Bhayanak ras ki paribhasha

  1. भयानक रस ( परिभाषा, भेद, उदाहरण ) पूरी जानकारी
  2. Shringar Ras
  3. भयानक रस की परिभाषा, भेद और 20+ भयानक रस के उदाहरण
  4. करुण रस की परिभाषा और करुण रस का 7 उदाहरण » 2023
  5. Bhayanak Ras in Hindi
  6. Bhayanak Ras (भयानक रस: परिभाषा भेद और उदाहरण)
  7. रौद्र रस की परिभाषा भेद प्रकार और उदाहरण। Raudra ras in Hindi
  8. वीर रस
  9. Bhayanak Ras


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भयानक रस ( परिभाषा, भेद, उदाहरण ) पूरी जानकारी

Table of Contents • • • • • • • भयानक रस साहित्य के अनुसार किसी बलवान शत्रु अथवा भयानक वस्तु को देखने से उत्पन्न भय ही भयानक रस है। भय नामक स्थाई भाव जब अपने अनुरूप आलंबन , उद्दीपन एवं संचारी भावों का सहयोग प्राप्त कर आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तो इससे भयानक रस कहा जाता है। रस का नाम भयानक रस रस का स्थाई भाव भय अनुभाव स्वेद , कंपन , रोमांच , हाथ पांव कांपना ,नेत्र विस्फार , भागना ,स्वर भंग ,उंगली काटना ,जड़ता ,स्तब्धता ,रोमांच, कण्ठावरोध , घिग्घी बंधना ,मूर्छा ,चित्कार , वैवर्ण्य , सहायता के लिए इधर-उधर देखना , शरण ढूंढना ,दैन्य-प्रकाशन रुदन। उद्दीपन निस्सहाय और निर्भय होना , शत्रुओं या हिंसक जीवों की चेस्टाएं , आश्रय की असहाय अवस्था ,आलंबन की भयंकर चेष्टाएँ , निर्जन स्थान ,अपशगुन , बद-बंध आदि आलम्बन भयावह जंगली जानवर अथवा बलवान शत्रु , पाप या पाप-कर्म , सामाजिक तथा अन्य बुराइयां , हिंसक जीव-जंतु , प्रबल अन्यायकारी व्यक्ति , भयंकर अनिष्टकारी वस्तु , देवी संकट , भूत-प्रेत आदि। संचारी भाव त्रास ,ग्लानि , दैन्य , शंका , चिंता , आवेग ,अमर्ष ,स्मृति ,अपस्मार ,मरण ,घृणा ,शोक ,भरम,दैन्य ,चपलता , किंकर्तव्यमूढ़ता ,निराशा , आशा भयानक रस का स्थाई भाव इस रस के अंतर्गत भय की प्रधानता रहती है। अतः यह भय को स्थाई रूप माना गया है , जो किसी बलवान शत्रु या ऐसे संकट को देखकर उत्पन्न होता है , जिसका हम सामना नहीं कर सकते। रस पर आधारित अन्य लेख भयानक रस का उदहारण एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय बिकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाय। । उपर्युक्त पंक्ति में एक मुसाफिर के भय की स्थिति का वर्णन किया गया है। वह शेर और अजगर के बीच में फंसा हुआ है। किस और जाए यह उसको समझ नहीं आ रहा है, इसके कारण वह भय स...

