भारत छोड़ो आंदोलन के किन्हीं तीन कारणों का उल्लेख कीजिए

  1. भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  2. भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
  3. भारत छोड़ो आंदोलन : अगस्त क्रांति और भारत का शासक
  4. Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?
  5. Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?
  6. भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  7. भारत छोड़ो आंदोलन : अगस्त क्रांति और भारत का शासक
  8. भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
  9. भारत छोड़ो आंदोलन
  10. Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?


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भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।

भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए। या कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ क्यों प्रारम्भ किया ? इसकी असफलता के क्या कारण थे? या भारत छोड़ो आन्दोलन के तीन कारण लिखिए। ब्रिटिश सरकार की इस पर क्या प्रतिक्रिया थी ? क्या आपके मत में यह असफल रहा ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। या भारत छोड़ो आन्दोलन क्या था ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ? या भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के दो प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए या भारत छोड़ो आन्दोलन किसने चलाया ? इसके कोई दो कारण बताइए। या ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के तीन प्रमुख बिन्दुओं को इंगित कीजिए। या भारत छोड़ो आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें। मार्च, 1942 ई० में सर स्टेफर्ड क्रिप्स कुछ प्रस्तावों के साथ भारत आये। प्रस्ताव के अनुसार, सुरक्षा के अतिरिक्त भारतीयों को भारत सरकार के सभी विभाग हस्तान्तरित करने की बात कही गयी थी। क्रिप्स का प्रस्ताव स्वीकार करो अथवा छोड़ दो।’ की भावना पर आधारित था। इसे भारतीयों ने स्वीकार नहीं किया। अन्ततः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को ‘भारत छोड़ो’ वाला प्रसिद्ध प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तथा आन्दोलन की बागडोर गांधी जी को सौंप दी। भारत छोड़ो आन्दोलन महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया था। भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण भारत छोड़ो आन्दोलन को चलाने के निम्नलिखित कारण थे – 1.पहला कारण यह था कि जापान के आक्रमण का भय बढ़ रहा था। गांधी जी चाहते थे कि भारत को उस आक्रमण से बचाया जाए। यह तभी हो सकता था जब अंग्रेज लोग भारत को छोड़ देते। 2.दूसरा कारण यह था कि अंग्रेजों की हर जगह हार हो रही थी। उनके हाथों से सिंगापुर और बर्मा निकल 1गये। गांधी जी का यह विचार था कि यदि अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान को न ...

भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका

टैग्स: • • • पृष्ठभूमि: • वर्ष 1939 में इंग्लैंड ने जर्मन राइख (साम्राज्य) पर आक्रमण कर दिया। जिसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाती है। विश्व युद्ध के प्रारंभ होते ही भारत को उसमें शामिल कर लिया गया तथा इस संबंध में भारत के नेताओं से कोई परामर्श नहीं लिया गया था। • उस समय भारत के वाइसरॉय लार्ड लिनलिथगो थे तथा उन्होंने तत्काल भारत के युद्ध में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर दी। इसके प्रत्युत्तर में वाइसरॉय के मत्रिमंडल में शामिल कॉन्ग्रेस के नेताओं ने तुरंत अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। • कॉन्ग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने अंग्रेजों की इस नीति का विरोध किया तथा जनसामान्य में यह भावना फैली कि ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों की भावनाओं की उपेक्षा की जा रही है। • इसके विरोध के लिये कॉन्ग्रेस कार्य समिति ने 7-8 अगस्त, 1942 को मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में सभा आयोजित की गई जिसमें महात्मा गांधी ने “करो या मरो” (Do or Die) का नारा दिया और भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई। • लेकिन अगली सुबह 9 अगस्त को महात्मा गांधी समेत कॉन्ग्रेस के सभी मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें देश में अलग-अलग स्थानों पर जेलों में बंद कर दिया गया। • इन परिस्थितियों में आंदोलन के मुख्य नेतृत्व के अभाव में स्थानीय स्तर के नेताओं तथा महिलाओं को इसका नेतृत्व संभालने का अवसर प्राप्त हो गया। • यह आंदोलन स्थानीय स्तर पर अलग-अलग तरीकों से जारी रहा। कुछ स्थानों पर लोग शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे, जबकि कई स्थानों पर यह आंदोलन हिंसक हो गया। • उत्तर प्रदेश के बलिया, पश्चिम बंगाल के मिदनापुर तथा महाराष्ट्र के सतारा में आंदोलनकारियों ने अंग्रेजी सरकार को हटा कर समानांतर सरकारें स्थापित ...

भारत छोड़ो आंदोलन : अगस्त क्रांति और भारत का शासक

डॉ. प्रेम सिंह, Dr. Prem Singh Dept. of Hindi University of Delhi Delhi - 110007 (INDIA) Former Fellow Indian Institute of Advanced Study, Shimla India Former Visiting Professor Center of Oriental Studies Vilnius University Lithuania Former Visiting Professor Center of Eastern Languages and Cultures Dept. of Indology Sofia University Sofia Bulgaria आरएसएस आधुनिक भारत के राष्ट्रीय इतिहास की धारा के बाहर पड़ी रह जाने वाली मानसिकता से परिचालित होता है। लिहाज़ा , उसका राष्ट्रीय महत्व की विभूतियों , विचारों , घटनाओं के साथ सार्थक रिश्ता नहीं जुड़ पाता। यह उसकी मौलिक अक्षमता बनी हुई है , जिससे उबरने की इच्छा-शक्ति राजनीतिक सत्ता पाने के बाद भी दिखाई नहीं देती। इसीलिए आरएसएस राष्ट्रीय इतिहास , भारतीय संविधान और महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ बेहूदा किस्म का बर्ताव और तोड़-मरोड़ करता है। लेकिन आरएसएस का विरोधी पक्ष जब राष्ट्रीय इतिहास के तथ्यों को नज़रंदाज़ करता है , तो उससे आरएसएस की मदद होती है। ‘‘यह एक छोटा-सा मंत्र मैं आपको देता हूं। आप इसे हृदयपटल पर अंकित कर लीजिए और हर श्वास के साथ उसका जाप कीजिए। वह मंत्र है - ‘करो या मरो’। या तो हम भारत को आजाद करेंगे या आजादी की कोशिश में प्राण दे देंगे। हम अपनी आंखों से अपने देश का सदा गुलाम और परतंत्र बना रहना नहीं देखेंगे। प्रत्येक सच्चा कांग्रेसी, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, इस दृढ़ निश्चय से संघर्ष में शामिल होगा कि वह देश को बंधन और दासता में बने रहने को देखने के लिए जिंदा नहीं रहेगा। ऐसी आपकी प्रतिज्ञा होनी चाहिए।’’ (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में दिए गए गांधीजी के भाषण का अंश) वायसराय महोदय ने कांग्रेस नेताओं पर पत्र में लोहि...

Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?

