भारतीय मुद्रा का इतिहास

  1. भारतीय रुपये का इतिहास
  2. History of Indian Currency भारतीय कागजी नोट का इतिहास
  3. भारतीय मुद्रा (रुपया) के बारे में हिंदी में जानकारी और (30) रोचक तथ्य
  4. भारतीय मुद्रा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य, Indian Currency: Some important facts you should know
  5. भारतीय मुद्रा पर निबंध
  6. एनआरआई केंद्र


Download: भारतीय मुद्रा का इतिहास
Size: 23.54 MB

भारतीय रुपये का इतिहास

*डा.राधेश्याम द्विवेदी* रुपया शब्द का उद्गम संस्कृत के शब्द ‘रुप्’ या ‘रुप्याह्’ में निहित है, जिसका अर्थ चाँदी होता है और ‘रूप्यकम्’ का अर्थ चाँदी का सिक्का होता है। मुद्राओं के रंग-रूप और मूल्य कई बार बदले गये हैं. उनमें जालसाजी रोकने के लिए सुरक्षा के उपाय किये जाते रहे हैं. भारत में पहले चीन में चंगेज खां के पोते कुबलाई ख़ान (1260-1264) के शासन में ‘छाओ’ नामक सांकेतिक काग़ज़ी मुद्रा चलती थी.दिल्ली सल्तनत के सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक ने पहली बार साल 1329-1330 में टोकन करेंसी चलाई थी. उन्होंने चीन के नोटों से प्रभावित होकर सोने-चांदी के सिक्कों की जगह तांबे-पीतल के सिक्के चलाए थे. उनका यह प्रयोग बुरी तरह नाकाम रहा.रुपया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शेरशाह सूरी ने भारत मे अपने शासन 1540-1545 के दौरान किया था. शेरशाह सूरी ने अपने शासन काल में जो रुपया चलाया वह एक चाँदी का सिक्का था, जिसका भार 178 ग्रेन (11.534 ग्राम) के लगभग था. उसने तांबे का सिक्का जिसे ‘दाम’ तथा सोने का सिक्का जिसे ‘मोहर’ कहा जाता था, को भी चलाया. कालांतर में मुगल शासन के दौरान पूरे उपमहाद्वीप में मौद्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए तीनों धातुओं के सिक्कों का मानकीकरण किया गया. शेरशाह सूरी के शासनकाल के दौरान आरम्भ किया गया ‘रुपया’ आज तक प्रचलन में है. भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन में रहा, इस दौरान इसका भार 11.66 ग्राम था और इसके भार का 91.7 प्रतिशत तक शुद्ध चाँदी थी.19 वीं शताब्दी के अंत में रुपया प्रथागत ब्रिटिश मुद्रा विनिमय दर, के अनुसार एक शिलिंग और चार पेंस के बराबर था. यह एक पाउण्ड स्टर्लिंग का 1/15 भाग था.19वीं सदी मे जब दुनिया में सबसे सशक्त अर्थव्यवस्थाएं स्वर्ण मानक पर आधारित थीं,...

History of Indian Currency भारतीय कागजी नोट का इतिहास

History of Indian Currency भारतीय कागजी नोट का इतिहास हैलो दोस्तों, मुद्रा वस्तुओं के खरीद और बिक्री को आसान बनाती है। यही वजह है कि भारत में भी प्राचीन समय से ही मुद्रा आम प्रचलन में रहा है। ईसा पूर्व पहली शताब्दी में समुद्रगुप्त ने सोने की मुद्राएं चलाई थी। समय के साथ-साथ मुद्राएं सोने, चांदी, तांबे, पीतल और कागज के रुप में बदलते गये। वर्तमान समय में सिक्कों के अलावा कागज के मुद्राएं ज्यादा प्रचलन में है। तथा कागज की मुद्रा व्यवहार में भी आसान होती हैं। इन मुद्राओं को वर्तमान में रुपए के नाम से जानते हैं। आइए History of Indian Currency के बारे में विस्तार से जानते हैं। ⭐ रूपये शब्द का प्रथम प्रयोग रुपए शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल 1540 से 1545 के दौरान किया था। शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में जो रूपया चलाया था, वह था चांदी का सिक्का। शेरशाह सूरी ने तांबे का सिक्का तथा सोने के सिक्के भी चलाए थे। जिसे क्रमश: दाम और मोहर के नाम से जाना जाता था। ⭐ भारत में कागजी नोटों की शुरुआत भारत में कागजी नोटों का चलन 1770 ई• से माना जाता है। जब पहली बार बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने कागज के नोट जारी किए थे। हालांकि ब्रिटिश शासन काल के दौरान भारत में पहली बार 1917 में एक रूपये के कागज के नोट जारी किये गये थे। आजादी से पूर्व 1926 में महाराष्ट्र के नासिक में बैंक नोट छापने की मिल की स्थापना की गई थी। 1935 में RBI के स्थापना के बाद 1938 में आरबीआई द्वारा पहली बार कागज के नोट जारी किए थे। ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी की गयी पहली नोट ⭐ भारतीय कागजी नोटों पर चित्र भारतीय नोटों पर ब्रिटिश सम्राट, अशोक स्तंभ से महात्मा गांधी तक बदलाव आजादी के पूर्व नोटों पर ब्रिटिश सम्राट के चित्र छ...

