Bhartiya rajniti ke bhishm pitamah the

  1. Mahabharat Mahabharata Who Was Shikhandi The Cause Of Death Of Bhishma Pitamah Was Made In The War Of Mahabharata
  2. भीष्म पितामह का जन्म कैसे हुआ
  3. Untold stories, unknown facts about Mahabharata and Bhishma
  4. भीष्म पितामह के 16 रहस्य, जानिए Bhishma pitamah
  5. भीष्म पितामह का पिता का नाम क्या था? » Bhishma Pitamah Ka Pita Ka Naam Kya Tha


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Mahabharat Mahabharata Who Was Shikhandi The Cause Of Death Of Bhishma Pitamah Was Made In The War Of Mahabharata

Mahabharat story: महाभारत का युद्ध सबसे विनाशकारी युद्धों में से एक माना जाता है. इस युद्ध में कौरवों का सब कुछ नष्ट हो गया. धतृराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रों को जान गंवानी पड़ी. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. महाभारत के युद्ध में जब कौरवों की सेना पांडवों की सेना पर भारी पड़ने लगी तो पांडवों को हार जाने का डर सताने लगा क्योंकि भीष्म पितामह पांडवों की सेना पर लगातार भारी पड़ते जा रहे थे. श्रीकृष्ण के मन में तब एक युक्ति आई और उन्होंने भीष्म पितामह को परास्त करने के लिए शिखंडी का सहारा लिया. शिखंडी महाभारत में एक रहस्मय पात्र के रूप में नजर आता है. शिखंडी पुर्नजन्म में स्त्री था. अगले जन्म में भी शिखंडी स्त्री के रूप में जन्म लेता है, लेकिन वह पुरूष बन जाता है. शिखंडी कौन था भीष्म पितामह ने शिखंडी के बारे में दुर्योधन को बताया था कि जिस समय हस्तिनापुर के राजा उनके छोटे भाई विचित्रवीर्य थे. उस समय उनके विवाह के लिए मैं काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका को हर लाया था. लेकिन जब पता चला कि अंबा राजा शाल्व को प्यार करती है, तब अंबा को पूरे सम्मान के साथ राजा शाल्व के पास भेज दिया. वहीं राजा शाल्व ने अंबा को अपनाने से इनकार कर दिया. इसके बाद अंबा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली. अंबा की स्थिति के बारे में जब नाना राजर्षि होत्रवाहन को पता चला तो उन्होंने अंबा को परशुरामजी से मिलने के लिए कहा. अंबा ने अपने साथ हुई घटना की पूरी जानकारी परशुराम को बताई. तब परशुरामजी ने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा लेकिन भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. परशुराम को यह बात बहुत खराब लगी और इसके बाद उन्होंने भीष्म से युद्ध किया लेकिन वे भीष्म से पराजित गए. उधर युद्ध समाप्त ...

