चीन का क्या हाल-चाल है

  1. भारत के दो पड़ोसी चीन की गुंडागर्दी से खफा, सीमाओं पर कैसी चालें चल रहा है चीन?
  2. चीन
  3. India China Relations: चालबाज चीन की नई चाल, भारत के दोस्तों को तोड़ने में जुटा 'ड्रैगन', जानिए कैसे
  4. चीन का इतिहास
  5. अक्साई चिन में चीन की क्या है नई चाल? 5 पॉइंट में समझिए भारत की चिंता
  6. After 3 Years Of Galwan Conflict, It Is Now Clear That China Is Not Going To Adhere To LAC So India Has To Be Prepared
  7. भारत के दो पड़ोसी चीन की गुंडागर्दी से खफा, सीमाओं पर कैसी चालें चल रहा है चीन?
  8. चीन का इतिहास
  9. चीन
  10. अक्साई चिन में चीन की क्या है नई चाल? 5 पॉइंट में समझिए भारत की चिंता


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भारत के दो पड़ोसी चीन की गुंडागर्दी से खफा, सीमाओं पर कैसी चालें चल रहा है चीन?

भारत के साथ सीमा विवाद (Indo-China Border Dispute) में उलझकर लद्दाख में LAC पर तनाव (Border Tension) पैदा करने वाले चीन की गुंडागर्दी के और सबूत भी सामने आ रहे हैं. भारत के दो सहयोगी पड़ोसी देशों ने भी चीन के साथ सीमाओं पर गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं. म्यांमार और भूटान एक तरफ भारत के पुराने साथी देश (Indian Neighbors) रहे हैं, तो चीन यहां भी विस्तारवाद (Expansionism) की महत्वाकांक्षा दर्शाने से नहीं चू​क रहा है और छोटे व कमज़ोर देशों के सामने दबंगई दिखाने में लगा है. पहले म्यांमार की बात करें, तो हाल में म्यांमार ने रूसी मीडिया के सामने आधिकारिक तौर पर चीन का नाम लिये बगैर कहा कि 'एक विदेशी ताकत' उसकी ज़मीन पर विद्रोह और आतंक भड़काने के लिए साज़िश कर रही है. अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार इस ताकत का अर्थ चीन ही मान रहे हैं. चीन पर म्यांमार ने किस तरह के आरोप लगाए हैं? साथ ही जानें कि इससे भारत का क्या लेना देना है और भूटान भी क्यों चीन के रवैये से परेशान है. 'आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है चीन' म्यांमार सेना (Tatmadaw) के प्रवक्ता के हवाले से खबरों में कहा गया है कि म्यांमार में आतंकवादी संगठन घोषित अरकान आर्मी के पीछे कथित तौर पर चीन का हाथ है. प्रवक्ता ने दावा किया कि 2019 में रखाइन राज्य में जो माइन हमले हुए, उनमें अरकान आर्मी ने काफी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया. वहीं, म्यांमार की शांति व सुरक्षा संस्था ने खुलासा किया कि आतंकी संगठन के ज़्यादातर ​ह​थियार 'मेड इन चाइना' पाए गए. ये भी पढ़ें :- आकाश में 18 किमी ऊंचाई तक निशाना भेदने वाली आकाश मिसाइल से बचना आसान नहीं हथियार चीनी हैं और महंगे भी म्यांमार मिलिट्री ने हाल में, यह भी खुलासा किया कि नवंबर 2019 में Ta’ang National ...

