भगत सिंह cast

  1. भगत सिंह
  2. Last Letter Of Bhagat Singh Before Die
  3. भगत सिंह के बारे में क्या सोचते थे महात्मा गांधी, फांसी के बाद लिखे इस लेख से समझिए
  4. भगत सिंह की जीवनी हिंदी में
  5. भगत सिंहः शहीदों का 'सरदार' ऐसा भारत चाहता था, जो न्याय, शांति और सद्भाव पर आधारित हो
  6. शहीद भगत सिंह की जीवनी
  7. Bhagat Singh in Hindi


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भगत सिंह

“ वह भारत के युवाओं की वीरता के प्रतीक थे। एक कान्तिकारी, जिसने ब्रिटिश सरकार को चेतावनी देने के लिये विधानमंडल के सत्र के दौरान बम फेंक दिया। उन्हें मार दिया गया पर वह देशवासियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगें। ” -ईश्वरचन्द्र भगत सिंह एक ऐसा नाम जिसे किसी भी परिचय की आवश्यकता ही नहीं है। इस क्रान्तिकारी युवा के नाम से भारत की हर एक पीढ़ी अवगत है। जिनके महान कार्यों से आज भी भारत के नौ जवान प्रेरित होते हैं और उनकी प्रेरणा के आधार पर कार्य करते है। भगत सिंह एक महान क्रान्तिकारी थे, जिनका नाम सुनते ही अंग्रेज अधिकारियों के पसीने छूट जाते थे। भारत माँ के वीर सपूत जिन्होंने हँसते-हँसते भारत माँ की आजादी के लिये अपने प्राणों की कुर्बानी दे दी। इन्होंने अपने जीते जी अंग्रेज अधिकारियों की नाक में दम कर रखा था। वो ईंट का जबाव पत्थर से देने के सिद्धान्त को मानते थे और उसका पालन भी करते थे। भगत सिंह (28 सितम्बर 1907 – 23 मार्च 1931) मुख्य तथ्यः– जन्मः– 28 सितम्बर 1907 जन्म स्थानः– गाँव–बावली,जिला–लायलपुर,पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान में) माता-पिताः– सरदार किसान सिंह साधु (पिता) व विद्यावती (माता) भाईः– जगत सिंह, कुलवीर सिंह, कुलतार सिंह, राजेन्द्र सिंह, रनवीर सिंह बहनः– बीबी अमर कौर, बीबी शकुन्तला, बीबी प्रकाश कौर शिक्षाः– नेशनल कॉलेज लाहौर, दयानन्द अंग्लो-वैदिक स्कूल प्रमुख संगठनः– नौजवान भारत सभा, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशियेशन, अभिनव भारत उपलब्धियाँ:– भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलनों को नयी दिशा दी, पंजाब में क्रान्तिकारी संदेश फैलाने के लिये नौजवान भारत सभा (मार्च,1926) की स्थापना, भारत को गणराज्य बनाने के लिये चन्द्रशेखर आजाद के साथ हिन्दूस्तान समाजवादी प्रजातंत्र स...

Last Letter Of Bhagat Singh Before Die

नई दिल्ली: देश के लिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने हंसते हंसते फांसी को गले लगा लिया था. जिस दिन उन्हें फांसी दी गई थी उस दिन वो मुस्कुरा रहे थे. मौत से पहले इन देशभक्तों ने गले लगकर भगवान से इसी देश में पैदा करने की गुजारिश की थी, ताकी इस मिट्टी की सेवा ये करते रहें. जिस दिन भगत सिंह और बाकी शहीदों को फांसी दी गई थी, उस दिन लाहौर जेल में बंद सभी कैदियों की आंखें नम हो गईं. यहां तक कि जेल के कर्मचारी और अधिकारी के भी हाथ कांप गए थे धरती के इस लाल के गले में फांसी का फंदा डालने में. जेल के नियम के मुताबिक फांसी से पहले तीनों देश भक्तों को नहलाया गया था. फिर इन्हें नए कपड़े पहनाकर जल्लाद के सामने किया गया. जिसने इनका वजन लिया. मजे की बात ये कि फांसी की सजा के एलान के बाद भगत सिंह का वजन बढ़ गया था. 28 सितंबर 1907 को जन्में इस क्रांतिकरी की जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भगत सिंह के आखिरी खत के बारे में जो उन्होंने फांसी के ठीक एक दिन पहले लिखा था. सच तो ये है कि भगत सिंह 23 मार्च 1931 की उस शाम के लिए लंबे अरसे से बेसब्र थे. एक दिन पहले यानी 22 मार्च 1931 को अपने आखिरी पत्र में भगत सिंह ने इस बात का ज़िक्र भी किया था. भगत सिंह ने खत में लिखा, ‘साथियों स्वाभाविक है जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए. मैं इसे छिपाना नहीं चाहता हूं, लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैंद होकर या पाबंद होकर न रहूं. मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है. क्रांतिकारी दलों के आदर्शों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है, इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में मैं इससे ऊंचा नहीं हो सकता था. मेरे हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने की सूरत में दे...

भगत सिंह के बारे में क्या सोचते थे महात्मा गांधी, फांसी के बाद लिखे इस लेख से समझिए

23 मार्च यानी आज ही के दिन क्रांतिकारी भगत सिंह (Bhagat Singh), सुखदेव और राजगुरु को फांसी लगा दी गई थी. ब्रिटिश शासन से आजादी पाने के लिए देश के स्वतंत्रता सेनानियों (Freedom Fighters Of India) ने अलग अलग तरीके से इस लड़ाई में अपना योगदान दिया था. (Mahatma Gandhi) और भगत सिंह को लेकर कई तरह की कहानियां कही जाती हैं. सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली कहानियों में कहा जाता है कि महात्मा गांधी, भगत सिंह को पसंद नहीं करते थे. तो आज हम आपको महात्मा गांधी के एक लेख के जरिए आपको बताने की कोशिश करते हैं कि आखिर महात्मा गांधी, भगत सिंह को लेकर क्या सोचते थे. साथ ही भगत सिंह के आजादी पाने के तरीके को लेकर महात्मा गांधी का क्या कहना था. बता दें कि महात्मा गांधी ने भगत सिंह के शहीद होने के बाद एक लेख लिखा था. इस लेख की जानकारी राष्ट्रीय अभिलेखागार की ओर से प्रकाशित ‘अभ्युदय के भगत सिंह विशेषांक व अन्य अंकों पर आधारित’ किताब में दी गई है. इस लेख में महात्मा गांधी ने भगत सिंह के बारे में अपने विचार रखे हैं. ऐसे में जानते हैं कि उन्होंने अपने लेख में क्या लिखा था. महात्मा गांधी ने भगत सिंह के लिए क्या लिखा? ”यद्यपि मैंने उसे लाहौर में कई बार विद्यार्थी रूप में देखा होगा, मुझे अब उसकी शक्ल याद नहीं. परंतु यह मेरा सौभाग्य था कि मैंने पिछले महीनों में भगतसिंह की देशभक्ति, उसके साहस और भारतीय मानव समाज के लिए उसके प्रेम की कहानियां सुनी थीं. मैंने उसके संबंध में जो कुछ सुना था, मैं समझता हूं उसका साहस अतुलनीय था. उनके गुणों के कारण हम इस बात को भूल जाते हैं कि उन्होंने अपने साहस का दुरुपयोग किया. ऐसे युवक और उसके साथियों की फांसी ने उनके सिर पर शहादत का ताज रख दिया है. हजारों लोग आज उनकी मृत्य...

भगत सिंह की जीवनी हिंदी में

नमस्कार भगत सिंह की जीवनी हिंदी में Biography of Bhagat Singh in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का आर्टिकल शहीद भगतसिंह जी के जीवन परिचय जीवनी इतिहास उनके बारे में दिया गया हैं. इस लेख में हम उनके जीवन स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका आदि को जानेगे. भगत सिंह की जीवनी Biography of Bhagat Singh in Hindi आजादी के पूर्व अंग्रेजी हुकुमत के अत्याचार को सीधी चुनौती देकर ब्रिटिश सम्राज्य के अंत की नीव रखने वाले भगत सिंह आज भी करोड़ो भारतीयों के आदर्श हीरो हैं. देशभक्ति की कहानियों में गांधी, नेहरु और बोस जैसे नेताओं की जीवनी और स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान की कहानियां पढ़ने को मिलती हैं. भगत सिंह उनमे से ऐसे देशभक्त नौजवान देशभक्त थे, जिन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में ही राष्ट्र की वेदी पर कुर्बान कर दिया था. अपने वतन से प्रेम करने वाले देशभक्त हमेशा देश के लिए कुछ कर गुजरने की बात हमेशा अपने दिल में रखते है, उन्हें अपने इस कार्य में जान से भी इतना प्यार नही होता जितना कि वतन से. भारत का स्वतंत्रता संग्राम इस तरह के वीरों की कहानियों से अटा पड़ा है, उन्ही में से एक ऐसें देशभक्त थे, सरदार भगत सिंह. युवा दिलों की धडकन शहीद भगत सिंह जैसे वीरों ने सोये पड़े दिलों में देशभक्ति जोश भरकर भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भगत सिंह की जीवनी में एक नजर उनके आदर्श व्यक्तित्व पर. Telegram Group दो सौ वर्षों से स्थापित अंग्रेजी हुकुमत के अंत का बिगुल बजाने वाले सरदार भगत सिंह को आदर्श मानने वालों की संख्या आज करोड़ो में है. भगत सिंह अपने समय के बेहद लोकप्रिय युवा देशभक्त थे, इनके बारे में किसी ने ठीक ही कहा है ” यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी, कि भगत सिंह...

भगत सिंहः शहीदों का 'सरदार' ऐसा भारत चाहता था, जो न्याय, शांति और सद्भाव पर आधारित हो

आज से लगभग 90 साल पहले महान क्रांतिकारी भगत सिंह को ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। वे देश के महानतम क्रांतिकारियों में से एक थे और समाजवाद, भारत की स्वतंत्रता और औपनिवेशिक ताकतों की खिलाफत के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध थे। उनका जीवन ऐसे सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है जो न्याय, शांति और सद्भाव पर आधारित समाज का निर्माण चाहते हैं। किस तरह एक 23 साल के युवा ने देश की स्वाधीनता के लिए अपनी जान दे दी और किस तरह इतनी कम आयु में भी उन्होंने अत्यंत गंभीर और विद्वतापूर्ण वैचारिक लेखन किया, इस बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है। जो लोग भगत सिंह के मिशन और उनकी विचारधारा के पूरी तरह खिलाफ हैं वे उनके आसपास कई तरह के विवाद गढ़ रहे हैं। फिर कई ऐसी शक्तियां हैं जो उनकी सोच को नकारते हुए भी अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए उनके नाम का उपयोग कर रही हैं। भगत सिंह ने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की सदस्यता ली और उसके नाम में सोशलिज्म (समाजवाद) शब्द को शामिल करने के लिए लंबा संघर्ष किया। उन्होंने एक योजना के अंतर्गत सांडर्स की हत्या की क्योंकि उन्हें लगा कि साईमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लाला लाजपत राय की पुलिस कार्यवाही में मौत देश का अपमान है। उन्होंने और उनके साथियों ने इस अपमान का बदला लेने की ठानी। इसके अलावा उन्होंने असेम्बली में बम भी फेंका। इसका उद्देश्य किसी को मारना नहीं बल्कि भगत सिंह के स्वयं के शब्दों में, ‘बहरों को सुनाना' था। चूंकि उनकी आवाज आम जनता तक नहीं पहुंच रही थी इसलिए वे अदालत में अपना विस्तृत बयान देने का अवसर चाहते थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि उसे समाचारपत्र विस्तार से प्रकाशित करेंगे और इस तरह उनकी बात आमजनों तक पह...