भीष्म पितामह का जन्म कैसे हुआ

भीष्म पितामह का जन्म कैसे हुआ भीष्म पितामह का जन्म शांतनु और गंगा के मिलन से हुआ था। शांतनु और गंगा दोनों ही पिछले जन्म में स्वर्गलोक में थे, और एक दूसरे को जानते थे और इंद्र की आज्ञा की वजह से ही उन्हें पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा था। फिर पृथ्वी पर गंगा के घाट पर मिलने पर उन्होंने शादी का फैसला किया। फिर गंगा गर्भवती हुई और भीष्म पितामह को जन्म दिया। भीष्म पितामह का जन्म होने के ठीक बाद गंगा वहाँ से चलीं गई। शांतनु गंगा के प्रेम में इतने पागल थे कि वह राजी हो गए। गंगा उनकी पत्नी बन गई, जो पत्नी के तौर पर बहुत ही खूबसूरत और लाजवाब थी। फिर वह गर्भवती हुई और एक पुत्र को जन्म दिया। वह तुरंत बच्चे को लेकर नदी तक गई और उसे नदी में बहा दिया। शांतनु को विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी पत्नी ने उनके पहले पुत्र को नदी में डुबो दिया। उनका हृदय फट रहा था, लेकिन उन्हें याद आया कि अगर उन्होंने वजह पूछी, तो गंगा चली जाएगी। जो शख्स पहले खुशी और प्रेम में उड़ता फिर रहा था, वह दुख से जड़ हो गया और अपनी पत्नी से डरने लगा। मगर फिर भी वह गंगा से बहुत प्रेम करते थे, दोनों साथ-साथ रहते रहे। 16 साल गुजर गए, गंगा ने उन दोनों के पुत्र देवव्रत को लाकर शांतनु को सौंप दिया। देवव्रत ने खुद परशुराम से तीरंदाजी सीखी थी और वृहस्पति से वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था। गंगा ने एक और पुत्र को जन्म दिया। वह बिना एक भी शब्द बोले जाकर बच्चे को नदी में डुबो आई। शांतनु पागल हो उठे। उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था मगर वह जानते थे कि उन्होंने एक भी शब्द कहा तो वह चली जाएगी। दूसरे बच्चे, तीसरे बच्चे से लेकर सातवें बच्चे तक यह सिलसिला जारी रहा। शांतनु बुरी तरह आतंकित हो गए थे। वह अपनी पत्नी से खौफ खाने लगे क्योंकि वह उनके नवज...

Untold stories, unknown facts about Mahabharata and Bhishma

Bhishma Pitamah is a revered figure in Indian mythology known for his unwavering devotion, selflessness, and courage. He was a central character in the epic Mahabharata and played a significant role in shaping its events. His story is a tale of honor, duty, and sacrifice, making him a symbol of noble virtues and wisdom. In this article, we delve into the life and legacy of Bhishma Pitamah, exploring his remarkable journey and the timeless lessons we can learn from his example. What was the real name of Bhishma Pitamah? Bhishma Pitamah, or Devvrata is one of the great warriors who adorned this earth. The story of his birth was and his death were strange, but even stranger were his deeds on this planet. We all know that he has taken couple of difficult vows, but there are few other stories which are equally mesmerizing. Read on. The vow which made Devvrata Bhishma – even devtas (gods) showered flowers on him Why Amba wanted to kill Bhishma? The garland of ever fresh lotuses This is the story of Amba and Bhishma Pitamah. He did not marry Amba as desired by her. She did severe penance to exact her revenge on Bhishma. Following this, Lord Subramanya appeared and given her a garland of lotuses which were fresh forever. In fact, whosoever wears the garland, would be the enemy of Bhishma. Getting her desired blessing, she sought the help of the present warriors, but such was the clout of Bhishma, nobody dared to accept the garland. Bhishma abducting Amba for Vichitravirya Frustrat...

