बिरहा उजाला यादव

  1. बिरहा
  2. Lok Sabha Election:विपक्षी एकता के लिए अब तक क्या हुआ, किन मुद्दों पर बनी सहमति, 23 की बैठक के बाद क्या होगा?


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बिरहा

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (जून 2020) स्रोत खोजें: · · · · बिरहा बिरहा अहीरों का लोकप्रिय हृदय गीत है। पूर्वांचल की यह लोकगायकी मनोरंजन के अलावा थकावट मिटाने के साथ ही एकरसता की ऊब मिटाने का उत्तम साधन है। बिरहा गाने वालों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की दिनों-दिन बढ़ती संख्या इसकी लोकप्रियता और प्रसार का स्पष्ट प्रमाण है। आजकल पारम्परिक गीतों के तर्ज और धुनों को आधार बनाकर बिरहा काव्य तैयार किया जाता है। ‘पूर्वी’, ‘कहरवा’, ‘खेमटा’, ‘सोहर’, ‘पचरा’, ‘जटावर’, ‘जटसार’, ‘तिलक गीत’, ‘बिरहा गीत’, ‘विदाई गीत’, ‘निर्गुण’, ‘छपरहिया’, ‘टेरी’, ‘उठान’, ‘टेक’, ‘गजल’, ‘शेर’, ‘विदेशिया’, ‘पहपट’, ‘आल्हा’, और खड़ी खड़ी और फिल्मी धुनों पर अन्य स्थानीय लोक गीतों का बिरहा में समावेश होता है। बिरहा के शुरूआती दौर के कवि ‘जतिरा’, ‘अधर’, ‘हफ्तेजूबान’, ‘शीसा पलट’, ‘कैदबन्द’, ‘सारंगी’, ‘शब्दसोरबा’, ‘डमरू’, ‘छन्द’, ‘कैद बन्द’, ‘चित्रकॉफ’ और ‘अनुप्राश अलंकार’ का प्रयोग करते थे। यह विधा भारत के बाहर अनुक्रम • 1 कुछ प्रसिद्ध बिरहा गायक • 2 बिरहा की उत्पत्ति • 3 बिरहा के अंग • 4 संदर्भ कुछ प्रसिद्ध बिरहा गायक [ ] आदिगुरु बिरहा की उत्पत्ति [ ] बिरहा की उत्पत्ति के सूत्र १९वीं शताब्दी के प्रारम्भ में मिलते हैं जब ब्रिटिश शासनकाल में ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कर महानगरों में मजदूरी करने की प्रवृत्ति बढ़ गयी थी। ऐसे श्रमिकों को रोजी-रोटी के लिए लम्बी अवधि तक अपने घर-परिवार से दूर रहना पड़ता था। दिन भर के कठोर श्रम के बाद रात्रि में अपने विरह व्यथा को मिटाने के लिए छोटे-छोटे समूह में ये लोग बिरहा को ऊँचे स्वरों में गायन किया करते थे। कालान्तर में ...

Lok Sabha Election:विपक्षी एकता के लिए अब तक क्या हुआ, किन मुद्दों पर बनी सहमति, 23 की बैठक के बाद क्या होगा?

Lok Sabha Election: विपक्षी एकता के लिए अब तक क्या हुआ, किन मुद्दों पर बनी सहमति, 23 की बैठक के बाद क्या होगा? साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। वहीं, अगले साल की शुरुआत में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सियासी पारा हाई होना स्वभाविक है। इससे पहले विपक्षी दलों में एकजुटता की कोशिशें तेज हो गई हैं। 23 जून को पटना में इससे जुड़ी एक बड़ी बैठक बुलाई गई है। इस बैठक कांग्रेस, जेडीएस, राजद से लेकर टीएमसी, सपा, डीमके तक के नेता मौजूद रहेंगे। बैठक में गठबंधन की रूपरेखा तैयार हो सकती है। ये भी तय होगा कि सीटों का बंटवारा कैसे होगा? कैसे भाजपा को घेरना है इसको लेकर भी मंथन होगा। आइए इस बैठक के एजेंडे और इसके असर के बारे में समझते हैं ... विपक्षी एकजुटता के लिए अब तक क्या हुआ? कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ हुई मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की बैठक में विपक्षी एकजुटता को लेकर कई बिंदुओं पर सहमति बनी है। अब उसी फॉर्मूले के सहारे विपक्ष के अन्य दलों को एकसाथ लाने की कोशिश हो रही है। इस फॉर्मूले पर अंतिम मुहर तब लगेगी जब एकसाथ सारे विपक्षी दलों के नेता बैठक करेंगे।' इस फार्मूले में जो ये अहम बिंदु हैं… 1. भाजपा के खिलाफ वैचारिक एकजुटता: नीतीश कुमार ने खरगे और राहुल से मुलाकात के दौरान ये बात कही थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष को वैचारिक तौर पर एकजुट होना होगा। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर विपक्ष की राय एक है। इन्हीं मुद्दों के सहारे सभी को एक होकर भाजपा से लड़ना होगा। राहुल और खरगे ने भी इसे स्वीकार किया। 2. विपक्षी एकता की अगुआई कांग्रेस करे: नीतीश ने ही इसका प्रस्ताव भी...