भगत सिंह की उम्र कितनी थी

  1. Bhagat Singh Jayanti 2022 : These Are 5 Bhagat Singh Life Facts
  2. 91 years of Martyrs bhagat Singh hangs, know his biography and legacy of 23 march through pictures
  3. भगत सिंह जी की जीवनी
  4. Bhagat Singh Biography: पढ़िए भगत सिंह की जीवनी और क्यों मनाया जाता है 23 मार्च को शहीदी दिवस


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Bhagat Singh Jayanti 2022 : These Are 5 Bhagat Singh Life Facts

Bhagat Singh jayanti 2022 : आज देश शहीद भगत सिंह की जयंती मना रहा है. आज भगत सिंह की 115वीं जयंती है. केवल 23 साल की उम्र में देश के लिए जान दे देने वाले भगत सिंह हर नौजवान भारतीय के प्रेरणा स्त्रोत हैं, उन्होंने अपने देश की आजादी के लिए लोगों में ऐसा जोश भरा की अंग्रेजी हुकुमत की जड़े हिल गई. ऐसे में आज उनकी जयंतीपर चलिए जानते हैं उनके 23 साल के जीवन कीमहत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जो लोगों के अंदर देशभक्ति के जुनून को पैदा करती हैं. इस लेख में आपको उनसे जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें बताएंगे. भगत सिंह से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें - भगत सिंह के माता पिता उनकी शादी कराना चाहते थे, लेकिन भगत विवाह खिलाफ थे. उनका कहना था कि अगर मेरा विवाह गुलाम भारत में हुआ, तो मेरी वधु केवल मृत्यु होगी". - आपको बता दें कि भगत सिंह ने लाला राजपत राय की मौत का बदला लेने के लिएलाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची थी, लेकिन उसकी सही पहचान ना कर पाने के कारण उन्होंने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी. - भगत सिंह सिख धर्म से थे. जिसमें पगड़ी और दाढ़ी रखना बहुत जरूरी होता है लेकिन उन्होंने अंग्रेजों की नजर से बचने के लिएकटवा दिए थे. जॉन सॉन्डर्स की हत्या के लगभग एकसाल बाद उन्होंने अपने सहयोगी बटुकेश्वर दत्त के साथ दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंके और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे. यहीं पर उनकी गिरफ्तारी भी हो गई थी. - भगत सिंह गिरफ्तारी के बाद जेल में भी देश की स्वतंत्रता को लेकर कैदियों को प्रेरित करते रहे जिसको लेकर अंग्रेजी हुकूमत परेशान हुई. उनके ऊपर जब केस चला तो उन्होंने कोई भी बचाव अपनी ओर से पेश नहीं किया था. इस दौरान भी वो लगातार आजादी को लेकर लोगो...

91 years of Martyrs bhagat Singh hangs, know his biography and legacy of 23 march through pictures

नई दिल्ली: भारत की आजादी का इतिहास भगत सिंह (Bhagat Singh) के बिना पूरा नहीं हो सकता. आजादी के लिए लड़ते हुए 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी दी गई थी. उनकी शहादत के 91 साल बाद भी भगत सिंह को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वो आज भी प्रासंगिक हैं. 23 मार्च को उनका शहीदी दिवस है. इस मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें. https://zeenews.india.com/hindi/india/photo-gallery-91-years-of-martyrs-bhagat-singh-hangs-know-his-biography-and-legacy-of-23-march-through-pictures/1130905 देश की आजादी को जिंदगी का मकसद बनाने वाले भगत सिंह 23 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे. भगत सिंह ने आजादी के सपने को पूरा होते हुए नहीं देखा. भारत आजाद होता उससे करीब 16 साल 4 महीने और 23 दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई. लेकिन भगत सिंह के सपनों का भारत कैसा हो इसके बारे में उन्होंने बहुत कुछ लिख दिया था. 91 साल पहले शहीद हो चुके नौजवान भगत सिंह के सपनों को भारत क्यों साकार नहीं कर पाया. ये सवाल भी प्रासंगिक बना हुआ है. भगत सिंह ने लाहौर जेल में फांसी से पहले जेलर के नाम एक पत्र लिखा था जिसमें लिखा था कि ये युद्ध तब तक चलता रहेगा, जब तक शक्तिशाली लोग भारत की जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर एकाधिकार जमाए रखेंगे, चाहे ऐसे लोग अंग्रेज पूंजीपति हों या अंग्रेज शासक अथवा कोई भारतीय ही क्यों न हों. दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में Hindustan Socialist Republican Association की स्थापना के समय भगत सिंह ने कहा था, 'हमारा लक्ष्य केवल भारत की आजादी नहीं है. आजादी का मतलब यह नहीं हो सकता कि अंग्रेज भारत छोड़कर चले जायें, बल्कि आजादी का मतलब है एक शोषण मुक्त ...

