भगत सिंह ने कौन सी कसम खाई थी

  1. अमर शहीद भगत सिंह
  2. भगत सिंह ने बम कहां फेंका था? » Bhagat Singh Ne Bomb Kaha Fenkaa Tha
  3. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की अधजली लाश छोड़ भागे थे अंग्रेज, कहने के बावजूद नहीं थी गोली से उड़ाने की हिम्मत


Download: भगत सिंह ने कौन सी कसम खाई थी
Size: 51.38 MB

अमर शहीद भगत सिंह

भारतकेमहानस्वतंत्रतासेनानियोऔरक्रांतिकारियोंमेंभगतसिंहकानामसबसेपहलेआताहै।हमारेदेशकोअंग्रेजोंकेचंगुलसेछुड़ानेकेलिएभगतसिंहनेचंद्रशेखरआजादवअपनेअन्यमित्रोंकेसाथमिलकरजंगछेड़दीथी।भगतसिंहएकऐसेव्यक्तिथेजिन्होंनेभारतमाताकेलिएअपनेप्राणोंकीआहुतिहंसते-हंसतेदेदी। जबभगतसिंहकोफांसीदीजारहीथी, तबभीतीनोंदेशभक्त (राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह) देशभक्तिकेगीतहीगारहेथे।भगतसिंहनेहमारेदेशकोस्वतंत्रतादिलानेकेलिएकौन-कौनसेकार्यकिएहैंयहजाननेकेलिएउनकीजीवनीकोजरूरपढ़ें। भगतसिंहजीवनी भगतसिंहकोगर्मस्वभावकाव्यक्तिकहाजाताथा, इन्हेंब्रिटिशअसेंबलीमेंबमफेंकनेकेजुर्ममेंअपने 2 साथियोंसुखदेवऔरराजगुरुकेसाथ 31 मार्चकोतबकेपाकिस्तानकेलाहौरशहरकीजेलमेंबिनाकिसीव्यक्तिकोसूचनादिएहुएअंग्रेजीगवर्नमेंटनेफांसीपरलटकादिया। इनकाजन्मसन 1907 में 27 सितंबरकोहुआथा।भगतसिंहनेअपनीजिंदगीमेंजोकार्यकिएउनकेलिएभारतसदाउनकाऋणीरहेगाऔरजबजबदेशप्रेमकेलिएअपनीजाननिछावरकरनेवालेव्यक्तियोंकानामलियाजाएगा, तबतबउसमेंभगतसिंहकानामअवश्यरहेगा। भगतसिंहव्यक्तिगतजीवनपरिचय पूरानाम शहीदभगतसिंह जन्म 27 सितम्बर 1907 जन्मस्थान जरंवालातहसील, पंजाब माता-पिता विद्यावती, सरदारकिशनसिंहसिन्धु भाई-बहन रणवीर, कुलतार, राजिंदर, कुलबीर, जगत, प्रकाशकौर, अमरकौर, शकुंतलाकौर मृत्यु 23 मार्च 1931, लाहौर प्रसिद्धि शहीद-ए-आजम धर्म सिक्ख शहीदेआजमभगतसिंहकाप्रारंभिकजीवन एकपंजाबीसिखफैमिलीमेंसाल 1907 में 27 सितंबरकोउससमयकेपंजाबकेनवांशहरजिलेकेखटकरकलांगांवमेंभगतसिंहकाजन्महुआथा।जबभगतसिंहकाजन्महुआथा, तबशायदउनकीमाताकोभीनहींपताथाकि 1 दिनउनकायहबेटाआगेचलकरभारतदेशकेलिएकुर्बानहोजाएगाऔरइतिहासमेंइसकानामस्वर्णिमअक्षरोंमेंलिखाजाएगा। भगतसिंहकेपिताजीकानामसरदारकिशनसिंहथाऔरइनकीमाताजीकानामविद्यावतीथा।भगतसिंहअपने...

भगत सिंह ने बम कहां फेंका था? » Bhagat Singh Ne Bomb Kaha Fenkaa Tha

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। जैसे कि आपका सवाल है कि भगत सिंह ने बम कहां फेंका था तो यह एक तरह से बड़ा ही नाटकीय घटना था जब वह बम फेंके थे और उन्होंने एक शब्द में में इसका पहले आंसर बता देता हूं कि वह दिल्ली स्थित केंद्रीय विधानसभा में बम फेंका था हमें थोड़ी सी और चर्चा करता हूं कि 8 अप्रैल 1929 ईस्वी को केंद्रीय विधानसभा में घटित हुई थी यह घटना जिसमें भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त भी थे दोनों ने बम फेंका ही था और बम के साथ कुछ पर्चे भी फेंके थे और वह उस समय बम फेंके थे जिस समय सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक इनकी पब्लिक सेफ्टी बिल तथा व्यापार विभाग विधेयक ट्रेड डिस्प्यूट बिल पर बहस चल रही थी जब उन्होंने बम के साथ कुछ पर्चे फेंका था तो परिचय पर लिखा था कि बंबरों को सुनाने के लिए बमों की आवश्यकता है चोली में बम किसी को हानि पहुंचाने के लिए नहीं फेंका गया था वह व्यक्ति सबसे काफी दूर फेंका गया था सिर्फ उस पर पर्चा पर भी लिखा है था कि भरो को सुनाने के लिए बमों की आवश्यकता होता था जिसका आप जानते होंगे कि भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने वहां से भागने की भी कोशिश नहीं की और वहीं पर खड़ा होकर इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाया और उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दे दी ठीक है उसके बाद उनको जेल हो गई जेल में उनके साथ बहुत ही बुरा सुलूक किया गया तो उसके विरोध में उन लोगों ने भूख हड़ताल भी कर दी एक बात और याद रखने योग्य है कि इसमें एक क्रांतिकारी का नाम आता है जतिन दास क्वेश्चन पूछ लिया करता है कि भूख हड़ताल से किन की मृत्यु हुई थी तो जतिन दास नामक एक व्यक्ति थे जो कि लगातार 64 दिन तक भूख हड़ताल करते रहे भूख हड़ताल में रह...

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की अधजली लाश छोड़ भागे थे अंग्रेज, कहने के बावजूद नहीं थी गोली से उड़ाने की हिम्मत

भगत सिंह को फांसी लाहौर सेंट्रल जेल में हुई थी और उसके पहले उनकी गिरफ्तारी लाहौर से 400 किलोमीटर दूर दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में हुई थी। 93 साल पहले यहां ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ और ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ पर चर्चा हो रही थी। ट्रेड डिस्प्यूट बिल पहले ही पास हो चुका था, जिसके तहत मजदूरों की हड़तालों पर पाबंदी लगा दी गई। वहीं पब्लिक सेफ्टी बिल के जरिए ब्रिटिश हुकूमत संदिग्धों पर बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रख सकती थी। भगत और और बटुकेश्वर दत्त 8 अप्रैल 1929 की सुबह 11 बजे असेंबली में पहुंचे और करीब 12 बजे सदन की खाली जगह पर दो बम धमाके हुए भगत। भगत सिंह ने एक के बाद एक कई फायर भी किए। दिल्ली असेंबली में बम धमाके के बाद पर्चे उछाले गए थे, उस पर लिखा था कि बहरों को सुनने के लिए जोरदार धमाके की जरूरत होती है। भगत सिंह और बटुकेश्वर ने गिरफ्तारी दे दी, जो पहले से तय थी। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने लालजी की हत्या का बदला लेने की कसम खाई थी और जेम्स ए स्कॉट की हत्या का प्लान बनाया था। 17 दिसंबर 1928 (असेम्बली ब्लास्ट के पहले) को तीनों प्लान के तहत लाहौर के पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर पहुंच गए। हालांकि स्कॉट की जगह असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन पी सांडर्स बाहर आ गया। भगत और राजगुरु को लगा कि यही स्कॉट है और उन्होंने मार दिया। 10 जुलाई 1929 को सांडर्स हत्या केस की सुनवाई शुरू हुई और भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव समेत 14 लोगों को मुख्य अभियुक्त बनाया गया। 7 अक्टूबर 1929 को इस केस में भगत, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई थी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार फांसी वाले दिन जेल के बाहर भीड़ इकठ्ठा हो रही थी। इससे अंग्रेज डर गए और जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई। उसी रास्ते से एक ट्...