बुकर पुरस्कार प्राप्त भारतीय लेखिका

  1. भारतीय लेखिका गीताञ्जली श्रीलाई बुकर
  2. Geetanjali Shree: आंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेती भारतातील पहिली लेखिका
  3. Booker Prize 2022: गीताजंलि श्री, बुकर पुरस्‍कार और हिंदी पर चिंतन
  4. 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार : मुख्य बिंदु
  5. International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं
  6. International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं
  7. 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार : मुख्य बिंदु
  8. भारतीय लेखिका गीताञ्जली श्रीलाई बुकर
  9. Geetanjali Shree: आंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेती भारतातील पहिली लेखिका
  10. Booker Prize 2022: गीताजंलि श्री, बुकर पुरस्‍कार और हिंदी पर चिंतन


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भारतीय लेखिका गीताञ्जली श्रीलाई बुकर

• शीर्षक • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • इ-पत्रिका • • Language • English Set language to English (Except News) • नेपाली सबै सुचना तथा लिंक नेपालीमा हेर्नुहोस् • सम्पर्क ठेगाना • कान्तिपुर पब्लिकेशन्स् लि. सेन्ट्रल बिजनेस पार्क, थापाथली काठमाडौं, नेपाल +977-01-5135000 +977-01-5135001 • ‘टम्ब अफ स्यान्ड इन्टरनेसनल बुकर पुरस्कार पाउने कुनै पनि भारतीय भाषामा मूल रूपमा लेखिएको पहिलो पुस्तक हो र हिन्दी भाषाबाट अनुवादित पहिलो उपन्यास पनि,’ बुकर प्राइज फाउन्डेसनले भनेको छ, ‘उपन्यास एक ८० वर्षीया महिलाको जीवनमा आधारित छ। यसको कथा मौलिक हुनुका साथै धर्म, देश र लिंगको सीमाबाट सिर्जित विनाशकारी असरमाथि आधारित छ।’ अंग्रेजी भाषामा लेखिएको वा अनुवाद गरिएको तथा इंग्ल्यान्ड वा आयरल्यान्डमा छापिएको पुस्तकलाई सन् २००५ देखि यो पुरस्कार प्रदान गरिँदै आएको छ। यो वर्षका लागि ५ वटा पुस्तक अन्तिम छनोटमा परेकोमा टम्ब अफ स्यान्डले बाजी मारेको हो। पुरस्कारको राशि ५० हजार पाउन्ड छ। उक्त रकम लेखिका र अनुवादकले बाँडेर लिनेछन्। ‘मैले कहिल्यै पनि अन्तर्राष्ट्रिय बुकर पुरस्कार जित्ने कल्पनासमेत गरेको थिइनँ। कहिल्यै सोचेको पनि थिइनँ कि यतिसम्म गर्न सक्छु। यो मेरा लागि निकै ठूलो पुरस्कार हो। जसबाट म प्रसन्न, सम्मानित र विनम्र महसुस गरिरहेको छु,’ पुरस्कार हस्तान्तरणपछि गीताञ्जलीले प्रतिक्रिया दिइन्, ‘म र यो पुस्तक दक्षिण एसियाली भाषामध्ये एक समृद्ध साहित्यिक परम्परासँग जोडिएको छ। विश्व साहित्य यिनै भाषाका केही राम्रा लेखकसँग परिचित भएर समृद्ध हुनेछ।’ राजकमल प्रकाशनद्वारा प्रकाशित रेत समाधि बुकर जित्ने मात्र नभई, यसको ‘लङ लिस्ट’ र ‘सर्ट लिस्ट’ मा छानिने पहिलो हिन्दी भाषाको पुस्तकसमेत हो। यो ...

Geetanjali Shree: आंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेती भारतातील पहिली लेखिका

