छोटी दिवाली कब है

  1. Diwali 2019 Date, Choti Diwali/Deepawali Kab hai, Check Diwali Subh Muhurat, Puja Timing, Significance
  2. Diwali 2022 know deepawali date time and pujan muhurat
  3. छोटी दिवाली का महत्व
  4. Choti Diwali 2021: कब है छोटी दिवाली? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि
  5. Chhoti Diwali 2022 Why Is Chhoti Diwali Celebrated Narak Chaturdashi Katha
  6. Diwali 2022 when is choti diwali 23 oct 24 oct confirm date of choti and badi diwali date shubh muhurt rncr
  7. Chhoti Diwali 2022:छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहते हैं? आसान शब्दों में जानें सबकुछ
  8. Diwali 2021: Why Choti Diwali Known As Narak Choudas?


Download: छोटी दिवाली कब है
Size: 5.38 MB

Diwali 2019 Date, Choti Diwali/Deepawali Kab hai, Check Diwali Subh Muhurat, Puja Timing, Significance

दिवाली (Diwali or Deepawali) का त्योहार हिंदू धर्म के बड़े त्याहारों में से एक है. दिवाली का त्योहार पूरे देशभर में धूम-धाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल दिवाली (Diwali or Deepawali) 27 अक्टूबर को है. हालांकि अमावस्या 28 अक्टूबर को भी है. हिंदू पुराणों के मुताबिक, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, लेकिन यह भी नियम है कि संध्या के समय यानी प्रदोष काल में और मध्य रात्रि में ही अमावस्या की तिथि शुरू हो जाती है. इसी दिन फिर दिवाली सेलिब्रेट की जाती है. यदि आप भी दिवाली की तारीख को लेकर संदेह में हैं तो आपको बता दें कि शास्त्रों के नियम की वजह से इस साल दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी. दरअसल 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी. 28 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जा रही है. इसलिए दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस साल दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:42- 08:12 बजे तक है. बड़ी दिवाली से पहले छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन रात को घर के बाहर यम की पूजा करने की मान्यता है. इस साल छोटी दिवाली 26 अक्टूबर को पड़ रही है. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), यम चतुर्दशी (Yam Chaturdashi), रूप चतुर्दशी (Roop Chatirdashi) या रूप चौदस (Roop Chaudas) के नाम से भी जाना जाता है. खास बात यह है कि छोटी दिवाली की रात घर के बाहर दीपक जलाया जाता है.

Diwali 2022 know deepawali date time and pujan muhurat

इस साल कब पड़ेगी दिवाली? यहां जानें तारीख और पूजन का समय Diwali 2022: हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार विशेष महत्व होता है. सालभर लोग दिवाली का बेसर्बी से इंतजार करते हैं. देशभर में दिवाली का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार है. आइए जानते हैं दिवाली का त्योहार 2022 में कब है? दिवाली के बाद के त्योहार कब है? नई दिल्ली: Diwali 2022: हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व होता है. सालभर लोगों को दिवाली का इंतजार रहता है. इस दिन लोग अपने घर में मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं. दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार है. यह धनतेरस, छोटी दिवाली, दीपावली, भाई दूज और गोवरधन पूजा है. ऐसे में हर किसी को दिवाली का बेसर्बी से इंतजार रहता है. ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि साल 2022 में दिवाली का त्योहार किस दिन है. क्योंकि देशभर में दिवाली की तैयारियां कई महीने पहले से शुरू हो जाती है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में लक्ष्मी का आगमन बना रहता है. लोग अभी से इंटरनेट पर दिवाली कब है सर्च कर रहे हैं. ऐसे में हम इस लेख में आपको बताएंगे साल 2022 में दिवाली कब है. दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त्त हिंदु पंचाग के अनुसार शुभ मुहूर्त्त के दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. वहीं घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. ऐसे में आप अभी मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त्त नोट कर लें. साल 2022 में दिवाली के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त् 24 अक्टूबर को 6 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक है. दिवाली के दिन टोटल 1 घंटे 21 मिनट तक का समय पूजा ...

छोटी दिवाली का महत्व

महत्वपूर्ण जानकारी • छोटी दिवाली 2023 • शनिवार, 11 नवंबर 2023 • चतुर्दशी तिथि शुरू: 11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 नवंबर 2023 दोपहर 02:45 बजे कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है। छोटी दीपावली वाले दिन को कई ओर त्योहर भी होते है जैसे धन तेरस और नरक चतुर्दशी। इस दिन लोग अपने घर में नये बर्तन व चाँदी खरीदनें का प्रचलन है। छोटी दीपावली का दिन भी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस त्योहार का मुख्य घर में उजाला और घर के हर कोने को प्रकाशित करना है। कहा जाता है दीपावली से एक दिन पहले अयोध्या में भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण के आने की खुशी में, एक दिन पहले से ही दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई थी और दीपावली के दिन भगवान श्री राम चन्द्र जी चैदह वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या आये थे तब अयोध्या वासियों ने अपनी खुशी के दिए जलाकर उत्सव मनाया व भगवान श्री रामचन्द्र माता जानकी व लक्ष्मण का स्वागत किया और इस दिन को बड़ी दीपावली भी कहा जाता है। श्रीकृष्ण की पूजा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था और और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है। यमराज की पूजा सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। शाम को यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए। छोटी दीपावल की पूजा सूर्यादय से पहले आटा, तेल, हल्दी का उबटन मलकर स्नान करें। फिर एक थाली में एक चैमुखी दीपक तथा 16 छोटे दीपक लेकर उनमें तेल बाती डालकर जलावें। फिर रोली, खील, गुड़, धूप, अबीर, गुलाल,...

Choti Diwali 2021: कब है छोटी दिवाली? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि

छोटी दिवाली आमतौर पर दिवाली उत्सव के दूसरे दिन मनाई जाती है। छोटी दीवाली को धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है। आज हम आपको तारीख, पूजा का समय, शुभ मुहूर्त और बहुत कुछ चीजों की जानकारी देगें, जिससे मां लक्ष्मी सदैव आपके घर रहें। छोटी दिवाली 2021 छोटी दिवाली को काली चौदस, नरक चतुर्दशी और अन्य कई नामों से जाना जाता है। यह कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को चिह्नित करता है, जो शालिवाहन शक हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने में मनाया जाता है। चौदस का मतलब (14) चौदह अंक को कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण, सत्यभामा और काली ने इसी दिन राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस दिन अक्सर महाकाली और शक्ति की पूजा में बिताया जाता है। बताया जाता है कि यह दिन आलस्य और बुराई जैसे राक्षसों के उन्मूलन का भी प्रतीक है, जो हमारे जीवन में अंधेरा लाते हैं, जिससे यह सब उज्ज्वल हो जाता है। कुछ लोग इस दिन हनुमान जयंती भी मनाते हैं। छोटी दिवाली पूजा का समय, शुभ मुहूर्त इस वर्ष छोटी दीवाली का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं द्रिक पंचांग के अनुसार, छोटी दिवाली पर पूजा करने का शुभ समय 11.49 बजे से 12:41 बजे, 4 नवंबर तक है। यह अवधि 51 मिनट की है। अभयंग स्नान अनुष्ठान करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05.40 बजे से 06.03 बजे तक है। साथ ही कोई भी शाम 5.17 बजे के बाद 'चतुर्मुखी दीपक' जलाकर शांति और बुराई को दूर करने के लिए प्रार्थना कर सकता है। हनुमान जयंती पूजा के लिए, चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर को सुबह 09.02 बजे शुरू होती है और 04 नवंबर को सुबह 06.03 बजे समाप्त होती है।

Chhoti Diwali 2022 Why Is Chhoti Diwali Celebrated Narak Chaturdashi Katha

Chhoti Diwali 2022, Narak Chaturdashi Katha: दिवाली इस साल 24 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रही है. आमतौर पर दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है, लेकिन इस बार दिवाली के दिन ही छोटी दिवाली भी पड़ रही है. छोटी दिवाली को यम दिवाली या नरक चतुर्दशी कहते हैं. इस दिन यम देवता के निमित्त घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक दीप जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, छोटी दिवाली कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. लेकिन क्या आप जानने हैं कि छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं. अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं कि आखिर छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है. छोटी दिवाली को काली चौदस या नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी राज्य में नरकासुर नामक एक राक्षस रहता था. कहते हैं उसने इंद्र देव को पराजित करके देवी माता के कान की बाली छीन लिया था. इसके अलावा वह असुर देवी-देवताओं और ऋषियों की बेटियों को अपहरण करके उन्हें अपने घर में बंदी बनाकर रखा था. महिलाओं के प्रति नरकासुर के द्वेष भाव को देखकर सत्यभामा ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि उन्हें नरकासुर के बध का अवसर दिया जाए. कहा जाता है कि नरकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी महिला के हाथों ही होगी. कथा में आगे वर्णन मिलता है कि सत्यभामा भगवान श्रीकृष्ण के रथ पर बैठकर नकरासुर का वध करने के लिए गईं. जिसके बाद सत्यभामा ने युद्ध में नरकासुर का वध करके सभी कन्याओं को छुड़वा लिया. जिसके बाद नरकासुर की माता ने घोषणा की कि उसके पुत्र के मृत्यु के दिन को मातम के तौर पर ना मनाकर एक उत्सव के रूप में मनाया जाए. यही वजह है कि इस दिन छोटी दिव...