Shringar Ras

श्रृंगार रस की परिभाषा (Shringar ras ki Paribhasha) श्रृंगार रस (Shringar Ras) में नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस के अवस्था में पहुंच जाता है तो वह श्रृंगार रस (Shringar Ras) कहलाता है। इसके अंतर्गत वसंत ऋतु, सौंदर्य, प्रकृति, सुंदर वन, पक्षियों श्रृंगार रस के अंतर्गत नायिकालंकार ऋतु तथा प्रकृति का वर्णन भी किया जाता है। श्रृंगार रस (Shringar Ras) को रसराज या रसपति भी कहा जाता है। श्रृंगार रस के उदाहरण- श्रृंगार रस के भेद- श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार संयोग श्रृंगार- जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है। Shringar Ras Shringar Ras Simple Example in Hindi- संयोग श्रृंगार रस का उदाहरण- बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करे भौंहन हंसे देन कहे नटि जाय!! थके नयन रघुपति छवि देखे। पलकन्हि हु परिहरि निमेखे।। अधिक सनेह देह भई भोरी। सरद ससिहि जनु चितव चकोरी।। Shringar Ras राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं । याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं । वियोग श्रृंगार रस- जहां पर नायक-नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो लेकिन मिलन न हो अर्थात नायक-नायिका के वियोग का वर्णन हो वहां पर वियोग रस होता है। वियोग श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति होता है वियोग श्रृंगार रस का उदाहरण- उधो, मन न भए दस बीस। एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥ इन्द्री सिथिल भईं सबहीं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस। स्वासा अटकिरही आसा लगि, जीवहिं कोटि बरीस॥ Shringar Ras तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के ईस। सूरदास, रसिकन की बतियां पुरवौ मन जगदीस॥ पुन...

भयानक रस की परिभाषा, भेद और 20+ भयानक रस के उदाहरण

विषय सूची • • • • • • • • • भयानक रस की परिभाषा (Bhayanak Ras Ki Paribhasha) काव्य को सुनने पर जब भय के से आनंद या भाव की अनुभूति होती है तो इस अनुभूति को ही भयानक रस कहते हैं। अन्य शब्दों में भयानक रस वह रस है, जिसमें भय का भाव होता है अथवा जिसका स्थायी भाव भय होता है। भयानक रस परिचय भयानक रस का काव्य के सभी नौ रसों में एक बहुत ही मत्वपूर्ण स्थान है। वीर रस, वीभत्स रस, श्रृंगार रस तथा रौद्र रस ही प्रमुख रस हैं तथा भयानक, वात्सल्य, शांत, करुण, भक्ति, हास्य रसों की उत्पत्ति इन्हीं प्रमुख चार रसों से हुई है। भयानक रस की उपस्थिती ऐसे काव्य में होती है, जिस काव्य में काव्य की विषय वस्तु में भयजन्य उद्दीपन व अलाम्बनों का का समावेश होता है। भयानक रस चरित्र की उस मनःस्थिती को बताता है जब वह पलायनात्मक विचार व चिंता आदि से गुज़र रहा होता है तो संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि काव्य के जिस भाग में भय को प्रकट किया जाता है, वहां भयानक रस होता है। भयानक रस के अवयव • स्थायी भाव: भय। • आलंबन (विभाव): कोई भी वस्तु, चरित्र, घटना या विचार आदि जिससे सामना होने पर भयउत्पन्न हो जाए। • उद्दीपन (विभाव): भयावह दृश्य, श्रव्य, स्मृति, कष्टप्रद अनुभूति या चेष्टा। • अनुभाव: मुट्ठियाँ आँखें मींच लेना, देह समेट लेना, कांपना, चिंता उत्पन्न होना, हकलाना, पसीना निकलना आदि। • संचारी भाव: नकारात्मक अनुभूति, पलायन, चिंता, घबराहट आदि। रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। भयानक रस का स्थायी भाव क्या है? भयानक रस का स्थायी भाव भय है। भयानक रस के भेद • स्वनिष्ठ भयानक रस • परनिष्ठ भयानक रस भयानक रस के उदाहरण (Bhayanak Ras Ke Udaharan) अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों ...

