चीन ताइवान

  1. Taiwan vs China: चीन
  2. ताइवान के आसपास चीन ने किया युद्धाभ्यास, 71 लड़ाकू विमान और 9 युद्धपोत तैनात किए
  3. मेसी ने एक लाइन में पूरे चीन को ट्रोल करा दिया, ड्रैगन से जवाब देते नहीं बना!
  4. 70 Years Old China


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Taiwan vs China: चीन

डीएनए हिंदीः अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की ताइवान (Taiwan) यात्रा के बाद चीन बौखला गया है. चीन ने ताइवान की सीमा के नजदीक युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है. इसमें उसके अत्याधुनिक जे-20 विमान भी शामिल है. खबर यह भी है कि चीन के 21 लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा में घुस गए हैं. चीन ने भी ताइवान और अमेरिका को इसका अंजाम भुगतने की धमकी दी है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर दोनों देशों के बीच टकराव की वजह क्या है. चीन-ताइवान के बीच विवाद क्या है? चीन वन चाइना पॉलिसी के रास्ते पर चल रहा है. इसी के तहत वह ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है. दूसरी तरफ ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है. 73 साल से दोनों देशों के बीच इसी बात को लेकर टकराव चल रहा है. दोनों देशों के बीच सिर्फ 100 मील की दूरी है. ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से काफी करीब है. ऐसे में टकराव की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं. ताइवान की समुद्री सीमा में भी चीन लगातार घुसपैठ करता रहता है. चीन नहीं चाहता है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का विदेशी दखल हो. ये भी पढ़ेंः कभी चीन का हिस्सा था ताइवान ताइवान पहले चीन का हिस्सा था. दोनों देशों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला. 1644 के दौरान जब चीन में चिंग वंश का शासन तो ताइवान उसी के हिस्से में था. 1895 में चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया. इसी के बाद से दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया. 1949 में चीन में गृहयुद्ध हुआ तो माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया. इसके बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर अपनी सरकार बना ली. दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने...

ताइवान के आसपास चीन ने किया युद्धाभ्यास, 71 लड़ाकू विमान और 9 युद्धपोत तैनात किए

April 09, 2023 | 06:26 pm 1 मिनट में पढ़ें ताइवान का दावा है कि चीन ने उसकी सीमा के आसपास 9 युद्धपोत तैनात कर दिए हैं इस दौरान चीनी सेना के कई इकाइयों ने ताइवान के प्रमुख लक्ष्यों को निशाना बनाने का अभ्यास किया। यह ऑपरेशन सोमवार तक जारी रहेगा। वहीं, अमेरिका ने कहा है कि वो पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। ताइवान का दावा- चीन ने तैनात किए 9 युद्धपोत ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा कि ताइवान ने रविवार सुबह 6 बजे तक चीन के 71 लड़ाकू विमानों और 9 युद्धपोतों को ट्रैक किया है। वहीं, 45 विमानों ने ताइवान की वायु सीमा में प्रवेश भी किया। इनमें चीन के युद्धक विमान J-10, J-11 और J-16 शामिल थे। इनके अलावा चीन के ट्रांसपोर्ट विमान, बॉम्बर विमान और चेतावनी देने वाले विमान भी शामिल थे। अमेरिका ने कहा- चीन के युद्धाभ्यास पर नजर ताइवान में स्थित अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि वहीं, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की चीन संबंधी एक प्रवर समिति के अध्यक्ष माइक गॉलघर ने कहा कि अमेरिका को ताइवान मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। अपनी रक्षा के लिए पूरी ताकत से लड़ेंगे- ताइवान ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने ट्विटर पर कहा, 'ताइवान हमारी मातृभूमि है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहां जाते हैं या हमें किन बातों का सामना करना पड़ेगा। हमारा वतन हमेशा से आकर्षक और खूबसूरत रहा है। इस भूमि पर हर गाथा हमारी यादों में अंकित है। हम अपनी मातृभूमि और घरों की रक्षा करने के लिए पूरी ताकत से लड़ेंगे।' रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उनका देश अपनी रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ेगा। ताइवानी राष्ट्रपति के अमेरिकी दौरे के बाद बढ़ा विवाद बता दे...

मेसी ने एक लाइन में पूरे चीन को ट्रोल करा दिया, ड्रैगन से जवाब देते नहीं बना!

