चंद्र शेखर आजाद

  1. चंद्र शेखर आजाद
  2. Chandrashekhar Azad Biography in Hindi
  3. Chandra Shekhar Azad Jayanti
  4. Chandra Shekhar Azad Death Anniversery Know Interesting Things
  5. चंद्रशेखर आजाद की जीवनी, Chandra Shekhar Azad Biography
  6. चंद्रशेखर आजाद की Biography: आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे...


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चंद्र शेखर आजाद

चर्चित शब्द (संज्ञा) राजा जनक की पुत्री तथा राम की पत्नी। (संज्ञा) सेना का प्रधान और सबसे बड़ा अधिकारी। (संज्ञा) वह रोग जिसमें भोजन नहीं पचता। (विशेषण) जिसे बुद्धि न हो या बहुत कम हो या जो मूर्खतापूर्ण आचरण करता हो। (विशेषण) जो किसी क्रिया में लगा हुआ हो। (विशेषण) जो किसी वस्तु, स्थान आदि के मध्य या बीच में स्थित हो। (विशेषण) जो प्रशंसा के योग्य हो। (विशेषण) कहीं-कहीं पर होने वाला। (विशेषण) अच्छे चरित्रवाली। (संज्ञा) भोजन, वस्त्र आदि देकर जीवन रक्षा करने की क्रिया।

Chandrashekhar Azad Biography in Hindi

आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है। नमस्कार मित्रो आज हम Chandrashekhar Azad Biography in Hindi,में एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी और निडर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय हिंदी में देने वाले है। क्रांतिकारी चंद्रशेखर का जन्म 23 जुलाई 1906 को भाबरा, मध्यप्रदेश में हुआ था। काकोरी ट्रेन डकैती, विधानसभा में बम की घटना और लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए कीगयी थी। आज हम chandrashekhar azad quotes ,chandrashekhar azad jayanti और चंद्रशेखर आजाद का इतिहास बताने वाले है। वह लाहौर में सॉन्डर्स की हत्या जैसी घटनाओं में शामिल क्रांतिकारी का चेहरा थे। पंडित सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के पुत्र, चंद्रशेखर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भाबरा में प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए। उन्हें उत्तरप्रदेश के वाराणसी की संस्कृत पाठशाला में भेजा गया था। आज chandrashekhar azad slogan in hindi में जानकारी के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल पूरी तरह से पढ़ना पड़ेगा। वर्तमान समय में चंद्रशेखर आजाद के पर निबंध भी लिखे जाते है। तो चलिए चंद्रशेखर आजाद बलिदान दिवस की बताना शुरू करते है। Chandrashekhar Azad Biography in Hindi – जन्म 23 जुलाई 1906 जन्म स्थान भावरा ,मध्यप्रदेश पिता पंडित सीताराम तिवारी माता जगरानी देवी प्रसिद्ध नाम आजाद मृत्यु 27 फरबरी 1931 चंद्र शेखर आजाद की जीवनी – एक बहुत ही कम उम्र में वह क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गये। वे महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। जब क्रांतिकारी गतिविधियां लिप्त होने के लिए ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें पकड़ा, अपनी पहली सजा के रूप में उन्हें 15 कोड़ों की सजा सुनाई गयी। उस समय चंद्रशेखर की आयु महज 15 साल थी। राजनैतिक कैरियर क्रन...

Chandra Shekhar Azad Jayanti

Chandra Shekhar Azad Jayanti | “मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा” यह नारा था भारत की आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले देश के महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का। चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम चंद्र शेखर तिवारी तथा उपनाम “पंडित जी” था, चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान अलीराजपुर जिला) में एक ब्राह्मण परिवार में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ था। उनके पूर्वज ग्राम बदरका वर्तमान उन्नाव जिले (बैसवारा) से थे। चंद्रशेखर आजाद हमेशा आजाद ही रहे, उन्होंने सुखदेव राजगुरु और भगत सिंह को फांसी ना हो इसके लिए भी काफी प्रयत्न किए, किंतु वीरभद्र की मुखबिरी के कारण अंग्रेजों द्वारा 27 फ़रवरी, 1931 के दिन इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में हुई भीषण गोलीबारी के दौरान देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी ने अपने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • Chandra Shekhar Azad Jayanti | चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ। आजाद का जन्मस्थान भाबरा अब ‘आजादनगर’ के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। उनके पूर्वज ग्राम बदरका वर्तमान उन्नाव जिला (बैसवारा) से थे। आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी अकाल के समय अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भाबरा गाँव में बस गये। यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी...

Chandra Shekhar Azad Death Anniversery Know Interesting Things

जिस वक्त चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) पढ़ाई कर रहे थे उसी वक्त जलियावाला कांड हो गया. जिसके बाद वो 1920 असहयोग आंदोलन से जुड़ गए. आजाद रामप्रसाद बिस्मिल के क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (एचआरए) से जुड़े. यहां से उनकी जिंदगी बदल गई. उन्होंने सरकारी खजाने को लूट कर संगठन की क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाना शुरू कर दिया. उनका मानना था कि यह धन भारतीयों का ही है जिसे अंग्रेजों ने लूटा है. रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय भाग लिया था. चंद्र शेखर आजाद ने1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था. चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव और अपने एक अन्य और मित्र के साथ योजना बना रहे थे. अचानक अंग्रेज पुलिस ने उनपर हमला कर दिया. आजाद ने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिससे कि सुखदेव (यह वे सुखदेव नहीं हैं जो भगत सिंह के साथ फांसी पर चढ़ाए गए थे) वहां से बचकर निकल सके. पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए थे. वे सैकड़ों पुलिस वालों के सामने 20 मिनट तक लोहा लेते रहे. उन्होंने संकल्प लिया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी. इसीलिए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी. चंद्रशेखर आजाद की लिखी पंक्तियां: दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे.

चंद्रशेखर आजाद की जीवनी, Chandra Shekhar Azad Biography

Biography Chandra Shekhar Azad: महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की जीवनी हिंदी में – इनका वास्तविक नाम “ पंडित चंद्रशेखर तिवारी” था – जानिए इनकी परिवार, काकोरी कांड, मृत्यु और तथ्यों की जानकारी। जब कभी हमारे बीच वीर करान्तकरियो की बात की जाती है या उनका जिक्र किया जाता है तो हमारे दिमाग में कुछ दिव्य महापुरुषों का नाम सर्वप्रथम हमारे दिमाग में आता है। Table of Contents • • • • • • • • चंद्रशेखर आजाद की जीवनी (Chandra Shekhar Azad Biography) आजाद ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें बहुत ही कम उम्र में जेल जाना पड़ा था। आजाद हमेशा आजाद रहना चाहते थे और इनहोने यह प्रण ली थी की कभी भी अंग्रेजो के द्वारा पकडे नहीं जाएँगे। इनहोने अपने इस प्रण का पालन करते हुए अंग्रेजो से लड़ते समय अपने एन गोली से उन्होंने स्वाम को मारते थे। चंद्रशेखर आजाद जीवन परिचय: जन्मतिथि 23rd जुलाई 1906 जन्म स्थान भावरा, मध्य प्रदेश राष्ट्रीयता भारतीय माता जगरानी देवी पुण्यतिथि 27 फरवरी 1931 (24 वर्ष की आयु में ) पिता पंडित सीताराम तिवारी शिक्षा उत्तर प्रदेश के वाराणसीकी संस्कृत पाठशाला। प्रसिद्ध नाम आजाद ( “मुक्त”) सम्बंधित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन राजनीतिक कैरियर क्रांतिकारी नेता, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक कार्यकर्ता उपलब्धियां पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त के लिए खुद को प्रतिबद्ध चंद्रशेखर आजाद का आरंभीक जीवन: वीर स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 में भाबरा नामक गाँव में हुआ था जो मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में स्थित है। आजाद के पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और इनकी माता जति देवी थी जो पंडित सीताराम के तीसरी पत्नी थी। आजाद का पैत्रिक स्थान बदरका था जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश ...

चंद्रशेखर आजाद की Biography: आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे...

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की Biography : जिसने बांधा 'कफन' का सेहरा क्रांतिकारी आजाद का जन्‍म 23 जुलाई को उत्‍तर प्रदेश के उन्‍नाव जिले के बदरका गांव में 1906 में हुआ था। आजाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी अकाल पड़ने पर गांव छोड़ कर मध्‍य प्रदेश चले गये थे। उनकी मां का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा में ही बीता। अंग्रेज शासित भारत में पले बढ़े आजाद की रगों में शुरू से ही अंग्रेजों के प्रति नफरत भरी हुई थी। 15 दिन की सजा मिली आजाद की एक खासियत थी न तो वे दूसरों पर जुल्म कर सकते थे और न स्वयं जुल्म सहन कर सकते थे। 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग कांड ने उन्‍हें झकझोर कर रख दिया था। चन्द्रशेखर उस समय पढ़ाई कर रहे थे। तभी से उनके मन में एक आग धधक रही थी। महात्‍मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन खत्‍म किये जाने पर सैंकड़ों छात्रों के साथ चन्द्रशेखर भी सड़कों पर उतर आये। छात्र आंदोलन के वक्‍त वो पहली बार गिरफ्तार हुए। 1 अगस्‍त 1925 को काकोरी कांड सन 1922 में गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन को अचानक बंद कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आ गया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ गये। तभी वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। आज़ाद ने क्रांतिकारी बनने के बाद सबसे पहले 1 अगस्‍त 1925 को काकोरी कांड को अंजाम दिया। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन इसके बाद 1927 में बिसमिल के साथ मिलकर उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया। दल के लिए धन जुटाया भगत सिंह व उनके साथियों ने लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला संडर्स को मार कर...