चीन

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 चीन नाम का इतिहास • 3 इन्हें भी देखें • 4 बाहरी कड़ियाँ परिचय चीन ८५.२% बौद्ध अनुयायी है। आज चीन में बौद्ध जनसंख्या करीब १२४.४ करोड है चीन के निवासी अपनी भाषा में अपने देश को 'चंगक्यूह' कहते हैं। कदाचित् इसीलिये चीन में बहुत प्राचीन काल का क्रमबद्ध इतिहास सुरक्षित है। ईसा से २९५० वर्ष पूर्व तक के राजवंश का पता चलता है। चीन की सभ्यता बहुत प्राचीन है, यहाँ तक कि यूरोप की सभ्यता का बहुत कुछ अंश— जैसे, पहनावा, बैठने और खाने पीने आदि का ढंग, पुस्तक छापने की कला आदि — चीन से लिया गया है। यहाँ ईसा के २२१७ वर्ष पूर्व से चीन नाम का इतिहास "चीन" शब्द का प्रथम दर्ज उपयोग १५५५ में किया गया था। ये शब्द चिन से निकला था जो ऐतिहासिक रूप से चीन को सिना या सिनो, सिने, कैथे, या पश्चिमी देशों द्वारा सेरेस के नाम से भी जाना जाता है। चीन का आधिकारिक नाम प्रत्येक वंश के साथ बदलता रहा है और सबसे प्रचलित और आम नाम है झोंग्गुओ (中國), जिसका अर्थ है "केंद्रीय राष्ट्र", या "मध्य साम्राज्य"। इन्हें भी देखें • • • • • बाहरी कड़ियाँ • • Alemannisch • Ænglisc • العربية • ܐܪܡܝܐ • Aymar aru • Žemaitėška • བོད་ཡིག • Brezhoneg • Català • 閩東語 / Mìng-dĕ̤ng-ngṳ̄ • کوردی • Cymraeg • Deutsch • ཇོང་ཁ • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Võro • Arpetan • Gaeilge • 贛語 • Gàidhlig • Galego • گیلکی • Gaelg • 客家語/Hak-kâ-ngî • עברית • Bahasa Indonesia • Íslenska • 日本語 • Patois • Jawa • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Къарачай-малкъар • Kernowek • Latina • Lietuvių • Latviešu • മലയാളം • Bahasa Melayu • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Nouormand • Picard • Pälzisch • पालि • Polski • Runa...

India China Relations: चालबाज चीन की नई चाल, भारत के दोस्तों को तोड़ने में जुटा 'ड्रैगन', जानिए कैसे

भारत और China के बीच रिश्ते उतार-चढ़ाव से भरपूर रहे हैं. कभी रिश्तों में गर्मजोशी देखने को मिली है, तो कभी सीमा विवादों के चलते रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. हालांकि, भारत के पड़ोस में मौजूद कुछ देश ऐसे हैं, जिनसे मामूली खटपट को इतर रख कर बात की जाए, तो रिश्ते हमेशा पटरी पर ही रहे हैं. इन देशों में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और सऊदी अरब भी शामिल है. भारत के इन देशों के साथ व्यापारिक और ऐतिहासिक रिश्ते काफी पुराने हैं. यही वजह है कि इनसे दोस्ताना रिश्ता कई दशकों का है. वहीं, चीन की पहचान एक चालबाज मुल्क के तौर पर होती है, जो भारत के खिलाफ हमेशा ही अपनी चालें चलता रहता है. पिछले कुछ सालों से उसने भारत के लिए खिलाफ एक नई चाल चलना शुरू किया है. दरअसल, चीन एक-एक करके भारत के दोस्तों को अपने खेमे में करने में जुटा हुआ है. इसके लिए कभी वह उन्हें प्रोजेक्ट का लालच दिखाता है, तो कभी निवेश के जाल में फंसाने की कोशिश करता है. यह भी पढ़ें: सऊदी अरब को अपने खेमे में करने में जुटा चीन भारत और सऊदी अरब की दोस्ती आजादी के बाद से ही है. दोनों मुल्कों की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. दोनों देशों के बीच हर साल लगभग 29 अरब डॉलर का व्यापार होता है. सऊदी में रहने वाले भारतीयों की तादाद भी लाखों में है. हालांकि, इन दिनों चीन सऊदी अरब की चौखट पर पहुंच हुआ है. उसने ऐलान किया है कि वह सऊदी अरब में कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स लगाएगा. दूसरी ओर, सऊदी अरब ने भी कहा है कि वह चीन में 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा. चीन चाहता है कि वह सऊदी अरब में धीरे-धीरे निवेश कर उसे अपनी ओर कर ले, ताकि भारत से उसकी दूरी बढ़ जाए. यह भी पढ़ें: श्रीलंका में प्...

