Bharat ki videsh niti ke siddhant

  1. भारत का संविधान
  2. Bharat ki Videsh Niti (भारत की विदेश नीति)
  3. भारतीय विदेश नीति की विशेषताएं
  4. भारतीय विदेश नीति:अर्थ,उद्देश्य,विशेषताएं
  5. भारतीय विदेश नीति
  6. Class 12th political science Chapter
  7. विदेश नीति का अर्थ, भारत विदेश नीति निर्धारक तत्व, सिद्धांत/आर्दश


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भारत का संविधान

36. paribhasha- is bhag mean, jab tak ki sandarbh se anyatha apekshit n ho, 'rajy' ka vahi arth hai jo bhag 3 mean hai. 37. is bhag mean aantarvisht tattvoan ka lagoo hona- is bhag mean aantarvisht upabandh kisi nyayalay dvara pravartaniy nahian hoange kiantu phir bhi inamean adhikathit tattv desh ke shasan mean moolabhoot haian aur vidhi banane mean in tattvoan ko lagoo karana rajy ka kartavy hoga. 38. rajy lok kalyan ki abhivriddhi ke lie samajik vyavastha banaega- • [(1)] • [(2) rajy, vishishtataya, ay ki asamanataoan ko kam karane ka prayas karega aur n keval vyashtiyoan ke bich balki vibhinn kshetroan mean rahane vale aur vibhinn vyavasayoan mean lage hue logoan ke samoohoan ke bich bhi pratishtha, suvidhaoan aur avasaroan ki asamanata samapt karane ka prayas karega.] 39. rajy dvara anusaraniy kuchh niti tattv- rajy apani niti ka, vishishtataya, is prakar sanchalan karega ki sunishchit rooanp se- • (k) purush aur stri sabhi nagarikoan ko saman rooanp se jivika ke paryapt sadhan prapt karane ka adhikar ho; • (kh) samuday ke bhautik sansadhanoan ka svamitv aur niyantran is prakar banta ho jisase samoohik hit ka sarvottam rooanp se sadhan ho; • (g) arthik vyavastha is prakar chale jisase dhan aur utpadan-sadhanoan ka sarvasadharan ke lie ahitakari sankreandran n ho; • (gh) purushoan aur striyoan donoan ka saman kary ke lie saman vetan ho; • (n) purush aur stri karmakaroan ke svasthy aur shakti ka tatha balakoan ki sukumar avastha ka duruanpayog n ho aur arthik avashyakat...

Bharat ki Videsh Niti (भारत की विदेश नीति)

Go to Infibeam website Disclaimer :You will be redirected to a third party website.The sole responsibility of supplies, condition of the product, availability of stock, date of delivery, mode of payment will be as promised by the said third party only. Prices and specifications may vary from the OUP India site. Description यह पुस्तक 1947 से 2010 तक भारत की विदेश नीति के उद्भव का एक व्यापक विवरण प्रस्तुत करता है। मुख्यत:, यह पुस्तक भारत के पड़ोसी राज्यों तथा वैश्विक व्यवस्था के अन्य प्रमुख राज्यों के साथ भारत के संबंध के रूप में व्यवस्थित है। इस पुस्तक के सभी अध्याय विश्लेषण के स्तर की पद्धति का प्रयोग करते हैं जो एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में मौलिक घटनाओं को व्यवस्थित करने हेतु एक सुस्थित वैचारिक पद्धति है। इस पुस्तक के अध्याय विश्व के विभिन्न हिस्सों में इसके घटनाक्रमों का विशद एवं स्पष्ट वर्णन प्रस्तुत करते हैं। यह पुस्तक इस कारण महत्त्वपूर्ण है क्युंकि भारतीय विदेश नीति के उद्भव पर कोई अन्य व्यवहार्य संपादित पुस्तक उपलब्ध नहीं है। हर एक अध्याय विश्लेषण के स्तर की पद्धति का प्रयोग करते हुए समान वैचारिक ढांचे का अनुसरण करता है। यह ढांचा भारत की विदेश नीति के उद्भव को व्यवस्थागत, राष्ट्रगत तथा निर्णयन के दृष्टिकोणों से देखता है। परिचयात्मक अध्याय में संपादक ध्यानपूर्वक विश्लेषण के स्तर के बौद्धिक पूर्ववृत्तों को सीधे, सरल, स्पष्ट तथा तर्कमूलक गद्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं तथा इस पुस्तक के अध्यायों पर इसका प्रयोग करते हैं। About the Author सुमित गांगुली इण्डियन कल्चर्स ऐण्ड सिविलाइज़ेशन के रवीन्द्रनाथ टैगोर चेयर, तथा राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर, इण्डियाना यूनिवर्सिटी, ब...

