भारत में चीतों की संख्या कितनी है 2022

  1. ‘प्रोजेक्ट चीता’
  2. भारत में चीतों का बढ़ा कुनबा, कूनो नेशनल पार्क में 4 शावकों का जन्म
  3. four cheetahs cubs born in kuno national park madhya pradesh
  4. 2023 में, भारत की जनसंख्या कितनी है? जून अपडेट
  5. 'बाघों के राज्य' में दिखेगी चीतों की रफ्तार, मध्य प्रदेश में ही चीते ने क्यों लगाई 'छलांग', जानें सबकुछ
  6. 6 Cheetahs Die In Two Months In Kuno National Park What Is The Reason Behind It Abpp
  7. 'बाघों के राज्य' में दिखेगी चीतों की रफ्तार, मध्य प्रदेश में ही चीते ने क्यों लगाई 'छलांग', जानें सबकुछ
  8. 2023 में, भारत की जनसंख्या कितनी है? जून अपडेट
  9. 6 Cheetahs Die In Two Months In Kuno National Park What Is The Reason Behind It Abpp
  10. ‘प्रोजेक्ट चीता’


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‘प्रोजेक्ट चीता’

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भारत में चीतों का बढ़ा कुनबा, कूनो नेशनल पार्क में 4 शावकों का जन्म

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से बड़ी खुशखबरी आई है। यहां मादा चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया है। अफ्रीका से आए चीता ने देश में अपनी संख्या बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। यह खुशी ऐसे समय पर सामने आई है जब एक चीता की मौत के बाद प्रॉजेक्ट चीता को धक्का लगने की बात कही जा रही थी। दशकों पहले भारत से विलुप्त हो चुके चीतों की संख्या बढ़ने को बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह खुशखबरी साझा की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘अमृतकाल के दौरान हमारे वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना!मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 17 सितंबर 2022 को भारत लाए गए चीतों में से एक के चार शावकों का जन्म हुआ है।’ अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा,’मैं प्रोजेक्ट चीता की पूरी टीम को भारत में चीतों को वापस लाने के उनके अथक प्रयासों और अतीत में की गई एक पारिस्थितिक गलती को सुधारने के उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।’ अब देश में कुल 23 चीते चार शावकों के जन्म के बाद भारत में चीतों की संख्या बढ़कर 23 हो गई है। सबसे पहले पिछले साल 17 सितंबर को पीएम मोदी ने कूनों में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ा था। इसके बाद हाल ही में 12 और चीते अफ्रीका से लाए गए हैं। इस तरह चीतों की कुल संख्या 20 हो गई थी। लेकिन साश की मौत के बाद इनकी आबादी 19 रह गई थी। चार शावकों के जन्म के बाद एक बाद संख्या बढ़कर 23 हो गई है। दो दिन पहले साशा की हुई थी मौत नामीबिया से आई फीमेल चीता साशा सोमवार 27 मार्च को कूनो नेशनल पार्क स्थित अपने बाड़े में मृत मिली थी। उसकी किडनी खराब थी और उसका इलाज चल रहा था। इस खबर ने देश में फिर से चीतों को ...

four cheetahs cubs born in kuno national park madhya pradesh

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से बड़ी खुशखबरी आई है। यहां मादा चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया है। अफ्रीका से आए चीता ने देश में अपनी संख्या बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। यह खुशी ऐसे समय पर सामने आई है जब एक चीता की मौत के बाद प्रॉजेक्ट चीता को धक्का लगने की बात कही जा रही थी। दशकों पहले भारत से विलुप्त हो चुके चीतों की संख्या बढ़ने को बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्रीय पार्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह खुशखबरी साझा की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'अमृतकाल के दौरान हमारे वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना!मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 17 सितंबर 2022 को भारत लाए गए चीतों में से एक के चार शावकों का जन्म हुआ है।' अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा,'मैं प्रोजेक्ट चीता की पूरी टीम को भारत में चीतों को वापस लाने के उनके अथक प्रयासों और अतीत में की गई एक पारिस्थितिक गलती को सुधारने के उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।' अब देश में कुल 23 चीते चार शावकों के जन्म के बाद भारत में चीतों की संख्या बढ़कर 23 हो गई है। सबसे पहले पिछले साल 17 सितंबर को पीएम मोदी ने कूनों में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ा था। इसके बाद हाल ही में 12 और चीते अफ्रीका से लाए गए हैं। इस तरह चीतों की कुल संख्या 20 हो गई थी। लेकिन साश की मौत के बाद इनकी आबादी 19 रह गई थी। चार शावकों के जन्म के बाद एक बाद संख्या बढ़कर 23 हो गई है।

2023 में, भारत की जनसंख्या कितनी है? जून अपडेट

दुनिया के हर 100 लोगों में से 18 लोगों का घर भारत में है, आइए जनसंख्या का गणित विस्तार से जानते हैं. Breaking News: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी 15 नवंबर 2022 को 8 को अरब कर चुकी है. लेने की दुनिया में पहली बार अब 8 बिलियन लोग रहते हैं। आधी से अधिक आबादी अकेले एशिया महादीप में रहती है। चीन अभी भी शीर्ष पर है जबकि भारत का दूसरा स्थान है। India ki Jansankhya, जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या 1,21,01,93,422 रहा था। 2023 के यूनाइटेड नेशन (UN) के डाटा के मुताबिक भारत की जनसंख्या 1,412,644,054 है. भारत में सर्वप्रथम जनगणना 1872 में हुई थी जो ब्रिटिश इंडिया ने करवाया था। जैसा कि आप सोच रहे होंगे 2021 में भारत का जनगणना होना था, किंतु कोरोना महामारी के कारण नहीं हो पाया है. उम्मीद है कि, इस वर्ष के अंत तक डाटा सरकार के द्वारा जारी हो सकता है. अक्सर आपने टीवी या अपने मोबाइल फोन पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र कुमार मोदी को सवा सौ भारतीय के बारे में बात करते हुए सुना होगा. इस आर्टिकल के मदद से आप को वर्ष 2023 में भारत की जनसंख्या का पूरा गणित समझने का एक मौका है. 25 प्रश्न – नेपाल की जनसंख्या 2022 में कितनी है? भारत की जनसंख्या 1951 से 2023 तक डाटा को जानिए आप यह आप समझ चुके होंगे कि भारत सरकार द्वारा पर हर 10 वर्षों के अंतराल में जनगणना कराया जाता है। 1951 से लेकर 2011 तक भारत में 7 बार जनगणना कराया गया है। भारत का अगला जनगणना वर्ष 2021 होना था। नीचे सबसे पहले वर्ष लिखा गया है। उसके बाद जनसंख्या तथा आखिर में जनसंख्या वृद्धि प्रतिशत लिखा गया है। • 1951 – 361,088,090 – 13.32% • 1961 – 438,936,918 – 21.62% • 1971 – 548,160,050 – 24।8% • 1...

'बाघों के राज्य' में दिखेगी चीतों की रफ्तार, मध्य प्रदेश में ही चीते ने क्यों लगाई 'छलांग', जानें सबकुछ

डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत सरकार ने मध्य प्रदेश को विश्व की पहली अंतरमहाद्वीपीय बड़े जंगली जानवर की स्थानांतरण परियोजना के लिए चुना। देश से विलुप्त हो चुके चीतों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत के ह्दय प्रदेश में बसाहट कार्य को पूर्णता प्रदान की गई। निश्चित ही मध्य प्रदेश के जो भी वासी हैं, उन्हें अवश्य ही इस बात के लिए गौरव होगा कि देश के तमाम बड़े राज्यों को छोड़कर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को इस कार्य के लिए चिह्नि‍त किया गया। इस पूरी योजना को अन्य राज्यों के बीच से मध्य प्रदेश में लाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने काफी प्रयास किया। मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को 70 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद पुन: बसाने का कार्य हुआ है। भारत में वर्ष 1952 में इस प्राणी को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। तब से देश में कोई चीता दिखाई नहीं दिया, किंतु भारत सरकार के अथक प्रयासों से ‘चीता’ वर्ष 2022 में पुन: पुनर्स्थापित किया जा सका है। इससे जुड़े तथ्यों को देखें तो भारत में चीतों के विलुप्त होने के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार 1972 में वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट लेकर आई थी, जिसमें कि किसी भी जंगली जानवर के शिकार को प्रतिबंधित कर दिया गया। साल 2009 में राजस्थान के गजनेर में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) की ओर से एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया और इसी में सर्वप्रथम यह विषय आया कि कैसे पुन: भारत में चीतों की बसाहट संभव हो सकती है। बैठक में देश भर की कुछ जगहों को चिन्हित किया गया, राज्यों के स्तर पर पाया गया कि गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का वातावरण चीतों के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। ...