करुण रस की परिभाषा और करुण रस का 7 उदाहरण » 2023

1.4. विडियो से सीखे करुण रस की परिभाषा करुण रस (Karun Ras) करुण शब्द का प्रयोग सहानुभूति एवं दया मिश्रित दुःख के भाव को प्रकट करने के लिये किया जाता है, अतः जब स्थायी भाव शोक विभाव अनुभव एवं संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर आस्वाद रूप धारण करता है तब इसकी परिणीति करुण रस कहलाती है। करुण रस की परिभाषा करुण रस की परिभाषा प्रिय व्यक्ति या मनचाही वस्तु के नष्ट होने या उसका कोई अनिष्ट होने पर हृदय शोक से भर जाए, तब ‘करुण रस’ की निष्पत्ति होती है। इसमें विभाव, अनुभाव व संचारी भावों के संयोग से शोक स्थायी भाव का संचार होता है। अगर कोई आपसे करुण रस की परिभाषा पूछे तो यह भी बता सकते हैं- “जब किसी प्रिय व्यक्ति या मनचाही वस्तु के नष्ट होने या उसका कोई अनिष्ट होने पर हृदय शोक से भर जाए, तब ‘करुण रस’ जाग्रत होता है। इसमें विभाव, अनुभाव व संचारी भावों के मेल से स्थायी भाव शोक का जन्म होता है।” करुण रस के अवयव • स्थाई भाव- शोक • आलंबन (विभाव) – विनष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु • उद्दीपन (विभाव) – आलम्बन का दाहकर्म, इष्ट के गुण तथा उससे सम्बंधित वस्तुए एवं इष्ट के चित्र का वर्णन • अनुभाव- भूमि पर गिरना, नि: श्वास, छाती पीटना, रुदन, प्रलाप, मूर्च्छा, दैवनिंदा, कम्प आदि • संचारी भाव- निर्वेद, मोह, अपस्मार, व्याधि, ग्लानि, स्मृति, श्रम, विषाद, जड़ता, दैन्य, उन्माद आदि करुण रस का उदाहरण उदाहरण 1- ” अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ। खुले भी न थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल॥ हाय रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगार। वातहत लतिका यह सुकुमार, पड़ी है छिन्नाधार! ” उदाहरण 2- ” हा! वृद्धा के अतुल धन हा! वृद्धता के सहारे! हा! प्राणों के परम प्रिय हा! एक मेरे दुलारे! ” यह भ...

Bhayanak Ras in Hindi

Bhayanak Ras in Hindi : प्रिय पाठको ! हमारे इस नये आर्टिकल में आपका स्वागत है, इस आर्टिकल में भयानक रसकी परिभाषा के साथ-साथ भयानक रस के उदाहरण भी दिए गए है जिसका अध्ययन कर आप प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त कर पाएंगे। तो चलिए विस्तार से भयानक रस की परिभाषा पढ़ते हैं- भयानक रस की परिभाषा (Bhayanak Ras Ki Paribhasha) Bhayanak Ras in Hindi भयानक रस (Bhayanak Ras): भयानक रस हिन्दी काव्य में मान्य नौ रसों में से एक है।इसका स्थायी भाव भयहोता है जब किसी भयानक या दुष्ट व्यक्ति या वस्तु को देखने या वर्णन करने या किसी बुरी घटना को याद करने से मन में उत्पन्न होने वाली व्याकुलता भय कहलाती है। इसके अंतर्गत कंपकंपी, पसीना आना, मुंह का सूखना, घबराहट आदि की भावना उत्पन्न होती है। ‘सुनि कवित्त में व्यंगि भय जब ही परगट होय। तहीं भयानक रस बरनि कहै सबै कवि लोय’। रोजाना करंट अफेयर्स का अपडेट पाने केलिए लिंक नीचे दिए गए है- Daily Current Affairs in Hindi Link करंट अफेयर्स क्विज़ इन हिंदी Click Here वन लाइनर करंट अफेयर्स Click Here भयानक रस के अवयव (उपकरण) • स्थाई भाव– भय । • आलंबन (विभाव)– बाघ, चोर, सर्प, शून्य स्थान, भयंकर वस्तु का दर्शन आदि। • उद्दीपन (विभाव)– भयानक वस्तु का स्वर, भयंकर स्वर आदि का डरावनापन एवं भयंकर छेष्टाएँ। • अनुभाव– कंपन, पसीना छूटना, मूह सूखना, चिंता होना, रोमांच, मूर्च्छा, पलायन, रुदन आदि । • संचारी भाव– दैन्य, सम्भ्रम, चिंता, सम्मोह, त्रास आदि । Free Job Alert 2023:योग्य उम्मीदवारों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कई भर्ती अधिसूचनाएं भयानक रस के उदाहरण (Bhayanak Ras Ka Udaharan) Bhayanak Ras Ka Easy Example 1.एक ओर अजगरहि लखी, एक ओर मृगराय. बिकल बटोही बी...

