Bhakti aandolan kya tha

  1. चार्टिस्ट आंदोलन के कारण, घटनाएं, परिणाम या महत्व
  2. भक्ति आंदोलन क्या है, भक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएं
  3. भक्ति आन्दोलन Bhakti Andolan pdf भक्ति आन्दोलन Bhakti Andolan Ebook Mp3
  4. भक्ति आन्दोलन
  5. भक्तिन कक्षा 12 NCERT गाइड
  6. भक्ति आंदोलन के बारे में पूर्ण जानकारी दें? » Bhakti Aandolan Ke Bare Mein Purn Jaankari Dein
  7. भारत में भक्ति आंदोलन
  8. Main Answer Writing Practice


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चार्टिस्ट आंदोलन के कारण, घटनाएं, परिणाम या महत्व

चार्टिस्ट आंदोलन क्या था? (chartist aandolan kya tha) chartist aandolan karan, parinaam, mahatva hindi;सन् 1832 के सुधार अधिनियम द्वारा अंग्रेजी समाज के मध्यम वर्ग के लोंगो को तो लगभग सभी सुविधाएं प्रदान की गई, परन्तु इस अधिनियम से मजदूर वर्ग को पर्याप्त लाभ नही मिल पाया। परिवर्तित आर्थिक ढांचे की वजह से उत्पन्न हुआ देश का आर्थिक संकट, राबर्ट ऑवेन द्वारा औद्योगिक समाज मे नया आधार शास्त्र पेश करने की असफलता ने मजदूरों को असहाय छोड़ दिया। मजदूरों को मजबूर होकर अपनी माँगों की राजनीतिक रूप देना पड़ा और 1838 से विक्टोरिया के शासनकाल मे मेलबोर्न मन्त्रिमण्डल के समय आंदोलन छेड़ना पड़ा। मजदूर नेता फ्रांसीसी प्लेस विलियम लौबिट, फिअरगस ओ. कोनर, एडवूड आदि ने मजदूर मांगे संसद के समक्ष एक चार्टर के रूप मे प्रस्तुत की इसलिए इस आंदोलन का नाम " चार्टिस्ट आंदोलन " पड़ा तथा चार्टिस्ट के पक्षधर " चार्टिस्ट " कहलाए। चार्टिस्ट आंदोलन की प्रमुख 6 मांगे थी। जिन्हें 1838 मे लन्दन मजदूर संघ ने प्रकाशित किया था-- 1. संसद का वार्षिक चुनाव। 2. गुप्त मतदान के द्वारा निर्वाचन। 3. वयस्क स्त्री-पुरूषों को मताधिकार। 4. मताधिकार के लिए सम्पत्ति की योग्यता की सम्पत्ति। 5. संसद सदस्यों को भत्ता और वेतन देना। 6. समान चुनाव क्षेत्र बनाना। चार्टिस्ट आंदोलन के कारण (chartist aandolan ke karan) चार्टिस्ट आंदोलन श्रमिकों की पुरानी असफलता और निराशा से उत्पन्न एक आंदोलन था जिसे फ्रांस की 1830 की क्रांति ने प्रेरणा दी थी। चार्टिस्ट आंदोलन के कारण इस प्रकार है-- 1. 1832 के अधिनियम से निराशा 1832 मे सुधार हुये परन्तु वे पूर्ण रूप से अपर्याप्त थे। इससे श्रमिकों, किसानो और गरीबों को कोई लाभ नही हुआ। अतः उन्होंने आंदोलन आ...