भारतीय विदेश नीति की विशेषताएं

bharat ki videsh niti ki visheshta;सभी देशों की विदेश नीति मुख्य उद्देश्य अपने राष्ट्र का हित होता है, उस प्रकार भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य भी राष्ट्रीय हित है। अपने राष्ट्र के हित तथा अपने देश के आर्दशों को ध्यान मे रखकर तथा अंतर्राष्ट्रीय हित मे समन्वय स्थापित करते हुए हमारे देश की विदेश नीति के निर्माताओं ने अपनी विदेश नीति के कुछ सिद्धांत निर्धारित किए है, इन्ही को भारत की विदेश नीति की विशेषताएं या आधार के नाम से जाना जाता है। भारत की विदेश नीति को असंलग्नता की नीति के नाम से परिभाषित किया जाता है भारत की असंलग्नता ही विदेश नीति का प्रमुख घोषणा पत्र एवं मूलभूत निर्णायक सिद्धांत है। असंलग्नता को समय-समय पर पाॅलिसी ऑफ न्यूट्रीलिटी, पाजिटिव न्यूट्रीलिटिव, डानेमिक न्यूट्रीलिटिव, नान-इन्वाल्वमेंट तथा महाशक्तियों के मध्य बराबर की दूरी बनाये रखने की नीति से भी जाना जाता है, परन्तु वास्तविकता यह है कि यह एक उच्च स्तरीय वस्तुनिष्ठ तथ्य है। इसका मतलब है कि सब चीजें, सभी मनुष्यों के लिए है। परन्तु असंलग्नता कोई डाक्ट्रिन नही है। न तो यह कोई धर्मसार है अपितु असंलग्नता तो एक मार्ग है, स्थिति है। भारत ने हमेशा रंगभेद की नीति का विरोध किया है। रंगभेदवाद की नीति के चलते ही भारत ने सन् 1954 मे दणिक्ष अफ्रीका से अपने कूटनीतिक संबंध तोड़ लिये थे परन्तु अब जबकि दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद की नीति खत्म हो चुकी है, भारत ने दुबारा उससे कूटनीतिक संबंध स्थापित कर लिए है। नामीबिया की स्वतंत्रता का भारत ने हमेशा समर्थन किया। भारत युद्ध विरोधी है। भारत चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण उपायों से होना चाहिए। इसलिए भारत का सतत् प्रयास रहता है कि वह शांति प्रयासों का स...

