चित्तौड़गढ़ का किला दिखाइए

  1. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh Fort History in Hindi)
  2. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास
  3. चित्तौड़गढ़ किला
  4. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास
  5. चित्तौड़गढ़ किला
  6. Chittorgarh Fort Of Rajasthan Is Very Beautiful, This Is The Best Time To Visit
  7. प्रेम की निशानी माना जाता है चित्तौड़गढ़ का किला, इससे जुड़े हैं कई अनोखे किस्से
  8. चित्तौड़गढ़ दुर्ग/चित्तौड़गढ़ का किला
  9. चित्तौड़गढ़ किला
  10. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh Fort History in Hindi)


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चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh Fort History in Hindi)

चित्तौड़ का किला चित्तौड़गढ़ का किला UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है और यह किला भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यह किला बेहद ही विशाल है और एक पहाड़ी पर बना हुआ है। जिसकी ऊंचाई 180 मीटर है। इस किले को चित्तौड़ का किला (Chittorgarh ka Kila) भी कहा जाता है। 280 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले इस किले से बेहद ही रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है और यह किला भारत का सबसे बड़ा किला है (Largest Fort of India)। कई बार किया गया हमला चित्तौड़गढ़ किले (chittorgarh ka kila) पर कई बार हमला किया जा चुका है और इस किले को बचाने के लिए कई सारे राजपूत शासकों ने अपनी कुर्बानी दी है। रानी पद्मिनी को हासिल करने के लिए इस किले पर अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा साल 1303 में आक्रमण किया गया था। इस किले पर दूसरा हमला 1567 में अकबर द्वारा किया गया था और महाराणा उदय सिंह से यह किला छीन लिया गया था। हालांकि 1616 में जहांगीर ने यह किला महाराजा अमर सिंह को वापस कर दिया था और दोबारा राजपूतों का हक इस किले पर स्थापित हो गया था। किले के अंदर हैं बेहद ही सुंदर महल • इस किले (chittorgarh kila) के अदंर कई सारे महल हैं जिनमें से एक महल को पद्मिनी महल कहा जाता है। पद्मिनी महल सफेद रंग का है और इस महल में काफी सारे शीशे लगे हुए हैं। इस महल के अलावा इस किले के अंदर राणा कुंभा महल और फ़तेह प्रकाश महल भी हैं। • राणा कुंभा भी काफी सुंदर महल है और यह महल इस किले का सबसे पुराना महल है। ऐसा कहा जाता है कि उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह का जन्म इसी महल में हुआ था। इस महल के अलावा इस किले के पास ही भगवान सूर्य देव का एक मंदिर भी है। • चित्तौड़गढ़ किले के पास ही बेराच नदी भी है जो कि यहां का आकर्षण केंद्रीय...

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

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चित्तौड़गढ़ किला

इतिहास की पुस्तकों में से भारत का अगर कोई एक किला मुझे आज भी याद है, तो वह है मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किला। भारतीय इतिहास के कई महान और महत्वपूर्ण व्यक्ति यहां रह चुके हैं। इन महान व्यक्तियों से मेरा परिचय इतिहास की किताबों के द्वारा ही हुआ जब महाराणा प्रताप और राणा संघा जैसे महाराजाओं के किस्से पढ़ाये जाते थे। मीराबाई के काव्य के द्वारा भी चित्तौड़गढ़ से परिचय हुआ। किरण नागरकर के ‘कुक्कोल्ड’ (व्यभिचारी) जैसे ऐतिहासिक उपन्यासों के द्वारा मेरी उनसे भेट होती रही। मैंने रानी पद्मिनी से प्रेरित अनेक कथाओं और उपन्यासों में उनके जौहर के बारे में सुना था। ऐसा लगा जैसे, किसी बड़े निर्माता का पूरा पात्रवर्ग चित्तौड़गढ़ में रह रहा था। बेशक यह सब कुछ कई सदियों की कालावधि में घटित हुआ होगा, लेकिन अगर वर्तमान की दृष्टि से देखें तो सब कुछ एक-दूसरे में संविलीन सा लगता है, जो कि इतिहास है। किले का इतिहास जब मैं चित्तौड़गढ़ पर पहुंची तब मुझे पता चला कि यह विशाल किला 7वी सदी में मौर्य कुल के राजा चित्रांगद मोरी द्वारा बनवाया गया था। इस किले का नाम भी इसी राजा के नाम के आता है। 8वी सदी के दौरान इस किले की बागडोर मेवाड़ के सिसोदिया कुल के हाथों में आयी जिन्होंने इस किले पर 800 सालों तक राज्य किया। बाद में उन्हें उदयपुर में अपनी नयी राजधानी स्थापित करनी पड़ी। इस किले में आज भी कई गाँव बसे हुए हैं जो अब भी इसे अपना घर मानते हैं। आप सोच भी नहीं सकते कि यहां की दीवारों और लोगों के पास इस किले से जुड़ी न जाने कितनी कथाएँ होगी जो सुनने लायक हैं। चित्तौड़गढ़ किले का मानचित्र लंबी सी मछली जैसे आकार का बना हुआ चित्तौड़गढ़ किला, भारत का विशालतम किला है जिसे एक दिन में देख पाना आसान नहीं है। यहां पर विरासती क्षेत्र भी है ज...

