चिपको आंदोलन का संबंध किस राज्य से है

  1. चिपको आंदोलन (Chipko Andolan)
  2. जानिए चिपको आन्दोलन का इतिहास और पूरी जानकारी
  3. चिपको आन्दोलन क्या है, इतिहास, मांगे
  4. चिपको आन्दोलन
  5. 26 मार्च ‘चिपको आंदोलन’ की वर्षगांठ: क्या भारत को वनों के संरक्षण के लिए इसकी फिर से जरूरत है?
  6. चिपको आंदोलन इतिहास (नोट) Chipko Movement History in Hindi
  7. [Solved] चिपको आंदोलन निम्नलिखित में से किस राज्य से स�
  8. [SOLVED] चिपको आंदोलन निम्नलिखित में से किस राज्य से संबंधित है?


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चिपको आंदोलन (Chipko Andolan)

उत्तराखंड में 26 मार्च, 1974 को चमोली जिले के रैणी गाँव में एक आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसे नाम दिया गया था चिपको आंदोलन (Chipko Andolan)। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य व्यावसाय के लिए हो रही वनों की कटाई को रोकना था और इसे रोकने के लिए महिलाएं वृक्षों से चिपककर खड़ी हो गई थीं। इस आंदोलन की शुरूआत चंडीप्रसाद भट्ट और गौरा देवी की ओर से की गई थी और भारत के प्रसिद्ध सुंदरलाल बहुगुणा ने आगे इसका नेतृत्व किया। इस आंदोलन में पेड़ों को काटने से बचने के लिए गांव के लोग पेड़ से चिपक जाते थे, इसी वजह से इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन पड़ा था। चिपको आंदोलन (Chipko Andolan) उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गाँव में अंगू के पेड़ों को जब सरकार ने स्थानीय लोगों को न देकर इलाहाबाद की खेल का सामान बनाने वाली कंपनी साइमन को दे दिया तो, यह सवाल खड़ा हुआ कि खेत जरूरी है की खेल। स्थानीय लोग अंगू की लकड़ी से खेत जोतने के लिए हल, जुआ आदि खेती से संबंधित वस्तुएँ बनाते थे लेकिन सरकार ने उनको अंगू के पेड़ देने के बजाए पूरा जंगल खेल का सामान बेट, स्टम्प, आदि बनाने वाली साइमन कंपनी को दे दिया था। इसके बाद अपने जंगलों और खेती के साथ जीवन को बचाने के लिए शुरू हुआ चिपको आंदोलन पूरी दुनिया का ध्यान पर्यावरण की तरफ खींचने में सफल हुआ लेकिन सरकारों के नजरिए में कोई परिवर्तन नहीं आया। ‘चिपको आन्दोलन’ का घोष वाक्य – क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। इसके विरोध में गौरा देवी व अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उस नीलामी का विरोध किया जिसमें उत्तराखंड के रैंणी गाँव के जंगल के लगभग ढाई हजार पेड़ों को काटे जाने थे। स्थानीय नागरिकों के विरोध करने के बावजूद सरकार और ठेकेदारो...

