Bhartiya sanvidhan ke antargat maulik adhikar ka abhibhavak kaun hai

  1. [6 अधिकार*] मौलिक अधिकार कितने हैं और कौन
  2. भारतीय संविधान
  3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत कितने प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया हैं? Bhartiya Sanvidhan Ke Anuchchhed 19 Ke Antargat Kitne Maulik Adhikaron Ka Varnan Kiya Gaya Hai?
  4. भारतीय संविधान की 17 प्रमुख विशेषताएँ
  5. Bhartiya samvidhan ke maulik adhikar PDF
  6. अनुच्छेद 21


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[6 अधिकार*] मौलिक अधिकार कितने हैं और कौन

• मूल संविधान में 7 प्रकार मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44 वें संविधान संशोधन, 1978 के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनु.31) को हटाया गया और इसे संविधान के अनु. 300(a) में कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया। इस प्रकार आज भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकार का वर्णन हैं। आज हम इन 6 अधिकार की चर्चा करेंगे। • 1931 में कराची अधिवेशन (अध्यक्ष- सरदार वल्लभभाई पटेल) में कांग्रेस ने घोषणा पत्र में मूल अधिकारों की मांग की मौलिक अधिकारों का प्ररूप जवाहरलाल नेहरू ने बनाएं। • समता या समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 • स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 • शोषण के विरुद्ध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 • संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32 समता या समानता का अधिकार • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के मौलिक अधिकार अंतर्गत भारतीय नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त है। • विधि के समक्ष समानता : अनुच्छेद 14 के तहत भारत के सभी नागरिकों को विधि के समक्ष समता का अधिकार प्राप्त है अर्थात राज्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान करेगा और उसी तरह समान रूप से उसे लागू भी करेगा। • अनुच्छेद 14 में दो वाक्यांशों का उल्लेख किया गया है:- a. विधि के समक्ष समानता b. विधियों का समान संरक्षण विधि के समक्ष समानता : विधि के समक्ष समानता वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे डायसी ने 'विधि का शासन' कहां है। इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति विधि के ऊपर नहीं है तथा एक सी परिस्थिति वाले व्यक्तियों के साथ विधि द्वारा दिए जाने वाले अधिकारों तथा कर्तव्य के संबंध में समान व्यवहार किया जाएगा...

भारतीय संविधान

Indian Constitution (Bhartiya Samvidhan)- The Constitution of India is the supreme law of India. The document lays down the framework demarcating fundamental political code, structure, procedures, powers, and duties of government institutions and sets out fundamental rights, directive principles, and the duties of citizens. भारतीय संविधान में वर्तमान समय में 465 Constitution of India भारत राज्‍यों का एक संघ है। य‍ह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है। यह गणराज्‍य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्‍बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ। संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्‍मक विशिष्‍टताओं सहित संघीय हो। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद (राज्‍य सभा) तथा लोगों का सदन (लोक सभा) के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होगा, राष्‍ट्रपति सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है। Topics Of Bhartiya Samvidhan • • • • • • • • • Bhartiya Samvidhan In Hindi Quiz • भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद,कितनी अनुसूचियाँ तथा कितने भाग हैं — 395 अब 46...

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत कितने प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया हैं? Bhartiya Sanvidhan Ke Anuchchhed 19 Ke Antargat Kitne Maulik Adhikaron Ka Varnan Kiya Gaya Hai?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत छह मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है : 1. वाकऔर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता । अनुच्छेद- 19 (1A) 2. शांतिपूर्ण हथियार रहित सम्मेलन करने का अधिकार । अनुच्छेद- 19 (1B) 3. संगम या संघ यासहकारी समिति बनाने का अधिकार । अनुच्छेद- 19(1C) 4. भारत के राज्य क्षेत्र में आबाध संचरण का अधिकार । अनुच्छेद- 19 (1D) 5. भारत के किसी भाग में निवास करने एवं बसने का अधिकार । अनुच्छेद- 19 (1E) 6. कोई वृति, आजीविका,व्यवसाय या व्यापार करने का अधिकार । अनुच्छेद- 19 (1G) by Rishav Raj

भारतीय संविधान की 17 प्रमुख विशेषताएँ

भारत का संविधान' संविधान सभा ने निश्चित समय तथा योजना के अनुसार बनाया था , इसलिए इसमें सरकार के संगठन के आधारभूत सिद्धान्त औपचारिक रूप से लिख दिए गए हैं। कार्यपालिका , विधायिका , न्यायपालिका आदि की रचना की प्रक्रिया , कार्य-प्रणाली , नागरिकों के साथ उनके सम्बन्ध , नागरिकों के अधिकार , कर्त्तव्य आदि के विषय में स्पष्ट उल्लेख किया गया है। भारतीय संविधान बहुत विस्तृत तथा व्यापक है। इसमें 395 अनुच्छेद , 12 अनुसूचियाँ व 2 परिशिष्ट हैं तथा इसे 22 खण्डों में विभाजित किया गया है। एच. वी. कामथ ने इसकी विशालता के सम्बन्ध में कहा था , " हमें इस बात का गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे विशालकाय संविधान है।" डॉ. जैनिंग्स के अनुसार , " भारतीय संविधान विश्व का सर्वाधिक व्यापक संविधान है।" , लेकिन अन्य अनुच्छेदों में संशोधन के लिए सदन में उसकी समस्त सदस्य संख्या के बहुमत से तथा उस सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के | दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ती है। संविधान के उन भागों में , जिनका सम्बन्ध संघ और राज्य के अधिकार क्षेत्र से है ; के लिए संविधान में व्यवस्था है कि संशोधन उस समय तक नहीं होगा जब तक कि आधे राज्य इस पर अपनी स्वीकृति प्रदान न कर दें। (4) सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न राज्य की स्थापना - संविधान द्वारा भारत में सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न राज्य की स्थापना की गई है। सम्पूर्ण प्रभुत्व का आशय है कि भारत आन्तरिक और बाह्य , दोनों ही क्षेत्रों में सर्वोच्च है। वह स्वतन्त्र रूप से अपनी विदेश नीति निर्धारित करता है तथा उस पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी विदेशी दबाव नहीं है। भारत दोनों ही क्षेत्रों में पूर्णतया स्वतन्त्र है। संविधान की प्रस्तावना में गणराज्य की स्थापना...

Bhartiya samvidhan ke maulik adhikar PDF

• मूल संविधान में कुल सात मौलिक अधिकार थे किन्तु 44वें संविधान संशोधन के द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) के अंतर्गत कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया, जिसके बाद भारतीय नागरिकों को छह मूल अधिकार प्राप्त हैं, • भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था और उसी दिन उसे स्वीकृत कर लिया गया था। विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान ‘भारतीय संविधान’ वैसे तो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था लेकिन इसे 26 नवम्बर 1949 को ही स्वीकृत कर लिया गया था

अनुच्छेद 21

विवरण किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण) अनुच्‍छेद 21 के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य की सावधानी का अधिकार वैसा ही है, जैसे जीवन का अधिकार होता है। यह अनुच्छेद भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन जीने और उसकी निजी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है, यदि कोई अन्य व्यक्ति या कोई संस्था किसी व्यक्ति के इस अधिकार का उल्लंघन करने का प्रयास करता है, तो पीड़ित व्यक्ति को सीधे उच्चतम न्यायलय तक जाने का अधिकार होता है। अन्य शब्दों में किसी भी प्रकार का क्रूर, अमाननीय उत्‍पीड़न या अपमान जनक व्‍यवहार चाहे वह किसी भी प्रकार की जॉंच के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्‍न से या किसी अन्‍य स्‍थान पर हो, तो यह इस अनुच्‍छेद 21 का अतिक्रमण करता है, जो कि भारतीय संविधान के अनुसार वर्जित है। यह एक मूल अधिकार है, इसमें कहा गया है, कि किसी व्‍यक्ति को उसके जीवन और निजता की स्‍वतंत्रता से बंछित किये जाने संबंधी कार्यवाही उचित ऋजु एवं युक्तियुक्‍त होनी चाहिए। य‍ह सब अनुच्‍छेद 21 के अंतर्गत आता है। निजता के अधिकार की अवधारणा को आसानी से नहीं समझा जा सकता है। निजता प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत का उपयोग करती है और आम तौर पर नई सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का जवाब देती है। निजता का अधिकार हमारे चारों ओर एक डोमेन रखने का हमारा अधिकार है, जिसमें ये सभी चीजें शामिल हैं जो हमारा हिस्सा हैं, जैसे कि हमारा शरीर, घर, संपत्ति, विचार, भावनाएं, रहस्य और पहचान, निजता का अधिकार हमें क्षमता देता है यह चुनने के लिए कि इस डोमेन में कौन से हिस्से दूसरों द्वारा एक्सेस क...