भीष्म पितामह के 16 रहस्य, जानिए Bhishma pitamah

यह वह काल था जबकि देवी और देवता धरती पर विचरण किया करते थे। किसी खास मंत्र द्वारा उनका आह्वान करने पर वे प्रकट हो जाया करते थे। देवताओं में इंद्र, वरुण, 2 अश्विनकुमार, 8 वसुगण, 12 आदित्यगण, 11 रुद्र, सूर्य, मित्र, पूषन, विष्णु, ब्रह्मा, शिव, सती, सरस्वती, लक्ष्मी, उषा, अपांनपात, सविता, त्रिप, विंवस्वत, 49 मरुद्गण, पर्जन्य, वायु, मातरिश्वन्, त्रिप्रआप्त्य, अज एकपाद, आप, अहितर्बुध्न्य, यम, पितृ (अर्यमा), मृत्यु, श्रद्धा, शचि, दिति, अदिति, कश्यप, विश्वकर्मा, गायत्री, सावित्री, आत्मा, बृहस्पति, शुक्राचार्य आदि। इन्हीं देवताओं के कुल में से एक मां गंगा भी हैं। गंगा ने क्यों किया शांतनु से विवाह? पुत्र की कामना से शांतनु के पिता महाराजा प्रतीप ने गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। उनके तप, रूप और सौन्दर्य पर मोहित होकर गंगा उनकी दाहिनी जंघा पर आकर बैठ गईं और कहने लगीं, 'राजन! मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं। मैं जह्नु ऋषि की पुत्री गंगा हूं।' इस पर राजा प्रतीप ने कहा, 'गंगे! तुम मेरी दाहिनी जंघा पर बैठी हो, जबकि पत्नी को तो वामांगी होना चाहिए, दाहिनी जंघा तो पुत्र का प्रतीक है अतः मैं तुम्हें अपने पुत्रवधू के रूप में स्वीकार कर सकता हूं।' यह सुनकर गंगा वहां से चली गईं।' जब महाराज प्रतीप को पुत्र की प्राप्ति हुई तो उन्होंने उसका नाम शांतनु रखा और इसी शांतनु से गंगा का विवाह हुआ। गंगा से उन्हें 8 पुत्र मिले जिसमें से 7 को गंगा नदी में बहा दिया गया और 8वें पुत्र को पाला-पोसा। उनके 8वें पुत्र का नाम देवव्रत था। यह देवव्रत ही आगे चलकर भीष्म कहलाया। अगले पन्ने पर दूसरा रहस्य... शांतनु ने अपने पिता प्रतीप की आज्ञा से गंगा के पास जाकर उनसे विवाह करने के लिए निवेदन किया था। गंगा तो शांतनु के...

भीष्म पितामह का पिता का नाम क्या था? » Bhishma Pitamah Ka Pita Ka Naam Kya Tha

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। भीष्म पितामह के पिता का नाम शांतनु था और उनकी माता का नाम गंगा था बचपन में इनका नाम देवव्रत था एक बार इनके पिता शांतनु का मन एक भी वर्ड कन्या से विवाह करने का हुआ तो यह जब वह शांतनु ने जीवों से यह कहा कि तुम अपनी कन्या का विवाह मेरे साथ कर दो तो उसने एक साथ लगा दी कि आपका बड़ा पुत्र देवव्रत है वही राजगद्दी का स्वामी बनेगा मेरी शर्त यह है कि मेरी पुत्री से जो संतान हो वही राजगद्दी प्राप्त करें तभी मैं आप का विवाह मेरी पुत्री के साथ करूंगा तो यहां शांतनु जी इस टंकी कारण पीले पढ़ते चले गए इस बात की जब जानकारी भीष्म पितामह भीष्म को पड़ी देवव्रत को पड़ी तो उन्होंने उस युवराज के पास जाकर की कहा कि तुम अपनी पुत्री का निशंक को विवाह मेरे पिता के साथ कर दो मैं आपसे वादा करता हूं मैं वचन देता हूं कि मैं जीवन पर ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा जब मैं ब्रह्मचारी रहूंगा तो मेरी संतान भी नहीं होगी इसलिए और यह भी वायदा करता हूं कि तुम्हारी संतान ही तुम्हारी पुत्री की संतान ही शांतनु के बाद में उत्तराधिकारी होगी मैं जीवनभर कभी राज्य को नहीं करूंगा ऐसा भयंकर प्रतिज्ञा करने के कारण समस्त देवों ने पुष्प वर्षा की और भीष्म प्रतिज्ञा भीष्म प्रतिज्ञा का तभी सही उनका नाम विश्व पड़ गया और पीछे कौरव और पांडवों के पिता में थे इसलिए इनका नाम किस दिशा में पड़ा था यह एक्शन तेजस्वी अत्यंत विद्वान और बहुत मारती थी इसलिए इनकी उस भीष्म प्रतिज्ञा के कारण उनके पिता ने प्रसन्न होकर के इन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था कि 20 जब तक तुम नहीं चाहोगे अब तक बच्चों तुम्हें कभी भी स्पष्ट नहीं कर सकेगी औ...