भारतीय मुद्रा (रुपया) के बारे में हिंदी में जानकारी और (30) रोचक तथ्य

Indian Currency information and facts in Hindi –“रुपया” शब्द संस्कृत शब्द “रूप्यकम (Rupyakam)” से बना है जिसका अर्थ है चांदी का सिक्का (Silver coin). इसकी उत्पत्ति 1540-45 में शेर शाह सूरी (Sher Shah Suri) द्वारा जारी “रुपिया” से हुई है. आज, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) अधिनियम 1934 के तहत मुद्रा जारी करता है. भारतीय रुपया प्रतीक “₹” 2010 से भारतीय रुपया (INR) का आधिकारिक मुद्रा प्रतीक है. इसे अपनाने से पहले, रुपये के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रतीक “रु (Rs)” था. आइए आज के इस लेख में हम रुपये का इतिहास, सामान्य जानकारी और रोचक तथ्यों को जानते हैं. भारतीय मुद्रा (रुपया) का रोचक इतिहास हिंदी में – Indian Currency (Rupee) History In Hindi #1. शेर शाह सूरी ने भारत में व्यावहारिक मुद्रा के रूप में रूपया (Rupiya) नामक चांदी का सिक्का जारी किया था. यह मुगल काल, मराठा साम्राज्य और ब्रिटिश भारत में भी जारी रहा. इसके अलावा शेरशाह सूरी ने तांबे और #2. कागज़ी मुद्रा के रूप में पहला पेपर रुपया बैंक ऑफ हिंदोस्तान (1770-1832), जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-75) और बंगाल बैंक (1784-91) द्वारा जारी किया गया था. #3. 1957 में, भारत ने सिक्के की “दशांश प्रणाली (Metric system)” को अपनाया जिसके तहत यह नियम लागु किया गया की 1 रुपए में 100 पैसे शामिल होंगे. पहले रुपए को 16 आने में बांटा गया था. #4. भारतीय नोट पर इसका मूल्य 15 विभिन्न भारतीय भाषाओं में लिखा होता है। #5. अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, भारत में बैंक नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार रिजर्व बैंक (RBI) के पास है. #6. बात साल 1917 की है जब 1 रुपया 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था. फिर 1947 में जब भारत आजाद हुआ त...

भारतीय मुद्रा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य, Indian Currency: Some important facts you should know

हम सब भारतीय नोटों और सिक्कों का प्रयोग हर दिन करते हैं लेकिन मुद्रा (करेंसी) से संबंधित कई सारी बाते ऐसी हैं जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे? क्या हम उन के ऊपर मुद्रित प्रतीकों के बारे में जानते हैं? आप यह नहीं जानते हो कि नोट कागज से नहीं बल्कि कपास से बनते हैं। यहां पर हम बात करने जा रहे हैं नोट पर छपी भाषाओं, रेखाओं और उन पर बनी संरचनाओं के बारे में। यहां पर हम आपको नोट से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे। • अच्छा ! तो हम शुरुआत करते हैं इसकी जड़ से। भारत में मुद्रा (करेंसी) जारी करने की प्रक्रिया 18 वीं शताब्दी में शुरू हुई थी। 1861 के पेपर मुद्रा अधिनियम के बाद, भारत सरकार को अपनी मुद्रा को मुद्रित करने का एकाधिकार दिया गया था। • स्वतंत्रता के बाद, शुरुआत में पाकिस्तानियों ने भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल किया था। वे भारतीय नोट का उपयोग अपने देश का स्टांप लगाकर करते थे। 1948 में, पाकिस्तान ने खुद की मुद्रा छापना शुरू कर दिया था। • बैंकनोटों की वर्तमान श्रृंखला, जिसका उपयोग भारतीय मुद्रा में किया जाता है, को महात्मा गांधी श्रृंखला के रूप में जाना जाता है। इसे 1996 में जारी किया गया था। • ₹ 500 का नोट पहली बार 1987 में जारी किया गया था और ₹ 1000 का नोट पहली बार सन 2000 में जारी किया गया था। 8 नवंबर, 2016 को दोनों नोटों का विमुद्रीकरण कर दिया गया था, जिसके बाद ₹ 500 और ₹ 2000 के नए नोट जारी किए गए थे। • सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) एक सरकारी स्वामित्व वाला निगम है जिसे 2006 में स्थापित किया गया था। यह भारत के बैंकनोटों, डाक टिकटों और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों को छापने के लिए जिम्मेदार है। एसपीएमसीआईएल द्वार...