Bhayanak Ras (भयानक रस: परिभाषा भेद और उदाहरण)

Bhayanak ras Bhayanak Ras/ भयानक रस: परिभाषा, भाव, आलम्बन, उद्दीपन, और उदाहरण / Bhayanak Ras: Definition and Example in Hindi Important Topics: भयानक रस की परिभाषा (Definition of Bhayanak Ras in Hindi) जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे सम्बंधित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में व्याकुलता और भय उत्पन्न होता है, उसे भयानक रस कहते हैं. इसका स्थायी भाव भय है. दूसरे शब्दों में कहें तो जब भय उत्पन्न करने वाले विषयों का वर्णन हो तो वहाँ भयानक रस होता है. भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर भयानक रस का निर्माण करता है। स्थायी भाव: आवेग, दैन्य, शंका, मृत्यु, मोह, त्रास, मूर्छा, उन्माद आलम्बन: भीषण दृश्य जिसको देख कर डर लगे उद्दीपन: आलम्बन की भयंकरता अनुभाव: कंपकंपी होना, चेहरे का रंग उड़ जाना, हाथ–पांव कांपना, नेत्र विकराल होना, भागना, स्वेद, उंगली काटना, जड़ता, स्तब्धता, रोमांच, घिघि बंध जाना, मूर्छा, चित्रकार, स्वेद, विवरण, सहायता के लिए इधर-उधर देखना, शरण ढूंढना, दैन्य प्रकाशन, रुदन आदि। भयानक रस के भेद (Types of Bhayanak ras in Hindi) भानदत्त ने रसतरंगिणी में भयानक रस के दो भेद बताएं हैं: • स्वनिष्ठ भयानक रस (Svanishth Bhayanak Ras) • परनिष्ठ भयानक रस (Parnishth Bhayanak Ras) स्वनिष्ठ भयानक रस: स्वनिष्ठ भयानक रस वहाँ होता है, जहाँ भय का आलंबन स्वयं आश्रय में रहता है उदाहरण: ‘कर्तव्य अपना इस समय होता न मुझको ज्ञात है। कुरुराज चिन्ताग्रस्त मेरा जल रहा सब गात है।’ अतएव मुझको अभय देकर आप रक्षित कीजिए। या पार्थ-प्रण करने विफल अन्यत्...

रौद्र रस की परिभाषा भेद प्रकार और उदाहरण। Raudra ras in Hindi

प्रस्तुत लेख में रौद्र रस के संपूर्ण आयामों को विस्तार से लिखा गया है। यहां रौद्र रस की परिभाषा और भेद ,उदाहरण, आलम्बन, उद्दीपन, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव सहित लिखे गए हैं। यह लेख विद्यालय, विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस लेख में निहित जानकारी आपके ज्ञान अथवा रुचि का निश्चित ही विकास करेगा। रौद्र रस तथा अन्य रस की भिन्नता को भी आप समझ सकेंगे। यह लेख इस प्रकार से तैयार किया गया है इसके अध्ययन के उपरांत आप लंबे समय तक इस रस से परिचित रहेंगे।आशा है यह लेख आपके ज्ञान के विकास को बढ़ा कर अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करे – Raudra Ras (रौद्र रस) परिभाषा :- सहृदय में विद्यमान क्रोध रस नामक स्थायी भाव अपने अनुरूप विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के सहयोग से जब अभिव्यक्त होकर अस्वाद का रूप धारण कर लेता है, तब उसे रौद्र रस कहा जाता है। यही कारण है कि कुछ विद्वान रौद्र रस के स्थायी भाव क्रोध को उदात भाव ना मानकर वीभत्स, भयंकर रस की भांति माना है। ऐसा करते समय वह रौद्र रस की सूक्ष्म बारीकियों की अवहेलना करते हैं।रौद्र रस प्रमुख ग्यारह रसों में से एक है।इस रस के साहित्य बेहद ही कम देखने को मिलते हैं। इस रस के विषय में साहित्यकारों में काफी मतभेद है – डॉ आनंद प्रकाश दीक्षित का कथन है –रौद्र रस में क्रोध सात्विक रूप में प्रकट नहीं होता। क्रोध अनुदारता का पक्षपाती है और अन्याय गुणों का सर्वथा ग्राहक। क्रोध में मनुष्य बावला हो जाता है, किंतु उत्साह में विवेक का त्याग नहीं करता। प्रचलित तौर पर रौद्र रस के स्थायी भाव क्रोध को, वीर रस के समान मानना ठीक नहीं रहेगा। वीर रस में जहां शत्रुओं का मर्दन किया जाता है। वही रौद्र रस में व्यक्ति क्षणिक क्रोध के...

