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार महाराष्ट्र में अविश्वसनीय खुशी के साथ मनाया जाता है और इसेपोला मराठी त्योहार के रूप में जाना जाता है। पोला पर्व मनाने का कारण पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु से कृष्ण अवतार लेकर जन्माष्टमी के दिन जन्म लिया था। जब इसे बारे में कंस को पता चला, तो उसने कान्हा को मारने के लिए अनेकों असुर भेजे थे। इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर। राक्षस पोलासुर ने अपनी लीलाओं से कान्हा ने वध कर दिया था। कान्हा से भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोला सुर का वध किया था। इसी कारण इस दिन पोला कहा जाने लगा। इसी कारण इस दिन बच्चों का दिन कहा जाता है। इस तरह मनाते है बैल पोला पर्व पोला पर्व के एक दिन भादो अमावस्या के दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है और उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है। इसके बाद पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है। इसके बाद उन्हें सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है। जिन गाय या बैलों के संग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं। Pic Credit- Freepik डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचा...