बड़े बच्चों के कार्टून

  1. Most Watched Cartoon Shows In India
  2. Video games, cartoons, gamer
  3. भारत में हम बड़े लोगों के लिए कार्टून नहीं बनाते: गौरव गेरा
  4. बच्‍चों को ही नहीं बूढों को भी खूब भाते हैं ये कार्टून
  5. Purnia News: अब पूर्णिया सीखें फिल्म, कार्टून व ग्राफिक, कोर्स करने के बाद अच्छे पैकेज पर मिलेगा प्लेसमेंट


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Most Watched Cartoon Shows In India

By: आज के दौर में बच्‍चों के बीच कार्टून काफी पसंद किए जाते हैं। हो भी क्‍यों न आखिर आज टीवी पर इतने अच्‍छे अच्‍छे कार्टून जो आते हैं। कभी दूरदर्शन पर शुरू हुए एक कार्टून प्रोग्राम के बाद आज तो कार्टून चैनल शुरू हो चुके हैं। पोगो, कार्टून नेटवर्क, एनीमेक्‍स इंडिया, टून डिज्‍नी आदि चैनल आ रहे हैं। सबसे खास तो यह है कि समय के साथ साथ बच्चों के पसंदीदा कार्टून किरदार भी बदलते रहते हैं। कई प्रोग्राम तो ऐसे हैं जो बच्‍चों के साथ साथ बड़ो की पसंद में भी शामिल हो जाते हैं। हालांकि वे काम की व्‍यस्‍तता में उन्‍हें कम देख पाते हैं। ऐसे में आइए आज चिल्‍ड्रेन्‍स डे पर जानें भारत में सबसे ज्‍यादा देखे गए 10 कार्टून शो बारे में... मिस्टर बीन: बच्चों के बीच कठपुतली शो मिस्टर बीन काफी पॉपुलर हो चुका है। यह सिर्फ बच्चों के बीच ही नहीं बल्िक एडल्ट के बीच भी पॉपुलर है। मिस्टर बीन टीवी सीरीज और एनिमेशन सीरीज में चलने वाला पहला शो है। यह शो पूरी दुनिया में काफी पसंदीदा बन चुका है। इसमें एक व्यक्ित बिना कुछ बोले लोगों को हंसाते दिखता है। ऑगी और कॉकरोच: यह भी बच्चों के बीच काफी फेवरेट कार्टून शो है। कॉक्रोच वाला यह कार्टून शो कार्टून नेटवर्क पर आता है। इस कार्टून पर कई सारी फिल्में भी बन चुकी हैं। यह भी पूरी दुनिया में देखा जाता है। इसमें सबसे खास बात तो यह है कि इसमें बॉलीवुड स्टार्स शाहरुख खान, सनी द्योल ओमपुरी जैसी अभिनेताओं की आवाज में ऑगी बोलता है। मिकी माउस क्लब: मिकी माउस क्लब किरदार भी एनिमेटेड शो में टॉपर पर है। इसे वॉल्ट डिज्नी ने बनाया है। यह शो जी टीवी पर शाम के समय आता है। डिज्नी का कैरेक्टर करीब 90 के दशक में काफी पॉपुलर हुआ है। इस शो में मिकी मेन कैरेक्टर में है। इसके अलावा इसमें...

Video games, cartoons, gamer

दिनेश प्रताप सिंह ‘चित्रेश’ जिस उम्र में हम डरते-डरते साइकिल सीख रहे थे, उस वय के बच्चों को करतब करते हुए मोटरसाइकिल चलाते देख आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। मोबाइल और लैपटाप पर सधे अंदाज में चलती उनकी अंगुलियां भी कम हैरतअंगेज नहीं हैं। यहां क्या नहीं है? खोजने पर शेक्सपियर, गोर्की, बालजाक, लुइस कैरोल से लेकर प्रेमचंद, प्रसाद, सुभद्राकुमारी चौहान, दिनकर, सत्यजित रे, गुलजार, बच्चन का वैविध्यपूर्ण मोहक साहित्य मिल जाएगा। यहां एनीमेशन है, तो भूत-प्रेत की डरावनी दुनिया भी! खौफनाक कारनामों भरे वीडियो गेम, कार्टून, जुआ के साथ-साथ गेमरों-हैकरों की बेसिर-पैर की कहानियां भी मिलेंगी। तीन दशक पहले टीवी, फिर वीडियो गेम और अब मोबाइल-लैपटाप के जरिए असीमित डेटा वाले इंटरनेट ने आज के बच्चों को व्यस्त रखने का ऐसा इंतजाम कर दिया है कि खेल का मैदान और किताबें उनसे दूर चली गई हैं। हमारे अपने बचपन में आज जैसी जगमग स्थिति नहीं थी, मगर खुशियों की बेशुमार धड़कनें समाहित थीं। बसवाड़ियों और पोखरों से भरा गांव, जिसके आखिर में घनी अमराइयां और आगे आसमान नीचे आकार धरती को ढक लेता था। छोटी-सी दुनिया और उससे जुड़ी हमारी ढेर सारी जिज्ञासाएं… इसके लिए हमारे मां-बाबूजी तो थे ही! दादा-दादी, काका-काकी और भाई-भौजाई की पूरी जमात थी। इनमें जो भी फुर्सत में होता, उससे हम अपनी बात कह सकते थे। यहां तक कि पड़ोस के बड़े-बुजुर्ग भी हमारा मार्गदर्शन करने में पीछे नहीं रहते थे। सर्दियों में अलाव के आसपास किस्से-कहानियों की दुनिया आबाद हो जाती थी। कुछ कहानी तो पूरी की पूरी गाकर सुनाई जाती थी। इन कहानियों को सुनते हुए हमारा मन हर्ष, विषाद, रहस्य-रोमांच और ‘अब क्या होगा’ की जिज्ञासा से भरा खूब सजग रहता था। कहावतों में छिपी कह...

भारत में हम बड़े लोगों के लिए कार्टून नहीं बनाते: गौरव गेरा

नई दिल्ली (भाषा)। पिछले दिनों डांस रियलिटी शो ‘झलक दिखला जा' में अपने खुद के बनाए चरित्र ‘चुटकी' के रुप में नजर आए अभिनेता गौरव गेरा का कहना है कि भारत में जो कार्टून बनते हैं वो सिर्फ बच्चों पर केंद्रित होते हैं और यहां बड़े लोगों के लिए कार्टून चरित्र गढ़े ही नहीं जाते। दिल्ली में चल रहे छठे ‘कॉमिक कॉन' उत्सव में गेरा अपने सोशल मीडिया पर चर्चित किरदार ‘शॉपकीपर-चुटकी' के रुप में लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अधिकतर कार्टून चरित्र बच्चों के लिए होते हैं जबकि विदेशों में बड़े लोगों के लिए भी कार्टून चरित्र गढ़े जाते हैं। इसलिए हमें कार्टून या कॉमिक श्रृंखलाओं के लिए विदेशी सामग्री पर आश्रित होना पड़ता है।'' भारत में प्रसारित होने वाले बच्चों के ज्यादातर कार्टून विदेशी होने के सवाल पर गेरा ने कहा, ‘‘भारत में योग्यता की कमी नहीं है। विदेशों में भी भारत के लोग ही काम कर रहे हैं। मेरे हिसाब से निर्माताओं को इस ओर ध्यान देना होगा कि कार्टून क्षेत्र में भी कितना बडा बाजार है।'' उन्होंने कहा, ‘‘देखिये जब कॉमिक कॉन शुरु हुआ था तो कोई इस बारे में नहीं जानता था, लेकिन आज सब जानते हैं। मैं भी पहली बार मुंबई में इसमें शामिल हुआ था, लेकिन यहां लोगों का उत्साह देखते ही बनता है और मैं इसलिए अपने गढ़े चरित्र ‘शॉपकीपर-चुटकी' को लेकर यहां आ जाता हूं।' ‘झलक दिखला जा' में गेरा के तौर पर शामिल ना होकर ‘चुटकी' के रुप में शामिल होने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता था कि विभिन्न माध्यमों के दर्शकों तक ‘चुटकी' का किरदार पहुंचे। इसलिए मैं उसमें चुटकी के रुप में शामिल हुआ। मेरा झलक में जाने का मुख्य मकसद यही था और मुझे लगता है कि मैंने अपना काम पूरा किया। हाला...