चीन का इतिहास

अनुक्रम • 1 प्रागैतिहासिक काल • 1.1 वंशगत शासन • 2 प्राचीन चीन • 3 मध्यकालीन चीन • 3.1 युआन शासन (1279-1368 ई.) • 3.2 मिंग-शासन (1368-1644 ई.) • 3.3 चिंग वंश (1644-1838 ई.) • 3.4 नयी शक्तियों के विरुद्ध चीन में असन्तोष • 4 आधुनिक चीन • 5 = • 5.1 चीनी जनवादी गणराज्य और चीनी गणतंत्र (१९४९-वर्तमान) • 5.2 इन्हें भी देखें • 5.3 बाहरी कड़ियाँ प्रागैतिहासिक काल [ ] पुरातत्व प्रमाणों से हमें ये ज्ञात होता है कि प्रारम्भिक मुनष्य २२.४ लाख से २,५०,००० वर्ष पूर्व चीन में रहा करते थे। झोऊ कोऊ दियन गुफा से मिले अवशेष ३ से ५.५ लाख वर्ष पुराने हैं और ये उस पेकिंग मानव के हैं जो होमो इरेक्टस था और आग का उपयोग किया करता था। गुआंगज़ी के लिऊजिआंग क्षेत्र में चीन के आधुनिक मानवों के होने के अवशेष मिले हैं, जिनमें खोपडी का एक भाग भी है जो ६७,००० वर्ष पुराना है। यद्यपि लिऊजिआंग से मिले अवशेषों को लेकर कुछ विवाद है लेकिन वंशगत शासन [ ] चीनी परम्पराओं में Xia) वंश को प्रथम माना जाता है और इसे मिथकीय ही समझा जाता रहा जब तक की हेनान प्रान्त के एर्लीटोउ में पुरातात्विक खुदाइयों में कांस्य युगीन स्थलों के प्रमाण नहीं मिले। पुरातत्वविदों को अब तक की खुदाइयों में नगरीय स्थलों के अवशेष, कांसे के औज़ार और उन स्थानों पर समाधी स्थल मिले है जिन्हें प्राचीन लेखों में ज़िया वंश से सम्बंधित माना जाता है, लेकिन इन अवशेषों की प्रमाणिकता तब तक नहीं हो सकती जब तक की ज़िया काल से कोई लिखित अवशेष नहीं मिलते। दूसरा वंश शांग जो की कुछ कलहकारी था, १८वीं से १२वीं शताब्दी ईसापूर्व पूर्वी चीन की [ ] प्रथम एकीकृत चीनी राज्य की स्थापना किन वंश द्वारा २२१ ईसा पूर्व में की गई, जब चीनी सम्राट का दरबार स्थापित किया गया और चीनी ...

अक्साई चिन में चीन की क्या है नई चाल? 5 पॉइंट में समझिए भारत की चिंता

अक्साई चिन में चीन की क्या है नई चाल? 5 पॉइंट में समझिए भारत की चिंता चीन को समझ पाना आसान नहीं. विवाद बढ़ने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनने के बाद चीन शांत हो जाता है लेकिन वही चीन किसी भी देश के भरोसे को कभी भी तोड़ सकता है. अब चीन ने अक्साई चिन में रेलवे नेटवर्क बनाने की नई चाल चल दी है. पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर जारी विवादों के बीच चीन अब नई भारत को घेरने की नई तैयारियों में जुट गया है. चीन अब अक्साई चिन (Aksai Chin) में रेलवे लाइन बिछाने की तैयारी कर रहा है. चीन की नई योजना पैंगोंग झील तक रेलवे लाइन बिछाने की है. चीन की ये नई रेलवे लाइन शिंजियांग और तिब्बत को भी जोड़ेगी. यानी यह रेलवे लाइन भारत से सटे एलएसी के बिल्कुल पास के होकर गुजरेगी. जानकारी के मुताबिक चीन की ये महत्वाकांक्षी रेल योजना का पहला चरण साल 2025 तक पूरा हो जाएगा जो कि शिआगात्से से लेकर पखूक्त्सो तक जाएगा. ये परियोजना साल 2035 तक संपन्न करने का लक्ष्य है. वास्तव में चीन भारतीय सीमा रेखा के बहुत करीब आकर अपनी छुपी ही रणनीतियों को अंजाम देने की फिराक में है. आइये पांच अहम विंदुओं के जरिए ये बताने का प्रयास करते हैं कि चीन आखिर इस रेलवे लाइन को बनाने की पीछे भारत के खिलाफ क्या मंशा रखता है? 1. रेल लाइन बिछाने की मंशा चीन का नया रेलवे नेटवर्क तिब्बत में है. फिलहाल उसका रेलवे नेटवर्क 1400 किलोमीटर का है लेकिन वह अगले तीन सालों में चीन सरकार इसे 4000 किलोमीटर तक बढ़ाना चाहती है. इसमें लोकेशन को समझना चाहिए. चीन के पश्चिमी भाग में दो राज्य हैं-शिनजियांग और तिब्बत. चीन दोनों राज्यों में रेलवे नेटवर्क बनाकर नेपाल तक भी संपर्क बनाना चाहता है. इसके अलावा उसका निशाना अक्साई चिन है, जो कि हिंदुस्तान ...

After 3 Years Of Galwan Conflict, It Is Now Clear That China Is Not Going To Adhere To LAC So India Has To Be Prepared

चीन के साथ तीन साल पहले गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत ने लगभग 3500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिक ढांचे, नियंत्रण और सामरिक ढांचे में काफी निवेश किया है. चीन के किसी भी विस्तारवादी कदम का जवाब देने के लिए भारत खुद को तैयार रख रहा है. चीन का विस्तारवादी रवैया किसी से छिपा नहीं है और वह भारत के साथ सीमारेखा का सम्मान करना तो दूर, एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. गलवान के तीन साल गलवान को तीन साल हो गए. इन तीन वर्षों में पहली बात तो यह साफ हो गयी है कि चीन बॉर्डर के इलाके में भारत के साथ किसी भी तरह के समझौते का न तो सम्मान करेगा, न ही किसी तरह के समझौते को सम्मान देगा. जैसे, एक समझौता हुआ था कि एलएसी के पास उनके कितने सैनिक रहेंगे, हमारे कितने रहेंगे, उनके राउंड्स की क्या शर्तें होंगी, और उन शर्तों के टूटने पर ही तो गलवान की घटना हुई थी. हमारे जो लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की बात हुई थी, तकरीबन वो चीजें तय थीं, बॉर्डर फाइनल नहीं थी. वहां तय था कि एलएसी में लड़ाई नहीं होगी. गलवान वाली घटना में ये सारी चीजें टूट गयीं. वैसी ही घटना और भी कई जगह हुई हैं. आक्रमण तो नहीं हुआ, लेकिन ऐसी घटनाएं बहुत हुई हैं. भारत सरकार की तरफ से फौज को काफी छूट दी गयी है. चीन की तरफ से किसी भी आक्रमण का जवाब दिया जाएगा, यह तय है. फौज की तैयारी में और एलएसी से सटे इलाकों को काफी मजबूत किया गया है. सेना को भी उपकरणों और सैन्य साजोसामान से लैस किया गया है. चौतरफा घेर रहा है चीन हालात ठीक नहीं हैं. एग्रीमेंट नहीं है और एग्रीमेंट न होने की वजह से कभी भी गलवान की तरह की घटना कभी भी रिपीट हो सकती है. अगर समझौता हुआ रहता तो हम मानसिक तौर पर निश्चिंत रह...

भारत के दो पड़ोसी चीन की गुंडागर्दी से खफा, सीमाओं पर कैसी चालें चल रहा है चीन?

भारत के साथ सीमा विवाद (Indo-China Border Dispute) में उलझकर लद्दाख में LAC पर तनाव (Border Tension) पैदा करने वाले चीन की गुंडागर्दी के और सबूत भी सामने आ रहे हैं. भारत के दो सहयोगी पड़ोसी देशों ने भी चीन के साथ सीमाओं पर गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं. म्यांमार और भूटान एक तरफ भारत के पुराने साथी देश (Indian Neighbors) रहे हैं, तो चीन यहां भी विस्तारवाद (Expansionism) की महत्वाकांक्षा दर्शाने से नहीं चू​क रहा है और छोटे व कमज़ोर देशों के सामने दबंगई दिखाने में लगा है. पहले म्यांमार की बात करें, तो हाल में म्यांमार ने रूसी मीडिया के सामने आधिकारिक तौर पर चीन का नाम लिये बगैर कहा कि 'एक विदेशी ताकत' उसकी ज़मीन पर विद्रोह और आतंक भड़काने के लिए साज़िश कर रही है. अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार इस ताकत का अर्थ चीन ही मान रहे हैं. चीन पर म्यांमार ने किस तरह के आरोप लगाए हैं? साथ ही जानें कि इससे भारत का क्या लेना देना है और भूटान भी क्यों चीन के रवैये से परेशान है. 'आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है चीन' म्यांमार सेना (Tatmadaw) के प्रवक्ता के हवाले से खबरों में कहा गया है कि म्यांमार में आतंकवादी संगठन घोषित अरकान आर्मी के पीछे कथित तौर पर चीन का हाथ है. प्रवक्ता ने दावा किया कि 2019 में रखाइन राज्य में जो माइन हमले हुए, उनमें अरकान आर्मी ने काफी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया. वहीं, म्यांमार की शांति व सुरक्षा संस्था ने खुलासा किया कि आतंकी संगठन के ज़्यादातर ​ह​थियार 'मेड इन चाइना' पाए गए. ये भी पढ़ें :- आकाश में 18 किमी ऊंचाई तक निशाना भेदने वाली आकाश मिसाइल से बचना आसान नहीं हथियार चीनी हैं और महंगे भी म्यांमार मिलिट्री ने हाल में, यह भी खुलासा किया कि नवंबर 2019 में Ta’ang National ...

