भगवान सहाय का भजन

  1. gora thari jaan to chadi kankad me bhajan lyrics
  2. भगवान के भजन हिंदी भजन लिरिक्स Bhagwan Ke Bhajan Lyrics in Hindi
  3. Jaya Kishori Bhajan Lyrics in Hindi
  4. साईं राम साईं श्याम साईं भगवान
  5. श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित
  6. Hanuman Bahuk Lyrics :प्रत्येक मंगलवार को करें हनुमान बाहुक का पाठ, बजरंगबली की कृपा से हर समस्या होगी ठीक
  7. जानकी नाथ सहाय करें भजन लिरिक्स
  8. सनकादि ऋषि


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gora thari jaan to chadi kankad me bhajan lyrics

शिव जी चाल्या परनबा भाई कर भूता को संग, ब्रह्म विष्णु संग में भाई चढ्यो ब्याव को रंग ॥ आयो परनबा ने रंगीलो जोगी, आयो परनबा ने, गोरा थारी जान तो चढ़ी कांकड़ मे रंगीलो, जोगी आयो परनबा ने.... तगड़ा दिख्या जान बराती पाला, आया कोनी लाया घोड़ा हाथी, सल्ला लोढ़ी लिया ये हाथ में भांग तो रगड़बा ने ।।१।। अरे जोगी हाथ लिया छे डमरू, छम छम बाजे ये पगा में घुंघरू । डगमग हाले नाड़ आ गयो हाथ तो पकड़बा ने ।।२।। बूढ़ा बिंद लटक री दाढ़ी, लारे बीस बरस की लाड़ी, हिमाचल का लोग लुगाया लाग्या बाता तो करबा ने ।।३।। कैया थारे बाबल के मन भायो वो तन जोगी के परनायो, अब देखो मैया पार्वती लागी सजबा तो धजबा ने ।।४।। माया महादेव की न्यारी, परने हेमाचाल की प्यारी, भगवान सहाय पर किरपा कर मिला दे चुनड वाली ने ।।५।।

भगवान के भजन हिंदी भजन लिरिक्स Bhagwan Ke Bhajan Lyrics in Hindi

भक्ति गीत : तू जिसका भगवान है वो तेरा सेवक, तू जिसका भगवान है, तू जिसका दाता है, वो तेरी संतान है। तू उसका स्वामी है, तू उसका नाथ है, पालनहार रूप में, तेरी बड़ी पहचान है। वो तेरा सेवक है……… नित दिन सिर झुकाता है, तेरे दरबार में, थोड़ी खुशी दे दो, उसके रूठे संसार में। इसका मन, बड़ा ही मूरख लगता है प्रभु, वह इस दुनिया में, खुद से ही अंजान है। वो तेरा सेवक है……… तेरे चरणों में बैठकर, जोड़ता वह हाथ, संकट की इस घड़ी में, दो उसका साथ। क्षमा कर दो उसकी अंजानी गलती को, तू परमात्मा, वह एक मामूली इंसान है। वो तेरा सेवक है……… कोरोना से त्रस्त लगता, सारा ही संसार, तेरे सिवा कौन सुनेगा, जग की पुकार? पूजा अर्चना वह करता, बड़े आदर साथ, जीवन में उदासी है, कहां तेरा वरदान है? वो तेरा सेवक को……… सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह, नासिक (महाराष्ट्र)/ जयनगर (मधुबनी) बिहार परम पिता परमेश्वर की प्रार्थना | परम पिता परमेश्वर का भजन भक्ति गीत : परम पिता परमेश्वर सुनो हे दुनिया के, परम पिता परमेश्वर, हम तुमको अपना, दुखड़ा सुनाने आए हैं। कोई नहीं कहीं, समझ रहा है दर्द हमारा, हम अपनी बात, तुमको बताने आए हैं। सुनो दुनिया के…… परमेश्वर तेरे घर देर, पर अंधेर नहीं है, सारे एक समान, और कोई फेर नहीं है। इसी विश्वास के साथ हम यहां पहुंचे हैं, मन में चोट लगी, वही दिखाने आए हैं। सुनो दुनिया के…… पहले जानते तुम, सबके अंदर की बात, फिर करते हो, अपनी कृपा की बरसात। बेदर्द जमाना ने हमको, बहुत सताया है, आत्मा की रपट तुमको लिखाने आए हैं। सुनो दुनिया के…… न्याय और अन्याय के बड़े ज्ञाता हो तुम, इसलिए सारी दुनिया के विधाता हो तुम। अब रह गया है सिर्फ तुम पर ही भरोसा, हे नारायण, अपनी व्यथा सुनने आए हैं। सुनो दुनिया के…… सूबे...