भारतीय विदेश नीति:अर्थ,उद्देश्य,विशेषताएं

CONTENT: • विदेश नीति का अर्थ, • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, • भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य, • भारतीय विदेश नीति के निर्धारक तत्व, • प्रमुख विशेषताएं या सिद्धांत, विदेश नीति का अर्थ विदेश नीति एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जहां विभिन्न कारक (विभिन्न देश) विभिन्न स्थितियों में अलग-अलग प्रकार से एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक देश की सरकार अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए, अन्य राज्यों से संबंध स्थापित करने व अंतर्राष्ट्रीय प्रश्नों पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए कुछ निश्चित उद्देश्य के आधार पर जो नीति निर्धारित करता है, वह उस देश की विदेश नीति कहलाती है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि किसी भी देश की विदेश नीति एक विशेष आंतरिक एवं बाहरी वातावरण के स्वरूप द्वारा काफी हद तक निर्धारित होती है। इसके अतिरिक्त उसका इतिहास, विरासत, व्यक्तित्व, विचारधाराएं, विभिन्न संरचना आदि का प्रभाव उस पर स्पष्ट रूप से पड़ता है। भारतीय विदेश नीति के प्रमुख लक्ष्यों के निर्धारण एवं सिद्धांतों के प्रतिपादन में भी इन्हीं बहुमुखी तत्वों का योगदान रहा है। भारत की विदेश नीति की समझ एवं आकलन हेतु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं स्वाधीनता संग्राम के इतिहास पर प्रकाश डालना अति आवश्यक है। इस काल में होने वाले घटनाक्रमों के आधार पर ही स्वतंत्र भारत की विदेश नीति का विकास हुआ है। स्वतंत्र भारत की विदेश नीति की जड़े उन प्रस्तावों व नीतियों में ढूंढी जा सकती हैं, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी स्थापना के पश्चात् के 62 वर्षों (1885-1947) में महत्वपूर्ण विदेश नीति के विषयों पर अपनाई थी। यह सत्य है कि पराधीन भारत की विदेश नीति का निर्माण 1885 में स्थापित इंडिया हाउस, लंदन में होता था। अंग्रेज अंतर्रा...

भारतीय विदेश नीति

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत की विदेश नीति के मुख्य पहलुओं और हाल के दिनों उसमें आए बदलावों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। संदर्भ विगत कुछ वर्षों में भारत की विदेश नीति परिवर्तन के दौर से गुज़र रही है। इसी वर्ष दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग में भारत के विदेश सचिव ने कहा था कि “भारत गुटनिरपेक्षता के अतीत से बाहर निकल चुका है और आज अपने हितों को देखते हुए दुनिया के अन्य देशों के साथ रिश्ते बना रहा है।” ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत, विश्व के लगभग सभी मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है और अधिकांश बहुपक्षीय संस्थानों में उसकी स्थिति मज़बूत हो रही है। विशेषज्ञों का मनाना है कि भविष्य में भारत की विदेश नीति इस बात पर निर्भर करेगी कि G20 और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वह किस प्रकार की भूमिका निभाता है। कैसे परिभाषित होती है विदेश नीति? • विदेश नीति एक ढाँचा है जिसके भीतर किसी देश की सरकार, बाहरी दुनिया के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग स्वरूपों यानी द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय रूप में संचालित करती है। • वहीं कूटनीति किसी देश की विदेश नीति को प्राप्त करने की दृष्टि से विश्व के अन्य देशों के साथ संबंधों को प्रबंधित करने का एक कौशल है। • किसी भी देश की विदेश नीति का विकास घरेलू राजनीति, अन्य देशों की नीतियों या व्यवहार एवं विशिष्ट भू-राजनीतिक परिदृश्यों से प्रभावित होता है। • शुरुआत के दिनों में यह माना गया कि विदेश नीति पूर्णतः विदेशी कारकों और भू-राजनीतिक परिदृश्यों से प्रभावित होती है, परंतु बाद में विशेषज्ञों ने यह माना कि...

Class 12th political science Chapter

1] इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किसने किया था ? A- सुभाष चंद्र बोस B- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर C- भगत सिंह D- सुखदेव उत्तर- A 2] इंडियन नेशनल आर्मी का गठन कब किया गया था ? A- 1940 B- 1942 C- 1955 D- 1950 उत्तर- B 3] भारत के पहले प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कौन थे ? A- वल्लभभाई पटेल B- राजेंद्र प्रसाद C- पंडित जवाहरलाल नेहरू D- इनमें से कोई नहीं उत्तर- C 4] नेहरू जी की विदेश नीति के 3 बड़े उद्देश्य क्या ? A- कठिन संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना B- क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना C- तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना D- उपरोक्त सभी उत्तर- D 5] 1956 में ब्रिटेन ने स्वेज नहर के मामले को लेकर ___ पर आक्रमण किया ? A- रूस B- मिस्र C- हंगरी D- इनमे से कोई नहीं उत्तर- B 6] 1956 में सोवियत संघ ने ___ पर आक्रमण किया था ? A- हंगरी B- मिस्र C- ब्रिटेन D- फ्रांस उत्तर- A 7] नेहरू जी की अगुवाई में भारत ने __ में एशियाई संबंध सम्मेलन का आयोजन किया था ? A- जनवरी 1947 B- मार्च 1947 C- अगस्त 1947 D- फरवरी 1949 उत्तर- B 8] एफ्रो एशियाई सम्मेलन कब और कहां हुआ था ? A- 1945 , बांडुंग B- 1955 , बांडुंग C- 1960 , एशिया D- इनमे से कोई नहीं उत्तर- B 9] गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नीव किस सम्मेलन में पड़ी थी ? A- एफ्रो अफ्रीकी सम्मेलन में B- पेरिस सम्मेलन में C- संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में D- बांडुंग सम्मेलन में उत्तर- D 10] गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन कब हुआ था ? A- 1955 B- 1960 C- 1961 D- 1970 उत्तर- C 11] गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन __ में हुआ था ? A- ब्रिटेन B- बुल्गारिया C- बेलग्रेड D- जापान उत्तर- C 12] चीनी क्रांति कब हुई थी ? A- 1947 B- 1948 C- 1949 D- 1950 उत्तर- C 13] पंचशील समझौत...

विदेश नीति का अर्थ, भारत विदेश नीति निर्धारक तत्व, सिद्धांत/आर्दश

bhartiya videsh niti ke nirdharak tatva siddhant;भू-भाग की दृष्टि से भारत विश्व में सात नम्बर और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर आता हैं। इसलिए भारत की विदेश नीति विश्व की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं। स्वतंत्रता से पूर्व भारत की कोई विदेश नीति नही थी, क्योंकि भारत ब्रिटिश सरकार के अधीन था। भारत अब एक स्वतंत्र और प्रजातांत्रिक राष्ट्र हैं। 2 सितम्बर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण मे भारत की विदेश नीति के लक्ष्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि "हम संसार के अन्य राष्टों से निकट और प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने तथा सहयोग और शांति कायम रखने के लिए बड़े उत्सुक हैं।" आज हम विदेश नीति क्या है, विदेश नीति का अर्थ, भारत की विदेश नीति के निर्धारक तत्व और भारतीय विदेश नीति के सिद्धांत या आर्दश जानेंगे। विदेश नीति का अर्थ (videsh niti kise kahte hai) विदेश नीति वह नीति या दृष्टिकोण है, जिसके द्वारा कोई राष्ट्र विश्व के अन्य राष्टों के साथ व्यवहार करता है जिसमें संबंधों का निर्माण या उनसे दूरी अथवा अनुकूलता या प्रतिकूलता बनायी जाती हैं। यदि देखा जाये तो विदेश नीति वह कला है जो अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का शुद्ध आधार प्रस्तुत करती हैं। एक राष्ट्र के क्या-क्या राष्ट्रीय हित है वह किस प्रकार उन्हें सुरक्षित रखना व विकसित करना चाहता हैं। जाॅर्ज मोडलेस्की के अनुसार, "विदेश नीति एक राज्य की गतिविधियों का सुव्यवस्थित व विकासशील रूप है, जिसके द्वारा एक राज्य अन्य राज्यों के व्यवहार को अपने अनुकूल बनाने अथवा यदि ऐसा न हो पाये तो अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण के अनुसार बदलने का प्रयास करता है।" यदि माॅडलेस्की की परिभाषा की विवेचना की जाये तो निम्नांकित तथ्य सामने आते है-- 1. अपनी इच्छानुसा...