भगत सिंह जी की जीवनी

By Mar 29, 2023 Bhagat Singh Biography In Hindi: भगत सिंह को शहीद भगत सिंह के नाम से जाना जाता है। वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के प्रमुख क्रान्तिकारी थे। मात्र 23 वर्ष की आयु में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद भगत भारतीयों के दिलों में हमेशा अमर रहेंगे। उनके लिए क्रांति का अर्थ था अन्याय। भगत सिंह आधुनिक भारत के युवाओं के लिए आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं। अक्सर एक युवा आइकन या युवा क्रांतिकारी के रूप में संदर्भित, भगत सिंह ने देश की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। शहीद भगत सिंह ने जिस साहस के साथ देश की आजादी के लिए ताकतवर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वह आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हां, मैं यह भी कहता हूं कि मेरी भी महत्वाकांक्षाएं हैं और अच्छी जिंदगी जीने की उम्मीदें हैं, लेकिन समय की मांग के लिए मैं सब कुछ त्यागने के लिए तैयार हूं। यह सबसे बड़ा बलिदान है। यह कथन भगत सिंह के बलिदान की कहानी कहता है, भारत की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, शहीद भगत सिंह उनमें से एक थे, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर दिया, लेकिन सरदार भगत सिंह व्यक्तिगत रूप से आलोचक थे। भगत सिंह के बलिदान और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे जो देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे पर चढ़ गए। वही सुनामी अंग्रेजी शासन की तबाही का कारण बनी। शहीद भगत सिंह ने बचपन से ही अंग्रेजों को अपने आसपास भारतीयों पर अत्याचार करते देखा था। कम उम्र में ही उन्होंने ठान लिया था कि देश के लिए सब कुछ करेंगे। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, भगत सिंह में भी विचार और बुद्धि की एक अनूठी प्रतिभा थी, जिससे वे सां...

Bhagat Singh Biography: पढ़िए भगत सिंह की जीवनी और क्यों मनाया जाता है 23 मार्च को शहीदी दिवस

''सूर्य अपने लीक पर जब तक भी परिक्रमा करे उसे कभी भी हमारे देश से ज्यादा स्वतंत्र, सुखी, सुंदर और प्यारा देश पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं न मिले.'' अपने देश के बारे में ऐसी सोच रखने वाले ''वीर क्रांतिकारी भगत सिंह'' का नाम और स्थान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित है. वह एक बहादुर क्रांतिकारी नेता थे जिन्हें अंग्रेजों ने फाँसी पर लटका कर मार डाला था. 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर जेल में फाँसी पर लटका दिया गया था. इन्हीं क्रांतिकारियों के सम्मान में आज के दिन यानि 23 मार्च को 'शहीद दिवस' या 'सर्वोदय दिवस' के रूप में मनाया जाता है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. March Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW भगत सिंह के बारे में - भगत सिंह का जन्म 26 सितंबर सन 1907 ईस्वी को पंजाब के जालंधर दोआब जिले में (वर्तमान पाकिस्तान) के लायलपुर में एक सिख परिवार में हुआ था. वे बहुत हीं कम उम्र में हीं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ओर आकर्षित हो गए थे. वे जब छोटी उम्र के हीं थे तभी उन्होंने ब्रिटिशों द्वारा अनुशंसित पाठ्यपुस्तकों को जलाकर ब्रिटिश सरकार की अवहेलना की थी. प्रारंभ में, उन्होंने महात्मा गांधी और असहयोग आंदोलन का समर्थन किया था. परन्तु जब गांधी ने चौरी चौरा की घटना के मद्देनजर आंदोलन वापस ले लिया था, तो भगत सिंह ने क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की ओर अपना रुख कर लिया था. भगत सिंह विशेष रूप से जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) और ननकाना साहिब (1921) में निहत्थे अकाली प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा ...