बड़ी कंपनियों को कहते हैं

  1. म्यूचुअल फंड्स कंपनियों का 30% घट सकता है मुनाफा, SEBI के नए प्रस्ताव से मच सकती है हलचल: जेफरीज
  2. देश में बढ़ते प्राइवेट निवेश के क्या मायने हैं? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
  3. चीनी मोबाइल कंपनियाँ नियुक्त करें भारतीय CEO, सरकार ने दिए निर्देश: रिपोर्ट
  4. कारोबार: बड़ी कंपनियों को मात देते स्टार्टअप : Outlook Hindi
  5. बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं


Download: बड़ी कंपनियों को कहते हैं
Size: 36.12 MB

म्यूचुअल फंड्स कंपनियों का 30% घट सकता है मुनाफा, SEBI के नए प्रस्ताव से मच सकती है हलचल: जेफरीज

म्यूचुअल फंड्स कंपनियों का 30% घट सकता है मुनाफा, SEBI के नए प्रस्ताव से मच सकती है हलचल: जेफरीज म्यूचुअल फंड स्कीमों (Mutual Fund Schemes) के लिए फीस की अधिकतम सीमा तय किए जाने से उन्हें चलाने वाली कंपनियों यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के मुनाफे में 30% तक की गिरावट आ सकती है। बड़ी कंपनियों पर यह असर और भी अधिक होसकता है और उनके मुनाफे में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है • • • • • • म्यूचुअल फंड स्कीमों (Mutual Fund Schemes) के लिए फीस की अधिकतम सीमा तय किए जाने से उन्हें चलाने वाली कंपनियों यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के मुनाफे में 30% तक की गिरावट आ सकती है। बड़ी कंपनियों पर यह असर और भी अधिक हो सकता है और उनके मुनाफे में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने एक रिपोर्ट में ये अनुमान जताया है। जेफरीज ने कहा कि इसके अलाव बड़ी AMC पर कम फीस लगाए जाने से इस सेक्टर में विलय और अधिग्रहण से जुड़ी गतिविधियां भी कम हो सकती है। ब्रोकरेज ने कहा, "इक्विटी से जुड़े टोटल एक्सपेंश रेशियो (TER) में बदलाव से एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) का मुनाफा 30 फीसदी तक घट सकता है। " ब्रोकरेज ने कहा, "सभी फंड्स के मुनाफे पर अलग-अलग पड़ेगा। (1) टॉप-5 फंड्स का मुनाफा 50 फीसदी घट सकता है। (2) इसके बाद की 5 बड़ी AMC का मुनाफा 17 फीसदी घट सकता है। (3) इसकी अगली 10 बड़ी AMC का मुनाफा 37 फीसदी बढ़ सकता है। (4) वहीं इसके बाद की 10 बड़ी AMC का मुनाफा 28 फीसदी घट सकता है। (5) बाकी (30 रैंक के नीचे) का मुनाफा 25 फीसदी बढ़ सकता है।" बता दें कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड धारकों से ली जाने वाली फीस में पारदर्शिता लाने के लिए सभी म्यूचुअल फंड स्...

देश में बढ़ते प्राइवेट निवेश के क्या मायने हैं? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

June 15, 2023सेना को मजबूत करने के लिए सरकार ने साइन किया 500 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट June 15, 2023पिछले साल के मुकाबले इस साल कोयले की कोई कमी नहीं, 44% बढ़ा स्टॉक June 15, 2023Cyclone Biparjoy: श्रद्धालुओं के लिए द्वारकाधीश मंदिर बंद, हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया June 15, 2023Go First की सभी फ्लाइट्स अब 19 जून तक रद्द, टिकट रिफंड का भी बताया तरीका June 15, 2023जुलाई से भारत में यहां पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया वाहन नहीं खरीद पाएंगे आप June 15, 2023cyclone Biparjoy: चक्रवात अम्फान से लेकर फेनी तक, बीते 10 सालों में भारत में आए घातक समुद्री चक्रवातों पर एक नजर June 15, 2023वकील अपने ग्राहकों के संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट करें, इस योजना पर काम कर रही सरकार June 15, 2023200 करोड़ डॉलर के लोन के लिए बैंकों से बातचीत कर रहा रिलायंस June 15, 2023गो फर्स्ट के परिचालन पर ‘ब्रेक’ से Indigo को फायदा, मई में रिकॉर्ड मार्केट हिस्सेदारी हासिल की June 15, 2023Closing Bell: शेयर बाजार 311 अंक फिसलकर 63 हजार के नीचे आया • होम • बजट 2023 • अर्थव्यवस्था • बाजार • शेयर बाजार • म्युचुअल फंड • आईपीओ • समाचार • कंपनियां • स्टार्ट-अप • रियल एस्टेट • टेलीकॉम • तेल-गैस • एफएमसीजी • उद्योग • समाचार • पॉलिटिक्स • लेख • संपादकीय • आपका पैसा • भारत • उत्तर प्रदेश • महाराष्ट्र • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ • बिहार व झारखण्ड • राजस्थान • अन्य • मल्टीमीडिया • वीडियो • टेक-ऑटो • विविध • मनोरंजन • ट्रैवल-टूरिज्म • शिक्षा • स्वास्थ्य • अन्य • विशेष • आज का अखबार • ताजा खबरें • अंतरराष्ट्रीय • वित्त-बीमा • फिनटेक • बीमा • बैंक • बॉन्ड • समाचार • कमोडिटी • खेल • BS E-Paper भारत की वृद्धि में निजी...

चीनी मोबाइल कंपनियाँ नियुक्त करें भारतीय CEO, सरकार ने दिए निर्देश: रिपोर्ट

China Phone Brands Will Have Indian CEOs?: ऐसा लगता है कि पिछले कुछ सालों में लगभग 250 से अधिक लोकप्रिय चीनी जी हाँ! सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने भारत में अपना संचालन करने वाली चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों के लिए नए नियमों का खाका तैयार किया है। असल में इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की एक हालिया इतना ही नहीं बल्कि रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने चीनी कंपनियों को भारतीय कांट्रैक्ट मैन्युफ़ैक्चरर्स के साथ सहयोग को बढ़ाने और, भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त उद्यमों के तहत स्थानीय विनिर्माण का विस्तार करने और स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर्स को शामिल करने जैसे निर्देश भी दिए हैं। इतना ही नहीं बल्कि रिपोर्ट में मामले के जानकार सूत्रों के हवाले से यह भी खुलासा किया गया है कि कि चीनी कंपनियों को स्पष्ट रूप से ‘टैक्स चोरी’ जैसी प्रथाओं को ना अपनाने और सभी भारतीय कानूनों का पालन करने की सलाह भी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इन कंपनियों में सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग में ही नहीं बल्कि सेल्स, मार्केटिंग जैसे सभी स्तरों पर भारतीय इक्विटी पार्टनर चाहती है। क्यों खास है ये समय? असल में यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में जब हाल में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा आयोजित बैठकों में सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों ने Xiaomi, Oppo, Realme और Vivo जैसे चीनी स्मार्टफोन निर्माताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इन बैठकों में प्रतिनिधि के रूप में उद्योग लॉबी समूह, इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ( ICEA) ने भी भागीदारी की। दिलचस्प रूप से MeitY द्वारा इन बैठकों का आयोजन ऐसे समय में किया गया जब कई चीनी स्मार्टफोन निर्माताओं पर टैक्स चोरी जैसी कुछ अवैध व...