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री यांच्या ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ या कादंबरीला बुकर पुरस्कारानं सन्मानित करण्यात आलं आहे. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ही कांदबरी गीतांजलि श्री यांच्या ‘रेत समाधी’ या हिंदी कादंबरीचा इंग्रजी अनुवाद आहे. अमेरिकन लेखिका ‘डेजी रॉकवेल’ यांनी ‘रेत समाधी’चा इंग्रजी अनुवाद केला होता. बुकर सारख्या प्रतिष्ठीत पुरस्कारानं सन्मानित झालेली ही पहिलीच हिंदी कादंबरी असून यामुळे गीतांजलि यांच्यावर कौतुकाचा वर्षाव होत आहे. (Booker Award winner Geetanjali Shree) बुकर पुरस्कारासाठी जगभरातली 13 पुस्तकं अंतिम यादीत होती. त्यात लेखिका गीतांजलि श्री यांच्या कादंबरीचाही समावेश होता. बुकर पुरस्काराची मोहोर उमटवणारी ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ही हिंदी भाषेतील पहिली कादंबरी ठरली आहे. लंडनमध्ये झालेल्या एका शानदार समारंभात गीतांजलि श्री यांनी ‘बुकर पुरस्कार’ स्विकारला. त्यांना 50 हजार पाऊंड एवढी रक्कमही पुरस्कार स्वरुपात मिळाली आहे. सध्या दिल्ली येथे वास्तव्यास असलेल्या गीतांजलि मूळ उत्तर प्रदेश, मैनपुरी येथील रहिवासी आहेत. बुकर पुरस्कार जाहीर झाल्यावर गीतांजलि यांना एखाद्या स्वप्नासारखा आभास झाला. हा पुरस्कार कधी आपल्याला मिळेल अशी अपेक्षाही त्यांनी केली नव्हती, असे त्यांनी सांगितले. अत्यंत आनंद देणारी ही घटना असल्याचे गीतांजलि यांनी नमूद केले आहे. (Booker Award winner Geetanjali Shree) या पुरस्कारासाठी त्यांनी हिंदी, इंग्रजी आणि फ्रेंच प्रकाशकांचे आभार मानले आहेत. या पुरस्कारामुळे माझ्यासारख्याच अन्य हिंदी भाषिक लेखकांनाही प्रोत्साहन मिळेल, असा आशावादही त्यांनी व्यक्त केला आहे. कादंबरी आणि कथा संग्रहांच्या लेखिका असणाऱ्या गीतांजलि यांच्या साहित्याचा इंग्रजी, जर्मनी,सर्बियन, फ्रेंच आणि कोरीअन भाषांमध्येही...

Booker Prize 2022: गीताजंलि श्री, बुकर पुरस्‍कार और हिंदी पर चिंतन

प्रख्‍यात लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ (अंग्रेज़ी अनुवाद tomb of sand टूम ऑफ सैंड) बुकर प्राइज़ से सम्मानित होने वाला दक्षिण एशिया का, भारत का और हिंदी भाषा का पहला उपन्यास है. इस लिहाज से यह देश के लिए व हिंदी साहित्‍य जगत के लिए फ़ख़्र का क्षण है. इस क्षण में हिंदी साहित्‍य की दशा और दिशा पर गौर भी कर लेना चाहिए. खासकर, तब जब इनदिनों यह बहस हावी है कि हिंदी में अच्‍छा नहीं लिखा जा रहा है. गुरुवार और शुक्रवार की देर रात लंदन से एक ऐसी खबर आई जिसने साहित्‍य जगत में लहरें उठा दी है. यह खबर है, प्रख्‍यात लेखिका गीतांजलि श्री को विश्व भर में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्‍कार मिलना. गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ (अंग्रेज़ी अनुवाद tomb of sand टूम ऑफ सैंड) बुकर प्राइज़ से सम्मानित होने वाला दक्षिण एशिया का, भारत का और हिंदी भाषा का पहला उपन्यास है. इस लिहाज से यह देश के लिए व हिंदी साहित्‍य जगत के लिए फ़ख़्र का क्षण है. इस क्षण में जब गीतांजलि श्री के इस उपन्‍यास, उनकी अन्‍य रचनाओं के बहाने उनके सृजन पर बात हो रही है, हिंदी साहित्‍य की दशा और दिशा पर गौर भी कर लेना चाहिए. खासकर, तब जब इनदिनों यह बहस हावी है कि हिंदी में अच्‍छा नहीं लिखा जा रहा है. गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘टूम ऑफ सैंड’ विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था. यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है, जो बुकर की दौड़ में शामिल हुआ. ऐसे में ‘टूम ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है. गीतांजलि श्री का जन्म 1957 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था. वे इनदिनों दिल्ली में रहती हैं. ‘रेत समा...

