Brahm samaj ke sansthapak

  1. ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे? Brahmo Samaj Ke Sansthapak
  2. What Is Brahmo Samaj In Hindi
  3. प्रमुख समाज और उनके संस्थापक, सामाजिक आंदोलन/संगठन और उनके संस्थापक, Pramukh Samaj Ke Sansthapak Trick
  4. brahma samaj ke sansthapak kaun the
  5. भारतीय ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे?


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ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे? Brahmo Samaj Ke Sansthapak

Explanation : ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय थे। इन्होंने उर्दू एवं फारसी की शिक्षा पटना में रह कर प्राप्त की थी। राजा राममोहन राय के पश्चात केशवचंद्र सेन ने ब्रह्म समाज को आगे बढ़ाया। इनके प्रेरणा से पटना एवं गया में ब्रह्म समाज की शाखाएं स्थापित की गई। 1866 में कृष्ण नंदन घोष द्वारा भागलपुर में ब्रह्म समाज की बिहार में प्रथम शाखा स्थापित की गई। शीघ्र ही पटना, मुंगेर, जमालपुर आदि जगहों पर भी इसकी शाखाएं स्थापित की गई। इसके द्वारा समाज से अन्धविश्वास को दूर करने, नैतिक आचरण पर बल देने, एकेश्वरवाद पर बल देने जैसे समाज सुधार के कार्यों को किया गया। ब्रह्म समाज ने बिहार में समाज सुधार एवं शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक कार्य किए। बिहार से जुड़े नेताओं में गुरु प्रसाद सेन, प्रकाश चन्द्र राय, कामिनी देवी आदि का नाम उल्लेखनीय है। Tags : Explanation : मुहम्मद आदिल शाह का मकबरा बीजापुर, कर्नाटक में स्थित है। इसे गोल गुंबज या गोल गुंबद कहा जाता है। बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के मकबरे गोल गुंबज का निर्माण फारसी वास्तुकार दाबुल के याकूत ने 1656 ई. में कराया था। गोल गुंबज • राज्य सभा में सदस्य बनने के लिए किसी भी व्यक्ति की कम से कम आयु कितनी होनी चाहिए?

What Is Brahmo Samaj In Hindi

Brahma samaj ke sansthapak –ब्रह्मसमाजकेसंस्थापक इसकेसंस्थापकराजाराममोहनरायथे।इन्हेंराजाकीउपाधिअकबरद्वितीयनेदियाथा।येहिन्दूधर्मकेकुप्रथाओंकेविरुद्धआवाजउठायेजिसकारणउन्हेंभारतीयपुर्नरजागरण ( सुधार ) तथाआधुनिकभारतकाअगदूतकहाजाताहै।सुभाषचंद्रबोसनेइन्हेंयुगदूतकहाहै।इन्होंने 1817 मेंहिन्दूकॉलेजकीस्थापनाकिया। 1833 ई . मेंलंदनमेंमेनिनजाइटिसकेकारणइनकीमृत्युहोगई।इनकेदोप्रमुखशिष्यदेवेन्द्रनाथटैगोरतथाकेशवचन्द्रसेनथे।इनकेमृत्युकेबादब्रह्मसमाजकीबागडोरदेवेन्द्रनाथटैगोरकेहाथमेंआगई। देवेन्द्रनाथटैगोरतथाकेशवचन्द्रकेबीचमतभेदहोगया।जिसकारणइनदोनोंनेहीब्रह्मसमाजकोछोड़दियादेवेन्द्रनाथटैगोरने 1865 ई . मेंभारतीयआदी ब्रह्मसमाजकीस्थापनाकी।जबकि 1867 मेंकेश्वचन्द्रसेननेवेदसमाजकीस्थापनाकरदी।

प्रमुख समाज और उनके संस्थापक, सामाजिक आंदोलन/संगठन और उनके संस्थापक, Pramukh Samaj Ke Sansthapak Trick

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brahma samaj ke sansthapak kaun the

Brahma Samaj is a book that was first published in the year 1986. It was one of the first books that was written in the present time. Here, you will learn about the Brahma Samaj by its founder Sri Sri Ravi Shankar. The Brahma Samaj is a philosophy that originated in the Indian subcontinent. It is a philosophy of life and the ultimate goal of life is to realize the Absolute. Sri Sri Ravi Shankar, the founder of the Brahma Samaj, was born in Kerala on October 22, 1921. He graduated from the University of Mysore in India, and he was also the principal of the Indira College in Delhi. The Brahma Samaj is a philosophy that originated in the Indian subcontinent. It is a philosophy of life and the ultimate goal of life is to realize the Absolute. Sri Sri Ravi Shankar, the founder of the Brahma Samaj, was born in Kerala on October 22, 1921. He graduated from the University of Mysore in India, and he was also the principal of the Indira College in Delhi. The Brahma Samaj is the world’s oldest religion, its teachings are believed to be the most ancient. It is the oldest and most ancient religion in India and is based on the religion of the Brahma samaj. What is the Brahma Samaj? It is an organization of people who are trained to practice Sri Sri Ravi Shankar’s philosophy of life. The Brahma Samaj is the world’s oldest religion and as such, it is believed that the original teachings of Sri Sri Ravi Shankar were written and transmitted down through centuries of successive incarnations....

भारतीय ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे?

Explanation : भारतीय ब्रह्म समाज के संस्थापक केशव चंद्र सेन थे। वे 19वीं सदी में बंगाल में सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली समाज सुधारक और धार्मिक नेता थे। उनका जन्म 1838 में बैद्य जाति के एक सम्मानित वैष्णव परिवार में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की थी। उनका ब्रह्म समाज के अन्य नेताओं की तुलना में अपने विचारों में अधिक उदार थे और वे अंतर्जातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के प्रबल समर्थक थे। इससे सेन और देबेंद्रनाथ टैगोर के बीच संघर्ष 1865 में और बढ़ गया, जब टैगोर ने ब्रह्म समाज के लोगों को अपने पवित्र धागे (जनेऊ) को पहनने की अनुमति दी। सेन ने इस फैसले का विरोध किया और अपने अनुयायियों के साथ ब्रह्म समाज से हट गए। केशव चंद्र सेन और उनके शिष्यों ने 15 नवंबर, 1866 को भारत के ब्रह्म समाज की स्थापना की।

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