भारतीय मुद्रा पर निबंध

नमस्कार दोस्तों आज के निबंध भारतीय मुद्रा पर निबंध Essay On Indian Currency In Hindi में आपका स्वागत हैं. भारत की मुद्रा रुपया के बारे में इस निबंध में हम पढ़ेगे. भारतीय मुद्रा क्या है, इतिहास, महत्व, चिह्न आदि के बारे में इस सरल निबंध में चर्चा करेंगे. भारतीय मुद्रा पर निबंध Essay On Indian Currency In Hindi मुद्रा मुख्य रूप से विनिमय के माध्यम, मूल्य के मापक, मूल्य के संग्रह एवं विलिम्बित भुगतानों के आधार पर कार्य करती हैं. वस्तु या सेवा का मुद्रा या अन्य किसी वस्तु अथवा सेवा के बदले आदान प्रदान विनिमय कहलाता हैं. मुद्रा क्या है (what is currency) मुद्रा का अर्थ इतिहास उत्पत्ति विकास व कार्य आपकों यहाँ बता रहे हैं. भारत की मुद्रा को भारतीय रुपया कहा जाता है. एक रुपया 100 पैसे के बराबर होता है, भारतीय मुद्रा का प्रतीक रु हैं. इस नयें संकेत को डी उदय कुमार ने तैयार किया हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका की मुद्रा डॉलर, ब्रिटेन की मुद्रा पौण्ड स्टर्लिंग तथा यूरोपीय समूह की मुद्रा यूरो तथा जापान की मुद्रा येन हैं. Telegram Group भारतीय मुद्रा पर निबंध-indian currencyessayin hindi मुद्रा की उत्पत्ति- अंग्रेजी भाषा में मुद्रा को MONEY कहा जाता हैं. मनी शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द मोनेटा (MONETA) से हुई हैं. रोम में पहली टकसाल देवी मोनेटा के मन्दिर मे स्थापित की गई थी. इस टकसाल से उत्पादित सिक्कों का नाम देवी मोनेटा के नाम पर मनी पड़ गया जो धीरे धीरे मुद्रा के रूप में प्रयुक्त किया जाने लगा. चीन के साथ भारत भी विश्व में प्रथम सिक्के जारी करने वाले देशों में से एक हैं. मौर्यकाल के चाँदी के सिक्के इस बात को सत्य सिद्ध करते हैं. भारत में पहला रुपया शेरशाह सूरी द्वारा जारी किया गया ...

एनआरआई केंद्र

हमने अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और विदेशी राष्ट्रीयता वाले और विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों (एफएनआईओ) पर लागू महत्वपूर्ण विशेषताओं को प्रस्तुत करने का यहां एक प्रयास किया है। अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के विदेशी नागरिक/ओसीआई: क. अनिवासी भारतीय • ●एक अनिवासी भारतीय भारत का नागरिक है जो अपने वर्तमान निवास के देश में अस्थायी रूप से रह रहा है और भारत सरकार द्वारा जारी वैध पासपोर्ट रखता है। • ●एनआरआई को ग्रीन कार्ड धारक नहीं होना चाहिए। उसे अपने निवास के वर्तमान देश या किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए निकट भविष्य में आवेदन करने की प्लान न बनाई हो । • ●यह स्पष्ट किया जाता है कि विदेशी राष्ट्रीयता रखने वाले और विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को बीमा की अनुमति देने के उद्देश्य से एफएनआईओ/ग्रीन कार्ड धारकों को एनआरआई नहीं माना जाता है। • ●पॉलिसी केवल भारतीय रुपये में जारी की जाती हैं। हमारी शाखाएं और संयुक्त उद्यम कंपनियां( विवरण के लिए ; ‘मुख्य’पृष्ठ पर 'सहयोगी' विकल्प देखें ) अपनी स्थानीय मुद्राओं में पॉलिसी जारी करती हैं। उदा. हमारी यू.के. शाखा स्टर्लिंग पाउंड मुद्रा में पॉलिसी जारी करती है। • ●अनिवासी भारतीयों को उनकी भारत यात्रा पर बीमा की अनुमति है जहां भारत में रहने के दौरान सभी औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। ऐसे मामलों में उन्हें बीमा की अनुमति देने के उद्देश्य से भारतीय के समान माना जाएगा। • ●एनआरआई अपने वर्तमान निवास देश से बीमा कवर भी प्राप्त कर सकते हैं जहां उनके वर्तमान निवास देश में सभी औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं और इस प्रक्रिया को 'मेल ऑर्डर बिजनेस' कहा जाता है। • ●अनुमत न्यूनतम बीमित राशि रु. 10 लाख और अधिकतम बीमा योग्यता की शर्तों ...