2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार : मुख्य बिंदु

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री ने अमेरिकी अनुवादक डेज़ी रॉकवेल के साथ “Tomb of Sand” नामक पुस्तक के लिए 2022 का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है। यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में लिखी गई है और यह किसी भी भारतीय भाषा की पहली पुस्तक है जिसे यह हाई-प्रोफाइल पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार दुनिया भर के उन उपन्यासों को मान्यता देता है जिनका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया है। इस पुरस्कार में 50,000 पाउंड (63,000 डॉलर) की पुरस्कार राशि है, जिसे रॉकवेल और श्री के बीच विभाजित किया जाएगा। मुख्य बिंदु पुस्तक का मूल नाम “रेत समाधि” है। यह किताब एक 80 वर्षीय महिला की कहानी है जो अपने पति के निधन के बाद गहरे अवसाद का अनुभव करती है। आखिरकार, मुख्य किरदार अपने अवसाद पर काबू पाता है और 1947 के विभाजन के दौरान अपने पीछे छोड़े गए अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करता है। अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार ( International Booker Prize) अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष आयरलैंड या यूके में प्रकाशित उपन्यास के अनुवादित कार्य के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार बुकर पुरस्कार के साथ चलाया जाता है जो अंग्रेजी भाषा के उपन्यास के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार दो साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है जो बुकर पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है। 2005 में, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम से शुरू हुआ और 2015 तक द्विवार्षिक रूप से दिया गया। 2016 से इसे सालाना दिया जा रहा है। इस पुरस्कार में 50,000 पाउंड का पुरस्कार दिया जाता है जो अनुवादक और लेखक के बीच समान रूप से विभाजित होता है। साथ ही, प्रत्येक शॉर्टलिस्ट किए गए अनुवादक और लेखक को भी 2,500 पाउंड मिलते ह...

International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं

• • India Hindi • International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं-ये तो सपना लग रहा International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं-ये तो सपना लग रहा भारत की जानी मानी लेखिका और साहित्यकार गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला International Booker Prize 2022, पुरस्कार मिलने पर बोलीं गीतांजलि श्री-मेरे लिए ये तो सपने जैसा लग रहा है. कभी सोचा भी नहीं था. geetanjali shree, Tomb of Sand International Booker Prize 2022: भारत के लिए बड़े गर्व की बात है. देश की जानी-मानी लेखिका और उपन्यासकार गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘Tomb of Sand’ के लिए साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज दिया गया है. ये पहली बार है कि किसी हिंदी उपन्यास के लिए किसी लेखिका को दुनिया के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है. पुरस्कार पाने के बाद इस दिग्गज भारतीय लेखिका ने कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं. मैं चकित, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. ये बिल्कुल सपने जैसा है. Also Read: • • • हिंदी उपन्यास के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार गीतांजलि श्री की ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को जब अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तो ये बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि ये उपन्यास बुकर प्राइज के लिए हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया. इसके बाद अब 2022 का बुकर प्राइज भी इस उपन्यास को ही मिला है. बता दें कि लेखिका और साहित्यकार गीतांजलि श्री का यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित...

International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं

• • India Hindi • International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं-ये तो सपना लग रहा International Booker Prize 2022: गीतांजलि श्री को ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला बुकर प्राइज, बोलीं-ये तो सपना लग रहा भारत की जानी मानी लेखिका और साहित्यकार गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘Tomb of Sand’ के लिए मिला International Booker Prize 2022, पुरस्कार मिलने पर बोलीं गीतांजलि श्री-मेरे लिए ये तो सपने जैसा लग रहा है. कभी सोचा भी नहीं था. geetanjali shree, Tomb of Sand International Booker Prize 2022: भारत के लिए बड़े गर्व की बात है. देश की जानी-मानी लेखिका और उपन्यासकार गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘Tomb of Sand’ के लिए साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज दिया गया है. ये पहली बार है कि किसी हिंदी उपन्यास के लिए किसी लेखिका को दुनिया के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है. पुरस्कार पाने के बाद इस दिग्गज भारतीय लेखिका ने कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं. मैं चकित, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. ये बिल्कुल सपने जैसा है. Also Read: • • • हिंदी उपन्यास के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार गीतांजलि श्री की ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को जब अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तो ये बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि ये उपन्यास बुकर प्राइज के लिए हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया. इसके बाद अब 2022 का बुकर प्राइज भी इस उपन्यास को ही मिला है. बता दें कि लेखिका और साहित्यकार गीतांजलि श्री का यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित...