शहीद भगत सिंह की जीवनी

विषय सूची • • • • • • • • भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन भगत सिंह, शायद ही कोई इस नाम से वाकिफ़ न हो, हालांकि भारत की स्वाधीनता में बहुत लोगों ने अपना योगदान दिया किन्तु भगत सिंह का जोश एवं जज्बा उन्हें कई लोगों से पृथक करता है। भगत सिंह (Biography of Bhagat Singh in Hindi) का जन्म 27 सितंबर 1907 को पश्चिमी पंजाब के लायलपुर में हुआ, जो वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है। उनके पिता सरदार किशन सिंह तथा माता विद्यावती कौर थी। पिता पेशे से कृषक थे जबकि माता गृहिणी थी। भगत सिंह को देशभक्ति की प्रेरणा अपने परिवार से ही मिली उनका परिवार राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित था और स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों में शामिल रहा था। भगत सिंह के पिता महात्मा गाँधी की विचारधारा को मानते थे, उनके जन्म के समय तक वे स्वयं राजनीतिक आंदोलन के चलते जेल में थे। किशन सिंह के चार पुत्र थे जिनमें सबसे बड़े पुत्र जगतसिंह की 11 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। बड़े भाई की मृत्यु के बाद बड़े बेटे की जिम्मेदारी भगत सिंह के कंधों पर आ गई। भगत सिंह के दो अन्य छोटे भाई कुलतार सिंह और कुलवीर सिंह थे। भगत सिंह की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की जो आर्य समाज द्वारा संचालित था इसके पश्चात आगे की पढ़ाई उन्होंने नेशनल कॉलेज से की। भगत सिंह के प्रारंभिक जीवन में देश की स्थिति भगत सिंह के बाल्यकाल में देश में स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था। 1905 से 1915 का दौर क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के पहले चरण के रूप में जाना जाता है। इस दौर की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं में मुस्लिम लीग की स्थापना, कॉंग्रेस का दो गुटों में विभाजन, मार्ले-मिंटो सुधार आदि शामिल है। एक घटना जिसका भगत सिंह (Biograp...

Bhagat Singh in Hindi

नौजवान भारत सभा, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन Shaheed Bhagat Singh Biography in Hindi भागत सिंह जी के बारे में बात करे तो भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। सरदार भगत सिंह का नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप में लिया जाता है। उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलाँ है जो पंजाब, भारत में है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह सिन्धु और माता का नाम श्रीमती विद्यावती जी था। भारत के सबसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद भगत सिंह भारत देश की महान ताकत है जिन्होंने हमें अपने देश पर मर मिटने की ताकत दी है और देश प्रेम क्या है ये बताया है। भगत सिंह जी को कभी भुलाया नहीं जा सकता उनके द्वारा किये गए त्याग को कोई माप नहीं सकता। उन्होंने अपनी मात्र 23 साल की उम्र में ही अपने देश के लिए अपने प्राण व अपना परिवार व अपनी युवावस्था की खुशियाँ न्योछावर कर दी ताकि आज हम लोग चैन से जी सके। भारत की आजादी की लड़ाई के समय, भगत सिंह का जीवन परिचय सिख परिवार में जन्मे और सिख समुदाय का सीर गर्व से उंचा कर दिया। भगत सिंह जी ने बचपन से ही अंग्रेजों के अत्याचार देखे थे, और उसी अत्याचार को देखते हुए उन्होने हम भारतीय लोगों के लिए इतना कर दिया की आज उनका नाम सुनहरे पन्नों में है। उनका कहना था कि देश के जवान देश के लिए कुछ भी कर सकते है, देश का हुलिया बदल सकते है और देश को आजाद भी करा सकते है। भगत जी का जीवन ही संघर्ष से परिपूर्ण था। Bhagat Singh History in Hindi भगत सिंह जी सिख थे और भगत सिंह जी के जन्म के समय उनके पिता सरदार किशन सिंह जी जेल में थे, भगत जी के घर का माहौल देश प्रेमी था, उनके चाचा जी श्री अजित सिंह जी स्वतंत्रता सेनानी थे और उन...