बहु फसल खेती क्या है

  1. जानिए क्या होता है ड्रिप इरिगेशन, कैसे कुछ पैसे खर्च कर के आप बचा सकते हैं हजारों रुपये और ढेर सारा वक्त
  2. भारत में फसल पैटर्न और फसल प्रणाली
  3. बहु विधि फसल का क्या अर्थ है?
  4. फसल चक्र से आप क्या समझते है इसके प्रमुख लाभ एवं सिद्धांत लिखिए
  5. बहु फसल कृषि क्या है? – ElegantAnswer.com
  6. बहुफसली खेती क्या है इसके लाभ एवं विशेषताएं बताए
  7. फसल प्रणाली किसे कहते है एवं फसल प्रणाली के प्रकार
  8. बहु फसल कृषि क्या है?
  9. भारत में फसल पैटर्न और फसल प्रणाली
  10. बहु फसल कृषि क्या है? – ElegantAnswer.com


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जानिए क्या होता है ड्रिप इरिगेशन, कैसे कुछ पैसे खर्च कर के आप बचा सकते हैं हजारों रुपये और ढेर सारा वक्त

खेती में तकनीक काफी तेजी से बढ़ रही है. बहुत सारे किसान हैं जो टेक्नोलॉजी (Technology) का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं और अपनी इनकम बढ़ा रहे हैं. हालांकि, ऐसे भी कई किसान हैं तो अभी भी नई तकनीक को अपनाने में घबरा रहे हैं. यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि जो किसान पहले ही फायदा कमाने में संघर्ष कर रहा है, वह नई तकनीक को कैसे अपनाए. आज हम ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) तकनीक की बात करेंगे, जिसकी मदद से बहुत सारे किसान अपना ढेर सारा खर्चा, वक्त और सबसे ज्यादा पानी की बचत (Benefits of Drip Irrigation) कर रहे हैं. आइए जानते हैं क्या होता है ड्रिप इरिगेशन और कैसे काम करती है ये तकनीक. क्या होता है ड्रिप इरिगेशन? ड्रिप इरिगेशन से पानी की तो बचत होती ही है, किसान का मुनाफा भी बढ़ता है. आइए जानते हैं कितने फायदे हैं ड्रिप इरिगेशन के. • पहला और सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करने से आराम से 70-80 फीसदी तक पानी की बचत की जा सकती है. जिन जगहों पर पानी की कमी होती है, वहां के लिए ड्रिप इरिगेशन बड़े ही काम की चीज है. • ड्रिप इरिगेशन होने की वजह से आपको सिंचाई के लिए खेत में रहने की जरूरत नहीं होती है. आपको बस समय-समय पर पानी स्टार्ट करना होता है और पानी अपने आप फसल की जड़ों तक पहुंचता रहता है. अगर आपका खेत बहुत बड़ा है, तो आपको कोई लेबर रखने की जरूरत नहीं होती है, यानी लेबर पर खर्च होने वाला पैसा भी बचता है. • अगर आपने अपनी फसल के लिए ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल किया है तो इसकी मदद से आप खेत में उर्वरक भी डाल सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको लिक्विड न्यूट्रिएंट्स का इस्तेमाल करना होगा, जिन्हें आप पानी में मिलाकर खेत में सप्लाई कर सकते हैं. यानी उर्वरक के छिड़काव में लेब...

भारत में फसल पैटर्न और फसल प्रणाली

किसान भौतिक, सामाजिक और आर्थिक जैसे कारकों के आधार पर खेती के लिए फसलों का चयन करते हैं। कभी-कभी वे अपने खेतों में कई फसलों की खेती करते हैं और एक विशेष फसल संयोजन को एक अवधि में घुमाते हैं। लेकिन यह उल्लेखनीय है कि अपनी उत्पादकता बढ़ाने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए हमेशा कुछ फसल पैटर्न के साथ-साथ फसल प्रणाली का पालन करने वाली सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों का पालन किया जाता है। फसल पैटर्न एक गतिशील अवधारणा है क्योंकि यह स्थान और समय के साथ बदलता रहता है। इसे एक समय में विभिन्न फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, यह किसी दिए गए क्षेत्र पर बुवाई और परती का एक वार्षिक क्रम और स्थानिक व्यवस्था है। भारत में, फसल पैटर्न वर्षा, जलवायु, तापमान, मिट्टी के प्रकार और प्रौद्योगिकी द्वारा निर्धारित किया जाता है। भारत में फसल पैटर्न को प्रमुख फसलों को आधार फसल और अन्य सभी संभावित वैकल्पिक फसलों के रूप में ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया जा सकता है। फसलों की पहचान करना और उनकी कृषि-जलवायु स्थिति को दर्शाना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें वर्गीकृत किया जा सके। उदाहरण के लिए, गेहूं, जौ और जई को एक श्रेणी के रूप में लिया जाता है। भारतीय कृषि का निर्णय मिट्टी के प्रकार और जलवायु मानकों द्वारा किया जाता है जो खेती के लिए फसल या फसलों के सेट के पोषण और उपयुक्तता के लिए समग्र कृषि-पारिस्थितिकीय सेटिंग निर्धारित करते हैं। भारत में तीन अलग-अलग फसल मौसम हैं, अर्थात् खरीफ, रबी और ज़ैद। खरीफ सीजन की शुरुआत दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ हुई, जिसके तहत उष्णकटिबंधीय फसलों जैसे चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा और अरहर की खेती की जाती है। रबी का मौसम अक्...

बहु विधि फसल का क्या अर्थ है?

Table of Contents Show • • • • • • • • Answer : किसी खेत में एक वर्ष में दो या दो से अधिक फसलें उगाना Explanation : बहु फसल कृषि प्रणाली वह है जब किसी खेत में एक वर्ष में दो या दो से अधिक फसलें लगाते हैं। बहुफसलीय फसल प्रणाली सघन खेती का रूप है। कालान्तर से खेती मात्र जीविका के एक साधन के रूप में देखी जाती रही है। बहुफसलीय फसल प्रणाली अर्थात् सघन खेती ने जीविका पालन के एक धंधे से ऊपर उठा कर व्यावसायिक खेती के स्तर तक पहुंचायाँ अब एक खेत से एक साल में, एक फसल की जगह तीन या चार फसलें भी लगाई जाती हैं। इस प्रकार खेती से होने वाले शुद्ध लाभ में आशातीत बढ़ोत्तरी हुई। वर्ष में दो फसलों के उदाहरण : धान – गेहूँ; मक्का – गेहूँ; धान – बरसीम; मक्का – आलू इत्यादि। वर्ष में तीन फसलों के उदाहरण : मक्का – गेहूँ मक्का – आलू – प्याज; धान – गेहूँ – मूंग या कलाई धान – गेहूँ – मक्का इत्यादि। वर्ष में तीन से अधिक फसलों के उदाहरण : मक्का – तोरी – गेहूँ – मूंग; मक्का – उड़द – गेहूँ – मूंग मक्का – आलू – गेहूँ – मूंग; मक्का – शकरकन्द – गेहूँ – मूंग....अगला सवाल पढ़ेTags : कृषि प्रश्नोत्तरी Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams Web Title : Bahu Fasal Krishi Kya Hai प्रश्न: मझोले और बड़े किसान कृषि से कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं ? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं ? उत्तर: मझोलो और बड़े किसान अपनी गत वषों की बचत से पूँजी कि व्यवस्था करते है | ये अपने उपभोग से अधिक अनाजों का उत्पादन करते है | यही उसकी बचत है | जबकि छोटे किसान बचत नही कर पाते जिसके कारण उन्हें साहुकारों से ऋण लेकर पूँजी कि व्यवस्था करनी पडती है | प्रश्न: वहु विधि फसल प्रणाली किसे कहते है ? उत्तर: एक वर्ष म...

फसल चक्र से आप क्या समझते है इसके प्रमुख लाभ एवं सिद्धांत लिखिए

फसलों का एक निश्चित क्षेत्रफल में आवर्ती अनुक्रमण फसल चक्र (fasal chakra) कहलाता है। फसल चक्र (crop rotation in hindi) एक वर्ष से लेकर तीन या चार वर्ष का हो सकता है। फसल चक्र क्या है? | fasal chakra kya hain | crop rotation in hindi फसल चक्र की परिभाषा - "किसी निश्चित क्षेत्र पर एक निश्चित अवधि तक फसलों को इस प्रकार हेर-फेर कर बोना, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखकर अधिक उत्पादन ले सकें फसल चक्र (fasal chakra) कहलाता है। फसल चक्र से आप क्या समझते है? | fasal chakra se aap kya samajhte hain साधारणतया अपनाये जाने वाले फसल चक्रों को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है - • वे फसल चक्र, जिनमें मुख्य फसल से पहले या बाद में खेती को परती छोड़ा जाता है, जैसे -परती-गेहूँ, धान-परती। • वे फसल चक्र, जिनमें मुख्य फसल से पहले या बाद में हरी खाद उगाकर खेत में जोती जाये, जैसे -हरी खाद-गेहूँ, धान-हरी खाद • वे फसल चक्र, जिनमें वातावरण से नाइट्रोजन लेकर भूमि में एकत्र करने के लिए दलहनी फसलों का समावेश किया जाता है, जैसे -मूँग-गेहूँ, लोबिया-गेहूँ। • भूमि की उर्वरा शक्ति की परवाह न करते हुए अनाज की फसल के बाद अनाज की फसल लेना, जैसे -धान-गेहूँ, मक्का-गेहूँ। फसल चक्र के क्या लाभ है? | fasal chakra ke labh फसल चक्र के प्रमुख लाभ - • फसल चक्र से खेत की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। • फसल चक्र द्वारा भूमि से पोषक तत्त्वों तथा नमी का अवशोषण सन्तुलित रूप में होता है, क्योंकि उथली जड़ों वाली फसलों के बाद गहरी जड़ों वाली फसलें उगायी जाती हैं। इस प्रकार उन फसलों के बाद, जिन्हें पोषक तत्त्वों तथा नमी की कम आवश्यकता होती है, ऐसी फसलें उगायी जाती हैं। अतः भूमि तथा अवमृदा की उर्वरा शक्ति सन्तुलित रह...

बहु फसल कृषि क्या है? – ElegantAnswer.com

बहु फसल कृषि क्या है? इसे सुनेंरोकेंजब किसी खेत में एक वर्ष में एक निश्चित क्रम में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ ही उगाया जाता है, खेती की इस प्रणाली को ही बहुफसली खेती कहा जाता है । जैसे – विभिन्न फसलें जैसे सोयाबीन, मूंग, उड़द, लोबिया आदि को बहुफसली खेती में सम्मिलित किया जा सकता है । किसान आंदोलन क्यों हो रहा है क्या कारण है? इसे सुनेंरोकेंदरअसल, जब किसान कानून बना था तो किसानों ने इस कानून के खत्म होने को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया था. पंजाब के किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहें हैं लेकिन धीरे-धीरे देश के किसान जुड़ने लगे और इस कानून को के खत्म करने के साथ ही एमएसपी लागू करने की भी मांग शुरू हो गई है. निर्वाह कृषि क्या है? इसे सुनेंरोकेंजब खेती से केवल इतनी उपज होती है कि उससे परिवार का पेट किसी तरह से भर पाए तो ऐसी खेती को जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस तरह की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। आदिम औजार तथा परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है। इस प्रकार की खेती मुख्य रूप से मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर होती है। बहुफसली खेती के क्या कारण है? इसे सुनेंरोकेंखाद्य सुरक्षा: यदि बहुफसली पद्धति में एक या दो फसलें ख़राब भी हो जाए तो भी किसान बची हुई फसलों के सहारे अपनी और अपने परिवार की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। एकाधिक उपयोग: इस व्यवस्था में फसलें सिर्फ अनाज ही नहीं बल्कि चारा और ईंधन भी प्रदान करती हैं। निर्वाह कृषि का दूसरा नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंप्ररंभिक जीविका निर्वाह कृषि-प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि वह कृषि है जिसमें एक किसान अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उत्पादन करता है और बेचने को कुछ नहीं बचता । विशेषताएँ-इस प्रकार...

बहुफसली खेती क्या है इसके लाभ एवं विशेषताएं बताए

जब किसी खेत में एक वर्ष में एक निश्चित क्रम में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ ही उगाया जाता है, खेती की इस प्रणाली को ही बहुफसली खेती कहा जाता है। जैसे - विभिन्न फसलें जैसे सोयाबीन, मूंग, उड़द, लोबिया आदि को बहुफसली खेती में सम्मिलित किया जा सकता है। बहुफसली खेती क्या है : अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & defination of multi cropped farming in hindi) बहुफसली खेती क्या है इसके लाभ एवं विशेषताएं बहुफसली खेती की परिभाषा - किसी खेत की कुल उपज एव उससे होने वाले आर्थिक लाभ को बढ़ाने के लिये उसकी मृदा को उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हए उसमें दो या दो से अधिक फसलों को एक वर्ष में एक निश्चित क्रम में उगाने की क्रिया को बहुफसली खेती (multiple cropping in hindi)कहते है। "To grow two or more crops in a definite to sequence and in one year maintaining it ' s soil fertility to increase the total production and income is called multiple crop." ये भी पढ़ें • खेती किसे कहते है खेती कितने प्रकार की होती है? • बहुप्रकरीय खेती किसे कहते है इसके लाभ एवं दोष? • किसानी खेती किसे कहते है इसके लाभ एवं दोष लिखिए? बहुफसली खेती के उदाहरण - ( i )मक्का - आलू - गेहूँ - मूंग ( एकवर्षीय फसल चक्र ) ( ii )मक्का तोरिया - गेहूँ - मूंग ( एकवर्षीय फसल चक्र ) ( iii )धान - तोरिया - गेहूँ - मूंग ( एकवर्षीय फसल चक्र ) बहुफसली खेती के लाभ (advantages of multiple cropping in hindi) परम्परागत कृषि के उपायों को अपनाकर किसान अपनी भूमि वर्ष भर में कए फसल ही उगा पाता था, परंतु कृषि तकनीक के विकसित होने के साथ - साथ विभिन्न फसलों की नई जातियों का विकास हआ । इन कृषि उत्पादन बढ़ाने वाले संसाधनों की उपलब्धता बढ़ती चली गई, जिससे सघ...

फसल प्रणाली किसे कहते है एवं फसल प्रणाली के प्रकार

भारतीय कृषि में प्रारम्भ से ही फसल उगाने के लिये विभिन्न फसल प्रणाली या फसल पैटर्न , सिंचाई की सुविधाएँ तथा तकनीकी ज्ञान के अभाव से वर्ष भर में केवल एक ही फसल उगाई जाती थी। गत पचास वर्षों में हमारे देश की तेजी से बढ़ती ही जनसंख्या के दबाव के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि की माग बढती चली गई । काम को बढाने के लिये विभिन्न सुविधाओं का विस्तार होता गया जिससे देश का फसल प्रणाली (फसल पद्धति) किसे कहते है? What is cropping systems/pattern in hindi बहुत से क्षेत्रों में वर्षा व सिंचाई जल में कमी के कारण भी वर्ष भर में एक फसल ली जाती है, परन्तु समय के अभाव के साथ - साथ सिंचाई की सुविधाओं का विकास होता चला गया। फसल प्रणाली किसे कहते है एवं फसल प्रणाली के प्रकार जिसके परिणमास्वरूप एक ही खेत से एक वर्ष में तीन तथा चार तक फसलें भूमि की उत्पाकदता को बनाए रखते हुये अधिकतम लाभ की दृष्टि से उगाई जाने लगी। ये भी पढ़ें • फसल किसे कहते है यह कितने प्रकार की होती है? • खेती की प्रणालियां एवं उनके प्रकार कोन से है? • मिश्रित फसल किसे कहते है इसके लाभ एवं दोष? फसल प्रणाली की परिभाषा ( definition of cropping system/pattern in hindi) "किसी खेत का कुल उत्पादन व उससे होने वली आय में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिये खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखकर फसलों को उगाने के विभिन्न सस्य क्रम (cropping pattern in hindi) विकसित किये गये है, इन्हें फसल प्रणाली या फसल पैटर्न भी कहा जाता है।" इसमे खेत पर उपलब्ध मृदा एवं जल संसाधनों तथा अन्य सुविधाओं का अधिक उपज प्राप्ति के लिये उचित उपयोग होता है। "The cropping pattern developed to grow the crops to achieve maximum production and the income; maintaing the soil fert...

बहु फसल कृषि क्या है?

Explanation : बहु फसल कृषि प्रणाली वह है जब किसी खेत में एक वर्ष में दो या दो से अधिक फसलें लगाते हैं। बहुफसलीय फसल प्रणाली सघन खेती का रूप है। कालान्तर से खेती मात्र जीविका के एक साधन के रूप में देखी जाती रही है। बहुफसलीय फसल प्रणाली अर्थात् सघन खेती ने जीविका पालन के एक धंधे से ऊपर उठा कर व्यावसायिक खेती के स्तर तक पहुंचायाँ अब एक खेत से एक साल में, एक फसल की जगह तीन या चार फसलें भी लगाई जाती हैं। इस प्रकार खेती से होने वाले शुद्ध लाभ में आशातीत बढ़ोत्तरी हुई। वर्ष में दो फसलों के उदाहरण : धान – गेहूँ; मक्का – गेहूँ; धान – बरसीम; मक्का – आलू इत्यादि। वर्ष में तीन फसलों के उदाहरण : मक्का – गेहूँ मक्का – आलू – प्याज; धान – गेहूँ – मूंग या कलाई धान – गेहूँ – मक्का इत्यादि। वर्ष में तीन से अधिक फसलों के उदाहरण : मक्का – तोरी – गेहूँ – मूंग; मक्का – उड़द – गेहूँ – मूंग मक्का – आलू – गेहूँ – मूंग; मक्का – शकरकन्द – गेहूँ – मूंग Tags : Explanation : मेहसाणा मुर्रा और सूरती नस्लों के बीच की नस्ल है। इस नस्ल के पशुओं का मूल स्थान गुजरात राज्य का मेहसाणा जिला है, जो मेहसाना (Mehsana) भी कहलाता है। उसके निकटवर्ती स्थानों; जैसे–सिद्धपुर, सटन एवं राधनपुर आदि जिलों में ये पशु काफी • नागपुरी भैंस कितना दूध देती है | Nagpuri Buffalo Milk Per Day कूठ का पौधा अनेक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद के अनुसार, सेहत से जुड़ी अनेक समस्याओं में इसका उपयोग किया जाता है। इसकी जड से लेकर पत्तियां तक बेहद लाभकारी होती हैं। कठ, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीबैक्टीरियल विशेषताओं से युक्त है, जो किसी संक्रम • भारत में रेशम का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य कौनसा है?

भारत में फसल पैटर्न और फसल प्रणाली

किसान भौतिक, सामाजिक और आर्थिक जैसे कारकों के आधार पर खेती के लिए फसलों का चयन करते हैं। कभी-कभी वे अपने खेतों में कई फसलों की खेती करते हैं और एक विशेष फसल संयोजन को एक अवधि में घुमाते हैं। लेकिन यह उल्लेखनीय है कि अपनी उत्पादकता बढ़ाने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए हमेशा कुछ फसल पैटर्न के साथ-साथ फसल प्रणाली का पालन करने वाली सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों का पालन किया जाता है। फसल पैटर्न एक गतिशील अवधारणा है क्योंकि यह स्थान और समय के साथ बदलता रहता है। इसे एक समय में विभिन्न फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, यह किसी दिए गए क्षेत्र पर बुवाई और परती का एक वार्षिक क्रम और स्थानिक व्यवस्था है। भारत में, फसल पैटर्न वर्षा, जलवायु, तापमान, मिट्टी के प्रकार और प्रौद्योगिकी द्वारा निर्धारित किया जाता है। भारत में फसल पैटर्न को प्रमुख फसलों को आधार फसल और अन्य सभी संभावित वैकल्पिक फसलों के रूप में ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया जा सकता है। फसलों की पहचान करना और उनकी कृषि-जलवायु स्थिति को दर्शाना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें वर्गीकृत किया जा सके। उदाहरण के लिए, गेहूं, जौ और जई को एक श्रेणी के रूप में लिया जाता है। भारतीय कृषि का निर्णय मिट्टी के प्रकार और जलवायु मानकों द्वारा किया जाता है जो खेती के लिए फसल या फसलों के सेट के पोषण और उपयुक्तता के लिए समग्र कृषि-पारिस्थितिकीय सेटिंग निर्धारित करते हैं। भारत में तीन अलग-अलग फसल मौसम हैं, अर्थात् खरीफ, रबी और ज़ैद। खरीफ सीजन की शुरुआत दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ हुई, जिसके तहत उष्णकटिबंधीय फसलों जैसे चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा और अरहर की खेती की जाती है। रबी का मौसम अक्...

बहु फसल कृषि क्या है? – ElegantAnswer.com

बहु फसल कृषि क्या है? इसे सुनेंरोकेंजब किसी खेत में एक वर्ष में एक निश्चित क्रम में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ ही उगाया जाता है, खेती की इस प्रणाली को ही बहुफसली खेती कहा जाता है । जैसे – विभिन्न फसलें जैसे सोयाबीन, मूंग, उड़द, लोबिया आदि को बहुफसली खेती में सम्मिलित किया जा सकता है । किसान आंदोलन क्यों हो रहा है क्या कारण है? इसे सुनेंरोकेंदरअसल, जब किसान कानून बना था तो किसानों ने इस कानून के खत्म होने को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया था. पंजाब के किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहें हैं लेकिन धीरे-धीरे देश के किसान जुड़ने लगे और इस कानून को के खत्म करने के साथ ही एमएसपी लागू करने की भी मांग शुरू हो गई है. निर्वाह कृषि क्या है? इसे सुनेंरोकेंजब खेती से केवल इतनी उपज होती है कि उससे परिवार का पेट किसी तरह से भर पाए तो ऐसी खेती को जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस तरह की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। आदिम औजार तथा परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है। इस प्रकार की खेती मुख्य रूप से मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर होती है। बहुफसली खेती के क्या कारण है? इसे सुनेंरोकेंखाद्य सुरक्षा: यदि बहुफसली पद्धति में एक या दो फसलें ख़राब भी हो जाए तो भी किसान बची हुई फसलों के सहारे अपनी और अपने परिवार की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। एकाधिक उपयोग: इस व्यवस्था में फसलें सिर्फ अनाज ही नहीं बल्कि चारा और ईंधन भी प्रदान करती हैं। निर्वाह कृषि का दूसरा नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंप्ररंभिक जीविका निर्वाह कृषि-प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि वह कृषि है जिसमें एक किसान अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उत्पादन करता है और बेचने को कुछ नहीं बचता । विशेषताएँ-इस प्रकार...