Biography of rani lakshmi bai in hindi

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Rani Lakshmi Bai Biography in hindi रानी लक्ष्मीबाई जीवनी

हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक राजाओं ने लड़ाइयाँ लड़ी और इस कोशिश में हमारे देश की वीर तथा साहसी स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया. इन वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती , रानी लक्ष्मीबाई, आदि का नाम शामिल हैं. रानी लक्ष्मीबाई ने हमारे देश और अपने राज्य झाँसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ने का साहस किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुई- • उनके पिता मोरोपंत ताम्बे बिठुर में न्यायलय में पेशवा थे और इसी कारण वे इस कार्य से प्रभावित थी और उन्हें अन्य लड़कियों की अपेक्षा अधिक स्वतंत्रता भी प्राप्त थी, उनकी शिक्षा– दीक्षा में पढाई के साथ – साथ आत्म – रक्षा, घुड़सवारी, निशानेबाजी और घेराबंदी का प्रशिक्षण भी शामिल था. उन्होंने अपनी सेना भी तैयार कीथी| • रानी लक्ष्मीबाई में अनेक विशेषताएँ थी, जैसे : नियमित योगाभ्यास करना, धार्मिक कार्यों में रूचि, सैन्य कार्यों में रूचि एवं निपुणता, उन्हें घोड़ो की अच्छी परख थी, रानी अपनी का प्रजा का समुचित प्रकार से ध्यान रखती थी, गुनाहगारो को उचित सजा देने की भीहिम्मत रखती थी| • रानी लक्ष्मीबाई नाना साहिब और तात्या टोपे के साथ बड़ी हुईं, जो स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले पहले विद्रोह में सक्रिय भागीदारी रहे थे। • उस समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी, जो एक बहुत ही चतुर व्यक्ति था और उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करने के लिए झांसी के दुर्भाग्यपूर्ण समय का लाभ उठाने का प्रयास किया। ब्रिटिश शासकों ने कम उम्र के दामोदर राव को दिवंगत महाराजा गंगाधर राव और रानी लक्ष्मीबाई के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार नहीं किया। • 7 मार्च, 1854 को ब्रिटिश सरकार ने एक सरकारी गजट जारी किया, जिसके अनुसार झाँसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलन...

Rani Lakshmi bai Biography In Hindi (रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी) Biography In Hindi राजा महाराजा

हमारे देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए कई सारे लोगों ने अपना योगदान दिया कई राजा महाराजाओं ने यह लड़ाई लड़ी कई वीर पुरुषों और वीरांगनाओं ने अपना बलिदान दिया| आज हम आपको ऐसे ही वीरांगना के बारे में बताने वाले हैं जिनका नाम है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई रानी लक्ष्मीबाई को कौन नहीं जानता इनके द्वारा लड़ी गई ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई पूरी दुनिया में मशहूर है | रानी लक्ष्मी जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में सन 1828 में काशी यानी वाराणसी में हुआ था| इनके पिताजी मेरोपंत तांबे बिठूर जो न्यायालय में पेशवा का कार्य करते थे रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही स्वतंत्रता के लिए कई योगदान दी उनका ध्यान शिक्षा दीक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा घुड़सवारी निशानेबाजी और घेराबंदी जैसे कार्य में भाग लेने और सीखने किडनी हमेशा उत्साहित रहता था| उनकी माता जी का नाम भागीरथीbai जो एक ग्रहणी थी पर अपने परिवार को संभाला कर दीजिए रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था और इनके परिवार मेरी ने मनु के नाम से पुकारा जाता था | जब मैं सिर्फ 4 वर्ष की थी तभी उनके माता जी का देहांत हो गया और पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनके पिताजी पर आ गई इसके बाद उनके पिताजी ने रानी लक्ष्मीबाई का पालन पोषण किया और उनका विवाह सन 1842 में उत्तर भारत में स्थित झांसी राज्य के महाराज गंगाधर राव के साथ करवाया तभी से इनका नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पड़ा जमीन का विवाह हुआ तब वह सिर्फ 14 वर्ष की थी इनका विवाह झांसी में स्थित एक गणेश मंदिर में हुआ था 1851 में इन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा परंतु दुर्भाग्यवश वे 4 maah तक जीवित रह पाया और ऐसा कहा जाता है कि महाराज गंगाधर अपने पुत्र की मृत्यु के कारण बीमार रहने ...

Jhansi Ki Rani Lakshmibai Biography – Free Hindi eBooks

Jhansi Ki Rani Lakshmibai Biography Lakshmibai, The Rani Queen of Jhansi 19 November 1835 – 17 June 1858 known as Jhansi Ki Rani, was the queen of the Maratha-ruled princely state of Jhansi, was one of the leading figures of the Indian Rebellion of 1857, and a symbol of resistance to British rule in India. She has gone down in Indian history as a legendary figure, as India’s “Joan of Arc. she was called by the name Manikarnika. Affectionately, her family members called her Manu. At a tender age of four, she lost her mother. As a result, the responsibility of raising her fell upon her father. While pursuing studies, she also took formal training in martial arts, which included horse riding, shooting and fencing. To know the complete life history of Rani Laxmibai of Jhansi, read on Jhansi Fort Originally named Manikarnika at birth nicknamed Manu , she was born on 19 November 1835 at Kashi Varanasi to a Maharashtrian Karhade Brahmin family from Dwadashi, District Satara. She lost her mother at the age of four. She was educated at home. Her father Moropant Tambey worked at the court of Peshwa Baji Rao II at Bithur and then travelled to the court of Raja Gangadhar Rao Newalkar, the Maharaja of Jhansi, when Manu was thirteen years old. She was married to Gangadhar Rao, the Raja of Jhansi, at the age of 14. During that period, Lord Dalhousie was the Governor General of British India. The adopted child was named Damodar Rao. As per the Hindu tradition, he was their legal heir. How...

Rani Laxmi Bai In Hindi

भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई वीरों और वीरांगनाओं ने जन्म लिया। हमारा देश शिवाजी, भगत सिंह जैसे वीरों को पाकर धन्य हुआ वही रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना को पाकर हमारा देश गौरान्वित हुआ। रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के साथ युद्ध करते करते वीरगति को प्राप्त हुई थी। रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय हिंदी में (rani laxmi bai in hindi) आज भी लोगों को प्रेरित करता है। रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय हिंदी में (Rani Laxmi Bai In Hindi ) देश की आज़ादी में महिलाओं ने भी पुरुषों की तरह अपना सम्पूर्ण जीवन दे दिया। रानी लक्ष्मीबाई भी उनमें से एक थी जिन्हें अंग्रेजों के सामने झुकना कतई मंज़ूर नहीं था। उनमें इतना साहस था कि वो ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ और देश की आज़ादी के लिए बिना डरे युद्ध मैदान में कूद गई। रानी लक्ष्मीबाई की कहानी (rani laxmi bai in hindi) पढ़कर आज भी भारतवासियों में इतनी हिम्मत और जोश आ जाता है कि वो बिना डरे मुसीबत से लड़ने को तैयार हो जाते हैं। झांसी की रानी का इतिहास (rani laxmi bai in hindi) पढ़कर आज भी कई लोग अपनी बेटियों को साहसी बनाने के लिए वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की मिसाल देते हैं। Rani laxmi bai in hindi गाथा आज भी कई समारोह में नाट्य के रूप में लोगों के सामने लाई जाती है। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म कब हुआ था रानी लक्ष्मीबाई जैसी शेर दिल वीरांगना का जन्म एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार में 19 नवंबर 1835 को काशी में हुआ। काशी को आज वाराणसी, जो एक भक्तिमय भूमि है, के नाम से जाना जाता है। उनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे था जो एक न्यायालय, बिठुर में पेशवा थे। वो अपने पिता के काम से बहुत प्रभावित थी और शायद इसी कारण उन्हें अपने पिता से बाकी लड़कियों की तुलना में ज्यादा आज़ाद...