वीर रस

Veer Ras – Veer Ras Ki Paribhasha वीर रस: वीर रस का स्थाई भाव उत्साहहै। श्रृंगार के साथ स्पर्धा करने वाला वीर रस है। श्रृंगार, रौद्र तथा वीभत्स के साथ वीर को भी भरत मुनि ने मूल रसों में परिगणित किया है। वीर रस से ही अदभुत रस की उत्पत्ति बतलाई गई है। वीर रस का ‘वर्ण’‘स्वर्ण’ अथवा ‘गौर’ तथा देवता इन्द्र कहे गये हैं। यह उत्तम प्रकृति वालो से सम्बद्ध है तथा इसका स्थायी भाव ‘उत्साह’ है – ‘अथ वीरो नाम उत्तमप्रकृतिरुत्साहत्मक:’। भानुदत्त के अनुसार, पूर्णतया परिस्फुट ‘उत्साह’ अथवा सम्पूर्ण इन्द्रियों का प्रहर्ष या उत्फुल्लता वीर रस है – ‘परिपूर्ण उत्साह: सर्वेन्द्रियाणां प्रहर्षो वा वीर:।’ “शत्रु के उत्कर्ष को मिटाने, दीनों की दुर्दशा देख उनका उद्धार करने और धर्म का उद्धार करने आदि में जो उत्साह मन में उमड़ता है वही वीर रस होता है वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है। जिसकी पुष्टि होने पर वीर रस की सिद्धि होती है।” आचार्य सोमनाथ के अनुसार वीर रस की परिभाषा:- ‘जब कवित्त में सुनत ही व्यंग्य होय उत्साह। तहाँ वीर रस समझियो चौबिधि के कविनाह।’ वीर रस की पहिचान: सामान्यतय रौद्र एवं वीर रसों की पहचान में कठिनाई होती है। इसका कारण यह है कि दोनों के उपादान बहुधा एक – दूसरे से मिलते-जुलते हैं। दोनों के आलम्बन शत्रु तथा उद्दीपन उनकी चेष्टाएँ हैं। दोनों के व्यभिचारियों तथा अनुभावों में भी सादृश्य हैं। कभी-कभी रौद्रता में वीरत्व तथा वीरता में रौद्रवत का आभास मिलता है। इन कारणों से कुछ विद्वान रौद्र का अन्तर्भाव वीर में और कुछ वीर का अन्तर्भाव रौद्र में करने के अनुमोदक हैं, लेकिन रौद्र रस के स्थायी भाव क्रोध तथा वीर रस के स्थायी भाव उत्साह में अन्तर स्पष्ट है। वीर रस के अवयव : • वीर रस का स्थाई भाव: उत...

Bhayanak Ras

Learn Bhayanak Ras – भयानक रस परिभाषा भयानक उदाहरण- “एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।।” यहाँ पथिक के एक ओर अजगर और दूसरी ओर सिंह की उपस्थिति से वह भय के मारे मूर्छित हो गया है। यहाँ भय स्थायी भाव, यात्री आश्रय, अजगर और सिंह आलम्बन, अजगर और सिंह की भयावह आकृतियाँ और उनकी चेष्टाएँ उद्दीपन, यात्री को मूर्छा आना अनुभाव और आवेग, निर्वेद, दैन्य, शंका, व्याधि, त्रास, अपस्मार आदि संचारी भाव हैं, अत: यहाँ भयानक रस है। Filed Under: