चंद्र ग्रहण कैसे लगता है

  1. Chandra Grahan 2022: चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण में धरती पर किसका दिखता है सबसे अधिक प्रभाव? जानें यहां
  2. चन्द्र ग्रहण कैसे होता है? Diagram के साथ Umbra, Penumbra को समझें
  3. चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) क्यों लगता है? चंद्र ग्रहण के प्रकार
  4. चंद्रग्रहण क्या है? : कब और कैसे लगता है? इसका कारण क्या होता है?
  5. ग्रहण क्या है सूर्य और चन्द्र ग्रहण कैसे लगता है।
  6. किस स्थिति में लगता है चंद्र ग्रहण? जानिए पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में क्या है अंतर
  7. Last Lunar Eclipse of 2021 : हर साल क्यों लगता सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक वजह !


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Chandra Grahan 2022: चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण में धरती पर किसका दिखता है सबसे अधिक प्रभाव? जानें यहां

चंद्र ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र या अपने इष्ट देवता का स्मरण करना चाहिए. ग्रहण समाप्त होने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. Chandra Grahan 2022: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण को अशुभ घटना के तौर पर देखा जाता है. आमतौर पर ग्रहण दो प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण. 2022 में दो चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण हैं, जिनका राशियों के अलावा पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं पर खासा असर देखने को मिलता है. आज हम जानेंगे भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी हितेंद्र कुमार शर्मा से कि आखिर चंद्र और सूर्य ग्रहण में से कौन सबसे अधिक पृथ्वी को प्रभावित करता है. चंद्र ग्रहण कैसे लगता है चंद्र ग्रहण के समय जब चंद्रमा और सूरज के बीच पृथ्वी आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढक लेती है तो इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं. यह भी पढ़ें – कैसे लगता है सूर्य ग्रहण जब सूर्य ग्रहण लगता है तो पृथ्वी और सूरज के बीच चंद्रमा आ जाता है. चंद्रमा के बीच में आने से चंद्रमा की छाया पृथ्वी को ढक लेती है, इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं. कैसा होता है छाया का असर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर चंद्रमा की छाया पड़ती है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो सूर्य ग्रहण का प्रभाव धरती पर अधिक होता है. जानकारी के अनुसार चंद्र ग्रहण चंद्रमा को अधिक प्रभावित करता है. वहीं सूर्य ग्रहण पृथ्वी को ज्यादा प्रभावित करता है. हालांकि चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों का असर पृथ्वी पर देखने को मिलता है. चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र या अपने इष्ट देवता का स्मरण करना चाहिए. ग्रहण समाप्त होने के बाद ...

चन्द्र ग्रहण कैसे होता है? Diagram के साथ Umbra, Penumbra को समझें

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चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) क्यों लगता है? चंद्र ग्रहण के प्रकार

चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) में धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) को नंगी आंखों से देखा जा सकता है जबकि सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान पहुंच सकता है। इसे देखने के लिए किसी तरह के चश्मे की जरुरत नहीं पड़ती है। पृथ्वी, सूरज और चंद्रमा की गतियों की वजह से ग्रहण होते हैं। चन्द्रग्रहण वह घटना होती है जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है। जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण होता है। चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं होता है। हर बार चंद्रमा चंद्र ग्रहण के प्रकार चन्द्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है: पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वीं आ जाती है और पृथ्वीं चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है तो उस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। इस समय चंद्रमा पूरी तरह से लाल नजर आता है। लाल होने के साथ ही उस समय चंद्रमा पर धब्बे भी साफ देखे जा सकते हैं। यह स्थिति सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही बनती है। पूर्णिमा के दिन ही पूर्ण चंद्र ग्रहण होने की पूरी संभावना होती है। आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse) जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर ही पड़ती है। पृथ्वीं की यह छाया सूर्य और चंद्रमा के कुछ खंड पर ही पड़ती है। इसलिए इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। यह ग्रहण काल ज्यादा लंबे समय का नहीं होता है। इस चंद्र ग्रहण की अवधि कुछ घंटो की ही होती है। खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse) खंडच्छायायुक्त चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वीं की छाया से धुंधला नही होता है। बल्कि यहां पर उपछाया उपस्थित होती है। इसी कारण खंडच्छायायुक...

चंद्रग्रहण क्या है? : कब और कैसे लगता है? इसका कारण क्या होता है?

मेरा नाम गीता मौर्या है। मैं कंप्यूटर बेसिक नॉलेज कोर्स से सर्टिफाइड हूँ। फिलहाल मै बीए कर रही हूँ। कंटेंट राइटिंग और सरल तरीके से नए विचारधारा का लेख लिखना मुझे पसंद है। मै सही और गलत वेबसाइट के मंच के ज़रिये यह चाहती हूँ की पुरे दुनिया भर में हिंदी भाषा और हिंदी लेख के माध्यम से हर तरह के ज्ञान का प्रसार किया जाए। July 24, 2019 August 5, 2019 March 6, 2019 May 20, 2018 March 22, 2020 January 2, 2018 February 14, 2019 July 11, 2020 January 12, 2020 January 5, 2020 February 19, 2019 March 2, 2019 May 19, 2018 May 29, 2020 April 7, 2019 March 12, 2018 March 30, 2018 July 3, 2020 February 17, 2019 June 15, 2020 April 4, 2020 July 24, 2019 April 8, 2021 July 7, 2018