6 Cheetahs Die In Two Months In Kuno National Park What Is The Reason Behind It Abpp

भारत सरकार का प्रोजेक्ट चीता बाघों के लिए एक बुरा सपना साबित हो रहा है. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में गुरुवार (25 मई) को दो और शावकों की मौत हो गई. इससे पहले एक और शावक की मौत कूनो नेशनल पार्क में हुई थी. एक और शावक की हालत गंभीर बनी हुई है, उसे निगरानी में रखा गया है. ये सभी शावक मादा चीता 'ज्वाला' के बच्चे हैं. इन तीन शावकों की मौत को मिलाकर पिछले 2 महीनों में अफ्रीकी देशों से भारत आए कुल 6 चीतों की मौत हो चुकी है. पहले 3 चीतों की मृत्यु अलग-अलग कारणों से हुई थी. चीता के तीन शावकों की मौत की वजह अब तक ज्यादा गर्मी बताई जा रही है. कुनो नेशनल पार्क द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार 23 मई इस मौसम का सबसे गर्म दिन था. दिन चढ़ने के साथ लू बढ़ी और तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और ज्वाला के शावकों की तबीयत खराब होती चली गई. बीमार चल रहे शावक को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है. उसे कम से कम 1 महीना ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा. पिछले दो दिनों के मुकाबले उसकी हालत में सुधार है. लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं है. शावक को मां ज्वाला से भी 1 महीने तक दूर रखा जाएगा. ये भी बताया गया कि ज्वाला के सभी शावक बहुत कमजोर पैदा हुए थे. बीमारी के बाद मर गए चीता के शावक लगभग आठ हफ्ते के थे. 8 महीने के शावक आम तौर पर जिज्ञासु होते हैं और लगातार मां के साथ चलते हैं. इन शावकों ने लगभग 8-10 दिन पहले ही चलना शुरू किया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीता विशेषज्ञों के अनुसार, अफ्रीका में चीता शावकों की जीवित रहने की दर आमतौर पर बहुत कम है. पोस्टमार्टम की कार्यवाही मानक प्रोटोकॉल के अनुसार की जा रही है. साशा, उदय, और दक्ष की भी हो चुकी है मौत नामीबिया से भारत आए चीतों में से एक साशा की 27 म...

'बाघों के राज्य' में दिखेगी चीतों की रफ्तार, मध्य प्रदेश में ही चीते ने क्यों लगाई 'छलांग', जानें सबकुछ

डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत सरकार ने मध्य प्रदेश को विश्व की पहली अंतरमहाद्वीपीय बड़े जंगली जानवर की स्थानांतरण परियोजना के लिए चुना। देश से विलुप्त हो चुके चीतों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत के ह्दय प्रदेश में बसाहट कार्य को पूर्णता प्रदान की गई। निश्चित ही मध्य प्रदेश के जो भी वासी हैं, उन्हें अवश्य ही इस बात के लिए गौरव होगा कि देश के तमाम बड़े राज्यों को छोड़कर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान को इस कार्य के लिए चिह्नि‍त किया गया। इस पूरी योजना को अन्य राज्यों के बीच से मध्य प्रदेश में लाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने काफी प्रयास किया। मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को 70 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद पुन: बसाने का कार्य हुआ है। भारत में वर्ष 1952 में इस प्राणी को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। तब से देश में कोई चीता दिखाई नहीं दिया, किंतु भारत सरकार के अथक प्रयासों से ‘चीता’ वर्ष 2022 में पुन: पुनर्स्थापित किया जा सका है। इससे जुड़े तथ्यों को देखें तो भारत में चीतों के विलुप्त होने के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार 1972 में वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट लेकर आई थी, जिसमें कि किसी भी जंगली जानवर के शिकार को प्रतिबंधित कर दिया गया। साल 2009 में राजस्थान के गजनेर में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) की ओर से एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया और इसी में सर्वप्रथम यह विषय आया कि कैसे पुन: भारत में चीतों की बसाहट संभव हो सकती है। बैठक में देश भर की कुछ जगहों को चिन्हित किया गया, राज्यों के स्तर पर पाया गया कि गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का वातावरण चीतों के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। ...

2023 में, भारत की जनसंख्या कितनी है? जून अपडेट

दुनिया के हर 100 लोगों में से 18 लोगों का घर भारत में है, आइए जनसंख्या का गणित विस्तार से जानते हैं. Breaking News: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी 15 नवंबर 2022 को 8 को अरब कर चुकी है. लेने की दुनिया में पहली बार अब 8 बिलियन लोग रहते हैं। आधी से अधिक आबादी अकेले एशिया महादीप में रहती है। चीन अभी भी शीर्ष पर है जबकि भारत का दूसरा स्थान है। India ki Jansankhya, जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या 1,21,01,93,422 रहा था। 2023 के यूनाइटेड नेशन (UN) के डाटा के मुताबिक भारत की जनसंख्या 1,412,644,054 है. भारत में सर्वप्रथम जनगणना 1872 में हुई थी जो ब्रिटिश इंडिया ने करवाया था। जैसा कि आप सोच रहे होंगे 2021 में भारत का जनगणना होना था, किंतु कोरोना महामारी के कारण नहीं हो पाया है. उम्मीद है कि, इस वर्ष के अंत तक डाटा सरकार के द्वारा जारी हो सकता है. अक्सर आपने टीवी या अपने मोबाइल फोन पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र कुमार मोदी को सवा सौ भारतीय के बारे में बात करते हुए सुना होगा. इस आर्टिकल के मदद से आप को वर्ष 2023 में भारत की जनसंख्या का पूरा गणित समझने का एक मौका है. 25 प्रश्न – नेपाल की जनसंख्या 2022 में कितनी है? भारत की जनसंख्या 1951 से 2023 तक डाटा को जानिए आप यह आप समझ चुके होंगे कि भारत सरकार द्वारा पर हर 10 वर्षों के अंतराल में जनगणना कराया जाता है। 1951 से लेकर 2011 तक भारत में 7 बार जनगणना कराया गया है। भारत का अगला जनगणना वर्ष 2021 होना था। नीचे सबसे पहले वर्ष लिखा गया है। उसके बाद जनसंख्या तथा आखिर में जनसंख्या वृद्धि प्रतिशत लिखा गया है। • 1951 – 361,088,090 – 13.32% • 1961 – 438,936,918 – 21.62% • 1971 – 548,160,050 – 24।8% • 1...

6 Cheetahs Die In Two Months In Kuno National Park What Is The Reason Behind It Abpp

भारत सरकार का प्रोजेक्ट चीता बाघों के लिए एक बुरा सपना साबित हो रहा है. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में गुरुवार (25 मई) को दो और शावकों की मौत हो गई. इससे पहले एक और शावक की मौत कूनो नेशनल पार्क में हुई थी. एक और शावक की हालत गंभीर बनी हुई है, उसे निगरानी में रखा गया है. ये सभी शावक मादा चीता 'ज्वाला' के बच्चे हैं. इन तीन शावकों की मौत को मिलाकर पिछले 2 महीनों में अफ्रीकी देशों से भारत आए कुल 6 चीतों की मौत हो चुकी है. पहले 3 चीतों की मृत्यु अलग-अलग कारणों से हुई थी. चीता के तीन शावकों की मौत की वजह अब तक ज्यादा गर्मी बताई जा रही है. कुनो नेशनल पार्क द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार 23 मई इस मौसम का सबसे गर्म दिन था. दिन चढ़ने के साथ लू बढ़ी और तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और ज्वाला के शावकों की तबीयत खराब होती चली गई. बीमार चल रहे शावक को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है. उसे कम से कम 1 महीना ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा. पिछले दो दिनों के मुकाबले उसकी हालत में सुधार है. लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं है. शावक को मां ज्वाला से भी 1 महीने तक दूर रखा जाएगा. ये भी बताया गया कि ज्वाला के सभी शावक बहुत कमजोर पैदा हुए थे. बीमारी के बाद मर गए चीता के शावक लगभग आठ हफ्ते के थे. 8 महीने के शावक आम तौर पर जिज्ञासु होते हैं और लगातार मां के साथ चलते हैं. इन शावकों ने लगभग 8-10 दिन पहले ही चलना शुरू किया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीता विशेषज्ञों के अनुसार, अफ्रीका में चीता शावकों की जीवित रहने की दर आमतौर पर बहुत कम है. पोस्टमार्टम की कार्यवाही मानक प्रोटोकॉल के अनुसार की जा रही है. साशा, उदय, और दक्ष की भी हो चुकी है मौत नामीबिया से भारत आए चीतों में से एक साशा की 27 म...

‘प्रोजेक्ट चीता’

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