Bangal vibhajan ke vishay mein kisne kaha tha vibhajan hamare upar bam ki tarah gira

  1. 1905 ई. में विभाजन के पश्चात बंगाल एक प्रांत के रूप में पुनः एकीकृत हुआ? 1905 Mein Vibhajan Ke Paschat Bangal Ak Prant Ke Rup Mein Punh Akikrit Hua?
  2. 1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश किसने दिया था? 1905 Mein Bangal Ke Vibhajan Ka Aadesh Kisne Diya Tha?
  3. बंगाल विभाजन
  4. भारत का विभाजन
  5. बंगाल विभाजन और स्वदेशी आन्दोलन
  6. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
  7. भारत में शिक्षा का विकास


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1905 ई. में विभाजन के पश्चात बंगाल एक प्रांत के रूप में पुनः एकीकृत हुआ? 1905 Mein Vibhajan Ke Paschat Bangal Ak Prant Ke Rup Mein Punh Akikrit Hua?

1905 ई. में विभाजन के पश्चात बंगाल एक प्रांत के रूप में पुनः एकीकृत 1911 में हुआ था। लार्ड कर्जन ने 19 जुलाई 1905 की बंगाल विभाजन (Bengal Partition) की घोषणा की थी जो 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ था। इस विभाजन के बाद बंगाल को दो प्रांतों पूर्वी बंगाल तथा पश्चिमी बंगाल में बांट दिया गया था। लाई हार्डिंग द्वारा 1911 में इस विभाजन को रद्द कर दिया गया था। लाई हार्डिंग के समय ही भारत की राजधानी की कलकता से स्थानांतरित (Transferred) कर के नई दिल्ली किया गया था। by NitishKumar

1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश किसने दिया था? 1905 Mein Bangal Ke Vibhajan Ka Aadesh Kisne Diya Tha?

1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon) ने दिया था। लॉर्ड कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की थी, लेकिन बंगाल का विधिवत रूप से विभाजन 16 अक्टूबर 1905 को किया गया था। लॉर्ड कर्जन का मानना था कि उसने बंगाल का विभाजन प्रशासनिक सुविधा (Administrative Facility)को ध्यान में रखते हुए किया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना था कि उसने बंगाल का विभाजन साम्प्रदायिकता (Communalism)को ध्यान में रखते हुए किया। लॉर्ड कर्जन ने 1904 ई० में विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया था। बंगाल विभाजन का कारण सरकारी रिपोर्ट में प्रशासनिक कारणों को बताया गया। बंगाल विभाजन के विरूद्ध में स्वदेशी आंदोलन प्रारंभ हुआ। स्वदेशी और बहिष्कार का विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार ने संजीवनी समाचार-पत्र के माध्यम से दिया था। by Rupa Verma

बंगाल विभाजन

विवरण विभाजन सन् राष्ट्रीय शोक दिवस विभाजन के दिन विभाजन के ख़िलाफ़ आंदोलन विभाजन के ख़िलाफ़ आंदोलन के लिए जनसभाएं, ग्रामीण आंदोलन और ब्रिटिश वस्तुओं के आयात के बहिष्कार के लिए अन्य जानकारी विभाजन के सम्बन्ध में बंगाल विभाजन पहली बार कर्ज़न का विचार विभाजन के समय बंगाल की कुल जनसंख्या 7 करोड़, 85 लाख थी तथा इस समय बंगाल में बिहार, उड़ीसा एवं विभाजन विभाजन के बाद बंगाल, पूर्वीं बंगाल एवं पश्चिमी बंगाल में बंट गया। पूर्वी बंगाल में राष्ट्रीय शोक दिवस विभाजन के दिन स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन स्वराज्य की मांग 1906 ई. में स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा का नारा बाल गंगाधर तिलक का दिया हुआ है, किन्तु कांग्रेस मंच से स्वराज्य की सर्वप्रथम मांग करने का श्रेय दादाभाई नौरोजी को दिया जाता है। 'बंगाल विभाजन' के बाद राष्ट्रीय आंदोलन में उग्रवादी विचार के नेताओं की पकड़ मज़बूत होने लगी और जहाँ उदारवादी नेता हिंसा का विरोध करते, वहीं उग्रवादी हिंसा के समर्थक थे। कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में दोनों के मध्य वैचारिक मतभेद दबा दिया गया। विभाजन रद्द की घोषणा स्वदेशी आंदोलन को चलाने के तरीके को लेकर उग्रवादी और उदारवादी नेताओं के मध्य चल रहे मतभेद के परिणामस्वरूप पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · ...

भारत का विभाजन

विवरण इस विभाजन के अंतर्गत न केवल भारतीय उप-महाद्वीप के दो टुकड़े किये गये बल्कि घोषणा तिथि मुख्य व्यक्ति संबंधित लेख अन्य जानकारी इस विभाजन में सबसे अहम् व्यक्ति 'सीरिल रैडक्लिफ़' थे जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन रेखा की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसीलिए भारत-पाकिस्तान विभाजन रेखा को ' भारत का विभाजन और दो नए राज्यों/राष्ट्रों का निर्माण सन Cyril Radcliffe) जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन रेखा की जिम्मेदारी सौंपी थी। मुख्य लेख: स्वाधीन भारत को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, वे सरल नहीं थीं। उसे सबसे पहले साम्प्रदायिक उन्माद को शान्त करना था। भारत ने जानबूझकर धर्म निरपेक्ष राज्य बनना पसंद किया। उसने आश्वासन दिया कि जिन मुसलमानों ने पाकिस्तान को निर्गमन करने के बजाय भारत में रहना पसंद किया है उनको नागरिकता के पूर्ण अधिकार प्रदान किये जायेंगे। हालाँकि पाकिस्तान जानबूझकर अपने यहाँ से रियासतों का विलय

बंगाल विभाजन और स्वदेशी आन्दोलन

• बंगाल की आबादी 7 करोड़ 85 लाख थी, ब्रिटिश भारत की कुल आबादी का लगभग 1/4 थी। बिहार और उड़ीसा भी इसी राज्य के हिस्से थे। • असम 1874 ई. में ही अलग हो गया था। • एक लेफ्टिनेंट गवर्नर इतने बड़े प्रांत को कुशल प्रशासन दे पाने में असमर्थ था। • तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन का प्रशासनिक असुविधा को बंगाल विभाजन का कारण बताया, किन्तु वास्तविक कारण प्रशासनिक नहीं, वरन् राजनीतिक था। • बंगाल उस समय भारतीय राष्ट्रीय चेतना का केन्द्र बिन्दु था और साथ ही बंगालियों में प्रबल राजनैतिक जागृति थी जिसे कुचलने के लिए कर्जन ने बंगाल को बांटना चाहा। • उसने बंगाली भाषी हिन्दुओं को दोनों भागों में अल्पसंख्या में करना चाहा। • दिसम्बर, 1903 में बंगाल विभाजन के प्रस्ताव की खबर फैलने पर चारों ओर विरोधस्वरूप अनेक बैठकें हुई जिसमें अधिकतर ढाका, मेमनसिंह एवं चटगांव में हुई। • सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, कृष्ण कुमार मिश्र, पृथ्वीशचन्द्र राय जैसे बंगाल के नेताओं ने‘बंगाली, हितवादी एवं संजीवनी’ जैसे अखबारों द्वारा विभाजन के प्रस्ताव की आलोचना की। • विरोध के बावजूद कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा की गई। • दिनाजपुर, पाबना, फरीदपुर, टंगाइल, जैसोर, ढाका, वीरभूमि, वारीसाल व अन्य कस्बों में विरोध सभाएं आयोजित की गई, जहां विदेशी माल के बहिष्कार की प्रतिज्ञा की गई। कलकत्ता में भी छात्रों ने अनेक विरोध बैठके की। • 7 अगस्त 1905 को कलकत्ता के‘टाउन हाल’ में एक ऐतिहासिक बैठक में स्वदेशी आन्दोलन की विधिवत घोषणा की गई। • 7 अगस्त की बैठक में ऐतिहासिक ‘बहिष्कार प्रस्ताव’ पारित हुआ। • लोगों से मैनचेस्टर के कपड़े और लिवरपूल के नमक के बहिष्कार की अपील करने लगे। • 1 सितम्बर को सरकार ने घोषणा की कि विभाजन 16 ...