Diwali 2022 when is choti diwali 23 oct 24 oct confirm date of choti and badi diwali date shubh muhurt rncr

Diwali 2022 Confirm Date: देशभर में दिवाली के त्योहार की धूम मची हुई है. त्योहार के शुरू होते ही लोगों की खरीदारियां भी शुरू हो गई है. पाच दिन चलने वाला यह त्योहार धनतेरस से शुरू होता है. इसके बाद छोटी दिवाली (Choti Diwali), गोवर्धन (Govardhan) और भाई दूज (Bhai Dooj) के साथ यह पर्व समाप्त होता है. इस बार छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली की तारिखों को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या है छोटी और बड़ी दिवाली की सही डेट और शुभ मुहूर्त. ज्योतिषों के अनुसार जो लोग 22 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाएंगे, वे लोग 23 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाएं. वहीं जो लोग 23 अक्टूबर को धनतेरस मनाएंगे, वे 24 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नकर चतुर्दशी और बड़ी दिवाली का पर्व मनाएंगे. ये भी पढ़ें: Dhanteras पर भूलकर भी न करें इन चीजों को खरीदने की गलती, घर में आएगी दरिद्रता नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) की डेट और शुभ मुहूर्त छोटी दिवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. इस साल यह तिथि 23 अक्टूबर को शाम 6.04 बजे से शुरू होगी और 24 अक्टूबर शाम 5.28 बजे समाप्त होगी. इस उदया तिथि को देखते हुए लोग 24 को भी छोटी दिवाली का त्योहार मना सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग 23 अक्टूबर को ही यह त्योहार मनाएंगे. बड़ी दिवाली की डेट और शुभ मुहूर्त कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5.28 से शुरू होकर अगले दिन यानी 25 अक्टूबर शाम 4.19 बजे तक रहेगी. लेकिन, बड़ी दिवाली 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. बता दें कि 25 अक्टूबर की शाम को प्रदोष काल लगने से पहले अमावस्या खत्म हो रही है इसलिए दिवाली का त्योहार 24 को ही मनाया जाएगा.

Chhoti Diwali 2022:छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहते हैं? आसान शब्दों में जानें सबकुछ

Chhoti Diwali 2022: दीपावली के पावन पर्व की शुरुआत 23 अक्तूबर 2022 से हो रही है। दीपावली पांच दिनों का पर्व होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। इसके बाद छोटी दिवाली और दीपावली मनाई जाती है। दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व आता है। हालांकि इस बार छोटी दिवाली और दीपावली एक ही दिन मनाई जा रही है। 23 अक्तूबर से नरक चतुर्दशी की तिथि लग रही है। वहीं दिवाली के दिन यानी 24 अक्तूबर को छोटी दिवाली और प्रकाश पर्व दीपावली मनाई जा रही है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन माता लक्ष्मी का आगमन होता है और घर की दरिद्रता दूर होती है। नरक चतुर्दशी को मनाने के पीछे की खास वजह है। साथ ही नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के नाम से पुकारने की भी खास वजह है। आइए जानते हैं क्यों और कैसे मनाई जाती है छोटी दिवाली? क्यों छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहते हैं? कब मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी का पर्व धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से पहले मनाते हैं। इस बार नरक चतुर्दशी 23 अक्तूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी के दिन क्यों जलाते हैं दीया? इस दिन शाम को दीपक जलाने की भी परंपरा है। धार्मिक मान्यता अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम का दीया जलाया जाता है। कहा जाता है कि यम देव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। सभी पापों का नाश करने और जीवन की परेशानियों से...

Diwali 2021: Why Choti Diwali Known As Narak Choudas?

नई दिल्ली: Diwali 2021: दीवाली कल यानि गुरुवार कोहै. पर इसकी तैयारियां दशहरे के आसपास से ही हर घर में शुरू हो जाती हैं. पांच दिन चलने वाले इस त्योहार का हर दिन महत्वपूर्ण होता है. फिर चाहें वो धनतेरस हो, नरक चौदस हो या कोई अन्य दिन. पांच दिवसीय दीप पर्व की शुरूआत धनतेरस से हो जाती है, जबकि दूसरे दिन नरक चौदस मनाया जाता है. जिसे छोटी दीवाली भी कहते हैं, जो कि आज है. आज केदिन का भी खूब महत्व है. नरक चौदस, रूप चौदस और छोटी दिवाली तीनों आज केदिन के नाम से है. माना जाता है कि दीवाली की साफ सफाई में दिन बिताने के बाद छोटी दीवाली का दिन रूप सज्जा और खुद की देखभाल में बिताया जाता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहा जाता है. पर नरक चौदस नाम पड़ने के पीछे कई किंवदंतियां जुड़ी हैं. ये छोटी दिवाली का शुभ मुहूर्त दुनियाभर के हिन्दु समुदाय के लोग पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुकूल समय को शुभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है. इस बार छोटी दिवाली तीननवंबर यानी आजपूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक रहेगा. स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक होगा. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है. नरकासुर का वध माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने आज केदिन ही नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था,इसलिए इसे नरक चौदस कहा जाने लगा. इसे मुक्ति पर्व भी माना जाता है. नरकासुर राक्षस देव-देवियों और मनुष्यों सभी को बहुत परेशान करता था. श्रीमद्भागवत के अनुसार नरकासुर ने न केवल देवताओं की नाक में दम कर रखा था, बल्कि 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था. तीनों लोक उसके अत्याचारों...