Jaya Kishori Bhajan Lyrics in Hindi

Jaya Kishori Bhajan Lyrics in Hindi बड़ी ही लोकप्रिय जया किशोरी जी के गाने जिनका लीरिक्स आपके सामने है इसे पढ़ कर आपको बेहद ही खुशी मिलेगी आपकी आत्मा को शांति मिलेगी| जया किशोरी जी के भजन को सुन कर मन खुश हो जाता है| जया किशोरी जी के भजन के साथ साथ मैं आपको जया किशोरी जी की भागवत कथा के बारे में भी जानकारी दूंगा लेकिन आपको कमेंट में लिखना पड़ेगा और इस लेख को शेयर करना होगा| जया जी महज छोटी सी उम्र से ही भजन गायिका बन चुकी है इसके साथ साथ उन्होंने जया किशोरी जी ने अपने जीवन में बहुत बाद भागवत कथा की है और भागवत कथा में उन्होंने लोगों के मैले मन को साफ कर दिया है| मेरा मानना है की कुछ और समय अगर जया किशोरी जी ने भगवान जी के भजन गाने, आदि गाये न तो लोग और भी उनके भजन के दीवाने हो जाएंगे| मुझे हर कदम कदम पर, तूने दिया सहारा। मेरी ज़िन्दगी बदल दी, तूने करके एक इशारा। एहसान पे तेरा ये, एहसान हो रहा है॥ तूफ़ान आंधियों में, तूने ही मुझको थामा। तुम कृष्ण बन के आए, मैं जब बना सुदामा। तेरे करम से अब ये, सरेआम हो रहा है॥ Jaya Kishori Ji Bhajan Lyrics in Hindi 2. Hum Tumhare The Prabhu Ji Lyrics in Hindi तुम हमारे थे प्रभुजी, तुम हमारे हो तुम हमारे ही रहोगे, हो मेरे प्रीतम॥ हम तुम्हारे थे प्रभुजी, हम तुम्हारे हें हम तुम्हारे ही रहेंगे, ओ मेरे प्रीतम॥ तुम्हें छोड़ सुन नन्द दुलारे कोई न मीत हमारो ॥ किस्के दुआरे जाएँ पुकारूँ और न कोई सहारो ॥ अब तो आके बाहाँ पकड़ लो, ओ मेरे प्रीतम तुम हमारे थे प्रभुजी, तुम हमारे हो तुम हमारे ही रहोगे, हो मेरे प्रीतम हम तुम्हारे थे प्रभुजी, हम तुम्हारे हें हम तुम्हारे ही रहेंगे, ओ मेरे प्रीतम तेरे कारण सब जग छोड़ा, तुम संग नाता जोड़ा… प्यारे ॥ एक बार प्रभु बस...

साईं राम साईं श्याम साईं भगवान

शिर्डी के दाता सबसे महान, करुणा के सागर दया निधान, शिर्डी के दाता सबसे महान। माथे जो लगाओगे, पुण्य चारों धाम का, शिरडी में ही पाओगे, होगा तुम्हारा वही कल्याण, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। कोई शहंशाह उनको कहे, शिव का ही तो रूप है, छाया हैं वो कर्म की वो धुप है, पढ़के जो आये हैं वेद पुराण, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। मानवता के साई रवि, दया के साई चाँद हैं, साँची प्रेम की डोर से, रहे वो सबको बांध हैं, मंदिर मस्जिद एक सामान, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। सबको समझते वो एक सा, राजा हो या रंक हो, भेद और भाव के, मिटा रहे कलंक को, सबको समझते निज संतान, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। साई के द्वार हर घड़ी, सत्य की बरखा हो रही, झूठे इस जहान के, पाप काले धो रही, करते है शंका का समाधान, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। बैर रहित कशिश भरी, साई से निर्मल प्रीत लो, दुश्मनी जो कर रहे, उनके दिल भी जीत लो, सब पे चलाते प्रेम के बाण शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। साई हमें सीखा रहे, सबका मालिक एक है, एक सी नज़र से वो, रहे सभी को देख है, करते न सहते जो अभिमान, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता सबसे महान। साई के द्वार शीश धर, दो घडी जो सो गए, नफरतों के नाग भी, विष रहित वह हो गए, हर एक मुश्किल वो करते आसान, शिर्डी के दाता सबसे महान, साईं राम साई...

श्रीरामचरितमानस भावार्थ सहित

भावार्थ:- फिर उन्होंने माता को अपना अखंड अद्भुत रूप दिखलाया, जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं॥201॥ चौपाई: अगनित रबि ससि सिव चतुरानन। बहु गिरि सरित सिंधु महि कानन॥ काल कर्म गुन ग्यान सुभाऊ। सोउ देखा जो सुना न काऊ॥1॥ भावार्थ:- अगणित सूर्य, चन्द्रमा, शिव, ब्रह्मा, बहुत से पर्वत, नदियाँ, समुद्र, पृथ्वी, वन, काल, कर्म, गुण, ज्ञान और स्वभाव देखे और वे पदार्थ भी देखे जो कभी सुने भी न थे॥1॥ चौपाई: देखी माया सब बिधि गाढ़ी। अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी॥ देखा जीव नचावइ जाही। देखी भगति जो छोरइ ताही॥2॥ भावार्थ:- सब प्रकार से बलवती माया को देखा कि वह (भगवान के सामने) अत्यन्त भयभीत हाथ जोड़े खड़ी है। जीव को देखा, जिसे वह माया नचाती है और (फिर) भक्ति को देखा, जो उस जीव को (माया से) छुड़ा देती है॥2॥ चौपाई: तन पुलकित मुख बचन न आवा। नयन मूदि चरननि सिरु नावा॥ बिसमयवंत देखि महतारी। भए बहुरि सिसुरूप खरारी॥3॥ भावार्थ:- (माता का) शरीर पुलकित हो गया, मुख से वचन नहीं निकलता। तब आँखें मूँदकर उसने श्री रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया। माता को आश्चर्यचकित देखकर खर के शत्रु श्री रामजी फिर बाल रूप हो गए॥3॥ चौपाई: अस्तुति करि न जाइ भय माना। जगत पिता मैं सुत करि जाना॥ हरि जननी बहुबिधि समुझाई। यह जनि कतहुँ कहसि सुनु माई॥4॥ भावार्थ:- (माता से) स्तुति भी नहीं की जाती। वह डर गई कि मैंने जगत्पिता परमात्मा को पुत्र करके जाना। श्री हरि ने माता को बहुत प्रकार से समझाया (और कहा-) हे माता! सुनो, यह बात कहीं पर कहना नहीं॥4॥ भावार्थ:- कौसल्याजी बार-बार हाथ जोड़कर विनय करती हैं कि हे प्रभो! मुझे आपकी माया अब कभी न व्यापे॥202॥ चौपाई: बालचरित हरि बहुबिधि कीन्हा। अति अनंद दासन्ह कहँ दीन्हा॥ कछुक काल बीतें...

Hanuman Bahuk Lyrics :प्रत्येक मंगलवार को करें हनुमान बाहुक का पाठ, बजरंगबली की कृपा से हर समस्या होगी ठीक