2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार : मुख्य बिंदु

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री ने अमेरिकी अनुवादक डेज़ी रॉकवेल के साथ “Tomb of Sand” नामक पुस्तक के लिए 2022 का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है। यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में लिखी गई है और यह किसी भी भारतीय भाषा की पहली पुस्तक है जिसे यह हाई-प्रोफाइल पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार दुनिया भर के उन उपन्यासों को मान्यता देता है जिनका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया है। इस पुरस्कार में 50,000 पाउंड (63,000 डॉलर) की पुरस्कार राशि है, जिसे रॉकवेल और श्री के बीच विभाजित किया जाएगा। मुख्य बिंदु पुस्तक का मूल नाम “रेत समाधि” है। यह किताब एक 80 वर्षीय महिला की कहानी है जो अपने पति के निधन के बाद गहरे अवसाद का अनुभव करती है। आखिरकार, मुख्य किरदार अपने अवसाद पर काबू पाता है और 1947 के विभाजन के दौरान अपने पीछे छोड़े गए अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करता है। अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार ( International Booker Prize) अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष आयरलैंड या यूके में प्रकाशित उपन्यास के अनुवादित कार्य के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार बुकर पुरस्कार के साथ चलाया जाता है जो अंग्रेजी भाषा के उपन्यास के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार दो साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है जो बुकर पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है। 2005 में, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम से शुरू हुआ और 2015 तक द्विवार्षिक रूप से दिया गया। 2016 से इसे सालाना दिया जा रहा है। इस पुरस्कार में 50,000 पाउंड का पुरस्कार दिया जाता है जो अनुवादक और लेखक के बीच समान रूप से विभाजित होता है। साथ ही, प्रत्येक शॉर्टलिस्ट किए गए अनुवादक और लेखक को भी 2,500 पाउंड मिलते ह...

भारतीय लेखिका गीताञ्जली श्रीलाई बुकर

• शीर्षक • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • इ-पत्रिका • • Language • English Set language to English (Except News) • नेपाली सबै सुचना तथा लिंक नेपालीमा हेर्नुहोस् • सम्पर्क ठेगाना • कान्तिपुर पब्लिकेशन्स् लि. सेन्ट्रल बिजनेस पार्क, थापाथली काठमाडौं, नेपाल +977-01-5135000 +977-01-5135001 • ‘टम्ब अफ स्यान्ड इन्टरनेसनल बुकर पुरस्कार पाउने कुनै पनि भारतीय भाषामा मूल रूपमा लेखिएको पहिलो पुस्तक हो र हिन्दी भाषाबाट अनुवादित पहिलो उपन्यास पनि,’ बुकर प्राइज फाउन्डेसनले भनेको छ, ‘उपन्यास एक ८० वर्षीया महिलाको जीवनमा आधारित छ। यसको कथा मौलिक हुनुका साथै धर्म, देश र लिंगको सीमाबाट सिर्जित विनाशकारी असरमाथि आधारित छ।’ अंग्रेजी भाषामा लेखिएको वा अनुवाद गरिएको तथा इंग्ल्यान्ड वा आयरल्यान्डमा छापिएको पुस्तकलाई सन् २००५ देखि यो पुरस्कार प्रदान गरिँदै आएको छ। यो वर्षका लागि ५ वटा पुस्तक अन्तिम छनोटमा परेकोमा टम्ब अफ स्यान्डले बाजी मारेको हो। पुरस्कारको राशि ५० हजार पाउन्ड छ। उक्त रकम लेखिका र अनुवादकले बाँडेर लिनेछन्। ‘मैले कहिल्यै पनि अन्तर्राष्ट्रिय बुकर पुरस्कार जित्ने कल्पनासमेत गरेको थिइनँ। कहिल्यै सोचेको पनि थिइनँ कि यतिसम्म गर्न सक्छु। यो मेरा लागि निकै ठूलो पुरस्कार हो। जसबाट म प्रसन्न, सम्मानित र विनम्र महसुस गरिरहेको छु,’ पुरस्कार हस्तान्तरणपछि गीताञ्जलीले प्रतिक्रिया दिइन्, ‘म र यो पुस्तक दक्षिण एसियाली भाषामध्ये एक समृद्ध साहित्यिक परम्परासँग जोडिएको छ। विश्व साहित्य यिनै भाषाका केही राम्रा लेखकसँग परिचित भएर समृद्ध हुनेछ।’ राजकमल प्रकाशनद्वारा प्रकाशित रेत समाधि बुकर जित्ने मात्र नभई, यसको ‘लङ लिस्ट’ र ‘सर्ट लिस्ट’ मा छानिने पहिलो हिन्दी भाषाको पुस्तकसमेत हो। यो ...