जानिए चिपको आन्दोलन का इतिहास और पूरी जानकारी

इसलिएहमेंपेड़ोंकीअंधाधुंधकटाईकोरोकनेऔरजंगलोंकेदोहनकेलिएउचितकदमउठानेचाहिए, लेकिनक्याआपजानतेहैंकि, प्रकृतिकीरक्षाकेलिएचिपकोआंदोलन– Chipko Movementचलायागयाथा।जिसमेंपेड़ोंकीहोरहीकटाईकाविरोधकियागयाथा, वहींइसआंदोलनकीखासबातयहथीकि वहींकबहुईचिपकोआंदोलनकीशुरुआत, इसआंदोलनसेक्याप्रभावपड़ाऔरक्यारहींइसआंदोलनकीउपलब्धियांसमेततमामजानकारीहमआपकोअपनेइसआर्टिकलमेंदेंगे, लेकिनसबसेपहलेहमआपकोचिपकोआंदोलनकेस्लोगन– Chipko Andolan Slogan केबारेमेंबताएंगे– ‘क्याहैंजंगलकेउपकार, मिट्टी, पानीऔरबयार।मिट्टी, पानीऔरबयार, जिंदारहनेकेआधार।’ इसीस्लोगनकोचिपकोआंदोलनकेदौरानआधारबनायागया।इसकेसाथहीपर्यावरणकोमानवजीवनसेजोड़तेहुए, चिपकोआंदोलनकीशुरुआतकीगई। जानिएचिपकोआन्दोलनकाइतिहासऔरपूरीजानकारी– Chipko Movement in Hindi Chipko Movement चिपकोआंदोलनकेबारेमें– Chipko Andolan in Hindi आंदोलनकानाम चिपकोआंदोलन ( Chipko Movement) आंदोलनकीशुरुवात साल१९७३ आंदोलनकेप्रमुखनेता • गौरादेवी, • चंडीप्रसादभट्ट, • सुंदरलालबहुगुणा, • शमशेरसिंहबिष्ट, • सुरशादेवी, • बचनीदेवी, • गोविंदसिंहरावत, • धूमसिंहनेजी, • घनश्यामरातुरीइत्यादि .. आंदोलनकाराज्यतथाजगह चमोली ( आंदोलनकाउद्देश्य पेडकटाईकोरोकनातथाउनकासंरक्षणकरना चिपकोआंदोलनकेजानकारी– Chipko Movement Information चिपकोकामतलबहै‘चिपकना’इसलिएचिपकोआंदोलन– Chipko Movementकासांकेतिकअर्थहैकिपेड़ोंसेचिपकजानायागलेलगानाऔरपेड़ोंकोबचानेकेलिएप्राणदेदेना।इसकेसाथहीचिपकोआंदोलनसेमतलबइसबातसेभीहैकिकिसीभीहालमेंप्राकृतिकसंपदापेड़कोनहींकाटनेदेनाहै।अर्थातजानकीपरवाहकिएबिनापेड़ोंकीरक्षाकरनाहै। क्याहैचिपकोआंदोलन? – What is Chipko Movement चिपकोआंदोलनएक‘ईको-फेमिनिस्ट’आंदोलनथा, जिसकापूराताना-बानामहिलाओंनेहीबुनाथा। दरअसलजबयेआ...

चिपको आन्दोलन क्या है, इतिहास, मांगे

आज के इस लेख को पढ़ने से पहले मेरे लिए यह जानना अति आवश्यक है कि आप चिपको आन्दोलन के बारे में क्या समझते हो ? तो दोस्तो आपको इसके बारे में जो भी पता है उसको आप कमेंट बॉक्स में लिख कर मुझे बता सकते हैं. यदि आज से पहले आपने कभी चिपको आंदोलन या (Chipko movement) के बारे में कभी कुछ इंटरनेट पर सर्च किया होगा तो यकीनन ही आपको तस्वीरों में कुछ लोग पेड़ो से चिपके हुए दिखे होंगे. आइए दोस्तो जानते हैं कि आखिर किस वजह से वो लोग पेड़ से चिपक के खड़े हुए थे और पेड़ से चिपकना एक आंदोलन में तब्दील कब और क्यों हुआ ? तो चलिये शुरू करते हैं:- चिपको आन्दोलन हिस्ट्री – What is Chipko Movement in Hindi चिपको आन्दोलन एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन है, यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य (उस वक्त वह उत्तर प्रदेश का ही भाग था) में किसानो ने वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए किया था. वे राज्य (उत्तर प्रदेश) के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई का विरोध कर रहे थे और इस वजह से वह पेड़ में चिपक के खड़े हो गए थे और उन पर अपना परम्परागत अधिकार जता रहे थे. दोस्तो जिस स्पीड में पेड़ो और वनो को समाप्त किया जा रहा है मुझे लगता है की अब हमे इस आंदोलन से कही फिर से न करने कि जरूरत पड़ जाए. दोस्तो, चिपको आंदोलन के पीछे एक पारिस्थितिक और आर्थिक पृष्ठभूमि है, जिस भूमि में यह आंदोलन उपजा वह 1970 में आई भयंकर बाढ़ का अनुभव कर चुका था। इस बाढ़ से करीवन 400 कि०मी० दूर तक का इलाका ध्वस्त हो गया तथा पांच बढ़े पुल, हजारों मवेशी, लाखों रूपये की लकडी व ईंधन बहकर नष्ट हो गयी. अलकनंदा की इस त्रासदी ने ग्रामवासियों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी थी और उन्हें पता था कि लोगों के जीवन में वनों की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. स्वतंत्...

चिपको आन्दोलन

चिपको आन्दोलन एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन था। यह यह आन्दोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के में भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा, कामरेड गोविन्द सिंह रावत, चण्डीप्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरादेवी के नेत्रत्व मे हुई थी। यह भी कहा जाता है कि कामरेड गोविन्द सिंह रावत ही चिपको आन्दोलन के व्यावहारिक पक्ष थे, जब चिपको की मार व्यापक प्रतिबंधों के रूप में स्वयं चिपको की जन्मस्थली की घाटी पर पड़ी तब कामरेड गोविन्द सिंह रावत ने झपटो-छीनो आन्दोलन को दिशा प्रदान की। चिपको आंदोलन वनों का अव्यावहारिक कटान रोकने और वनों पर आश्रित लोगों के वनाधिकारों की रक्षा का आंदोलन था रेणी में 2400 से अधिक पेड़ों को काटा जाना था, इसलिए इस पर वन विभाग और ठेकेदार जान लडाने को तैयार बैठे थे जिसे गौरा देवी जी के नेतृत्व में रेणी गांव की 27 महिलाओं ने प्राणों की बाजी लगाकर असफल कर दिया था। • • ↑ aajtak.intoday.in. मूल से 18 अप्रैल 2019 को . अभिगमन तिथि 2020-06-30. • livehindustan.com (hindi में). . अभिगमन तिथि 2020-06-30. सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा ( • Dainik Jagran. मूल से 14 फ़रवरी 2020 को . अभिगमन तिथि 2020-06-30. • कुमार, सुनील. स्टडीफ्राई. . अभिगमन तिथि 12 मई 2017. बाहरी कड़ियाँ [ ] • गौरा देवी: चिपको आन्दोलन की जननी • एक माँ के बहाने चिपको आन्दोलन की याद।

26 मार्च ‘चिपको आंदोलन’ की वर्षगांठ: क्या भारत को वनों के संरक्षण के लिए इसकी फिर से जरूरत है?

कब हुई चिपको आंदोलन की शुरुआत चिपको आंदोलन की पहली लड़ाई 1973 की शुरुआत में उत्तराखंड के चमोली जिले में हुई। यहां भट्ट और दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल (डीजीएसएम) के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इलाहाबाद स्थित स्पोर्ट्स गुड्स कंपनी साइमंड्स को 14 ऐश के पेड़ काटने से रोका। यह कार्य 24 अप्रैल को हुआ और दिसंबर में ग्रामीणों ने गोपेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर दूर फाटा-रामपुर के जंगलों में साइमंड्स के एजेंटों को फिर से पेड़ों को काटने से रोक दिया। क्या है चिपको चिपको एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ 'चिपके रहने' या 'गले लगाने' से है। यह उत्तर भारत की पहाड़ियों में गरीब, गांव की महिलाओं के वनों को बचाने की छवियों को उजागर करता है। जो पेड़ों को ठेकेदारों की कुल्हाड़ियों से काटने से रोकने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ पेड़ों को गले लगाती हैं, जिससे उनकी जान को भी खतरा होता है। लेकिन चिपको की बहुआयामी पहचान के परिणामस्वरूप अलग-अलग लोगों के लिए इसका अर्थ अलग-अलग हो गया है। कुछ के लिए, यह गरीबों का एक असाधारण संरक्षण आंदोलन है, वहीं कुछके लिए, यह अपने प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण पाने के लिए एक स्थानीय लोगों का आंदोलन है, जिसे पहले एक औपनिवेशिक शक्ति द्वारा और फिर भारत की स्वतंत्र सरकार द्वारा छीन लिया गया। अंत में यह महिलाओं का एक आंदोलन बन कर उभरा, जो अपने चिपको आंदोलन का इतिहास और असर 1974 में वन विभाग ने जोशीमठ ब्लॉक के रैणी गांव के पास पेंग मुरेंडा जंगल में यह समिति की रिपोर्ट दो साल बाद प्रस्तुत की गई, जिसके कारण रैणी में अलकनंदा के ऊपरी क्षेत्र में लगभग 1,200 वर्ग किमी के हिस्से में व्यावसायिक वानिकी पर 10 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। 1985 में प्रतिबंध को 10 साल के लिए बढ़ा दिया गया। 1974 में 25...

चिपको आंदोलन इतिहास (नोट) Chipko Movement History in Hindi

Table of Content • • • • • • चिपको आंदोलन इतिहास (नोट) Chipko Movement History in Hindi इसमें हमने इस आंदोलन का इतिहास, मांगें, महिलाओं की भूमिका, प्रभाव व बदलाव के विषय में पूरी जानकारी दिया है। चिपको आंदोलन क्या है और कब हुआ था? What is Chipko Movement and when did it happen in Hindi आज तक न जाने कितने ही जन आंदोलन किए गए हैं और आगे भी किए जाएंगे लेकिन इन सैकड़ों आंदोलनों के प्रभाव को अपनी स्मृति में संजोए रख पाना थोड़ा मुश्किल है। आमतौर पर यदि कोई आंदोलन बड़ा रूप लेता है तभी उसे लोगों का ध्यानाकर्षण मिल पाता है। लेकिन चिपको आंदोलन इस बात को खारिज करता है कि यदि आंदोलन बड़ा हो तभी उसे लोकप्रियता मिल सकती है। चिपको आंदोलन जो पूरी दुनिया में सबसे प्रख्यात आंदोलन है, जिसमें वर्ष 1973 में उत्तर प्रदेश के चमोली जिले जो वर्तमान में उत्तराखंड में आया हुआ है वहां से चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। क्षेत्र के रहने वाले आम निवासियों ने हालांकि इस प्रावधान के विरोध में कई रैलियां और आंदोलन किए गए थे, लेकिन सरकार के राज में आम लोगों की आवाज जैसे दब गई थी। जो आंदोलन 1927 में शुरू हुआ था वह जाकर 1970 में लोगों के नजर में आया जिसे चिपको आंदोलन कहा जाता है। चिपको का अर्थ है गले लगना। चिपको आंदोलन में सैकड़ों आदिवासी अथवा जनजाति और जंगलों में रहने वाले आम निवासी पेड़ों के अंधाधुंध कटाई किए जाने के कारण बड़े निराश थे और उनके पास कोई दूसरा विकल्प ना होने के कारण उन्होंने उस जगह पर स्थित सभी पेड़ों को गोलाई में घेर लिया, जिसे सरकार ने काटने के लिए निर्देश दिए हुए थे। चिपको आंदोलन एक ऐसा अहिंसात्मक आंदोलन था जिसने भारतीय सरकार की आंख तो खोली ही साथ ही पूरी दुनिया को भी आश्चर्यचकित किया। प्रदर...

[Solved] चिपको आंदोलन निम्नलिखित में से किस राज्य से स�

सही उत्तर उत्तर प्रदेश है। Mistake Points • चिपको आंदोलन 1973 में एक अहिंसक आंदोलन था जिसका उद्देश्य पेड़ों की सुरक्षा और संरक्षण करना था। • 1973 में उत्तर प्रदेश के चमोली जिले (अब उत्तराखंड) में पेड़ों की कटाई और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई। Key Points • चिपको आंदोलन की शुरुआत 1970 के दशक में उत्तर प्रदेश में हुई थी। • चिपको आंदोलन एक सामाजिक आंदोलन था जिसका उद्देश्य पेड़ों को नष्ट होने से बचाना था। • चिपको का आंदोलन मुख्य रूप से पेड़ों को काटने से बचाने के लिए उन्हें गले लगाने के बारे में था। • पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा चिपको आंदोलन के संस्थापक हैं। • सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा गढ़ा गया चिपको नारा "पारिस्थितिकी स्थायी अर्थव्यवस्था है"।

[SOLVED] चिपको आंदोलन निम्नलिखित में से किस राज्य से संबंधित है?

SOLUTION • चिपको आंदोलन उत्तराखंड में 1970 के दशक में शुरू हुआ था। • चिपको आंदोलन पेड़ों को नष्ट होने से बचाने और उनके संरक्षण के उद्देश्य से किया गया एक सामाजिक आंदोलन था। • चिपको आंदोलन मुख्य रूप से लकड़हारों से पेड़ों को काटने से बचाने के लिए पेड़ों को गले लगाने के बारे में था। • सुंदरलाल बहुगुणा, एक पर्यावरणविद्, चिपको आंदोलन के संस्थापक हैं। • सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा गढ़ा गया चिपको नारा "पारिस्थितिकी स्थायी अर्थव्यवस्था है"।