बच्‍चों को ही नहीं बूढों को भी खूब भाते हैं ये कार्टून

अब आप यह सोचा रहे होंगे कि इन कार्टून कि शुरवात कैसे हुई। इसकी शुरवात वॉल्ट डिज्नी ने कि, उन्होंने अपने भाई के साथ मिल कर वॉल्ट डिज्नी प्रोडक्शंस कंपनी की स्थापना की, जिसका सबसे पहला और सबसे मश्हूर कार्टून है मिक्की माऊस। जिसे आज भी लोग उतना ही पसंद करते हैं जितना की पहले। तो आइये जाने कुछ ऐसे ही बच्चों के पसंदीदा कार्टून्स। 3. टॉम एंड जैरी टॉम एंड जैरी विलियम हैन्ना और जोसफ बारबरा के द्वारा बनायीं गयी एनिमेशन फिल्म है। यह एक घरेलू बिल्ली(टॉम) और एक चूहे(जैरी) के बीच आपस में लड़ाई पर आधारित है। वर्ष 1940 से 1957 के बीच एनिमेशन के बंद होने तक हैन्ना और बारबरा ने कैलिफोर्निया हॉलीवुड के कार्टून स्टूडियो में ‘टॉम एंड जैरी' के 114 कार्टून लिखे और निर्देशित किए।

Purnia News: अब पूर्णिया सीखें फिल्म, कार्टून व ग्राफिक, कोर्स करने के बाद अच्छे पैकेज पर मिलेगा प्लेसमेंट

विक्रम कुमार झा/ पूर्णिया. अगर आपको ग्राफिक्स, कार्टून के साथ एनिमेशन में दक्षता हासिल करनी है तो आपके लिए अच्छी खबर है. अब आपको पूर्णिया से बाहर जाने की जरूरत नहीं है. पूर्णिया में ही एक उच्च स्तरीय एनिमेशन सेंटर खुला है. बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ तकनीक से जुड़ी जानकारी मिलेगी. दरअसल पूर्णिया के बच्चों को टेक्निकल चीजें सीखने के लिए पूर्णिया से बाहर नहीं जाना होगा. पूर्णिया में ही अब रहकर हर तरह की टेक्निक, फिल्म बनाने से लेकर ग्राफिक्स कार्टून डिजाइनिंग 3डी एवं अन्य कई तरह की ऩई जानकारी लेंगे. जानकारी देते हुए पूर्णिया केएरिना एनिमेशन पूर्णिया के सेंटर प्रबंधक अनिल कुमार ने कहाबच्चे अब कम खर्चों में फिल्म से जुड़ी हर तरह की टेक्निक सीख सकते हैं. पूर्णिया में यह पहली बार हो रहा है जो कि बच्चों को फिल्म से जुड़ी या ग्राफिक 2D 3D डिजाइनिंग बीएफ एसएस बीएफ एक्स गेमिंग कार्टून सहित अन्य कई टेक्निकल ज्ञान लेंगे. कोर्स करने के बादजॉब मिलेगी पूर्णिया के बच्चे कम खर्चों में आसानी से हर तरह की फिल्म से जुड़ी और टेक्निकल चीजों को जल्दी से जल्दी सीख पाएंगे. उन्होंने कहा यहां कम से कम 7 महीने और अधिकतम 3 साल का कोर्स होता है.सबसे बड़ी बात उन्होंने बताते हुए कहा कि एरीना एनीमेशन पूर्णिया में जो भी बच्चे नामांकित होते हैं और प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं, उन बच्चों को संस्था प्रशिक्षण समाप्त होते ही जल्द से जल्द अच्छे पैकेज की जॉब उपलब्ध कराएगी. . Tags: , , ,