बिहार में दुर्गा पूजा कब है

  1. Durga Puja 2022: दुर्गा पूजा में कब और कैसे खेलते हैं 'सिंदूर खेला'? जानें महत्व और इतिहास
  2. बिहार में दुर्गा पूजा कब है 2022
  3. दुर्गा पूजा
  4. Durga Puja 2023: कब है दुर्गा पूजा 2023, तिथि व शुभ मुहूर्त
  5. बिहार में दुर्गा पूजा की शुरुआत की रोचक है कहानी पटना के बंगाली अखाड़े में अनोखी परंपराएं
  6. Navratra 2022: दरभंगा में दुर्गा पूजा को लेकर रूट चार्ट तय, जानें कहां से, और कब तक होगी इंट्री
  7. Ashadha Gupt Navratri 2023 Starting Date Maa Durga Pujan Samagri And Vidhi
  8. Ashadha Gupt Navratri 2023 Starting Date Maa Durga Pujan Samagri And Vidhi
  9. Durga Puja 2022: दुर्गा पूजा में कब और कैसे खेलते हैं 'सिंदूर खेला'? जानें महत्व और इतिहास
  10. Durga Puja 2023: कब है दुर्गा पूजा 2023, तिथि व शुभ मुहूर्त


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Durga Puja 2022: दुर्गा पूजा में कब और कैसे खेलते हैं 'सिंदूर खेला'? जानें महत्व और इतिहास

दूर्गा पूजा का खासा उत्साह पश्चिम बंगाल में देखने को मिलता है. नवरात्रि के अंतिम दिन विजयादशमी पर सिंदूर खेला उत्सव मनाया जाता है. Durga Puja 2022: प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक शारदीय नवरात्रि ( Shardiya Navratri) को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. मां दुर्गा को समर्पित ये नौ दिवसीय पर्व 26 सितंबर से शुरू होकर 05 अक्टूबर तक चलेगा. मां दुर्गा का त्योहार बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं. नवरात्रि के नौ दिन देवी मां की आराधना और उपवास रखा जाता है. हर राज्य में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के त्योहार को अपने खास रंग-ढंग से मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. दुर्गा पूजा का खासा उत्साह पश्चिम बंगाल में देखने को मिलता है. दुर्गा पूजा में बंगाली समाज का ‘सिंदूर खेला’ अपने आप में अनोखा उत्सव है, जो माता की विदाई के समय मनाया जाता है. आज हम आपको बंगाल के प्रसिद्ध ‘सिंदूर खेला’ उत्सव के बारे में बताने जा रहे हैं. कब मनाते हैं सिंदूर खेला उत्सव? पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, बंगाली समाज के लिए दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है. मां दुर्गा के त्योहार नवरात्रि के अंतिम दिन विजयादशमी पर सिंदूर खेला उत्सव मनाया जाता है. इस दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. माता की विदाई के उत्सव में महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और मां दुर्गा की वंदना करती हैं. इसके साथ महिलाएं मां दुर्गा से अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं. यह भी पढ़ेंः यह भी पढ़ेंः कैसे मनाया जाता है सिंदूर खेला उत्सव दुर्गा विसर्जन की रस्म से पहले सिंदूर उत्सव की शुरुआत माता की महाआरती से होती है. आरती...

बिहार में दुर्गा पूजा कब है 2022

नवरात्रि 2022 की प्रमुख तिथियां एवं पूजा का शुभ मुहूर्त सनातन परंपरा में शक्ति के साधकों को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मनाया जाने वाला नवरात्रि का पावन पर्व इंतजार पूरे साल इंतजार बना रहता है. शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि को सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है. देवी दुर्गा की पूजा से जुड़ा नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है, जिसमें से चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी पड़ती हैं. इन चारों में शारदीय नवरात्रि को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और इसी दौरान दुर्गा पूजा भी संपन्न होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 26 सितंबर 2022 से शुरू होकर 05 अक्टूबर तक चलेगा. देवी दुर्गा की साधना-आराधना से जुड़े इस पावन पर्व की प्रमुख तिथियां, पूजा विधि और उसके शुभ मुहूर्त आदि के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं. नवरात्रि पर घट स्थापना का मुहूर्त ( Ghat Sthapna Subh Muhurt) शक्ति की साधना के लिए 09 दिनों तक की जाने वाली देवी पूजा के लिए नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. इस साल शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 26 सितंबर 2022 पड़ेगा और इसी दिन घट स्थापना होगी.देश की राजधानी दिल्ली के समय के अनुसार घट स्थाना के लिए सबसे प्रात:काल 06:11 से लेकर 07:51 बजे का सबसे उत्तम मुहूर्त रहेगा. इसके अलावा आप चाहें तो इस दिन अभिजीत मुहूर्त प्रात:काल 11:48 से दोपहर 12:36 बजे तक रहेगा. नवरात्रि की 09 पावन तिथियां (09 Navratri 2022 Date) • नवरात्रि का पहला दिन : 26 सितम्बर 2022, सोमवार – प्रतिपदा (मां शैलपुत्री) • नवरात्रि का दूसरा दिन : 27 सितम्बर 2022, मंगलवार – द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी) • नवरात्रि का तीसरा दिन : 28 सितम्बर...

दुर्गा पूजा

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Durga Puja 2023: कब है दुर्गा पूजा 2023, तिथि व शुभ मुहूर्त

दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण त्यौहार है जो शक्ति की आराधना का पर्व है। यह पर्व दुनियाभर में दुर्गा उत्सव के नाम से विख्यात है। दुर्गा पूजा का उत्सव निरंतर 10 दिनों तक चलता है। इस त्यौहार को देवी दुर्गा के भक्तों द्वारा बहुत ही उत्साह एवं जोश के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा की वास्तविक शुरुआत षष्ठी तिथि से होती है। इस पर्व को पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, बिहार और झारखंड में बड़े ही हर्षोल्लास एवं श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, दुर्गा पूजा को प्रतिवर्ष अश्विन के महीने में मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, दुर्गा उत्सव सितम्बर या अक्टूबर के महीने में आता है। दुर्गा पूजा में षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयादशमी तिथि का विशेष महत्व है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा पूजा 2023 की तिथि एवं मुहूर्त बिल्व निमन्त्रण शनिवार, अक्टूबर 20, 2023 बिल्व निमंत्रण - 03:39 अपराह्न से 05:57 अपराह्न अवधि - 02 घंटे 18 मिनट षष्ठी तिथि प्रारंभ - 12:31 पूर्वाह्न 20 अक्टूबर 2023 षष्ठी तिथि समाप्त - 20 अक्टूबर 2023 को रात 11:24 दुर्गा सप्तमी शनिवार, अक्टूबर 21, 2023 सप्तमी तिथि शुरू - 20 अक्टूबर 2023 को रात 11:24 बजे सप्तमी तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर 2023 को अपराह्न 09:53 बिल्व निमन्त्रण मंगलवार, अक्टूबर 8, 2024 को बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त - 03:46 पी एम से 06:07 पी एम अवधि - 02 घण्टे 21 मिनट बिल्व निमन्त्रण पञ्चमी तिथि के दिन षष्ठी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 08, 2024 को 11:17 ए एम बजे षष्ठी तिथि समाप्त - अक्टूबर 09, 2024 को 12:14 पी एम बजे दुर्गा सप्तमी बृहस्पतिवार, अक्टूबर 10, 20...

बिहार में दुर्गा पूजा की शुरुआत की रोचक है कहानी पटना के बंगाली अखाड़े में अनोखी परंपराएं

बिहार में दुर्गा पूजा की शुरुआत की रोचक है कहानी, पटना के बंगाली अखाड़े में अनोखी परंपराएं Shardiya Navratri 2022 दुर्गा पूजा की मौजूदा परंपरा की बिहार में शुरुआत की कहानी रोचक है। यह परंपरा बिहार में बंगाल से आई। बंगाल के लोगों ने ही बिहार में विशाल पंडाल और भव्‍य मूर्तियां स्‍थापित करने की परंपरा शुरू की थी। पटना, जागरण टीम। Durga Puja in Bihar 2022: बिहार में दुर्गा पूजा के मौजूदा स्‍वरूप के पीछे बंगाली लोग रहे हैं। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल के बाद अगर कहीं दुर्गा पूजा धूमधाम से होती है, तो वह दो-तीन राज्‍य बिहार, झारखंड और असम ही हैं। इसके पीछे कारण यह है कि ये इलाके बंगाल से काफी नजदीक हैं और इनका आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक जुड़ाव रहा है। क्‍या आपको पता है कि बिहार में दुर्गा पूजा की संस्‍कृति को बढ़ाने में रेलवे का सबसे अहम रोल रहा? इस स्‍टोरी में हम आपको पटना के बंगाली अखाड़े के बारे में भी बताएंगे। दरअसल, बिहार और असम में रेल के विकास के बाद काफी संख्‍या बंगाली इन क्षेत्रों के रेलवे स्‍टेशनों पर तैनात किए गए। यह बात ब्र‍िटिश राज की है। इसलिए खासकर, बिहार और झारखंड के तमाम शहरों में दुर्गा पूजा में विशाल पंडाल बनाने और मूर्तियां स्‍थापित करने की परंपरा रेलवे स्‍टेशनों और रेलवे कालोनियों से शुरू हुई। स्‍थानीय लोगों को यह संस्‍कृति भा गई और बिहार में दुर्गा पूजा का भव्‍य स्‍वरूप रच-बस गया। इसकी तस्‍दीक बड़े रेलवे स्‍टेशन वाले शहरों के बुजुर्ग करते हैं। धीरे-धीरे इसका विस्‍तार छोटे शहरों और गांवों तक हुुुआ। 129 साल से बंगाली अखाड़े में हो रही दुर्गा पूजा पटना के लंगरटोली स्थित सूर्योदयान पूजा सेलिब्रेशन कमेटी बंगाली अखाड़ा पिछले 129 सालों से दुर्गा पूजा का आयोजन क...

Navratra 2022: दरभंगा में दुर्गा पूजा को लेकर रूट चार्ट तय, जानें कहां से, और कब तक होगी इंट्री

दरभंगा. दुर्गा पूजा के दौरान दरभंगा शहर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने ट्रैफिक दुरुस्त करने को लेकर कई बदलाव किए हैं. अपर जिला दंडाधिकारी राजेश झा ने बताया कि दरभंगा में 396 जगहों पर दंडाधिकारी और पुलिसबल की तैनाती की गई है. वहीं, श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए सड़क मार्गों का भी चयन किया गया है. रूट चार्ट भाड़ी और अन्य लोगों के सप्तमी, अष्टमी और नवमी के लिए किया गया है. साथ ही दुर्गा पूजा को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संपन्न कराने को लेकर जिला प्रशासन विशेष सतर्कता बरत रहा है. इस प्रकार रहेंगे रूट चार्ट, इतने समय तक होगा आगमन ट्रैफिक डीएसपी बिरजू पासवान ने बताया कि सप्तमी, अष्टमी, और नवमी के रात के ग्यारह बजे के बाद बड़े वाहन चार चक्का से ऊपर सभी तरह के वाहनों का लोहिया चौक से अनुमंडल स्तर पर तैनात किए गए अधिकारी, जारी किया गया हेल्पलाइन नंबर दुर्गा पूजा के दौरान विधि व्यवस्था को देखते हुए स्थानीय और श्रद्धालुओं के सुविधा के अनुसार अधिकारियों को तैनात किया गया है. जिसमें अपर समाहर्ता (राजस्व) अपर जिला दंडाधिकारी राजेश झा को सदर अनुमंडल की विधि व्यवस्था दी गई है. उनका मोबाइल नंबर 94731-91318 है. वहीं, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण गणेश कुमार को बेनीपुर अनुमंडल जिनका मोबाइल नंबर 94318-18422 / 93040-96651 है. जिला परिवहन पदाधिकारी राजेश कुमार को बिरौल अनुमंडल जिनका मोबाइल नंबर 80845-72525 / 62072-51046 है. इन सभी को अनुमंडल के संपूर्ण वरीय प्रभार दिए गए हैं. जानिए किन किन जगहों कौन बने हैं सेक्टर पदाधिकारी दुर्गा पूजा के दौरान शहरी ट्राफिक व्यवस्था विभिन्न मार्गों में बैरीकेडिंग-ड्रॉप गेट की व्यवस्था के लिए कार्यपालक अभियंता भवन को दिया गया है. बैर...

Ashadha Gupt Navratri 2023 Starting Date Maa Durga Pujan Samagri And Vidhi

Ashadha Gupt Navratri 2023: आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरू हो रही है और इसका समापन 28 जून को होगा. तंत्र-मंत्र के दृष्टिकोण से गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है. इसमें दस महाविद्याओं की पूजा जाती है. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान जो लोग पूरे विधि-विधान और नियम से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां अंबे की कृपा से उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. गुप्त नवरात्रि में विधि पूर्वक माता रानी की पूजा करने से माता का जल्द आशीर्वाद मिलता है. पूरे विधि-विधान से पूजा करने के लिए पूजन सामग्री को पहले से ही इकट्ठा कर लेना चाहिए. जानते हैं गुप्त नवरात्रि की पूजन सामग्री के बारे में. गुप्त नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण चीज है मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर है. मां दुर्गा को लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है. इसलिए पूजा में आसन के तौर पर लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें. नवरात्रि में की पूजन सामग्री में फूल, फूल माला, आम के पत्ते, बंदनवार, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पिसी हुई हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री, नारियल जटा वाला और सूखा नारियल को जुटा लें. नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें. इसके अलावा दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती को पहले से ही एकत्रित करके रख लें. गुप्त नवरात्रि की पूजा में हवन जरूरी होता है. इसके लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत रख लें. इस नवरात्रि में मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. इसमें त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रि...

Ashadha Gupt Navratri 2023 Starting Date Maa Durga Pujan Samagri And Vidhi

Ashadha Gupt Navratri 2023: आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरू हो रही है और इसका समापन 28 जून को होगा. तंत्र-मंत्र के दृष्टिकोण से गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है. इसमें दस महाविद्याओं की पूजा जाती है. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान जो लोग पूरे विधि-विधान और नियम से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां अंबे की कृपा से उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. गुप्त नवरात्रि में विधि पूर्वक माता रानी की पूजा करने से माता का जल्द आशीर्वाद मिलता है. पूरे विधि-विधान से पूजा करने के लिए पूजन सामग्री को पहले से ही इकट्ठा कर लेना चाहिए. जानते हैं गुप्त नवरात्रि की पूजन सामग्री के बारे में. गुप्त नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण चीज है मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर है. मां दुर्गा को लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है. इसलिए पूजा में आसन के तौर पर लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें. नवरात्रि में की पूजन सामग्री में फूल, फूल माला, आम के पत्ते, बंदनवार, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पिसी हुई हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री, नारियल जटा वाला और सूखा नारियल को जुटा लें. नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें. इसके अलावा दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती को पहले से ही एकत्रित करके रख लें. गुप्त नवरात्रि की पूजा में हवन जरूरी होता है. इसके लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत रख लें. इस नवरात्रि में मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. इसमें त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रि...

Durga Puja 2022: दुर्गा पूजा में कब और कैसे खेलते हैं 'सिंदूर खेला'? जानें महत्व और इतिहास

दूर्गा पूजा का खासा उत्साह पश्चिम बंगाल में देखने को मिलता है. नवरात्रि के अंतिम दिन विजयादशमी पर सिंदूर खेला उत्सव मनाया जाता है. Durga Puja 2022: प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक शारदीय नवरात्रि ( Shardiya Navratri) को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. मां दुर्गा को समर्पित ये नौ दिवसीय पर्व 26 सितंबर से शुरू होकर 05 अक्टूबर तक चलेगा. मां दुर्गा का त्योहार बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं. नवरात्रि के नौ दिन देवी मां की आराधना और उपवास रखा जाता है. हर राज्य में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के त्योहार को अपने खास रंग-ढंग से मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. दुर्गा पूजा का खासा उत्साह पश्चिम बंगाल में देखने को मिलता है. दुर्गा पूजा में बंगाली समाज का ‘सिंदूर खेला’ अपने आप में अनोखा उत्सव है, जो माता की विदाई के समय मनाया जाता है. आज हम आपको बंगाल के प्रसिद्ध ‘सिंदूर खेला’ उत्सव के बारे में बताने जा रहे हैं. कब मनाते हैं सिंदूर खेला उत्सव? पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, बंगाली समाज के लिए दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है. मां दुर्गा के त्योहार नवरात्रि के अंतिम दिन विजयादशमी पर सिंदूर खेला उत्सव मनाया जाता है. इस दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. माता की विदाई के उत्सव में महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और मां दुर्गा की वंदना करती हैं. इसके साथ महिलाएं मां दुर्गा से अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं. यह भी पढ़ेंः यह भी पढ़ेंः कैसे मनाया जाता है सिंदूर खेला उत्सव दुर्गा विसर्जन की रस्म से पहले सिंदूर उत्सव की शुरुआत माता की महाआरती से होती है. आरती...

Durga Puja 2023: कब है दुर्गा पूजा 2023, तिथि व शुभ मुहूर्त

दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण त्यौहार है जो शक्ति की आराधना का पर्व है। यह पर्व दुनियाभर में दुर्गा उत्सव के नाम से विख्यात है। दुर्गा पूजा का उत्सव निरंतर 10 दिनों तक चलता है। इस त्यौहार को देवी दुर्गा के भक्तों द्वारा बहुत ही उत्साह एवं जोश के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा की वास्तविक शुरुआत षष्ठी तिथि से होती है। इस पर्व को पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, बिहार और झारखंड में बड़े ही हर्षोल्लास एवं श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, दुर्गा पूजा को प्रतिवर्ष अश्विन के महीने में मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, दुर्गा उत्सव सितम्बर या अक्टूबर के महीने में आता है। दुर्गा पूजा में षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयादशमी तिथि का विशेष महत्व है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा पूजा 2023 की तिथि एवं मुहूर्त बिल्व निमन्त्रण शनिवार, अक्टूबर 20, 2023 बिल्व निमंत्रण - 03:39 अपराह्न से 05:57 अपराह्न अवधि - 02 घंटे 18 मिनट षष्ठी तिथि प्रारंभ - 12:31 पूर्वाह्न 20 अक्टूबर 2023 षष्ठी तिथि समाप्त - 20 अक्टूबर 2023 को रात 11:24 दुर्गा सप्तमी शनिवार, अक्टूबर 21, 2023 सप्तमी तिथि शुरू - 20 अक्टूबर 2023 को रात 11:24 बजे सप्तमी तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर 2023 को अपराह्न 09:53 बिल्व निमन्त्रण मंगलवार, अक्टूबर 8, 2024 को बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त - 03:46 पी एम से 06:07 पी एम अवधि - 02 घण्टे 21 मिनट बिल्व निमन्त्रण पञ्चमी तिथि के दिन षष्ठी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 08, 2024 को 11:17 ए एम बजे षष्ठी तिथि समाप्त - अक्टूबर 09, 2024 को 12:14 पी एम बजे दुर्गा सप्तमी बृहस्पतिवार, अक्टूबर 10, 20...