भक्ति आंदोलन क्या है, भक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएं

सल्तनत काल से ही हिन्दू मुस्लिम संघर्ष का काल था। दिल्ली सुल्तानों ने हिन्दू धर्म के प्रति अत्याचार करना आरंभ कर दिये थे। उन्होंने अनेक मंदिरेां और मुर्तियों को तोड़ने लगे थे। जिससे हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिए एकेश्वरवाद को महत्व दिया और धर्म सुधारक ने एक आंदोलन चलाया यही आंदोलन भक्ति आंदोलन के नाम से विख्यात हुआ। भक्ति आंदोलन के कारण - भक्ति आंदोलन को अपनाने के कारण थे। जो इस प्रकार है - • मुस्लिम आक्रमणकारी के अत्याचार - भारत में मुस्लिम अत्याचारियों ने बर्बरता से अत्याचार किया हिन्दुओं का कत्लेआम, मूर्तियों मंदिरों का विध्वंस आदि। इससे निजात पाने के लिए भक्ति आंदोलन को अपनाया गया। • धर्म एवं जाति का भय - मुस्लिम आक्रमणकारियों से हिन्दू सम्प्रदाय के लागे भयभीत थे उन्हें यह डर था कि उनके धर्म एवं जाति का विनाश हो जायेगा। इसलिए इनकी रक्षा हेतु भक्ति आंदोलन का आश्रय लिया गया। • इस्लाम का प्रभाव - हिन्दुओं ने अनुभव किया कि इस्लाम धर्म में सादगी व सरलता है। उनमें जातीय भेदभाव नहीं है इसलिए हिन्दुओं ने इन्हें दूर करने के लिए जो मार्ग अपनाया। उसने भक्ति आंदोलन का रूप धारण कर लिया। • राजनैतिक सगंठन - मुस्लिम सुल्तानों ने भारतीयों पर भयंकर अत्याचार किया। भारतीय राजाओं को परास्त कर अपनी सत्ता की स्थापना की। इस संघर्ष से मुक्ति पाने के लिए भारतीयों ने अपने राज्य की पुर्नस्थापना की। जिससे हिन्दू धर्म संगठित हो गया और भक्ति मार्ग को बल मिला। • रूढ़िवादिता - मध्यकाल के आते आते हिन्दू धर्म रूढ़िवादी हो गया था। यज्ञो, अनुष्ठानों की संकीर्णता से लोग ऊब गये थे। वे सरल धर्म चाहते थे। जिससे भक्ति मार्ग का उदय हुआ। • पारस्परिक मतभेद - हिन्दू धर्म में भेदभाव बहुत था। निम्न वर्गों की ...

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विषय सूची: भक्ति आन्दोलन भक्ति आन्दोलन मध्यकालीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव था । इस काल में सामाजिक - धार्मिक सुधारकों की धारा द्वारा समाज विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार - प्रसार किया गया । यह एक मौन क्रान्ति थी । यह अभियान हिन्‍दुओं , मुस्लिमों और सिक्‍खों द्वारा भारतीय उप महाद्वीप में भगवान की पूजा के साथ जुड़े रीति रिवाजों के लिए उत्तरदायी था । उदाहरण के लिए , हिन्‍दूू मंदिरों में कीर्तन , दरगाह में कव्‍वाली ( मुस्लिमों द्वारा ) और गुरुद्वारे में गुरबानी का गायन , ये सभी मध्यकालीन इतिहास में ( 800 - 1700 ) भारतीय भक्ति आंदोलन से उत्‍पन्‍न हुए हैं । More Gk In Hindi, Bhakti, Andolan, Madhyakaleen, Bhaarat, Ka, Sanskritik, Itihas, Me, Ek, Mahatvapurnn, Padav, Tha, ।, Is, Kaal, Samajik, -, Dharmik, SuDharakon, Ki, Dhara, Dwara, Samaj, Vibhinn, Tarah, Se, Bhagwan, Prachar, Prasar, Kiya, Gaya, Yah, Maun, Kranti, Thi, Abhiyan, Hinduon,, Muslimon, Aur, Sikkhon, Indian, Up, Mahadveep, Pooja, Ke, Sath, Jude, Reeti, Riwajon, Liye, Uttardayi, Udaharan, Hindu, Mandiron, Keertan, Dargaah, Kawwaali, (, ), Gurudwaare, Gurbani, Gaayan, Ye, Sabhi, 800, 1700, Utpann, Hue, Hain सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख • • • Bhakti Andolan Madhyakaleen Bhaarat Ka Sanskritik Itihas Me Ek Mahatvapurnn Padav Tha । Is Kaal Samajik - Dharmik SuDharakon Ki Dhara Dwara Samaj Vibhinn Tarah Se Bhagwan Prachar Prasar Kiya Gaya Yah Maun Kranti Thi Abhiyan Hinduon Muslimon Aur Sikkhon Indian Up Mahadveep Pooja Ke Sath Jude Reeti Riwajon Liye Uttardayi Udaharan Hindu Mandiron Keertan Da...