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

प्राचीन समय से ही विदेशी हमलावर हमेशा भारत आने को उत्सुक रहे हैं, फिर चाहे वो आर्य, फारसी, ईरानी, मुगल, चंगेज खान, मंगोलियाई या सिकंदर ही क्यों ना हों। अपनी समृद्धि और खुशहाली के कारण भारत हमेशा से आक्रमणकारियों और शासकों की रुचि का कारण रहा। भारत की आजादी का इतिहास 1757 में पलासी के युद्ध के बाद ब्रिटिश भारत में राजनीतिक सत्ता जीत गए और यही वो समय था जब अंग्रेज भारत आए और करीब 200 साल तक राज किया। 1848 में लाॅर्ड डलहौजी के कार्यकाल के दौरान यहां उनका शासन स्थापित हुआ। उत्तर-पश्चिमी भारत अंग्रेजों के निशाने पर सबसे पहले रहा और 1856 तक उन्होंने अपना मजबूत अधिकार स्थापित कर लिया। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने अपने शासन में सबसे उंचाई को छुआ। नाराज़ और असंतुष्ट स्थानीय शासकों, किसानों और बेरोजगार सैनिकों ने विद्रोह कर दिया जिसे आमतौर पर ‘1857 का विद्रोह’ या ‘1857 के गदर’ के तौर पर जाना जाता है। 1857 का विद्रोह यह गदर मेरठ में बेरोजगार सैनिकों के विद्रोह से शुरु हुआ। उनकी बेरोजगारी का कारण वो नई कारतूस थी जो नई एनफील्ड राइफल में लगती थी। इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी से बना ग्रीस था जिसे सैनिक को राइफल इस्तेमाल करने की सूरत में मुंह से हटाना होता था। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के सैनिकों को धार्मिक कारणों से मंजूर नहीं था और उन्होंने इसे इस्तेमाल करने से मना कर दिया था जिसके चलते वो बेरोजगार हो गए। जल्दी ही यह विद्रोह फैल गया खासकर दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में, लेकिन यह विद्रोह असफल रहा और अंग्रेजों की सेना ने इसका जवाब लूट और हत्याएं करके दिया जिसके चलते लोग निराश हो गए। इस विद्रोह ने दिल्ली, अवध, रोहिलखंड, बुंदेलखंड, इलाहाबाद, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार ...

भारत में शिक्षा का विकास

bharat mean shiksha ke prati rujhan prachin kal se hi dekhane ko milata hai. prachin kal mean gurukuloan, ashramoan tatha shikshan sansthaoan ki sthapana sarvapratham 1781 ee. mean • shiksha ki niti ka lakshy • shiksha ka madhyam • shikshan sansthaoan ki vyavastha evan shiksha pranali us samay logoan mean shiksha prasar ke lie do vicharadharayean samane ayian. pahali vicharadhara ke anusar, shiksha ke adhomukhi nisyandan siddhaant ka pratipadan hua. is siddhant ke aantargat shiksha ko uchch vargoan ke madhyam se nimn vargoan tak pahuanchane ki bat kahi gayi, jabaki doosari vicharadhara ke tahath janasamany tak shiksha ko prachar-prasar ke lie kampani ko pratyaksh roop se prayatnashil rahane ke lie kaha gaya. aangl-prachy vivad lok shiksha ke lie sthapit samany samiti ke das sadasyoan mean do dal ban gaye the. ek aangl ya pashchaty vidya ka samarthak tha, to doosara prachy vidya ka. prachy vidya ke samarthakoan ka netritv lok shiksha samiti ke sachiv ech.ti. priansep ne kiya, jabaki inaka samarthan samiti ke mantri ech.ech. vilsan ne kiya. prachy vidya ke samarthakoan ne doosari or aangl ya pashchaty shiksha ke samarthakoan ka netritv munaro evan elafinstan ne kiya. is dal ka samarthan adhomukhi nisyandan siddhant 'adhomukhi nisyandan siddhant', jisaka arth tha- shiksha samaj ke uchch varg ko di jaye. is varg se chhan-chhan kar hi shiksha ka asar jan-samany tak pahuanche, ko sarvapratham sarakari niti ke roop mean vud ka ghoshana-patr • REDIRECT ' 1855 ee. mean 'lok shiksha...