बुध बीज मंत्र

  1. 1326947
  2. दीड वर्षांनी केतू बदलणार आपला मार्ग, या राशीच्या लोकांना धनलाभाची शक्यता
  3. NavGraha Beej Mantra
  4. नवग्रह मंत्र: नवग्रह बीज मंत्र अर्थसहित
  5. NavGraha Beej Mantra
  6. नवग्रह मंत्र: नवग्रह बीज मंत्र अर्थसहित
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  8. दीड वर्षांनी केतू बदलणार आपला मार्ग, या राशीच्या लोकांना धनलाभाची शक्यता
  9. दीड वर्षांनी केतू बदलणार आपला मार्ग, या राशीच्या लोकांना धनलाभाची शक्यता
  10. NavGraha Beej Mantra


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सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं... मैंने सुना है कि महाभारत ग्रंथ घर में रखने से झगड़ा होता है. क्या यह सही है? उदय राज पांडेय, देवघर आम तौर पर महाभारत को मतभेद, वैमनस्य, युद्ध, संहार, द्वेष, विवाद, विघटन, नाश और शोक की कहानियों के रूप में ही देखा जाता है. यद्यपि महाभारत में जीवन को संवारने के और नसीहत लेने के ढेरों सूत्र समाहित हैं, पर कारण चाहे जो भी हो, प्रचलित मान्यताएं, धारणाएं और परंपराएं घर में महाभारत रखने का निषेध ही करती रही हैं, परंतु सिर्फ एक पुस्तक मात्र रखने से हमारी सारी योग्यता और क्षमता धूल धूसरित होकर, हमारी जिंदगी में बवाल मचा देगी और हमारा जीवन दांव पर लग जायेगा, संभव प्रतीत नहीं होता. लिहाजा बहुत-सी बातों की तरह इस परंपरा का भी कोई वैज्ञानिक या तार्किक कारण ज्ञात नहीं है. क्या मुझे कोई सरकारी पद मिल सकता है? मेरी जन्मतिथि 11.05.1993, समय शाम 07.36, स्थान- दरभंगा. प्रांजल शर्मा, दरभंगा आपकी राशि धनु और लग्न मिथुन है. लाभ भाव में सूर्य और बुध की युति जहां बुद्धादित्य योग निर्मित कर रही है, वहीं कर्मेश बृहस्पति लाभ भाव में वि...

दीड वर्षांनी केतू बदलणार आपला मार्ग, या राशीच्या लोकांना धनलाभाची शक्यता

मुंबई, 14 जून: दरवर्षी, असे अनेक ज्योतिषीय संक्रमण असतात जे प्रत्येक राशीवर काही ना काही प्रभाव टाकतात. या वर्षी केतूची राशी बदलत आहे. ज्योतिष शास्त्रानुसार हे संक्रमण अनेक राशींसाठी अत्यंत महत्त्वाचे आणि फायदेशीर ठरेल. यामुळे काही जणांसाठी काळ पूर्णपणे बदलून जाणार आहे. ऑक्टोबर 2023 मध्ये केतू संक्रमण करेल. केतूचे संक्रमण 30 ऑक्टोबर 2023 रोजी होईल. जाणून घ्या कोणत्या राशीच्या लोकांना मिळणार फायदे आणि अशुभ प्रभाव टाळण्यासाठी उपाय- केतू संक्रमणाचा या राशींवर प्रभाव ज्योतिषांच्या मते सिंह, वृषभ आणि धनु राशीच्या लोकांना केतूच्या प्रभावाचा सर्वाधिक फायदा होईल. या राशीचे लोक भरपूर पैसा मिळवण्यात यशस्वी होतील. या वर्षात त्यांनी जे काही केले त्यात यश मिळण्याची दाट शक्यता आहे आणि त्यांना कामात प्रमोशनदेखील मिळू शकते. या राशीच्या लोकांना लांबच्या प्रवासावर जाण्याची संधीदेखील मिळू शकते, ज्यामुळे त्यांना भविष्यात अधिक फायदा होईल. एखादे काम दीर्घकाळ रखडले असेल तर शेवटी त्यांना गती मिळेल. नातेसंबंधांच्या आघाडीवर, असे लोक त्यांच्या प्रियजनांसोबत चांगला वेळ घालवतात. तथापि, या राशीच्या लोकांनी रिअल इस्टेटमध्ये गुंतवणूक करणे किंवा नवीन व्यवसाय सुरू करणे टाळावे. मेष, मिथुन आणि मकर राशीसाठी केतू संक्रमण अशुभ राहील. या राशींसाठी धनहानी होईल आणि काही अपयशही या वर्षी दिसेल. केतु ग्रहाच्या अशुभ प्रभावासाठी उपाय 1. भगवान भैरवाची आराधना करा आणि भैरव चालिसाचा दररोज पाठ करा. 2. कुत्र्यांना खायला द्या. 3. ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: केतवे नमः चा जप करा. हा केतूचा बीज मंत्र आहे. जप करताना प्रार्थना करा की, ग्रह तुमच्या जीवनातील सर्व अडथळे दूर करतील. (सूचना : येथे दिलेली माहिती धार्मिक श्रद्धेवर आधारित आहे. ...