भक्ति आन्दोलन

मध्‍यकालीन भक्ति आन्दोलन एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव था। इस काल में सामाजिक-धार्मिक सुधारकों द्वारा समाज में विभिन्न तरह से पूर्व मध्यकाल में जिस भक्ति धारा ने अपने आन्दोलनात्मक सामर्थ्य से समूचे राष्ट्र की शिराओं में नया रक्त प्रवाहित किया, उसके उद्भव के कारणों के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है लेकिन एक बात पर सहमति है कि भक्ति की मूल धारा दक्षिण भारत में छठवीं-सातवीं शताब्दी में ही शुरू हो गई थी। १४वीं शताब्दी तक आते-आते इसने उत्तर भारत में अचानक आन्दोलन का रूप ग्रहण कर लिया। किन्तु यह धारा दक्षिण भारत से उत्तर भारत कैसे आई, उसके आन्दोलनात्मक रूप धारण करने के कौन से कारण रहे, इस पर विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है। अब बहुत से विद्वान भक्ति आन्दोलन से सम्बन्धित १९वीं-२०वीं शताब्दी के विचारों पर प्रश्न उठाने लगे हैं। अनेक विद्वान अब मध्य युग के भक्ति आन्दोलन को वैदिक परम्परा की मूल बातों का नए रूप में उदय के रूप में देखने लगे हैं। अनुक्रम • 1 इतिहास • 2 भक्ति आन्दोलन की कुछ विशेषताएँ • 3 भक्ति आन्दोलन के बारे में विद्वानों के विचार • 4 भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्त • 5 परिचय • 6 इन्हें भी देखें • 7 बाहरी कड़ियाँ • 8 सन्दर्भ इतिहास [ ] भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में इस हिन्‍दू क्रांतिकारी अभियान के नेता भक्ति आंदोलन के नेता श्री बारहवीं और तेरहवीं शताब्‍दी में भक्ति आन्दोलन के अनुयायियों में संत शिरोमणि प्रथम सिक्‍ख गुरु और सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्‍दी में भी अनेक धार्मिक सुधारकों का उत्‍थान हुआ। कृष्‍ण के अनुयायियों ने 1585 ईसवी में राधा-बल्‍लभी पंथ की स्‍थापना की। सूर सागर की रचना की, जो श्री कृष्‍ण के मोहक रूप तथा उनकी प्रेमिका राधा की कथाओं से परिपूर्ण है। भक्ति आन्द...

भक्तिन कक्षा 12 NCERT गाइड

हिंदी कक्षा 12 में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। इसमें कई महत्वपूर्ण पाठ हैं। लोकप्रिय लेखिका महादेवी वर्मा ने (भक्तिन) Bhaktin पाठ को लिखा है। महादेवी वर्मा जी ने भक्तिन जैसे कई रचनाएं लिखी हैं। हम यहां उन्ही के द्वारा Bhaktin पाठ से आपके सामने लेखक परिचय, पाठ का सारांश, कठिन शब्द, MCQ और प्रश्न-उत्तर आपके सामने लाएंगे। चलिए, जानते हैं Bhaktin को इस ब्लॉग की मदद से। पाठ का नाम Bhaktin कक्षा कक्षा 12 खंड हिंदी आरोह Source – The Indian Express लोकप्रिय श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म फ़रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में 26 मार्च 1907 में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर के मिशन स्कूल में हुई थी। नौ वर्ष की आयु में इनका विवाह हो गया था, उसके बाद भी इनका अध्ययन चलता रहा। 1932 में इन्होंने इलाहाबाद से संस्कृत में MA की परीक्षा उत्तीर्ण कीं और प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना करके उसकी प्रधानाचार्या के रूप में कार्य करने लगीं। मासिक पत्रिका ‘चाँद’ का भी इन्होंने कुछ समय तक संपादन-कार्य किया। इन्हें 1952 में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया। 1954 में यह साहित्य अकादमी की संस्थापक सदस्या बनीं। 1960 में इन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ का कुलपति बनाया गया। इनके व्यापक शैक्षिक, साहित्यिक और सामाजिक कार्यों के लिए भारत सरकार ने 1956 में इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। 1983 में ‘यामा’ कृति पर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने भी इन्हें ‘भारत-भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया। वहीँ 1987 में इनकी मृत्यु हो गई। इन्होंने Bhaktin के जैसी अनेकों रचनाएं की थीं। ज़रूर पढ़ें: Topi Shukla Class 10 पाठ प्रतिपाद्य व सारांश Bhaktin के लिए पाठ प्रत...

भक्ति आंदोलन के बारे में पूर्ण जानकारी दें? » Bhakti Aandolan Ke Bare Mein Purn Jaankari Dein

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपको कृष्ण भक्ति आंदोलन के विषय में पूरी जानकारी दें मैं आपको बताना चाहूंगा भक्ति आंदोलन मूल रूप से धार्मिक और सामाजिक के उत्थान के लिए मध्यकालीन भारत में चलाए गए आंदोलन था जो आम लोगों को शिक्षित लोगों को धर्म के प्रति और धर्म में चले आडंबर को रोकने के लिए किया गया था aapko krishna bhakti andolan ke vishay me puri jaankari de main aapko batana chahunga bhakti andolan mul roop se dharmik aur samajik ke utthan ke liye madhyakalin bharat me chalaye gaye andolan tha jo aam logo ko shikshit logo ko dharm ke prati aur dharm me chale aandabar ko rokne ke liye kiya gaya tha आपको कृष्ण भक्ति आंदोलन के विषय में पूरी जानकारी दें मैं आपको बताना चाहूंगा भक्ति आंदोलन म