Geetanjali Shree: आंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेती भारतातील पहिली लेखिका

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री यांच्या ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ या कादंबरीला बुकर पुरस्कारानं सन्मानित करण्यात आलं आहे. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ही कांदबरी गीतांजलि श्री यांच्या ‘रेत समाधी’ या हिंदी कादंबरीचा इंग्रजी अनुवाद आहे. अमेरिकन लेखिका ‘डेजी रॉकवेल’ यांनी ‘रेत समाधी’चा इंग्रजी अनुवाद केला होता. बुकर सारख्या प्रतिष्ठीत पुरस्कारानं सन्मानित झालेली ही पहिलीच हिंदी कादंबरी असून यामुळे गीतांजलि यांच्यावर कौतुकाचा वर्षाव होत आहे. (Booker Award winner Geetanjali Shree) बुकर पुरस्कारासाठी जगभरातली 13 पुस्तकं अंतिम यादीत होती. त्यात लेखिका गीतांजलि श्री यांच्या कादंबरीचाही समावेश होता. बुकर पुरस्काराची मोहोर उमटवणारी ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ही हिंदी भाषेतील पहिली कादंबरी ठरली आहे. लंडनमध्ये झालेल्या एका शानदार समारंभात गीतांजलि श्री यांनी ‘बुकर पुरस्कार’ स्विकारला. त्यांना 50 हजार पाऊंड एवढी रक्कमही पुरस्कार स्वरुपात मिळाली आहे. सध्या दिल्ली येथे वास्तव्यास असलेल्या गीतांजलि मूळ उत्तर प्रदेश, मैनपुरी येथील रहिवासी आहेत. बुकर पुरस्कार जाहीर झाल्यावर गीतांजलि यांना एखाद्या स्वप्नासारखा आभास झाला. हा पुरस्कार कधी आपल्याला मिळेल अशी अपेक्षाही त्यांनी केली नव्हती, असे त्यांनी सांगितले. अत्यंत आनंद देणारी ही घटना असल्याचे गीतांजलि यांनी नमूद केले आहे. (Booker Award winner Geetanjali Shree) या पुरस्कारासाठी त्यांनी हिंदी, इंग्रजी आणि फ्रेंच प्रकाशकांचे आभार मानले आहेत. या पुरस्कारामुळे माझ्यासारख्याच अन्य हिंदी भाषिक लेखकांनाही प्रोत्साहन मिळेल, असा आशावादही त्यांनी व्यक्त केला आहे. कादंबरी आणि कथा संग्रहांच्या लेखिका असणाऱ्या गीतांजलि यांच्या साहित्याचा इंग्रजी, जर्मनी,सर्बियन, फ्रेंच आणि कोरीअन भाषांमध्येही...

Booker Prize 2022: गीताजंलि श्री, बुकर पुरस्‍कार और हिंदी पर चिंतन

प्रख्‍यात लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ (अंग्रेज़ी अनुवाद tomb of sand टूम ऑफ सैंड) बुकर प्राइज़ से सम्मानित होने वाला दक्षिण एशिया का, भारत का और हिंदी भाषा का पहला उपन्यास है. इस लिहाज से यह देश के लिए व हिंदी साहित्‍य जगत के लिए फ़ख़्र का क्षण है. इस क्षण में हिंदी साहित्‍य की दशा और दिशा पर गौर भी कर लेना चाहिए. खासकर, तब जब इनदिनों यह बहस हावी है कि हिंदी में अच्‍छा नहीं लिखा जा रहा है. गुरुवार और शुक्रवार की देर रात लंदन से एक ऐसी खबर आई जिसने साहित्‍य जगत में लहरें उठा दी है. यह खबर है, प्रख्‍यात लेखिका गीतांजलि श्री को विश्व भर में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्‍कार मिलना. गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ (अंग्रेज़ी अनुवाद tomb of sand टूम ऑफ सैंड) बुकर प्राइज़ से सम्मानित होने वाला दक्षिण एशिया का, भारत का और हिंदी भाषा का पहला उपन्यास है. इस लिहाज से यह देश के लिए व हिंदी साहित्‍य जगत के लिए फ़ख़्र का क्षण है. इस क्षण में जब गीतांजलि श्री के इस उपन्‍यास, उनकी अन्‍य रचनाओं के बहाने उनके सृजन पर बात हो रही है, हिंदी साहित्‍य की दशा और दिशा पर गौर भी कर लेना चाहिए. खासकर, तब जब इनदिनों यह बहस हावी है कि हिंदी में अच्‍छा नहीं लिखा जा रहा है. गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘टूम ऑफ सैंड’ विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था. यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है, जो बुकर की दौड़ में शामिल हुआ. ऐसे में ‘टूम ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है. गीतांजलि श्री का जन्म 1957 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था. वे इनदिनों दिल्ली में रहती हैं. ‘रेत समा...