ग्रहण क्या है सूर्य और चन्द्र ग्रहण कैसे लगता है।

ग्रहण क्या है सूर्य और चन्द्र ग्रहण कैसे लगता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में ग्रहण का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म ग्रंथों में ग्रहण के प्रभाव का वर्णन किया गया है। धर्म ग्रंथों में गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों पर ग्रहण के विशेष प्रभाव का वर्णन मिलता है। ग्रहण क्या है सूर्य और चन्द्र ग्रहण कैसे लगता है। आइए जानते हैं इस पोस्ट में:- ग्रहण क्या है? What is Eclipse? ग्रहण एक खगोलीय घटना है। इस घटना में जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाती है या सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है। तो ऐसी स्थिति में पृथ्वी के कुछ हिस्सों पर सूर्य की रोशनी अथवा चंद्रमा का प्रकाश नहीं पहुंच पाता। तो इस स्थिति को ग्रहण कहते हैं। ग्रहण दो प्रकार के होते हैं:- 1• चन्द्र ग्रहण 2• सूर्य ग्रहण ☆ चन्द्र ग्रहण Lunar Eclipse जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। ऐसी स्थिति को चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) कहते हैं। चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को लगता है। चन्द्र ग्रहण Lunar Eclipse ☆ सूर्य ग्रहण Solar Eclipse जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाती है तो पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है। वहां सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) होता है। सूर्य ग्रहण की घटना अमावस्या के दिन होती है। वर्ष में न्यूनतम 2 तथा अधिकतम 5 सूर्यग्रहण हो सकता है। सूर्य ग्रहण Solar Eclipse ☆ सूर्य ग्रहण के प्रकार Type of Solar Eclipse • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Eclipse) जब चंद्रमा पृथ्वी के काफी पास रहते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाती है। और इससे पृथ्वी से सूर्य पूरी तरह ढकी हुई प्रतीत होती है। तथा पृथ्वी पर कुछ हिस्सों में अंधेरा छा जाता है। ऐसी स्थिति क...

किस स्थिति में लगता है चंद्र ग्रहण? जानिए पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में क्या है अंतर

ग्रहण को लेकर लोगों के मन में एक उत्सुकता बनी रहती है। हर कोई इस खगोलीय घटना का दीदार करना चाहता है। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में ग्रहण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं भी प्रचलित है। भारत में चंद्र को ग्रहण लगना अशुभ माना गया है। इसलिए इस दौरान कई कार्य निषेध होते हैं। 26 मई को लगने वाले ग्रहण की डिटेल: चंद्र ग्रहण दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर शुरू हुआ और समाप्ति 7 बजकर 19 मिनट पर हुई। ये ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगा। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे रही। भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, ओशिनिया, अलास्का, कनाडा और दक्षिण अमेरिका के कई भागों में देखा गया। चंद्र ग्रहण कब लगता है? चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन लगता है। लेकिन हर पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण नहीं होता। ये तो कुछ विशेष परिस्थितियों में ही लगता है। खगोलशास्त्रियों की मानें तो चंद्र ग्रहण एक साधारण घटना है क्योंकि सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों तरफ और उपग्रह अपने ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। जब सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी और पृथ्वी के चारों तरफ चन्द्रमा चक्कर लगाते-लगाते सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है। तब इस स्थिति में चन्द्र ग्रहण लगता है। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं: खगोलशास्त्रियों के अनुसार चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होतो हैं जो इस प्रकार हैं… पूर्ण चंद्र ग्रहण- जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चांद को पूरी तरह से ढक लेती है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण का नजारा देखने को मिलता है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है। जिसे सुपर ब्लड मून कहते हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण...

Last Lunar Eclipse of 2021 : हर साल क्यों लगता सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक वजह !

हर साल सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) लगते हैं. ग्रहण को धार्मिक रूप से शुभ नहीं माना जाता. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि धार्मिक रूप से मान्यता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य या चंद्रमा कष्टकारी स्थिति में होते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं. इसलिए ये स्थिति आम जनमानस पर भी विपरीत असर डालती है और अशुभ मानी जाती है. जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से कोई भी ग्रहण एक खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है. 19 नवंबर शुक्रवार के दिन एक बार फिर से चंद्र ग्रहण पड़ने जा रहा है. ये 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण है. इस मौके पर यहां जनिए कि ग्रहण को लेकर धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता. धार्मिक दृष्टि से ये है मान्यता ग्रहण को लेकर राहु, चंद्र और सूर्य की एक मान्यता प्रचलित है. इस मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन के बाद अमृतपान को लेकर देव और दानवों के बीच विवाद शुरू हुआ तो भगवान विष्णु मोहिनी का रूप रखकर आए और अमृत कलश अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने बारी बारी से सबको अमृत पिलाने के लिए कहा. मोहिनी को देखकर सभी दानव मोहित हो गए थे, इसलिए उन्होंने मोहिनी की बात मान ली और चुपचाप अलग जाकर बैठ गए. मोहिनी ने पहले देवताओं को अमृतपान पिलाना शुरू कर दिया. इस बीच स्वर्भानु नामक राक्षस को मोहिनी की चाल का आभास हो गया और वो चुपचाप देवताओं के बीच जाकर बैठ गया. धोखे से मोहिनी ने उसे अमृतपान दे दिया. लेकिन तभी देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने उसे देख लिया और भगवान विष्णु को बता दिया. क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से दानव का गला काटकर अलग कर दिया. लेकिन वो दानव तब तक अमृत के कुछ घूंट पी चुका था, इसलिए गला कटने के बाद भी उसकी मृत्यु नहीं हुई. उस दानव का सिर ...