भारत छोड़ो आंदोलन का वर्णन कीजिए

  1. भारत छोड़ो आन्दोलन
  2. भारत छोड़ो आंदोलन
  3. भारत छोड़ो आंदोलन का वर्णन कीजिए तथा उनकी असफलता के बाद कारण बताइए? » Bharat Chhodo Aandolan Ka Varnan Kijiye Tatha Unki Asafaltaa Ke Baad Karan Bataiye
  4. भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका


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भारत छोड़ो आन्दोलन

विवरण शुरुआत मूलमंत्र 'करो या मरो' परिणाम 'भारत छोड़ो आन्दोलन' भारत को स्वतन्त्र भले न करवा पाया हो, लेकिन इसका दूरगामी परिणाम सुखदायी रहा। इसलिए इसे "भारत की स्वाधीनता के लिए किया जाने वाला अन्तिम महान् प्रयास" कहा गया। आलोचना तत्कालीन भारतीय राजनीतिक दलों में 'साम्यवादी दल' ने इस आन्दोलन की आलोचना की। अन्य जानकारी भारत छोड़ो आन्दोलन स्वतंत्रता की महान् लड़ाई 'भारत छोड़ो आन्दोलन' या 'अगस्त क्रान्ति भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन' की अन्तिम महान् लड़ाई थी, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया। क्रिप्स मिशन के ख़ाली हाथ भारत से वापस जाने पर भारतीयों को अपनी छले जाने का अहसास हुआ। दूसरी ओर दूसरे विश्वयुद्ध के कारण परिस्थितियाँ अत्यधिक गम्भीर होती जा रही थीं। क्रिप्स मिशन का आगमन इस समय द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ चुका था, और इसमें ब्रिटिश फ़ौजों की दक्षिण-पूर्व क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद 'भारतीय नेशनल कांग्रेस कमेटी' की बैठक वर्धा प्रस्ताव अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक आन्दोलन के दौरान 8 अगस्त, 1942 ई. को 'अखिल भारतीय कांग्रेस' की बैठक मूलमंत्र 'करो या मरो' कांग्रेस के इस ऐतिहासिक सम्मेलन में महात्मा गाँधी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि "मैं आपको एक मंत्र देता हूँ, करो या मरो, जिसका अर्थ था- भारत की जनता देश की आज़ादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करे। गाँधी जी के बारे में "एक देश तब तक आज़ाद नहीं हो सकता, जब तक कि उसमें रहने वाले लोग एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते।" नेताओं की गिरफ़्तारी बंगाल के मिदनापुर ज़िले में गाँधी जी का प्रभाव 'भारत छोड़ो आन्दोलन' मूल रूप से एक जनांदोलन था, जिसमें आन्दोलन की आलोचना तत्कालीन भारतीय राजनीतिक दलों में 'साम्यवादी ...

भारत छोड़ो आंदोलन

टैग्स: • • • प्रिलिम्स के लिये: भारत छोड़ो आंदोलन मेन्स के लिये: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन की भूमिका एवं महत्त्व चर्चा में क्यों? 8 अगस्त, 2021 को भारत ने भारत छोड़ो आंदोलन के 79 वर्ष पूरे किये, जिसे अगस्त क्रांति भी कहा जाता है। प्रमुख बिंदु परिचय: • 8 अगस्त, 1942 को ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काँन्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। • गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में " करो या मरो " का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है। • स्वतंत्रता आंदोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में लोकप्रिय अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराने के लिये जाना जाता है। • 'भारत छोड़ो' का नारा एक समाजवादी और ट्रेड यूनियनवादी यूसुफ मेहरली द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था। • मेहरअली ने " साइमन गो बैक " का नारा भी गढ़ा था। कारण: • क्रिप्स मिशन की विफलता: आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था। • संदर्भ: इस मिशन को स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में भारत में एक नए संविधान एवं स्वशासन के निर्माण से संबंधित प्रश्न को हल करने के लिये भेजा गया था। • क्रिप्स मिशन के पीछे कारण: दक्षिण-पूर्व एशिया में जापान की बढ़ती आक्रामकता, युद्ध में भारत की पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये ब्रिटिश सरकार की उत्सुकता, ब्रिटेन पर चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बढ़ते दबाव के कारण ब्रिटेन की सत्तारूढ़ लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा मार्...

भारत छोड़ो आंदोलन का वर्णन कीजिए तथा उनकी असफलता के बाद कारण बताइए? » Bharat Chhodo Aandolan Ka Varnan Kijiye Tatha Unki Asafaltaa Ke Baad Karan Bataiye

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। भारत छोड़ो आंदोलन सर्वप्रथम महात्मा गांधी जी ने स्टार्ट किया इसमें उन्होंने गांधीजी कभी भी कभी भी कोई आंदोलन करते थे तक ही होता था गांधीजी धरना के माध्यम से किसी भी आंदोलन को करते थे और यह असफल ही रहा क्योंकि इसका कारण यह है कि अगर अंग्रेज बात से धरना देने से चले जाते तो फिर कुछ लड़ाई का माहौल ही नहीं बनता गांधीजी के धरना देने से अंग्रेजों वापस नहीं गए तो हमारे नेताओं ने अपना एक ग्रुप बनाया जिससे हम गरम दल के नाम से भी जानते हैं और गरम दल के मदद से ही हम अंग्रेज़ो को भगाएं ना कि गरम दल की नरम दल के नेताओं की वजह से नरम दल के नेता महात्मा गांधी ही थे bharat chodo andolan sarvapratham mahatma gandhi ji ne start kiya isme unhone gandhiji kabhi bhi kabhi bhi koi andolan karte the tak hi hota tha gandhiji dharna ke madhyam se kisi bhi andolan ko karte the aur yah asafal hi raha kyonki iska karan yah hai ki agar angrej baat se dharna dene se chale jaate toh phir kuch ladai ka maahaul hi nahi baata gandhiji ke dharna dene se angrejo wapas nahi gaye toh hamare netaon ne apna ek group banaya jisse hum garam dal ke naam se bhi jante hain aur garam dal ke madad se hi hum angrezo ko bhagaen na ki garam dal ki naram dal ke netaon ki wajah se naram dal ke neta mahatma gandhi hi the भारत छोड़ो आंदोलन सर्वप्रथम महात्मा गांधी जी ने स्टार्ट किया इसमें उन्होंने गांधीजी कभी भी

भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका

टैग्स: • • • पृष्ठभूमि: • वर्ष 1939 में इंग्लैंड ने जर्मन राइख (साम्राज्य) पर आक्रमण कर दिया। जिसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाती है। विश्व युद्ध के प्रारंभ होते ही भारत को उसमें शामिल कर लिया गया तथा इस संबंध में भारत के नेताओं से कोई परामर्श नहीं लिया गया था। • उस समय भारत के वाइसरॉय लार्ड लिनलिथगो थे तथा उन्होंने तत्काल भारत के युद्ध में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर दी। इसके प्रत्युत्तर में वाइसरॉय के मत्रिमंडल में शामिल कॉन्ग्रेस के नेताओं ने तुरंत अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। • कॉन्ग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने अंग्रेजों की इस नीति का विरोध किया तथा जनसामान्य में यह भावना फैली कि ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों की भावनाओं की उपेक्षा की जा रही है। • इसके विरोध के लिये कॉन्ग्रेस कार्य समिति ने 7-8 अगस्त, 1942 को मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में सभा आयोजित की गई जिसमें महात्मा गांधी ने “करो या मरो” (Do or Die) का नारा दिया और भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई। • लेकिन अगली सुबह 9 अगस्त को महात्मा गांधी समेत कॉन्ग्रेस के सभी मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें देश में अलग-अलग स्थानों पर जेलों में बंद कर दिया गया। • इन परिस्थितियों में आंदोलन के मुख्य नेतृत्व के अभाव में स्थानीय स्तर के नेताओं तथा महिलाओं को इसका नेतृत्व संभालने का अवसर प्राप्त हो गया। • यह आंदोलन स्थानीय स्तर पर अलग-अलग तरीकों से जारी रहा। कुछ स्थानों पर लोग शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे, जबकि कई स्थानों पर यह आंदोलन हिंसक हो गया। • उत्तर प्रदेश के बलिया, पश्चिम बंगाल के मिदनापुर तथा महाराष्ट्र के सतारा में आंदोलनकारियों ने अंग्रेजी सरकार को हटा कर समानांतर सरकारें स्थापित ...