यहविचारणीयविषयहैकिहमेशाअहिंसावसविनयविरोधकीराजनीतिकरनेवालेगांधीअपेक्षाकृतउग्रप्रतीतहोनेवालेनारे ''करोयामरो'' तककैसेपहुंचगए? सुमितसरकारनेकहाहै, "... हालांकिअहिंसाकीआवश्यकताहमेशादोहराईजातीथी, गांधीकाकरोयामरोकामंत्रगांधीजीकेउग्रवादीमिजाजकाप्रतिनिधित्वकरताहै।" अंग्रेजोंसेअपीलकरतेहुएकि 'भारतकोईश्वरयाअराजकताकेभरोसेछोड़दें', एकसाक्षात्कारमेंगांधीजीनेकहाथा, "इससुव्यवस्थितअनुशासनपूर्णअराजकताकोजानाहीहोगा, औरयदिइसकेपरिणामस्वरूपपूर्णअव्यवस्थाकीस्थितिउत्पन्नहोतीहैतोमैंयहखतराउठानेकेलिएतैयारहूँ।" हालांकिगांधीजीनेहमेशाअहिंसाकीनीतिपरजोरदिया, औरभारतछोड़ोप्रस्तावमेंभी 'अहिंसकरूपमेंजितनासंघर्षसंभवहोउतनेबड़ेस्तरपरजन-संघर्ष' काआह्वानकियागयाथा।लेकिनयहभीकहागयाथाकियदिकांग्रेसकेनेतागिरफ्तारहोजाएं, तो "स्वाधीनताकीइच्छाएवंप्रयासकरनेवालाप्रत्येकभारतीयस्वयंअपनामार्गदर्शकबने।प्रत्येकभारतीयअपनेआपकोस्वाधीनसमझे।केवलजेलजानेसेकामनहींचलेगा।" इसकेदोदिनपहलेउन्होंनेकहाथा, 'यदिआमहड़तालकरनाआवश्यकहोतोमैंउससेपीछेनहींहटूंगा।' राजनीतिकहड़तालकासमर्थन पहलीबारगांधीजीनेराजनीतिकहड़तालकेसमर्थनमेंवक्तव्यदियाथा।इनसबवक्तव्योंकेपरिप्रेक्ष्यमेंकईलोगयहकहतेहैंकिगाँधीजीकाअहिंसाकेप्रतिरवैयेमेंभारीपरिवर्तनआयाथा।ऐसेलोगोंकोगाँधीजीकायहवक्तव्यभीध्यानमेंरखनाचाहिएजोउन्होंनेभारतछोड़ोआन्दोलनकेप्रस्तावकेवक़्तदियाथाकि, "मैंजानताहूंकिदेशआजविशुद्धरूपसेअहिंसकप्रकारकासविनयअवज्ञाकरनेकेलिएतैयारनहींहै।किन्तुजोसेनापतिआक्रमणकरनेसेइसलिएपीछेहटेकिउसकेसिपाहीतैयारनहींहैं, वहअपनेहाथोंधिक्कारकापात्रबनताहै।भगवाननेअहिंसाकेरूपमेंमुझेएकअमूल्यभेंटदीहै।यदिवर्तमानसंकटमेंमैंउसकाउपयोगकरनेमेंहिचकिचाऊँ, तोईश्वरमुझेकभीमाफ़नहींकरेगा।" गाँधीजीकेलिएअहिंसा' एकनैतिकप्रश्नथा।गाँधीजीने...

Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?

यहविचारणीयविषयहैकिहमेशाअहिंसावसविनयविरोधकीराजनीतिकरनेवालेगांधीअपेक्षाकृतउग्रप्रतीतहोनेवालेनारे ''करोयामरो'' तककैसेपहुंचगए? सुमितसरकारनेकहाहै, "... हालांकिअहिंसाकीआवश्यकताहमेशादोहराईजातीथी, गांधीकाकरोयामरोकामंत्रगांधीजीकेउग्रवादीमिजाजकाप्रतिनिधित्वकरताहै।" अंग्रेजोंसेअपीलकरतेहुएकि 'भारतकोईश्वरयाअराजकताकेभरोसेछोड़दें', एकसाक्षात्कारमेंगांधीजीनेकहाथा, "इससुव्यवस्थितअनुशासनपूर्णअराजकताकोजानाहीहोगा, औरयदिइसकेपरिणामस्वरूपपूर्णअव्यवस्थाकीस्थितिउत्पन्नहोतीहैतोमैंयहखतराउठानेकेलिएतैयारहूँ।" हालांकिगांधीजीनेहमेशाअहिंसाकीनीतिपरजोरदिया, औरभारतछोड़ोप्रस्तावमेंभी 'अहिंसकरूपमेंजितनासंघर्षसंभवहोउतनेबड़ेस्तरपरजन-संघर्ष' काआह्वानकियागयाथा।लेकिनयहभीकहागयाथाकियदिकांग्रेसकेनेतागिरफ्तारहोजाएं, तो "स्वाधीनताकीइच्छाएवंप्रयासकरनेवालाप्रत्येकभारतीयस्वयंअपनामार्गदर्शकबने।प्रत्येकभारतीयअपनेआपकोस्वाधीनसमझे।केवलजेलजानेसेकामनहींचलेगा।" इसकेदोदिनपहलेउन्होंनेकहाथा, 'यदिआमहड़तालकरनाआवश्यकहोतोमैंउससेपीछेनहींहटूंगा।' राजनीतिकहड़तालकासमर्थन पहलीबारगांधीजीनेराजनीतिकहड़तालकेसमर्थनमेंवक्तव्यदियाथा।इनसबवक्तव्योंकेपरिप्रेक्ष्यमेंकईलोगयहकहतेहैंकिगाँधीजीकाअहिंसाकेप्रतिरवैयेमेंभारीपरिवर्तनआयाथा।ऐसेलोगोंकोगाँधीजीकायहवक्तव्यभीध्यानमेंरखनाचाहिएजोउन्होंनेभारतछोड़ोआन्दोलनकेप्रस्तावकेवक़्तदियाथाकि, "मैंजानताहूंकिदेशआजविशुद्धरूपसेअहिंसकप्रकारकासविनयअवज्ञाकरनेकेलिएतैयारनहींहै।किन्तुजोसेनापतिआक्रमणकरनेसेइसलिएपीछेहटेकिउसकेसिपाहीतैयारनहींहैं, वहअपनेहाथोंधिक्कारकापात्रबनताहै।भगवाननेअहिंसाकेरूपमेंमुझेएकअमूल्यभेंटदीहै।यदिवर्तमानसंकटमेंमैंउसकाउपयोगकरनेमेंहिचकिचाऊँ, तोईश्वरमुझेकभीमाफ़नहींकरेगा।" गाँधीजीकेलिएअहिंसा' एकनैतिकप्रश्नथा।गाँधीजीने...

भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।

भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए। या कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ क्यों प्रारम्भ किया ? इसकी असफलता के क्या कारण थे? या भारत छोड़ो आन्दोलन के तीन कारण लिखिए। ब्रिटिश सरकार की इस पर क्या प्रतिक्रिया थी ? क्या आपके मत में यह असफल रहा ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। या भारत छोड़ो आन्दोलन क्या था ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ? या भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के दो प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए या भारत छोड़ो आन्दोलन किसने चलाया ? इसके कोई दो कारण बताइए। या ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के तीन प्रमुख बिन्दुओं को इंगित कीजिए। या भारत छोड़ो आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें। मार्च, 1942 ई० में सर स्टेफर्ड क्रिप्स कुछ प्रस्तावों के साथ भारत आये। प्रस्ताव के अनुसार, सुरक्षा के अतिरिक्त भारतीयों को भारत सरकार के सभी विभाग हस्तान्तरित करने की बात कही गयी थी। क्रिप्स का प्रस्ताव स्वीकार करो अथवा छोड़ दो।’ की भावना पर आधारित था। इसे भारतीयों ने स्वीकार नहीं किया। अन्ततः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को ‘भारत छोड़ो’ वाला प्रसिद्ध प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तथा आन्दोलन की बागडोर गांधी जी को सौंप दी। भारत छोड़ो आन्दोलन महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया था। भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण भारत छोड़ो आन्दोलन को चलाने के निम्नलिखित कारण थे – 1.पहला कारण यह था कि जापान के आक्रमण का भय बढ़ रहा था। गांधी जी चाहते थे कि भारत को उस आक्रमण से बचाया जाए। यह तभी हो सकता था जब अंग्रेज लोग भारत को छोड़ देते। 2.दूसरा कारण यह था कि अंग्रेजों की हर जगह हार हो रही थी। उनके हाथों से सिंगापुर और बर्मा निकल 1गये। गांधी जी का यह विचार था कि यदि अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान को न ...

भारत छोड़ो आंदोलन : अगस्त क्रांति और भारत का शासक

डॉ. प्रेम सिंह, Dr. Prem Singh Dept. of Hindi University of Delhi Delhi - 110007 (INDIA) Former Fellow Indian Institute of Advanced Study, Shimla India Former Visiting Professor Center of Oriental Studies Vilnius University Lithuania Former Visiting Professor Center of Eastern Languages and Cultures Dept. of Indology Sofia University Sofia Bulgaria आरएसएस आधुनिक भारत के राष्ट्रीय इतिहास की धारा के बाहर पड़ी रह जाने वाली मानसिकता से परिचालित होता है। लिहाज़ा , उसका राष्ट्रीय महत्व की विभूतियों , विचारों , घटनाओं के साथ सार्थक रिश्ता नहीं जुड़ पाता। यह उसकी मौलिक अक्षमता बनी हुई है , जिससे उबरने की इच्छा-शक्ति राजनीतिक सत्ता पाने के बाद भी दिखाई नहीं देती। इसीलिए आरएसएस राष्ट्रीय इतिहास , भारतीय संविधान और महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ बेहूदा किस्म का बर्ताव और तोड़-मरोड़ करता है। लेकिन आरएसएस का विरोधी पक्ष जब राष्ट्रीय इतिहास के तथ्यों को नज़रंदाज़ करता है , तो उससे आरएसएस की मदद होती है। ‘‘यह एक छोटा-सा मंत्र मैं आपको देता हूं। आप इसे हृदयपटल पर अंकित कर लीजिए और हर श्वास के साथ उसका जाप कीजिए। वह मंत्र है - ‘करो या मरो’। या तो हम भारत को आजाद करेंगे या आजादी की कोशिश में प्राण दे देंगे। हम अपनी आंखों से अपने देश का सदा गुलाम और परतंत्र बना रहना नहीं देखेंगे। प्रत्येक सच्चा कांग्रेसी, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, इस दृढ़ निश्चय से संघर्ष में शामिल होगा कि वह देश को बंधन और दासता में बने रहने को देखने के लिए जिंदा नहीं रहेगा। ऐसी आपकी प्रतिज्ञा होनी चाहिए।’’ (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में दिए गए गांधीजी के भाषण का अंश) वायसराय महोदय ने कांग्रेस नेताओं पर पत्र में लोहि...

भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका

टैग्स: • • • पृष्ठभूमि: • वर्ष 1939 में इंग्लैंड ने जर्मन राइख (साम्राज्य) पर आक्रमण कर दिया। जिसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाती है। विश्व युद्ध के प्रारंभ होते ही भारत को उसमें शामिल कर लिया गया तथा इस संबंध में भारत के नेताओं से कोई परामर्श नहीं लिया गया था। • उस समय भारत के वाइसरॉय लार्ड लिनलिथगो थे तथा उन्होंने तत्काल भारत के युद्ध में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर दी। इसके प्रत्युत्तर में वाइसरॉय के मत्रिमंडल में शामिल कॉन्ग्रेस के नेताओं ने तुरंत अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। • कॉन्ग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने अंग्रेजों की इस नीति का विरोध किया तथा जनसामान्य में यह भावना फैली कि ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों की भावनाओं की उपेक्षा की जा रही है। • इसके विरोध के लिये कॉन्ग्रेस कार्य समिति ने 7-8 अगस्त, 1942 को मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में सभा आयोजित की गई जिसमें महात्मा गांधी ने “करो या मरो” (Do or Die) का नारा दिया और भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई। • लेकिन अगली सुबह 9 अगस्त को महात्मा गांधी समेत कॉन्ग्रेस के सभी मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें देश में अलग-अलग स्थानों पर जेलों में बंद कर दिया गया। • इन परिस्थितियों में आंदोलन के मुख्य नेतृत्व के अभाव में स्थानीय स्तर के नेताओं तथा महिलाओं को इसका नेतृत्व संभालने का अवसर प्राप्त हो गया। • यह आंदोलन स्थानीय स्तर पर अलग-अलग तरीकों से जारी रहा। कुछ स्थानों पर लोग शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे, जबकि कई स्थानों पर यह आंदोलन हिंसक हो गया। • उत्तर प्रदेश के बलिया, पश्चिम बंगाल के मिदनापुर तथा महाराष्ट्र के सतारा में आंदोलनकारियों ने अंग्रेजी सरकार को हटा कर समानांतर सरकारें स्थापित ...

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन (सन् 1942) bharat chhodo andolan,asafaltake karan, mahatva, mulyankan;भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व मे लड़ा गया महत्वपूर्ण सत्याग्रह आंदोलन था। द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले के वर्षो की भारतीय राजनीति की परिस्थितियां इसकी पृष्ठभूमि थी। द्वितीय विश्वयुद्ध युद्ध का क्षेत्र प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। 7 दिसम्बर, 1941 को मलाया, इण्डोचायना और इंडोनेशिया के जपान के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया था और उसकी सेनायें बर्मा तक आ चुकी थी। भारत और इंग्लैंड मे अंग्रेजों की स्थिति अनिश्चित होती जा रही थी। चर्चिल ने भी यह स्वीकार किया था कि भारत की रक्षा के लिये उनके पास पर्याप्त साधन नही थे। भारत के अंदर भी राष्ट्रीय आंदोलन के कारण पर्याप्त जन-जागरण और अंग्रेजो के विरूद्ध असंतोष बढ़ रहा था। अतः ब्रिटिश भारत संबंध तथा राष्ट्रीय आंदोलन से उत्पन्न परिस्थिति 1942 के " भारत छोड़ो आंदोलन " के लिये उत्तरदायी थी। 15 अगस्त 1940 को कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन मे व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह सत्याग्रह विनोबा भावे के सत्याग्रह से प्रारंभ हुआ। विनोबा भावे के बाद नेहरू की बारी थी, लेकिन उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। इसी समय ब्रिटिन तथा मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जापान भी युद्ध मे आ गया। इसलिए युद्ध मे भारतीयो का सहयोग जरूरी हो गया। इसलिए सरकार ने व्यक्तिगत सत्याग्रह के सभी बंदियों को छोड़कर व्यक्तिगत सत्याग्रह समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। क्रिप्स मिशन भारत भ्रमण हेतु आया लेकिन इसके प्रस्ताव कांग्रेस को पसंद नही आए इसलिए 14 जुलाई 1942 को कांग्रेस महासमिति की वर्धा बैठक मे आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। 8 अगस्त को महात्मा गांधी द्वारा समिति ...

Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?

यहविचारणीयविषयहैकिहमेशाअहिंसावसविनयविरोधकीराजनीतिकरनेवालेगांधीअपेक्षाकृतउग्रप्रतीतहोनेवालेनारे ''करोयामरो'' तककैसेपहुंचगए? सुमितसरकारनेकहाहै, "... हालांकिअहिंसाकीआवश्यकताहमेशादोहराईजातीथी, गांधीकाकरोयामरोकामंत्रगांधीजीकेउग्रवादीमिजाजकाप्रतिनिधित्वकरताहै।" अंग्रेजोंसेअपीलकरतेहुएकि 'भारतकोईश्वरयाअराजकताकेभरोसेछोड़दें', एकसाक्षात्कारमेंगांधीजीनेकहाथा, "इससुव्यवस्थितअनुशासनपूर्णअराजकताकोजानाहीहोगा, औरयदिइसकेपरिणामस्वरूपपूर्णअव्यवस्थाकीस्थितिउत्पन्नहोतीहैतोमैंयहखतराउठानेकेलिएतैयारहूँ।" हालांकिगांधीजीनेहमेशाअहिंसाकीनीतिपरजोरदिया, औरभारतछोड़ोप्रस्तावमेंभी 'अहिंसकरूपमेंजितनासंघर्षसंभवहोउतनेबड़ेस्तरपरजन-संघर्ष' काआह्वानकियागयाथा।लेकिनयहभीकहागयाथाकियदिकांग्रेसकेनेतागिरफ्तारहोजाएं, तो "स्वाधीनताकीइच्छाएवंप्रयासकरनेवालाप्रत्येकभारतीयस्वयंअपनामार्गदर्शकबने।प्रत्येकभारतीयअपनेआपकोस्वाधीनसमझे।केवलजेलजानेसेकामनहींचलेगा।" इसकेदोदिनपहलेउन्होंनेकहाथा, 'यदिआमहड़तालकरनाआवश्यकहोतोमैंउससेपीछेनहींहटूंगा।' राजनीतिकहड़तालकासमर्थन पहलीबारगांधीजीनेराजनीतिकहड़तालकेसमर्थनमेंवक्तव्यदियाथा।इनसबवक्तव्योंकेपरिप्रेक्ष्यमेंकईलोगयहकहतेहैंकिगाँधीजीकाअहिंसाकेप्रतिरवैयेमेंभारीपरिवर्तनआयाथा।ऐसेलोगोंकोगाँधीजीकायहवक्तव्यभीध्यानमेंरखनाचाहिएजोउन्होंनेभारतछोड़ोआन्दोलनकेप्रस्तावकेवक़्तदियाथाकि, "मैंजानताहूंकिदेशआजविशुद्धरूपसेअहिंसकप्रकारकासविनयअवज्ञाकरनेकेलिएतैयारनहींहै।किन्तुजोसेनापतिआक्रमणकरनेसेइसलिएपीछेहटेकिउसकेसिपाहीतैयारनहींहैं, वहअपनेहाथोंधिक्कारकापात्रबनताहै।भगवाननेअहिंसाकेरूपमेंमुझेएकअमूल्यभेंटदीहै।यदिवर्तमानसंकटमेंमैंउसकाउपयोगकरनेमेंहिचकिचाऊँ, तोईश्वरमुझेकभीमाफ़नहींकरेगा।" गाँधीजीकेलिएअहिंसा' एकनैतिकप्रश्नथा।गाँधीजीने...