भारत में भक्ति आंदोलन

Bhakti And Sufi Movement In Hindi भारतीय धर्म, समाज एवं संस्कृति प्राचीन काल से ही अत्यधिक सुद्रढ़, सम्रद्ध और गौरवपूर्ण रही है. अनेक विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किये जब जब भी भारत पर विदेशी आक्रमण हुए या विदेशियों का शासन रहा, भारतीय संस्कृति और धर्म को बहुत ही आघात पंहुचा लेकिन हमारी संस्कृति का स्वरूप इन आक्रमणों के बाद भी अक्षुण्ण बना रहा. इस कारण उत्पन्न अव्यवस्था के कारण जब जब भारतीय धर्म और समाज में रूढ़ीवाद, आडम्बर, सामाजिक बुराइयों आदि ने प्रवेश किया, तब तब धर्म सुधार नायकों ने एक आंदोलन के रूप में उन बुराइयों को दूर करने का संदेश समाज को दिया. चाहे वह मध्यकाल का भक्ति आंदोलन हो या 19 वीं शताब्दी का सामाजिक व धार्मिक पुनर्जागरण. भारत में भक्ति आंदोलनके बारे में जानकारी इस आर्टिकल में दी गई हैं. भारत में भक्ति की एक लम्बी और सुदृढ परम्परा रही है. भक्ति की शुरुआत सर्वप्रथम दक्षिण भारत से हुई और इसमें विष्णु के उपासक संतो की महत्वपूर्ण भूमिका रही. भारत में मध्यकाल व पूर्व मध्यकाल में भक्ति आंदोलन के तीन मत अस्तित्व में थे. भक्ति आंदोलन क्या था ( What Is Bhakti Movement In India) ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करने के लिए अनेक तरीके अपनाएं जाते हैं. इसके लिए लोग मंदिर मस्जिद या गिरजाघर जैसे धार्मिक स्थल पर जाकर पूजा आराधना करते हैं. हम कह सकते है कि ये लोग भक्ति कर रहे हैं. इस तरह भगवान की भक्ति करने का, भगवान को याद करने का एक तरीका हैं. समय समय पर भारत में अनेक धार्मिक महापुरुष हुए जिन्होंने लोगों को भक्ति मार्ग का अनुसरण करने का उपदेश दिया. मध्यकाल में भी विभिन्न संतों द्वारा भारत में भक्ति आंदोलन की धारा बहाई गई. भक्ति आंदोलन का तात्पर्य (bhakti sufi andolan in...

Main Answer Writing Practice

उत्तर : उत्तर की रूपरेखा- • भक्ति आंदोलन से जुड़े संतों का संक्षिप्त में उल्लेख करें। • भक्ति आंदोलन के उदय के कारणों को लिखें। • समाज, संस्कृति आदि पर भक्ति आंदोलन के प्रभावों के माध्यम से उसका महत्त्व बतलाएँ। • निष्कर्ष मध्य काल में भक्ति आंदोलन की शुरुआत सर्वप्रथम दक्षिण के अलवार तथा नयनार संतों द्वारा की गई। बारहवीं शताब्दी के प्रारंभ में रामानंद द्वारा यह आंदोलन दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाया गया। इस आंदोलन को चैतन्‍य महाप्रभु, नामदेव, तुकाराम, जयदेव ने और अधिक मुखरता प्रदान की। भक्ति आंदोलन का उद्देश्य था- हिन्दू धर्म एवं समाज में सुधार तथा इस्लाम एवं हिन्दू धर्म में समन्वय स्थापित करना। अपने उद्देश्यों में यह आंदोलन काफी हद तक सफल रहा। भारत में भक्ति आंदोलन के उदय के कारण- • मुस्लिम शासकों के बर्बर शासन से कुंठित एवं उनके अत्याचारों से त्रस्त हिन्दू जनता ने ईश्वर की शरण में अपने को अधिक सुरक्षित महसूस कर भक्ति मार्ग का सहारा लिया। • हिन्दू एवं मुस्लिम जनता के आपस में सामाजिक एवं सांस्कृतिक संपर्क से दोनों के मध्य सद्भाव, सहानुभूति एवं सहयोग की भावना का विकास हुआ। इस कारण से भी भक्ति आंदोलन के विकास में सहयोग मिला। • सूफी संतों की उदार एवं सहिष्णुता की भावना तथा एकेश्वरवाद में उनकी प्रबल निष्ठा ने हिन्दुओं को प्रभावित किया; जिस कारण से हिन्दू, इस्लाम के सिद्धांतों के निकट सम्पर्क में आये। • हिन्दुओं ने सूफियों की तरह एकेश्वरवाद में विश्वास करते हुए ऊँच-नीच एवं जात-पात का विरोध किया। शंकराचार्य का ज्ञान मार्ग व अद्वैतवाद अब साधारण जनता के लिये बोधगम्य नहीं रह गया था। • मुस्लिम शासकों द्वार मूर्तियों को नष्ट एवं अपवित्र कर देने के कारण, बिना मूर्ति एवं मंदिर के ईश्व...