कारोबार: बड़ी कंपनियों को मात देते स्टार्टअप : Outlook Hindi

दिल्ली के 25 वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर दो बड़ी कंपनियों की नौकरी ठुकराकर अब स्टार्टअप में अपनी दूसरी नौकरी करने जा रहे हैं। अपने निर्णय के बारे में वे बताते हैं, "बड़ी कंपनियों में काम करने का मतलब है कि वहां आप हजारों लोगों के बीच बस एक नम्बर हैं। बड़ी कंपनियों में काम करने का एक पैटर्न तय हो जाता है और उसी के हिसाब से आपको काम करना पड़ता है। बड़ी कंपनियां बढ़ती हैं तो फायदा सिर्फ ऊपर के लोगों को होता है, लेकिन स्टार्टअप में कंपनी के साथ आपकी भी ग्रोथ होती है।" यह कहानी केवल प्रद्युम्न की नहीं, बल्कि देश के लाखों युवाओं की है। पर्सनल सेफ्टी एप 'लाइटहाउस' के सीईओ धीरज नौभार इस ट्रेड पर कहते हैं, "आज के युवाओं में कुछ सीखने का जुनून है। जहां उनका यह जुनून पूरा हो रहा है, वे उसी कंपनी को अपनी कर्मभूमि बना रहे हैं।" हाल ही में आई टेक्नोलॉजिस्ट सेंटीमेंट रिपोर्ट 2021 के अनुसार, विश्व स्तर पर 48% तकनीकी पेशेवर अपनी कंपनी बदलना चाहते हैं। वहीं, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने एक सर्वेक्षण में पाया कि वैश्विक स्तर पर 'जनरेशन जेड' के 54% कर्मचारी अपनी कंपनी में इस्तीफा सौंपने पर विचार कर रहे हैं। बड़ी कंपनियों में नौकरी करने के रुझान में कमी आने से स्टार्टअप सेक्टर को नया 'बूम' मिला है। आखिर क्यों बड़ी कंपनियों से लोग स्टार्टअप की तरफ बढ़ रहे हैं, इस पर एम्बरस्टूडेंट नामक एक स्टार्टअप के को-फाउंडर सौरव गोयल आउटलुक को बताते हैं, "बड़ी कंपनियों में आपकी ग्रोथ नहीं होती। अगर बड़ी कंपनियों में सालाना ग्रोथ 10-12% हो रही है, तो स्टार्टअप में यही ग्रोथ कम से कम 30-40% की होगी। यही वजह है कि लोग स्टार्टअप की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।" टेकगिग के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के आइटी क्षेत्र में औसत वेतन ...

बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं

बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं – बड़ी कंपनियां हमारी अर्थव्यवस्था और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, हजारों लोगों को रोजगार देती हैं और अक्सर पूरे उद्योग को आकार देती हैं। लेकिन हम इन विशाल निगमों को क्या कहते हैं, और वे छोटे व्यवसायों से कैसे भिन्न हैं? इस लेख में, हम निगमों और समूहों से लेकर बहुराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों तक, बड़ी कंपनियों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न शब्दों और शीर्षकों का पता लगाएंगे। बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं 1: निगम बड़ी कंपनियों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य शब्दों में से एक “निगम” है। एक निगम एक कानूनी इकाई है जो एक विशिष्ट राज्य या देश के कानूनों के तहत बनाई गई है, और इसका स्वामित्व उन शेयरधारकों के पास है जिन्होंने कंपनी में निवेश किया है। निगम या तो निजी या सार्वजनिक रूप से कारोबार कर सकते हैं, बाद वाले स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं और जनता से निवेश के लिए खुले होते हैं। 1.1: निजी निगम निजी निगमों का स्वामित्व शेयरधारकों के एक छोटे समूह के पास होता है, और उनके शेयरों का सार्वजनिक स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार नहीं होता है। ये कंपनियां अक्सर परिवार के स्वामित्व वाली होती हैं, और उन्हें अपनी वित्तीय जानकारी जनता के सामने प्रकट करने की आवश्यकता नहीं होती है। 1.2: सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले निगम सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले निगम हजारों या लाखों 2: समूह एक समूह एक कंपनी है जो विभिन्न उद्योगों में कई व्यवसायों का मालिक है। ये कंपनियाँ अक्सर विलय और अधिग्रहण के माध्यम से बनाई जाती हैं, और वे निजी या सार्वजनिक रूप से कारोबार कर सकती हैं। कांग्लोमेरेट्स के पास अक्सर व्यवसायों का ...

स्मॉल

June 15, 2023मई में Indigo के पाले आया देसी उड़ानों का सबसे ज्यादा बाजार June 15, 2023भ्रामक डिजिटल विज्ञापनों पर निर्देश June 15, 2023सरकार को सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से डिविडेंड के रूप में मोटी कमाई June 15, 2023जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों को 5 साल बाद मिलेगा कर्ज June 15, 2023ईंधन के दामों में कटौती के आह्वान का असर, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में कमी के आसार! June 15, 2023बातचीत विफल, मैकलॉयड रसेल से निकली कार्बन रिसोर्सेज June 15, 2023क्रिसकैपिटल से 10 करोड़ डॉलर जुटाएगी lenskart June 15, 2023जून में ई-स्कूटर की बिक्री पड़ी धीमी, केवल 29 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन June 15, 2023अप्रैल में क्रेडिट कॉर्डों की संख्या 865 लाख के रिकॉर्ड स्तर पर, छोटे शहरों में पहुंचने से संख्या में इजाफा June 15, 202311 जुलाई को GST काउंसिल की बैठक, ऑनलाइन गेमिंग की समस्या का हो सकता है समाधान बड़ी संख्या में खुदरा निवेशक फिलहाल मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट में निवेश सीधे स्टॉक मार्केट के बजाय म्युचुअल फंड के जरिये कर रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक मार्च (2,430 करोड़ रुपये) और अप्रैल (2,182 करोड़ रुपये) 2023 में सभी इक्विटी श्रेणियों के बीच स्मॉल-कैप फंडों में अधिकतम निवेश हुआ है। सकारात्मक अनुभव से प्रेरित आशावाद निवेशक अपने सकारात्मक अनुभव के कारण स्मॉल-कैप श्रेणी में अधिक रुचि ले रहे हैं। डीएसपी म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर रेशम जैन कहते हैं, “पिछले एक दशक में स्मॉल-कैप फंडों ने लार्ज-कैप फंडों से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है.” जैन यह भी बताते हैं कि इस कैटेगरी के ज्यादातर एक्टिव फंड ने अपने बेंचमार्क को मात दी है। द...

बड़ी

साईं भक्त उनके दो संदेश का पालन करते हैं। पहला- श्रद्धा और सबुरी, जिसका मतलब है आस्था और संयम। दूसरा- सबका मालिक एक। सुबह के 11 बजे हैं। मैं शिरडी के साईंबाबा मंदिर परिसर में हूं। यह मंदिर इन दिनों चढ़ावे को लेकर सुर्खियों में है। दरअसल बैंक ने मंदिर में चढ़ने वाले सिक्कों को जमा करने से मना कर दिया है। इसकी वजह मंदिर ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी और भाजपा नेता सचिन तांबे बताते हैं, ‘हर दिन मंदिर में लगभग 27 से 30 लाख सिक्के चढ़ते हैं। मंदिर का सालाना चढ़ावा 400 करोड़ से ज्यादा ही रहता है। मंदिर जिन बैंकों में यह चढ़ावा जमा करता है, उन बैंक में जगह की कमी की वजह से सिक्के जमा करने से मना कर दिया गया है। बैंक उन सिक्कों को आगे भेजता ही नहीं है। अपने पास लेकर बैठा है अब इसमें मंदिर की क्या गलती। मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी बालकृष्ण जोशी बताते हैं कि रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया से बात हो गई है। हमें चढ़ावे के सिक्कों वाले मसले को जल्द सुलझाने का आश्वासन मिला है। साईंबाबा के श्रद्धालु और उनके मंदिर दुनिया के हर कोने में हैं। सिक्कों वाले मसले से इतर बात करें तो मैं हमेशा से जानना चाहती थी कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि यहां इतनी तादाद में श्रद्धालु आते हैं और करोड़ रुपया चढ़ावा चढ़ाते हैं। पंथ सीरीज में आज कहानी शिरडी के साईं बाबा मंदिर की, जहां मैं अपनी इस जिज्ञासा को शांत करने पहुंची थी। महाराष्ट्र के जिला अहमदनगर के शिरडी में दाखिल होते ही जहां नजर घुमाओ तो लगता है कि हम होटलों के शहर में आ गए। होटलों के बीच ब्रांडेड कपड़ों की दुकानें, महाराष्ट्रियन परंपरागत पैठनी साड़ी की दुकानें और रेस्त्रां। शाम ढलते ही सड़कों पर सैकड़ों टूरिस्ट बसें खड़ी हैं। इन सभी को पार करके मैंने आज सिर्फ इतना पता किय...