Bhartiya arthvyavastha par vaishvikaran ke prabhav ki vyakhya karen

  1. वैश्वीकरण के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
  2. ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था एवं समाज पर प्रभाव
  3. NCERT Solutions for Class 10th: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र
  4. वैश्वीकरण के आयाम pdf
  5. Vaishvikaran kya hai
  6. वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव क्या है?


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वैश्वीकरण के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव

बीसवीं सदी का विश्व वैश्वीकरण पिछले बीस-पच्चीस वर्षों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आई है। प्रत्येक राष्ट्र किसी न किसी रूप में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से निर्भर है। अब विश्व जन संचार साधनों की व्यापकता से एक हो गया है। अब द्विध्रुवीय व्यवस्था कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होती है , सर्वत्र एक ध्रुवीय तारा चमकता है। आर्थिक अन्तर्निभरता से राजनीतिक सम्बन्धों पर भी प्रभाव पड़ा है। अब एक स्थान से दूसरे स्थान पर वस्तुओं और सुविधाओं को पहुँचाना पहले की अपेक्षा बहुत सुगम हो गया है। आजकल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कोई नई बात नहीं है , नई बात है राष्ट्रपार ( Transnational) तथा बहुराष्ट्रीय ( Multinational) आर्थिक सम्बन्धों का सुदृढ़ होना। इसी प्रवृत्ति को वैश्वीकरण का नाम दिया जा रहा है , जिसमें सही मायनों में क्षेत्रीयकरण की प्रवृत्ति को ही अधिक बढ़ावा दिया है। इसे चाहे वैश्वीकरण कहा जाय या क्षेत्रीयकरण या एक ध्रुवीय , इन आर्थिक प्रवृत्तियाँ का स्थानीय , राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। जहाँ विकसित देशों में वैश्वीकरण के क्षेत्रीयकरण को विकास की संज्ञा दी जा रही है , तो विकासशील देशों में इन प्रवृत्तियों के प्रति शंका भी व्यक्त की जा रही है। वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव विकास के पूँजीवादी प्रतिरूप तथा मानव कल्याण में कभी भी सीधा सम्बन्ध नहीं रहा। इसमें कुछ व्यक्तियों के उन्नत जीवन स्तर की कीमत अनेक व्यक्तियों के निम्नस्तर के रूप में चुकानी पड़ती है। कुछ समृद्ध व ऐश्वर्यशाली व्यक्तियों के सुख की कीमत अनेक श्रमिकों व स्त्रियों के श्रम के रूप में चुकानी पड़ती है। इस आर्थिक विकास का भार पर्यावरण पर पड...

ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था एवं समाज पर प्रभाव

भारत में इनके जिन कार्यों को रचनात्मक कहा जाता है। वास्तव में उनके पीछे ब्रिटिश शासन की स्व हित की भावना ही थी। उदाहरणार्थः सरकारी दफ्तरों में कार्य करने के लिए व्यक्ति चाहिए थे इसीलिये उन्होंने अंग्रेज़ी शिक्षा का विकास किया। परंतु इसके साथ हमारी शिक्षा व सभ्यता जो कि उनकी तुलना में बहुत श्रेष्ठ थी, वह समाप्त हो गयी। ब्रिटिश शासन के परिणाम स्वरूप भारत में नये समाज के निर्माण के लिए नए विचार तथा भाव उत्पन्न हुए। जाति व्यवस्था उदार हुई तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने आत्मनिर्भरता तथा अलगाव की विशिष्टता ओं को समाप्त किया। विभिन्न प्रान्त समीप आये। विवाह व जाति प्रथा में अनेक सुधार किए गए। भारतीय समाज के एक वर्ग ने प्राचीन अंधविश्वासों को त्याग दिया। इस प्रकार, ब्रिटिश प्रभाव ने भारत को मध्ययुग से निकाल कर आधुनिक युग में पहुँचा दिया। अंग्रेज़ो ने शिक्षा का प्रचार किया तथा अंग्रेज़ी को उसका माध्यम बनाया। उस समय शिक्षा जो कि ब्राम्हणों तक ही सीमित थी वह जन-सामान्य को उपलब्ध होने लगी। वास्तव में ब्रिटिश सरकार द्वारा अंग्रेज़ी शिक्षा प्रारंभ करने का कारण उनका निहित स्वार्थ था। क्योंकि उन्हें एक ऐसे वर्ग की आवश्यकता थी जो निम्न प्रशासनिक कार्यों में मदद कर सके तथा भारत में ब्रिटिश शासन को बनाये रखने का आधार स्तंभ बन सके। यह सही है कि अंग्रेज़ी शिक्षा देश के हित में नहीं थी परंतु इतना अवश्य है कि इससे देश मे शिक्षा का प्रसार हुआ। आर्थिक विकास होने पर कृषि क्षेत्र में लगे श्रमिकों का अनुपात घटता है तथा उद्योग व सेवा-क्षेत्र में लगे श्रमिकों के अनुपात में वृद्धि होती है। भारत के व्यावसायिक वितरण में ब्रिटिश शासन के दौरान कोई परिवर्तन नज़र नहीं आता है। इसके विपरीत इस समयावधि में कृषि क्षेत्र मे...

NCERT Solutions for Class 10th: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र

उत्तर विभिन्न देशों के बीच परस्पर सम्बन्ध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहते है। इसके अंतर्गत मुक्त व्यापार, पूँजी का मुक्त रूप से प्रवासन एवं श्रम की गतिशीलता आदि शामिल होती है। इसमें निम्नलिखित चीज़ें समाविष्ट हैं: • विदेशी व्यापार में वृद्धि • उत्पादन की तकनीकों का निर्यात और आयात। • एक देश से दूसरे देश में पूंजी और वित्त का प्रवाह • एक देश से दूसरे देश में लोगों का प्रवास। 2. भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी? उत्तर 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपरांत बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था क्योंकि उस समय स्थानीय उद्योग को संरक्षण की जरूरत थी ताकि वह पनप सके। इसलिए भारत में विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाये गये थे। सन् 1991 की शुरुआत से नीतियों में कुछ महत्त्वपूर्ण बदलाव किए गए क्योंकि सरकार ने यह महसूस किया कि अब भारतीय उत्पादकों को विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने का समय आ चुका है। इस प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों के प्रदर्शन तथा गुणवत्ता में सुधार होना अवश्यंभावी था। 3. श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों को कैसे मदद करेगा? उत्तर श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों को श्रमिकों की संख्या पर नियंत्रण रखने में मदद करेगा। फिर कोई भी कम्पनी श्रमिकों की मौसमी माँग के हिसाब से नियोजन कर सकती है या उन्हें काम से हटा सकती है। कम माँग की स्थिति में किसी भी कम्पनी को अतिरिक्त श्रमिकों को ढ़ोने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे कम्पनियों के मुनाफे में भी सुधार होगा। 4. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन य...

वैश्वीकरण के आयाम pdf

वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।[1]वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण

Vaishvikaran kya hai

Vaishvikaran kya haiयह बात तो सभी विद्यार्थी अवश्य जानते होंगे कि पिछले कुछ वर्षों में हमारा बाजार पूरी तरह बदल गया है इस बदलाव का मुख्य कारण हम यह मान सकते हैं कि हमारे यातायात, संचार तथा उत्पादन तकनीको मे बहुत बड़ा बदलाव आया है पिछले कुछ वर्षों में वैश्वीकरण यानी जिसे हम भूमंडलीकरण भी कहते हैं शब्द का इस्तेमाल खूब किया जाने लगा है क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिसे समझना अति आवश्यक है और लेखक भी यह बात मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समझने के लिए वैश्वीकरण के प्रभावों को समझना अति आवश्यक है यह बात सभी विद्यार्थी मानने लगे हैं कि वैश्वीकरण के प्रभावों के कारण हमारे जीवन में अनेक परिवर्तन आए हैं जैसे दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के कार्य, हमारा खान-पान, पहनावा व इसके अतिरिक्त सभी क्रियाकलाप में परिवर्तन हुआ है उदाहरण के रूप में जींस, बर्गर, पिज़्ज़ा जैसी चीजें हमारी परंपराओं का हिस्सा नहीं है परन्तु आज के समय में यह चीजे हमारे जीवन की प्राथमिक वस्तुएं है यह सब वैश्वीकरण का ही एक प्रभाव है जो पश्चिमी सभ्यता से भारत में भी अपनाया गया है वैश्वीकरण की परिभाषा Globalization definition in hindiवैसे तो वैश्वीकरण की कोई सटीक परिभाषा नहीं है परंतु इस निति को हम इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं • परिभाषा 1 – पूंजी, वस्तुओं, सेवाओं, विचारों व अन्य चीजों का एक देश से दूसरे देश में स्वतंत्र प्रभाव की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण कहलाती हैं • परिभाषा 2 – इसे हम इस प्रकार से भी परिभाषित कर सकते हैं “एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें दो देश पूंजी, विचारों, वस्तुओं, सेवाओं और व्यवसायिक गतिविधियां के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं उसे हम वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण भी कह सकते हैं” • परिभाषा 3 – “वैश्वीकरण ह...

वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव क्या है?

मित्रों, जैसा कि हम जानते हैं कि वैश्वीकरण को एक प्रकार से वैश्विक समाज के संदर्भ में समझा जा सकता है, और इसके विभिन्न प्रकार के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव लोगों पर पड़ सकते हैं। आज के समय विभिन्न प्रकार के राजनेता वैश्वीकरण का लाभ उठाते हुए अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास करते हैं। लेकिन राजनेताओं के साथ साथ आम जनता को भी वैश्वीकरण के अच्छे व् बुरे प्रभाव देखने को मिलते है। इसी के साथ लोगों को कई बार भड़काने का काम भी वैश्वीकरण के माध्यम से ही किया जाता है। उनमें से अधिकतम चीजें लोगों की जानकारी से परे होती है, और इसी कारण लोग राजनेताओं की चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैश्वीकरण क्या होता है और vaishvikaran ke rajnitik prabhav क्या हो सकते हैं? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं क्योंकि आज हम आपको बताने वाले हैं कि वैश्वीकरण क्या होता है, इसके फायदे और नुकसान है तथा मानव समाज व् संस्कृति पर इसके क्या प्रभाव देखने को मिलते है। मित्रों, वैश्वीकरण मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किन्ही भी दो संस्कृति और समाज को आपस में जोड़ता है। किसी भी देश में वैश्वीकरण तो सार्थक रूप से अपनाया जाता है तब यह देखा जाता है कि वैश्वीकरण के राजनीतिक फायदे और राजनीतिक नुकसान भी उस देश को सहने पड़ते हैं। किसी भी देश और राष्ट्र में वैश्वीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि प्रजातांत्रिक देशों में वैश्वीकरण के कारण आम जनता में ज्ञान व जागरूकता की बढ़ोतरी होती है, लोगों को अपने अधिकारों के बारे में पता चलता है। वैश्वीकरण का उद्देश्य | Vaishvikaran ka Uddeshya वैश्विक्ररण का मूल उद्देश्य वैश्विक संस्कृतियों से उन गुणों की प्राप्ति करना है जो हमारे समाज के लिए उचित है। वैश...