लियोनेल मेसी और अर्जेंटिना फुटबॉल टीम फिलहाल चीन के दौरे पर है. यहां अर्जेंटिना और ऑस्ट्रेलिया को एक फ्रेंडली मैच खेलना है. मेसी जब बीजिंग एयरपोर्ट उतरे, तब उनके वीज़ा के चलते बखेड़ा खड़ा हो गया था. दरअसल मेसी के पास अर्जेंटिना की जगह स्पेन का पासपोर्ट था. यही थी पूरी समस्या की जड़. और इसी समस्या के बीच कुछ ऐसा हुआ, जिसमें मेसी ने चाइना को बुरी तरह ट्रोल कर दिया! चीन के पास इसका कोई जवाब नहीं था. हो भी तो सामने नहीं आया. क्या है पूरा मामला, बताते हैं. एयरपोर्ट पर क्यों रोके गए मेसी? मेसी एक प्राइवेट जेट में चीन पहुंचे. मेसी के पास अर्जेंटिना और स्पेन, दोनों का पासपोर्ट है. हालांकि, वो सिर्फ स्पेन वाला लेकर चाइना पहुंचे थे. स्पेन का पासपोर्ट रखने वाले लोग बिना वीज़ा ताइवान आ-जा सकते हैं. पर चीन में घुसने के लिए उन्हें वीज़ा लगता है. मेसी को लगा की वो ताइवान ही जा रहे हैं. "ताइवान ही चीन नहीं है क्या?" यानी दशकों से चल रहे चीन-ताइवान विवाद को मेसी ने एक लाइन में निपटा दिया. ड्रैगन देश के अधिकारियों ने इस पर कोई जवाब दिया या नहीं, ये अभी साफ नहीं है. ख़ैर, चीन ने दो घंटे में मेसी को वीज़ा दे दिया. ताइवान-चीन विवाद चीन मानता है कि ताइवान उसका ही एक प्रांत है. चीन उसे वापस अपना हिस्सा बनाने की मंशा रखता है. दूसरी ओर ताइवान ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क मानता है. उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है. ताइवान चीन के दक्षिण पूर्वी तट की तरफ बसा एक द्वीप है. उसके साथ वहां कई और देश हैं जिनके लिए कहा जाता है कि उन्हें अमेरिका का समर्थन हासिल है. बता दें, चीन में लियोनेल मेसी की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. एयरपोर्ट से निकलते वक्त मेसी का उनके फैन्स ने जोरदार स्वागत...

70 Years Old China

नई दिल्ली: चीन की अंजाम भुगतने की चेतावनी को दरकिनार करते हुए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से 70 साल से चल रहा चीन-ताइवान विवाद, एक बार फिर बढ़ गया है.इन दोनों के बीच जारी विवाद में हमेशा से अमेरिकी हस्तक्षेप रही है.चीन को ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका के विरोध का सामना पिछले 7 दशक से झेलना पड़ा है. पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, यानि जिस देश को सामान्य तौर पर हम चीन कहते हैं उसका दावा रहा है कि ताइवान उसी का हिस्सा है, जबकि ताइवान खुद को एक अलग देश मानता है. ताइवान को अमेरिका का समर्थन मिलने केबाद चीन ताइवान से और चिढ़ गया है. चीन इसे अपनी संप्रभुता पर अमेरिकी हमले की तरह देखता है. यह भी पढ़ें • 32 करोड़ के बजट में बनी इस बॉलीवुड फिल्म ने दुनिया भर में की 440 करोड़ की कमाई, 'लगान' और 'शोले' जैसी फिल्मों के धरे रह गए रिकॉर्ड • यहां बिना ड्राइवर खुद से चलती है कार, क्या आपने ली टेस्ट ड्राइव, यकीन न हो तो देख लें वीडियो • सीक्रेट डॉक्यूमेंट केस: ट्रंप ने खुद को बताया बेगुनाह, 37 आरोपों का किया सामना; कोर्ट ने दी बाहर जाने की परमिशन इस संघर्ष के बाद केएमटी ताइवान द्वीप पर भाग गए और दिसंबर में ताइपे में उन्होंने अपनी सरकार बनाई, और उन्होंने मुख्य भूमि चीन के साथ अपना संपर्क काट लिया. 1950 में, ताइवान संयुक्त राज्य का सहयोगी बन गया, जो कोरिया में कम्युनिस्ट चीन के साथ युद्ध कर रहा था. अपने सहयोगी को संभावित हमले से बचाने के लिए अमेरिका ने ताइवान जलडमरूमध्य में एक बेड़ा तैनात कर दिया. 1971 में बीजिंग को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की मंजूरी से जगह मिल गयी. जो पहले ताइपे के पास था. 1979 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने ताइवान के साथ औपचारिक संबंध तोड़ लिए और ...