चीन का इतिहास

अनुक्रम • 1 प्रागैतिहासिक काल • 1.1 वंशगत शासन • 2 प्राचीन चीन • 3 मध्यकालीन चीन • 3.1 युआन शासन (1279-1368 ई.) • 3.2 मिंग-शासन (1368-1644 ई.) • 3.3 चिंग वंश (1644-1838 ई.) • 3.4 नयी शक्तियों के विरुद्ध चीन में असन्तोष • 4 आधुनिक चीन • 5 = • 5.1 चीनी जनवादी गणराज्य और चीनी गणतंत्र (१९४९-वर्तमान) • 5.2 इन्हें भी देखें • 5.3 बाहरी कड़ियाँ प्रागैतिहासिक काल [ ] पुरातत्व प्रमाणों से हमें ये ज्ञात होता है कि प्रारम्भिक मुनष्य २२.४ लाख से २,५०,००० वर्ष पूर्व चीन में रहा करते थे। झोऊ कोऊ दियन गुफा से मिले अवशेष ३ से ५.५ लाख वर्ष पुराने हैं और ये उस पेकिंग मानव के हैं जो होमो इरेक्टस था और आग का उपयोग किया करता था। गुआंगज़ी के लिऊजिआंग क्षेत्र में चीन के आधुनिक मानवों के होने के अवशेष मिले हैं, जिनमें खोपडी का एक भाग भी है जो ६७,००० वर्ष पुराना है। यद्यपि लिऊजिआंग से मिले अवशेषों को लेकर कुछ विवाद है लेकिन वंशगत शासन [ ] चीनी परम्पराओं में Xia) वंश को प्रथम माना जाता है और इसे मिथकीय ही समझा जाता रहा जब तक की हेनान प्रान्त के एर्लीटोउ में पुरातात्विक खुदाइयों में कांस्य युगीन स्थलों के प्रमाण नहीं मिले। पुरातत्वविदों को अब तक की खुदाइयों में नगरीय स्थलों के अवशेष, कांसे के औज़ार और उन स्थानों पर समाधी स्थल मिले है जिन्हें प्राचीन लेखों में ज़िया वंश से सम्बंधित माना जाता है, लेकिन इन अवशेषों की प्रमाणिकता तब तक नहीं हो सकती जब तक की ज़िया काल से कोई लिखित अवशेष नहीं मिलते। दूसरा वंश शांग जो की कुछ कलहकारी था, १८वीं से १२वीं शताब्दी ईसापूर्व पूर्वी चीन की [ ] प्रथम एकीकृत चीनी राज्य की स्थापना किन वंश द्वारा २२१ ईसा पूर्व में की गई, जब चीनी सम्राट का दरबार स्थापित किया गया और चीनी ...