Hanuman Bahuk Lyrics : प्रत्येक मंगलवार को करें हनुमान बाहुक का पाठ, बजरंगबली की कृपा से हर समस्या होगी ठीक विस्तार Hanuman Bahuk Lyrics : मंगलवार का दिन राम भक्त भगवान हनुमान को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा की जाती है। कहा जाता है कि प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने और हनुमान बाहुक का पाठ करने से भय, संकट के अलावा सभी प्रकार के रोग और दोष से मुक्ति मिलती है। हनुमान बाहुक, तुलसीदास जी द्वारा लिखी हुई एक स्तुति है। कहा जाता है कि कलयुग के प्रकोप से जब तुलसीदास को पीड़ा हुई तो उन्होंने हनुमान बाहुक की रचना की। ऐसा माना जाता है कि हनुमान बाहुक का विधि से पाठ करने से शरीर की समस्त पीड़ाओं से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में रुके हुए काम भी जल्द पूरे होते हैं। यहां हनुमान बाहुक पाठ की लिरिक्स दी जा रही है, जिसके जरिए आप इसका पाठ कर सकते हैं... श्रीगणेशाय नमः श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीमद्-गोस्वामी-तुलसीदास-कृत छप्पय सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बाल-बरन तनु । भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु ।। गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव ।। कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट । गुन-गनत, नमत, सुमिरत, जपत समन सकल-संकट-विकट ।।१।। स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन । उर बिसाल भुज-दंड चंड नख-बज्र बज्र-तन ।। पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन । कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन ।। कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति बिकट । संताप पाप तेहि पुरुष पहिं सपनेहुँ नहिं आवत निकट ।।२।। झूलना पंचमुख-छमुख-भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व-सरि-समर समरत्थ सूरो । बाँकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो ...

जानकी नाथ सहाय करें भजन लिरिक्स

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सनकादि ऋषि

सनकादि ऋषि (सनकादि = सनक + आदि) से तात्पर्य उत्पत्ति [ ] भगवान विष्णु का प्रथम अवतार सनकादि ४ मुनि हैं। आपो नरा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः। अयनं तस्य ता पूर्वं तेन नारायणः स्मृतः॥ उन्हें जब बहु होने की इच्छा हुई तब वे उठे तथा अण्ड के अधिभूत, अध्यात्म तथा अधिदैव ये तीन खण्ड किये। उन परमात्मा के आंतरिक आकाश से इन्द्रिय, मनः तथा देह शक्ति उत्पन्न हुई। साथ ही सूत्र, महान् तथा असु नामक तीन प्राण भी उत्पन्न हुए। उनके खाने की इच्छा के कारण अण्ड से मुख निकला जिसके अधिदैव वरुण तथा विषय रसास्वादन हुआ। इसी प्रकार बोलने की इच्छा के कारण वाक् इन्द्रिय हुई जिसके देव अग्नि तथा भाषण विषय हुआ। उसी तरह नासिका, नेत्र, कर्ण, चर्म, कर, पाद आदि निकला। यह परमात्मा का साकार स्थूल रूप है जिनका नमन वेद पुरुष सूक्त से किये हैं। प्रलय काल में भगवान शेष पर शयन कर रहे थे। वे आदिमध्यान्तहीनाय निर्गुणाय गुणात्मने हैं अतः शेष जो सबके बाद भी रहते हैं वही उनकी शैया हैं। सृष्टि की इच्छा से जब उन्होंने आँखें खोलीं तो देखा कि सम्पूर्ण लोक उनमें लीन है। तभी रजोगुण से प्रेरित परमात्मा की नाभि से कमल अंकुरित हो गया जिससे सम्पूर्ण जल प्रकाशमय हो गया। नाभिपद्म से उत्पन्न ब्रह्मा पंकजकर्णिका पर आसीन थे। ब्रह्मा जी ने सोंचा कि मैं कौन, क्यों हूँ तथा मेरे जनक कौन हैं? वे कमलनाल के सहारे जल में प्रविष्ट हुए तथा सौं वर्ष तक निरंतर खोज करने पर भी कोई प्राप्त नहीं हुआ। अंत में वे पुनः यथा्थान बैठ गए। वहाँ हजारों वर्षों तक समाधिस्थ रहे। तभी उन्हें पुरुषोत्तम परमात्मा के दर्शन हुए। शेषनाग में शयन कर रहे प्रभु का नीलमणि के समान देह अनेक आभूषणों से आच्छादित था तथा वन माला और कौस्तुभ मणि स्वयं को भाग्यवान मान रहे थे। उनके अंद...