NavGraha Beej Mantra

9 ग्रहों के 9 बीज मंत्र नवग्रहों के बीज मंत्र, तांत्रिक मंत्र, जप संख्या और दान संबंधित जानकारी सूर्य/रवि सूर्य तांत्रिक मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:। एकाक्षरी बीज मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम: जप संख्या- 7000 दान- माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण। चंद्र/ सोम सूर्य तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’। चंद्र एकाक्षरी मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:। जप संख्या– 11,000 दान– वंशपात्र, तंदुल, कपूर, घी, शंख। मंगल/भौम भौम मंत्र- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’। भौम एकाक्षरी मंत्र- ॐ ॐ अंगारकाय नम:। जप संख्या- 1000 दान– प्रवाह, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, गुड़, सुवर्ण ताम्र। बुध बुध मंत्र- ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। बुध का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ बुं बुधाय नम:’। जप संख्या– 9,000 दान– मूंग, हरा वस्त्र, सुवर्ण, कांस्य। गुरु/बृहस्पति गुरु मंत्र- ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’। गुरु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:’। जप संख्या– 19,000 दान– अश्व, शर्करा, हल्दी, पीला वस्त्र, पीतधान्य, पुष्पराग, लवण। शुक्र शुक्र मंत्र- ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’। शुक्र का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शुं शुक्राय नम:’। जप संख्या– 16,000 दान– धेनु, हीरा, रौप्य, सुवर्ण, सुगंध, घी। शनि शनि मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’। शनि का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ जप संख्या– 23000। दान- तिल, तेल, कुलित्‍थ, महिषी, श्याम वस्त्र। राहु राहु मंत्र- ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:’। राहु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ रां राहुवे नम:’। जप संख्या– 18,000 दान– गोमेद, अश्व, कृष्णवस्त्र, कम्बल, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक। केतु केतु का तांत्रिक मंत्र- ‘...

नवग्रह मंत्र: नवग्रह बीज मंत्र अर्थसहित

नवग्रहों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है क्योंकि इनके प्रभाव से ही हमारी कुंडली व भाग्य तय होते हैं। ऐसे में नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) के जाप से सभी नवग्रहों को प्रसन्न किया जा सकता है। नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantra) हमारे शारीरिक व मानसिक विकास के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनसे शरीर में एक नयी चेतना का विकास होता है। इसलिए आज हम नवग्रह मंत्र संस्कृत में तो पढ़ेंगे ही लेकिन साथ ही हर नवग्रह के मंत्र के साथ उनका हिंदी अर्थ भी जानेंगे। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि नवग्रह मंत्र के साथ-साथ हम उस ग्रह की विशेषता के बारे में भी जानेंगे ताकि हमें इसका संपूर्ण लाभ मिल सके। आइए पढ़ें नवग्रह मंत्र इन हिंदी (Navgrah Mantra In Hindi) व संस्कृत दोनों में। नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) नवग्रह मंत्र जाप से पहले हमें नवग्रह के नाम क्रमानुसार जानने चाहिए। हमारे नवग्रहों के नाम हैं: • सूर्य • चन्द्रमा • मंगल या भौमाये • बुध • गुरु या बृहस्पति • शुक्र • शनि • राहु • केतु अब जब हमनें नवग्रहों के नाम क्रमानुसार जान लिए हैं तो चलिए नवग्रह शांति के लिए नवग्रह बीज मंत्र का जाप करते हैं। #1. सूर्य मंत्र (Surya Mantra) ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः पृथ्वी के लिए सबसे महान देवता व आराध्य सूर्य देव ही हैं क्योंकि उनके अस्तित्व के कारण ही पृथ्वी का अस्तित्व है और पृथ्वी के कारण ही हम सभी का अस्तित्व है। यही कारण है कि जब श्रीहरि भी श्रीराम या श्रीकृष्ण रूप में पृथ्वी पर अवतार लेते हैं तो वे सूर्य के उपासक बन जाते हैं। सूर्य बीज मंत्र के जाप से मनुष्य के अंदर चेतना जागृत होती है तथा वह अंधकार से रोशनी की ओर जाता है। सूर्य देव की महत्ता को देखते हुए सूर्य मंत्र के साथ-साथ सूर्य ...

NavGraha Beej Mantra

9 ग्रहों के 9 बीज मंत्र नवग्रहों के बीज मंत्र, तांत्रिक मंत्र, जप संख्या और दान संबंधित जानकारी सूर्य/रवि सूर्य तांत्रिक मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:। एकाक्षरी बीज मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम: जप संख्या- 7000 दान- माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण। चंद्र/ सोम सूर्य तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’। चंद्र एकाक्षरी मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:। जप संख्या– 11,000 दान– वंशपात्र, तंदुल, कपूर, घी, शंख। मंगल/भौम भौम मंत्र- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’। भौम एकाक्षरी मंत्र- ॐ ॐ अंगारकाय नम:। जप संख्या- 1000 दान– प्रवाह, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, गुड़, सुवर्ण ताम्र। बुध बुध मंत्र- ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। बुध का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ बुं बुधाय नम:’। जप संख्या– 9,000 दान– मूंग, हरा वस्त्र, सुवर्ण, कांस्य। गुरु/बृहस्पति गुरु मंत्र- ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’। गुरु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:’। जप संख्या– 19,000 दान– अश्व, शर्करा, हल्दी, पीला वस्त्र, पीतधान्य, पुष्पराग, लवण। शुक्र शुक्र मंत्र- ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’। शुक्र का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शुं शुक्राय नम:’। जप संख्या– 16,000 दान– धेनु, हीरा, रौप्य, सुवर्ण, सुगंध, घी। शनि शनि मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’। शनि का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ जप संख्या– 23000। दान- तिल, तेल, कुलित्‍थ, महिषी, श्याम वस्त्र। राहु राहु मंत्र- ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:’। राहु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ रां राहुवे नम:’। जप संख्या– 18,000 दान– गोमेद, अश्व, कृष्णवस्त्र, कम्बल, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक। केतु केतु का तांत्रिक मंत्र- ‘...

नवग्रह मंत्र: नवग्रह बीज मंत्र अर्थसहित

नवग्रहों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है क्योंकि इनके प्रभाव से ही हमारी कुंडली व भाग्य तय होते हैं। ऐसे में नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) के जाप से सभी नवग्रहों को प्रसन्न किया जा सकता है। नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantra) हमारे शारीरिक व मानसिक विकास के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनसे शरीर में एक नयी चेतना का विकास होता है। इसलिए आज हम नवग्रह मंत्र संस्कृत में तो पढ़ेंगे ही लेकिन साथ ही हर नवग्रह के मंत्र के साथ उनका हिंदी अर्थ भी जानेंगे। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि नवग्रह मंत्र के साथ-साथ हम उस ग्रह की विशेषता के बारे में भी जानेंगे ताकि हमें इसका संपूर्ण लाभ मिल सके। आइए पढ़ें नवग्रह मंत्र इन हिंदी (Navgrah Mantra In Hindi) व संस्कृत दोनों में। नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) नवग्रह मंत्र जाप से पहले हमें नवग्रह के नाम क्रमानुसार जानने चाहिए। हमारे नवग्रहों के नाम हैं: • सूर्य • चन्द्रमा • मंगल या भौमाये • बुध • गुरु या बृहस्पति • शुक्र • शनि • राहु • केतु अब जब हमनें नवग्रहों के नाम क्रमानुसार जान लिए हैं तो चलिए नवग्रह शांति के लिए नवग्रह बीज मंत्र का जाप करते हैं। #1. सूर्य मंत्र (Surya Mantra) ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः पृथ्वी के लिए सबसे महान देवता व आराध्य सूर्य देव ही हैं क्योंकि उनके अस्तित्व के कारण ही पृथ्वी का अस्तित्व है और पृथ्वी के कारण ही हम सभी का अस्तित्व है। यही कारण है कि जब श्रीहरि भी श्रीराम या श्रीकृष्ण रूप में पृथ्वी पर अवतार लेते हैं तो वे सूर्य के उपासक बन जाते हैं। सूर्य बीज मंत्र के जाप से मनुष्य के अंदर चेतना जागृत होती है तथा वह अंधकार से रोशनी की ओर जाता है। सूर्य देव की महत्ता को देखते हुए सूर्य मंत्र के साथ-साथ सूर्य ...

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सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं... मैंने सुना है कि महाभारत ग्रंथ घर में रखने से झगड़ा होता है. क्या यह सही है? उदय राज पांडेय, देवघर आम तौर पर महाभारत को मतभेद, वैमनस्य, युद्ध, संहार, द्वेष, विवाद, विघटन, नाश और शोक की कहानियों के रूप में ही देखा जाता है. यद्यपि महाभारत में जीवन को संवारने के और नसीहत लेने के ढेरों सूत्र समाहित हैं, पर कारण चाहे जो भी हो, प्रचलित मान्यताएं, धारणाएं और परंपराएं घर में महाभारत रखने का निषेध ही करती रही हैं, परंतु सिर्फ एक पुस्तक मात्र रखने से हमारी सारी योग्यता और क्षमता धूल धूसरित होकर, हमारी जिंदगी में बवाल मचा देगी और हमारा जीवन दांव पर लग जायेगा, संभव प्रतीत नहीं होता. लिहाजा बहुत-सी बातों की तरह इस परंपरा का भी कोई वैज्ञानिक या तार्किक कारण ज्ञात नहीं है. क्या मुझे कोई सरकारी पद मिल सकता है? मेरी जन्मतिथि 11.05.1993, समय शाम 07.36, स्थान- दरभंगा. प्रांजल शर्मा, दरभंगा आपकी राशि धनु और लग्न मिथुन है. लाभ भाव में सूर्य और बुध की युति जहां बुद्धादित्य योग निर्मित कर रही है, वहीं कर्मेश बृहस्पति लाभ भाव में वि...

दीड वर्षांनी केतू बदलणार आपला मार्ग, या राशीच्या लोकांना धनलाभाची शक्यता

मुंबई, 14 जून: दरवर्षी, असे अनेक ज्योतिषीय संक्रमण असतात जे प्रत्येक राशीवर काही ना काही प्रभाव टाकतात. या वर्षी केतूची राशी बदलत आहे. ज्योतिष शास्त्रानुसार हे संक्रमण अनेक राशींसाठी अत्यंत महत्त्वाचे आणि फायदेशीर ठरेल. यामुळे काही जणांसाठी काळ पूर्णपणे बदलून जाणार आहे. ऑक्टोबर 2023 मध्ये केतू संक्रमण करेल. केतूचे संक्रमण 30 ऑक्टोबर 2023 रोजी होईल. जाणून घ्या कोणत्या राशीच्या लोकांना मिळणार फायदे आणि अशुभ प्रभाव टाळण्यासाठी उपाय- केतू संक्रमणाचा या राशींवर प्रभाव ज्योतिषांच्या मते सिंह, वृषभ आणि धनु राशीच्या लोकांना केतूच्या प्रभावाचा सर्वाधिक फायदा होईल. या राशीचे लोक भरपूर पैसा मिळवण्यात यशस्वी होतील. या वर्षात त्यांनी जे काही केले त्यात यश मिळण्याची दाट शक्यता आहे आणि त्यांना कामात प्रमोशनदेखील मिळू शकते. या राशीच्या लोकांना लांबच्या प्रवासावर जाण्याची संधीदेखील मिळू शकते, ज्यामुळे त्यांना भविष्यात अधिक फायदा होईल. एखादे काम दीर्घकाळ रखडले असेल तर शेवटी त्यांना गती मिळेल. नातेसंबंधांच्या आघाडीवर, असे लोक त्यांच्या प्रियजनांसोबत चांगला वेळ घालवतात. तथापि, या राशीच्या लोकांनी रिअल इस्टेटमध्ये गुंतवणूक करणे किंवा नवीन व्यवसाय सुरू करणे टाळावे. मेष, मिथुन आणि मकर राशीसाठी केतू संक्रमण अशुभ राहील. या राशींसाठी धनहानी होईल आणि काही अपयशही या वर्षी दिसेल. केतु ग्रहाच्या अशुभ प्रभावासाठी उपाय 1. भगवान भैरवाची आराधना करा आणि भैरव चालिसाचा दररोज पाठ करा. 2. कुत्र्यांना खायला द्या. 3. ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: केतवे नमः चा जप करा. हा केतूचा बीज मंत्र आहे. जप करताना प्रार्थना करा की, ग्रह तुमच्या जीवनातील सर्व अडथळे दूर करतील. (सूचना : येथे दिलेली माहिती धार्मिक श्रद्धेवर आधारित आहे. ...

दीड वर्षांनी केतू बदलणार आपला मार्ग, या राशीच्या लोकांना धनलाभाची शक्यता

मुंबई, 14 जून: दरवर्षी, असे अनेक ज्योतिषीय संक्रमण असतात जे प्रत्येक राशीवर काही ना काही प्रभाव टाकतात. या वर्षी केतूची राशी बदलत आहे. ज्योतिष शास्त्रानुसार हे संक्रमण अनेक राशींसाठी अत्यंत महत्त्वाचे आणि फायदेशीर ठरेल. यामुळे काही जणांसाठी काळ पूर्णपणे बदलून जाणार आहे. ऑक्टोबर 2023 मध्ये केतू संक्रमण करेल. केतूचे संक्रमण 30 ऑक्टोबर 2023 रोजी होईल. जाणून घ्या कोणत्या राशीच्या लोकांना मिळणार फायदे आणि अशुभ प्रभाव टाळण्यासाठी उपाय- केतू संक्रमणाचा या राशींवर प्रभाव ज्योतिषांच्या मते सिंह, वृषभ आणि धनु राशीच्या लोकांना केतूच्या प्रभावाचा सर्वाधिक फायदा होईल. या राशीचे लोक भरपूर पैसा मिळवण्यात यशस्वी होतील. या वर्षात त्यांनी जे काही केले त्यात यश मिळण्याची दाट शक्यता आहे आणि त्यांना कामात प्रमोशनदेखील मिळू शकते. या राशीच्या लोकांना लांबच्या प्रवासावर जाण्याची संधीदेखील मिळू शकते, ज्यामुळे त्यांना भविष्यात अधिक फायदा होईल. एखादे काम दीर्घकाळ रखडले असेल तर शेवटी त्यांना गती मिळेल. नातेसंबंधांच्या आघाडीवर, असे लोक त्यांच्या प्रियजनांसोबत चांगला वेळ घालवतात. तथापि, या राशीच्या लोकांनी रिअल इस्टेटमध्ये गुंतवणूक करणे किंवा नवीन व्यवसाय सुरू करणे टाळावे. मेष, मिथुन आणि मकर राशीसाठी केतू संक्रमण अशुभ राहील. या राशींसाठी धनहानी होईल आणि काही अपयशही या वर्षी दिसेल. केतु ग्रहाच्या अशुभ प्रभावासाठी उपाय 1. भगवान भैरवाची आराधना करा आणि भैरव चालिसाचा दररोज पाठ करा. 2. कुत्र्यांना खायला द्या. 3. ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: केतवे नमः चा जप करा. हा केतूचा बीज मंत्र आहे. जप करताना प्रार्थना करा की, ग्रह तुमच्या जीवनातील सर्व अडथळे दूर करतील. (सूचना : येथे दिलेली माहिती धार्मिक श्रद्धेवर आधारित आहे. ...

NavGraha Beej Mantra

9 ग्रहों के 9 बीज मंत्र नवग्रहों के बीज मंत्र, तांत्रिक मंत्र, जप संख्या और दान संबंधित जानकारी सूर्य/रवि सूर्य तांत्रिक मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:। एकाक्षरी बीज मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम: जप संख्या- 7000 दान- माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण। चंद्र/ सोम सूर्य तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’। चंद्र एकाक्षरी मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:। जप संख्या– 11,000 दान– वंशपात्र, तंदुल, कपूर, घी, शंख। मंगल/भौम भौम मंत्र- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’। भौम एकाक्षरी मंत्र- ॐ ॐ अंगारकाय नम:। जप संख्या- 1000 दान– प्रवाह, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, गुड़, सुवर्ण ताम्र। बुध बुध मंत्र- ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’। बुध का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ बुं बुधाय नम:’। जप संख्या– 9,000 दान– मूंग, हरा वस्त्र, सुवर्ण, कांस्य। गुरु/बृहस्पति गुरु मंत्र- ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’। गुरु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:’। जप संख्या– 19,000 दान– अश्व, शर्करा, हल्दी, पीला वस्त्र, पीतधान्य, पुष्पराग, लवण। शुक्र शुक्र मंत्र- ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’। शुक्र का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शुं शुक्राय नम:’। जप संख्या– 16,000 दान– धेनु, हीरा, रौप्य, सुवर्ण, सुगंध, घी। शनि शनि मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’। शनि का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ जप संख्या– 23000। दान- तिल, तेल, कुलित्‍थ, महिषी, श्याम वस्त्र। राहु राहु मंत्र- ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:’। राहु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ रां राहुवे नम:’। जप संख्या– 18,000 दान– गोमेद, अश्व, कृष्णवस्त्र, कम्बल, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक। केतु केतु का तांत्रिक मंत्र- ‘...