भगत सिंह को फांसी क्यों दी गयी

  1. भगत सिंह को एक दिन पहले फांसी क्यों दी गयी
  2. आखिर क्यों दी गयी थी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी?
  3. shaheed bhagat singh hanging and mahatma gandhi
  4. भगत सिंह कौन थे / भगत सिंह को फांसी क्यों दी


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भगत सिंह को एक दिन पहले फांसी क्यों दी गयी

आज शहीदे आजम १. अंग्रेज सरकार भगत सिंह से डर गयी थी इसका कारन बिलकुल स्पष्ट है चारों तरफ भगत सिंह जिंदाबाद के नारे लग रहे थे यदि अंग्रेज उनको २४ मार्च १९३१ को फांसी देती तो तो उनके शव को नगर में घुमाया जाता व भारत की सारी जनता आ जाती २ लाख अंग्रेजी सर्कार से २ करोड़ के ऊपर भारत वासियों का विद्रोह नहीं सेहन हो सकता था व देश २४ मार्च १९३१ को ही आजाद हो जाता | इसलिए एक दिन पहले ही उनको फांसी दे कर उनके टुकड़े टुकड़े कर के फिरोजपुर में सतलुज में डुबाने की साजिश की ताकि इस शहीदी क्रांति को दबाया जा सके २. भगत सिंह बे गुनाह था क्योकि ८ अप्रैल 1929 में नकली बम्ब था 1928 सांडर्स को मारा क्योकि वो मरीतियु दंड का हक दार था क्योकि उसे लाठी द्वारा लाला जी को मारा था ३. भगत सिंह की रिहाई की मांग बढ़ रही थी 8 साल में उन्होंने क्रन्तिकारी करतार सिंह सराबा की शाहदत देखि १२ साल में उन्होंने १९१९ में २००० क्रांतिवीरो की शाहदत देखि अब वः आग का गोला बन गया था यदि वह रहा हो गया तो अंग्रेज सरकार जानती थी के ऐसे लाखों और भी आग के गोले बनेगे जिसे संभालना मुश्किल है १८५७ का स्वातंत्र्य समर,1,by Authors,1,Gurudutt's Books,1,आध्यात्मिक,2,आध्यात्मिक पुस्तकें,1,आनंद स्वामी की किताबें,2,आर्य समाज की किताबों,2,ई-पुस्तकें,8,ईबुक,1,उपन्यास,1,ऐतिहासिक,1,किताबें,1,क्रांतिकारियों की जीवनी,1,क्रांतिकारी,2,गुरुदत्त जी की किताबें,2,गौ माता,3,ग्वालियर का इतिहास,1,घरेलू उपकरण,1,चन्द्रशेखर आज़ाद,1,जीवनियों के चलचित्र,1,डेल कार्नेगी,1,देश भक्ति की किताबों,1,देश भगतों की जीवनी,3,देशभक्ति की किताबें,2,पुस्तकें,6,प्राकृतिक चिकित्सा उत्पाद,1,बागवानी उत्पाद,1,भारत का सच्चा इतिहास,14,भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम,1,महाराणा प्रत...

आखिर क्यों दी गयी थी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी?

• • • 1480 • समयसीमा 157 • शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक 16 • जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक 3 • सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व 11 • ठहरावः 2000 ईसापूर्व से 600 ईसापूर्व तक 4 • धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक 11 • छोटे राज्य 300 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक 3 • मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक 3 • मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक 21 • उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक 53 • आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक 32 • मानव व उनकी इन्द्रियाँ 753 • ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि 61 • ध्वनि 2- भाषायें 62 • गंध- ख़ुशबू व इत्र 15 • स्पर्शः रचना व कपड़े 38 • स्वाद- खाद्य का इतिहास 65 • द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना 30 • द्रिश्य 2- अभिनय कला 54 • द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य 87 • विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान) 199 • विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा 142 • मानव व उसके आविष्कार 570 • म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण 18 • हथियार व खिलौने 48 • य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला 51 • संचार एवं संचार यन्त्र 54 • घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ 15 • वास्तुकला 1 वाह्य भवन 73 • वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली 29 • नगरीकरण- शहर व शक्ति 174 • सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी) 44 • सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान 64 • 575 • भूगोल 184 • पर्वत, चोटी व पठार 12 • मरुस्थल 6 • नदियाँ 18 • समुद्र 20 • समुद्री संसाधन 9 • जंगल 17 • भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर) 30 • खनिज 20 • खदान 6 • जलवायु व ऋतु 46 • जीव-जंतु 240 • शारीरिक 20 • व्यवहारिक 33 • निवास स्थान 10 • कोशिका के आधार पर 7 • डीएनए 10 • स्तनधारी 47 • पंछीयाँ 46 • तितलियाँ व कीड़े 25 • ...

shaheed bhagat singh hanging and mahatma gandhi

लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी के फंदे पर भगतसिंह सहित तीन नौजवान 23 मार्च 1931 की शाम को हंसते-हंसते झूल गये और कुछ देर थरथराने के बाद शांत हो गए। कई बार लगता है कि इन तीन की तुलना में हम करोड़ों लोग कितने बौने हैं! आज पाकिस्तान के लाहौर में सेंट्रल जेल में भगतसिंह नहीं हैं! वहाँ एक बड़ा सा मॉल बन गया है और एक बड़ी सड़क बन गयी है जिस पर रात दिन गाड़ियाँ दौड़ती रहती हैं। आज अगर ये तीन सपूत बोल सकते और वे हमसे पूछते कि ‘हम भारत के लिए शहीद हुए या पाकिस्तान के लिए’, तो इस प्रश्न का न आपके पास कोई जबाव है न मेरे पास। इतिहास लाहौर से चला और क़रीब 17 साल बाद 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस पहुँच गया। यहाँ एक 78 साल के बूढ़े आदमी को प्रार्थना के समय जाते हुए सामने से आकर कोई गोली मारता है। दिल्ली के बिड़ला हाउस में आज गांधी नहीं हैं। वहां गांधी की यादें रह गयी हैं। शाहिर लुधियानवी से माफी मांगते हुए यह पक्तियां प्रस्तुत हैं- 'ये जश्न मुबारक हो फिर भी यह सदाकत है, हम लोग हकीकत के अहसास से तारी हैं। गांधी हों या भगतसिंह इतिहास की नज़रों में हम दोनों के क़ातिल और दोनों के पुजारी हैं।' गांधी और भगतसिंह दोनों भारत की स्वाधीनता के लिए लड़े और अंतिम सांस तक लड़े। भगतसिंह, गांधी के प्रति पूरा सम्मान प्रदर्शित करते हैं। भगतसिंह खुद स्वीकार करते थे कि क्रांति का मतलब बम और पिस्तौल नहीं है और इस तरह की पटाखेबाज़ी से क्रान्ति या बदलाव नहीं आ सकता। वह एक गम्भीर व्यक्तित्व वाले नौजवान थे जो चिंतन और विचार-विमर्श को अधिक महत्व देते थे। उन्होंने कहा भी कि जब वे महात्मा गांधी के अहिंसक तरीक़े का विरोध कर रहे हैं तो वे इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं कि उनको लगता है कि महात्मा गांधी एक अत्यंत असंभव आदर्श...

भगत सिंह कौन थे / भगत सिंह को फांसी क्यों दी

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