भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम

  1. भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध
  2. भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध
  3. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम
  4. भारत छोड़ो आंदोलन
  5. भारत छोड़ो आंदोलन
  6. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम
  7. भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध
  8. भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध
  9. भारत छोड़ो आंदोलन
  10. भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध


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भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध

भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध | Essay On Quit India Movement in Hindi | quit india movement in hindi pdf significance causes images 1942 भारत छोड़ो आंदोलन के कारण, कार्यक्रम व प्रगति तथा परिणाम का विवेचन- क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला किया. अगस्त 1942 में शुरू हुए इस आंदोलन को अंग्रेजों भारत छोड़ो का नाम दिया गया. Essay On Quit India Movement in Hindi अगस्त 1942 में गांधीजी ने अपना तीसरा बड़ा आंदोलन अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रारम्भ किया. यह आंदोलन सही मायनों में एक जन आंदोलन था. जिसमें लाखों आम हिंदुस्थानी शामिल थे. इस आंदोलन में युवा वर्ग को बहुत बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया. उन्होंने अपने कॉलेज छोडकर जेल जाने का रास्ता अपनाया. जिस दौरान कांग्रेस के नेता जेल में बंद थे. उसी समय जिन्ना तथा मुस्लिम लीग के उनके साथी अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने लगे थे. इस आंदोलन के दौरान लीग को पंजाब व सिंध में अपनी पहचान बनाने का अवसर मिला, जहाँ अभी तक उनका कोई खास वजूद नहीं था. इस आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र में स्वतंत्र सरकार भी बनी जो 1946 तक चलती रही. इसलिए हम कह सकते हैं कि 1942 का आंदोलन वास्तव में एक जन आंदोलन था. भारत छोड़ो आंदोलन के कारण– 1942 में गांधीजी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ करने के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे. अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति– सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया. ब्रिटिश सरकार ने भारत के नेताओं से परामर्श किये बिना ही भारत को भी युद्ध में धकेल दिया. कांग्रेस ने अंग्रेजों को युद्ध में समर्थन देने के लिए दो प्रमुख मांगे प्रस्तुत कीं. युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को स्वतंत्रता प्रद...

भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख मे आपको भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध (Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi) लिखने के लिए जरूरी जानकारी दी हैं। यदि आप भारत छोड़ो आंदोलन (Bharat Chhodo Andolan Nibandh) पर भाषण की तैयारी कर रहे है तब भी यह लेख आप के लिए उपयुक्त रहेगा। Bharat Chhodo Andolan par Nibandh को आप दसवी कक्षा से बारहवी कक्षा तक सीधे तौर से और पाँचवी कक्षा से नौवि कक्षा तक कुछ अनुच्छेद मे बदलाव कर के इस्तमाल कर सकते है। भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi लेख अनुक्रमणिका • • • • • • भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध – Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi भारतीय इतिहास में भारत छोड़ो आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में ८ अगस्त १९४२ को पूरे भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मुंबई में ‘करो या मरो’ के नारे के साथ की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे सत्र ने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया। इसके बाद ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ ने गति पकड़ी और ७ से ८ अगस्त १९४२ तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस मंजूरी के बाद महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा लगाकर भारत की आजादी की नई राह बनाई। एक दिन बाद ९ अगस्त १९४२ को ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद पूरे भारत में देशव्यापी हड़ताल और आंदोलन शुरू हो गए, जिसमें एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और अन्...

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम

[ भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम ] 1942 के भारत-छोड़ो या अगस्त आंदोलन में, राष्ट्रीय संघर्ष ने अपनी सर्वोच्च परिणति प्राप्त की। इस आंदोलन की सीमा और गहराई के बारे में बार्थोलोम्यू लिनलिथगो ने ब्रिटिश प्रधान मंत्री चर्चिल से कहा कि ब्रिटिश साम्राज्य की सुरक्षा के लिए, “मैं नहीं चाहता कि इस विद्रोह की सीमा और महत्व को दुनिया के ध्यान में लाया जाए। “ Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम| Bharat Chhodo Aandolan सर स्ट्रैफ़ोर्ड क्रिप्स मिशन की विफलता ने कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच सहयोग और समझ के सभी प्रयासों को समाप्त कर दिया। भारत की जनता के मन में घोर निराशा है। केवल मुस्लिम लीग और कुछ ही व्यक्ति इसके अपवाद हैं। मद्रास और कलकत्ता पर एक जापानी हमले की संभावना (वास्तव में कुछ छिटपुट हमले हुए थे) ने लोगों में भारी दहशत पैदा कर दी। कलकत्ता में एक जापानी हमले के डर से, अनगिनत लोग अपने घर और फर्नीचर छोड़कर अन्य सुरक्षित ठिकानों पर चले गए। भारत छोड़ो आंदोलन के कारण इस विकट परिस्थिति में गांधीजी के मन में यह विचार घर कर गया कि भारत की सुरक्षा की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार के हाथों में नहीं छोड़ी जानी चाहिए बल्कि भारत के लोगों द्वारा ली जानी चाहिए। इस मामले में कांग्रेस के भीतर दो विचारधाराओं का उदय हुआ। लेकिन ब्रिटिश सरकार भारतीयों को प्रतिरोध की जिम्मेदारी सौंपने या उन्हें सत्ता सौंपने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। ऐसी स्थिति में गांधीजी ने हरिजन समाचार पत्र (29 अप्रैल, 1942 ई.) में एक लेख प्रकाशित कर ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने की सलाह दी। लेकिन समकालीन स्थिति में कई भारतीय नेता गांधी जी के इस प्रस्ताव से हिचकिचाए। इसे ध्यान...

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan) की घोषणा 8 अगस्त 1942 को ग्वालिया टैंक ( मुंबई ) से कर दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन को 3 और अन्य नामों से जाना जाता है। हम एक – एक करके सबके बारे में पढ़ेंगे। भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan ) के अन्य नाम : – 1. वर्धा प्रस्ताव क्यूंकि वर्धा में ही 6 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन पर चर्चा हुआ था और 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था। 2. अगस्त आंदोलन – क्यूंकि भारत छोड़ो आंदोलन कि शुरुआत अगस्त महीने में ही हुआ था। 3. स्वस्फ़ूर्त आंदोलन – क्यूंकि बड़े-बड़े कांग्रेसी नेता के गिरफ्तार हो जाने के बाद भी यह आंदोलन चलता रहा। 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव को पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा पारित किया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन का दो मुख्य कारण था। पहला अगस्त प्रस्ताव और दूसरा क्रिप्स मिशन की असफलता। शुरुआत से ही गांधीजी ने इस आंदोलन का नेतृत्व संभाला था। इसी आंदोलन के दौरान गांधीजी ने ‘ करो या मारो ‘ का नारा दिया था जो आपके Exam में कई बार पूछा जाता है। गांधीजी , कस्तूरबा गाँधी , महादेव देसाई और सरोजिनी नायडू को आगा खां पैलेस में बंद कर दिया गया। इसी दौरान कस्तूरबा गाँधी और महादेव देसाई कि मृत्यु हो गयी। गांधीजी ने 10 फ़रवरी 1943 को 21 दिन के उपवास की घोषणा की। जेल में गांधीजी के स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण रिहा कर दिया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद, J B कृपलानी, सीतारमैया के साथ कुछ अन्य नेता को अहमदनगर किला में बंद कर दिया गया था। हजारीबाग जेल में जयप्रकाश नारायण को बंद किया गया लेकिन वो वहाँ से फरार हो गए। डॉ राजेंद्र प्रसाद को बांकीपुर जेल में बंद कर दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन और ...

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan) की घोषणा 8 अगस्त 1942 को ग्वालिया टैंक ( मुंबई ) से कर दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन को 3 और अन्य नामों से जाना जाता है। हम एक – एक करके सबके बारे में पढ़ेंगे। भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan ) के अन्य नाम : – 1. वर्धा प्रस्ताव क्यूंकि वर्धा में ही 6 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन पर चर्चा हुआ था और 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था। 2. अगस्त आंदोलन – क्यूंकि भारत छोड़ो आंदोलन कि शुरुआत अगस्त महीने में ही हुआ था। 3. स्वस्फ़ूर्त आंदोलन – क्यूंकि बड़े-बड़े कांग्रेसी नेता के गिरफ्तार हो जाने के बाद भी यह आंदोलन चलता रहा। 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव को पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा पारित किया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन का दो मुख्य कारण था। पहला अगस्त प्रस्ताव और दूसरा क्रिप्स मिशन की असफलता। शुरुआत से ही गांधीजी ने इस आंदोलन का नेतृत्व संभाला था। इसी आंदोलन के दौरान गांधीजी ने ‘ करो या मारो ‘ का नारा दिया था जो आपके Exam में कई बार पूछा जाता है। गांधीजी , कस्तूरबा गाँधी , महादेव देसाई और सरोजिनी नायडू को आगा खां पैलेस में बंद कर दिया गया। इसी दौरान कस्तूरबा गाँधी और महादेव देसाई कि मृत्यु हो गयी। गांधीजी ने 10 फ़रवरी 1943 को 21 दिन के उपवास की घोषणा की। जेल में गांधीजी के स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण रिहा कर दिया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद, J B कृपलानी, सीतारमैया के साथ कुछ अन्य नेता को अहमदनगर किला में बंद कर दिया गया था। हजारीबाग जेल में जयप्रकाश नारायण को बंद किया गया लेकिन वो वहाँ से फरार हो गए। डॉ राजेंद्र प्रसाद को बांकीपुर जेल में बंद कर दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन और ...

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम

[ भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम ] 1942 के भारत-छोड़ो या अगस्त आंदोलन में, राष्ट्रीय संघर्ष ने अपनी सर्वोच्च परिणति प्राप्त की। इस आंदोलन की सीमा और गहराई के बारे में बार्थोलोम्यू लिनलिथगो ने ब्रिटिश प्रधान मंत्री चर्चिल से कहा कि ब्रिटिश साम्राज्य की सुरक्षा के लिए, “मैं नहीं चाहता कि इस विद्रोह की सीमा और महत्व को दुनिया के ध्यान में लाया जाए। “ Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम| Bharat Chhodo Aandolan सर स्ट्रैफ़ोर्ड क्रिप्स मिशन की विफलता ने कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच सहयोग और समझ के सभी प्रयासों को समाप्त कर दिया। भारत की जनता के मन में घोर निराशा है। केवल मुस्लिम लीग और कुछ ही व्यक्ति इसके अपवाद हैं। मद्रास और कलकत्ता पर एक जापानी हमले की संभावना (वास्तव में कुछ छिटपुट हमले हुए थे) ने लोगों में भारी दहशत पैदा कर दी। कलकत्ता में एक जापानी हमले के डर से, अनगिनत लोग अपने घर और फर्नीचर छोड़कर अन्य सुरक्षित ठिकानों पर चले गए। भारत छोड़ो आंदोलन के कारण इस विकट परिस्थिति में गांधीजी के मन में यह विचार घर कर गया कि भारत की सुरक्षा की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार के हाथों में नहीं छोड़ी जानी चाहिए बल्कि भारत के लोगों द्वारा ली जानी चाहिए। इस मामले में कांग्रेस के भीतर दो विचारधाराओं का उदय हुआ। लेकिन ब्रिटिश सरकार भारतीयों को प्रतिरोध की जिम्मेदारी सौंपने या उन्हें सत्ता सौंपने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। ऐसी स्थिति में गांधीजी ने हरिजन समाचार पत्र (29 अप्रैल, 1942 ई.) में एक लेख प्रकाशित कर ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने की सलाह दी। लेकिन समकालीन स्थिति में कई भारतीय नेता गांधी जी के इस प्रस्ताव से हिचकिचाए। इसे ध्यान...

भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख मे आपको भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध (Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi) लिखने के लिए जरूरी जानकारी दी हैं। यदि आप भारत छोड़ो आंदोलन (Bharat Chhodo Andolan Nibandh) पर भाषण की तैयारी कर रहे है तब भी यह लेख आप के लिए उपयुक्त रहेगा। Bharat Chhodo Andolan par Nibandh को आप दसवी कक्षा से बारहवी कक्षा तक सीधे तौर से और पाँचवी कक्षा से नौवि कक्षा तक कुछ अनुच्छेद मे बदलाव कर के इस्तमाल कर सकते है। भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi लेख अनुक्रमणिका • • • • • • भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध – Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi भारतीय इतिहास में भारत छोड़ो आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में ८ अगस्त १९४२ को पूरे भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मुंबई में ‘करो या मरो’ के नारे के साथ की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे सत्र ने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया। इसके बाद ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ ने गति पकड़ी और ७ से ८ अगस्त १९४२ तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस मंजूरी के बाद महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा लगाकर भारत की आजादी की नई राह बनाई। एक दिन बाद ९ अगस्त १९४२ को ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद पूरे भारत में देशव्यापी हड़ताल और आंदोलन शुरू हो गए, जिसमें एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और अन्...

भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध

भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध | Essay On Quit India Movement in Hindi | quit india movement in hindi pdf significance causes images 1942 भारत छोड़ो आंदोलन के कारण, कार्यक्रम व प्रगति तथा परिणाम का विवेचन- क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला किया. अगस्त 1942 में शुरू हुए इस आंदोलन को अंग्रेजों भारत छोड़ो का नाम दिया गया. Essay On Quit India Movement in Hindi अगस्त 1942 में गांधीजी ने अपना तीसरा बड़ा आंदोलन अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रारम्भ किया. यह आंदोलन सही मायनों में एक जन आंदोलन था. जिसमें लाखों आम हिंदुस्थानी शामिल थे. इस आंदोलन में युवा वर्ग को बहुत बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया. उन्होंने अपने कॉलेज छोडकर जेल जाने का रास्ता अपनाया. जिस दौरान कांग्रेस के नेता जेल में बंद थे. उसी समय जिन्ना तथा मुस्लिम लीग के उनके साथी अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने लगे थे. इस आंदोलन के दौरान लीग को पंजाब व सिंध में अपनी पहचान बनाने का अवसर मिला, जहाँ अभी तक उनका कोई खास वजूद नहीं था. इस आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र में स्वतंत्र सरकार भी बनी जो 1946 तक चलती रही. इसलिए हम कह सकते हैं कि 1942 का आंदोलन वास्तव में एक जन आंदोलन था. भारत छोड़ो आंदोलन के कारण– 1942 में गांधीजी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ करने के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे. अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति– सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया. ब्रिटिश सरकार ने भारत के नेताओं से परामर्श किये बिना ही भारत को भी युद्ध में धकेल दिया. कांग्रेस ने अंग्रेजों को युद्ध में समर्थन देने के लिए दो प्रमुख मांगे प्रस्तुत कीं. युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को स्वतंत्रता प्रद...

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan) की घोषणा 8 अगस्त 1942 को ग्वालिया टैंक ( मुंबई ) से कर दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन को 3 और अन्य नामों से जाना जाता है। हम एक – एक करके सबके बारे में पढ़ेंगे। भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan ) के अन्य नाम : – 1. वर्धा प्रस्ताव क्यूंकि वर्धा में ही 6 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन पर चर्चा हुआ था और 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था। 2. अगस्त आंदोलन – क्यूंकि भारत छोड़ो आंदोलन कि शुरुआत अगस्त महीने में ही हुआ था। 3. स्वस्फ़ूर्त आंदोलन – क्यूंकि बड़े-बड़े कांग्रेसी नेता के गिरफ्तार हो जाने के बाद भी यह आंदोलन चलता रहा। 14 जुलाई 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव को पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा पारित किया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन का दो मुख्य कारण था। पहला अगस्त प्रस्ताव और दूसरा क्रिप्स मिशन की असफलता। शुरुआत से ही गांधीजी ने इस आंदोलन का नेतृत्व संभाला था। इसी आंदोलन के दौरान गांधीजी ने ‘ करो या मारो ‘ का नारा दिया था जो आपके Exam में कई बार पूछा जाता है। गांधीजी , कस्तूरबा गाँधी , महादेव देसाई और सरोजिनी नायडू को आगा खां पैलेस में बंद कर दिया गया। इसी दौरान कस्तूरबा गाँधी और महादेव देसाई कि मृत्यु हो गयी। गांधीजी ने 10 फ़रवरी 1943 को 21 दिन के उपवास की घोषणा की। जेल में गांधीजी के स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण रिहा कर दिया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद, J B कृपलानी, सीतारमैया के साथ कुछ अन्य नेता को अहमदनगर किला में बंद कर दिया गया था। हजारीबाग जेल में जयप्रकाश नारायण को बंद किया गया लेकिन वो वहाँ से फरार हो गए। डॉ राजेंद्र प्रसाद को बांकीपुर जेल में बंद कर दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन और ...

भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख मे आपको भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध (Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi) लिखने के लिए जरूरी जानकारी दी हैं। यदि आप भारत छोड़ो आंदोलन (Bharat Chhodo Andolan Nibandh) पर भाषण की तैयारी कर रहे है तब भी यह लेख आप के लिए उपयुक्त रहेगा। Bharat Chhodo Andolan par Nibandh को आप दसवी कक्षा से बारहवी कक्षा तक सीधे तौर से और पाँचवी कक्षा से नौवि कक्षा तक कुछ अनुच्छेद मे बदलाव कर के इस्तमाल कर सकते है। भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi लेख अनुक्रमणिका • • • • • • भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध – Bharat Chhodo Andolan Essay in Hindi भारतीय इतिहास में भारत छोड़ो आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में ८ अगस्त १९४२ को पूरे भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मुंबई में ‘करो या मरो’ के नारे के साथ की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे सत्र ने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया। इसके बाद ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ ने गति पकड़ी और ७ से ८ अगस्त १९४२ तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस मंजूरी के बाद महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा लगाकर भारत की आजादी की नई राह बनाई। एक दिन बाद ९ अगस्त १९४२ को ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद पूरे भारत में देशव्यापी हड़ताल और आंदोलन शुरू हो गए, जिसमें एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और अन्...