चीन

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 चीन नाम का इतिहास • 3 इन्हें भी देखें • 4 बाहरी कड़ियाँ परिचय चीन ८५.२% बौद्ध अनुयायी है। आज चीन में बौद्ध जनसंख्या करीब १२४.४ करोड है चीन के निवासी अपनी भाषा में अपने देश को 'चंगक्यूह' कहते हैं। कदाचित् इसीलिये चीन में बहुत प्राचीन काल का क्रमबद्ध इतिहास सुरक्षित है। ईसा से २९५० वर्ष पूर्व तक के राजवंश का पता चलता है। चीन की सभ्यता बहुत प्राचीन है, यहाँ तक कि यूरोप की सभ्यता का बहुत कुछ अंश— जैसे, पहनावा, बैठने और खाने पीने आदि का ढंग, पुस्तक छापने की कला आदि — चीन से लिया गया है। यहाँ ईसा के २२१७ वर्ष पूर्व से चीन नाम का इतिहास "चीन" शब्द का प्रथम दर्ज उपयोग १५५५ में किया गया था। ये शब्द चिन से निकला था जो ऐतिहासिक रूप से चीन को सिना या सिनो, सिने, कैथे, या पश्चिमी देशों द्वारा सेरेस के नाम से भी जाना जाता है। चीन का आधिकारिक नाम प्रत्येक वंश के साथ बदलता रहा है और सबसे प्रचलित और आम नाम है झोंग्गुओ (中國), जिसका अर्थ है "केंद्रीय राष्ट्र", या "मध्य साम्राज्य"। इन्हें भी देखें • • • • • बाहरी कड़ियाँ • • Alemannisch • Ænglisc • العربية • ܐܪܡܝܐ • Aymar aru • Žemaitėška • བོད་ཡིག • Brezhoneg • Català • 閩東語 / Mìng-dĕ̤ng-ngṳ̄ • کوردی • Cymraeg • Deutsch • ཇོང་ཁ • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Võro • Arpetan • Gaeilge • 贛語 • Gàidhlig • Galego • گیلکی • Gaelg • 客家語/Hak-kâ-ngî • עברית • Bahasa Indonesia • Íslenska • 日本語 • Patois • Jawa • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Къарачай-малкъар • Kernowek • Latina • Lietuvių • Latviešu • മലയാളം • Bahasa Melayu • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Nouormand • Picard • Pälzisch • पालि • Polski • Runa...

अक्साई चिन में चीन की क्या है नई चाल? 5 पॉइंट में समझिए भारत की चिंता

अक्साई चिन में चीन की क्या है नई चाल? 5 पॉइंट में समझिए भारत की चिंता चीन को समझ पाना आसान नहीं. विवाद बढ़ने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनने के बाद चीन शांत हो जाता है लेकिन वही चीन किसी भी देश के भरोसे को कभी भी तोड़ सकता है. अब चीन ने अक्साई चिन में रेलवे नेटवर्क बनाने की नई चाल चल दी है. पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर जारी विवादों के बीच चीन अब नई भारत को घेरने की नई तैयारियों में जुट गया है. चीन अब अक्साई चिन (Aksai Chin) में रेलवे लाइन बिछाने की तैयारी कर रहा है. चीन की नई योजना पैंगोंग झील तक रेलवे लाइन बिछाने की है. चीन की ये नई रेलवे लाइन शिंजियांग और तिब्बत को भी जोड़ेगी. यानी यह रेलवे लाइन भारत से सटे एलएसी के बिल्कुल पास के होकर गुजरेगी. जानकारी के मुताबिक चीन की ये महत्वाकांक्षी रेल योजना का पहला चरण साल 2025 तक पूरा हो जाएगा जो कि शिआगात्से से लेकर पखूक्त्सो तक जाएगा. ये परियोजना साल 2035 तक संपन्न करने का लक्ष्य है. वास्तव में चीन भारतीय सीमा रेखा के बहुत करीब आकर अपनी छुपी ही रणनीतियों को अंजाम देने की फिराक में है. आइये पांच अहम विंदुओं के जरिए ये बताने का प्रयास करते हैं कि चीन आखिर इस रेलवे लाइन को बनाने की पीछे भारत के खिलाफ क्या मंशा रखता है? 1. रेल लाइन बिछाने की मंशा चीन का नया रेलवे नेटवर्क तिब्बत में है. फिलहाल उसका रेलवे नेटवर्क 1400 किलोमीटर का है लेकिन वह अगले तीन सालों में चीन सरकार इसे 4000 किलोमीटर तक बढ़ाना चाहती है. इसमें लोकेशन को समझना चाहिए. चीन के पश्चिमी भाग में दो राज्य हैं-शिनजियांग और तिब्बत. चीन दोनों राज्यों में रेलवे नेटवर्क बनाकर नेपाल तक भी संपर्क बनाना चाहता है. इसके अलावा उसका निशाना अक्साई चिन है, जो कि हिंदुस्तान ...