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (History of Chittorgarh Fort) चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत का सबसे विशाल दुर्ग है। यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है जो भीलवाड़ा से कुछ किमी दक्षिण में है। यह एक विश्व विरासत स्थल है। चित्तौड़गढ़ 1568 तक मेवाड़ की राजधानी थी, और उसके बाद उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी बना दिया गया। इस किले की इसकी स्थापना सिसोदिया वंश के शासक बप्पा रावल ने की थी। चित्तौड़गढ़ का इतिहास इस किले की तरह ही हजारों साल पुराना माना जाता है। उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक चित्तौड़गढ़ का किला राजपूतों के साहस, शौर्य, त्याग, बलिदान और बड़प्पन का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ का यह किला राजपूत शासकों की वीरता, उनकी महिमा एवं शक्तिशाली महिलाओं के अद्धितीय और अदम्य साहस की कई कहानियों को प्रदर्शित करता है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग इस दुर्ग का निर्माण 7वीं शताब्दी में चित्रांगद मौर्य के द्वारा करवाया गया। चित्तौड़गढ़ दुर्ग राज्य का सबसे प्राचीनतम दुर्ग है। इस दुर्ग को चित्रकूट नामक पहाडी पर बनाया गया है। यह राज्य का दक्षिणी-पूर्वी द्वार है। इस के बारे में कहा जाता है कि "गढ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढैया।" राजस्थान के मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अपनी अदम्य शक्ति और साहस से मौर्य सम्राज्य के मौर्य वंश के अंतिम शासक मानमोरी को युद्ध में हराकर करीब 8वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अपना अधिकार कर लिया और करीब 724 ईसवी में भारत के इस विशाल और महत्वपूर्ण दुर्ग चित्तौड़गढ़ किले की 724 ईसवी में स्थापना की। चित्तौड़गढ़ का किला भारत के सबसे बड़े और ऐतिहासिक किलो में से एक हैं, और उससे भी कहीं ज्यादा रोमांचक है इस किले का इतिहास। चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के 5 पहाड़ी किलों ...

चित्तौड़गढ़ किला

शौर्य व पराक्रम से भरी हुई अदम्य राजपूताना संस्कृति के सबसे शानदार प्रतीकों में से एक है चित्तौड़गढ़ का किला। लगभग 180 मीटर ऊंची एक पहाड़ी के ऊपर बना हुआ यह किला 240 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है, और यहाँ से अद्भुत दृश्य दृष्टिगत होता है। किंवदंती है कि इस किले का निर्माण महाभारत काल में पाँच पांडवों में से एक, भीम द्वारा किया गया था। यह अन्दर तक प्रभावित कर देने वाला एक महान किला है, जिसके एक-एक कण में एक ओर इतिहास की त्रासदियों के मर्मान्तक हृदयविदारक क़िस्से भी बसे हुए हैं, तो दूसरी ओर असाधारण शौर्य के स्वामी उन वीर पुरुषों और उनकी उतनी ही स्वाभिमानी व अद्भुत महिलाओं की कहानियों भी गूँजती हैं। इसकी तलहटी से एक किलोमीटर की घुमावदार सड़क से होते हुए आप किले के निकट आते हैं, और सात फाटकों से गुज़र कर रामपोल अर्थात राम के द्वार तक पहुंचते हैं जोकि अभी भी उपयोग में है। दूसरे फाटक से तीसरे फाटक तक जाते समय, आपको रास्ते में दो सुन्दर छतरियाँ दिखाई देती हैं, जिन्हें 1568 में मुगल बादशाह अकबर किए गए आक्रमण के दौरान भीषण पराक्रम का परिचय देते हुए अपने प्राण युद्धभूमि में न्यौछावर कर देने वाले दो वीर रणबांकुरों, जयमल और कल्ला की स्मृति व सम्मान में बनाया गया था। इस किले के मुख्य द्वार का नाम सूरजपोल अर्थात सूर्य द्वार है। इस किले में आप बहुत से शानदार स्मारक देखेंगे, जिनमें विजय स्तम्भ, कृति स्तम्भ, राणा कुंभा का महल, रानी पद्मिनी का महल, मीरा बाई को समर्पित एक मंदिर और ऐसे ही कई अन्य स्मारक शामिल हैं। इस किले में आप कई जैन मंदिर भी देख सकते हैं। और किले के ऊपर से तो चित्तौड़गढ़ शहर का ऐसा शानदार नज़ारा देखने को मिलता है कि उसकी सुन्दरता आपकी आँखों में बस जाती है। और पढ़े

Chittorgarh Fort Of Rajasthan Is Very Beautiful, This Is The Best Time To Visit

Chittorgarh Fort:भारत में कई ऐतिहासिक धरोहर हैं और उन्हीं में से एक है चित्तौड़गढ़ किला. यह राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है. यदि आप उदयपुर (Udaipur)की यात्रा कर रहे हैं तो आपको यहां (Chittorgarh Fort) एक बार जरूर जाना चाहिए. 13 किमी की परिधि की दीवार के साथ 700 एकड़ में फैलायह किला कभी राजाओं और रानियों का महल हुआ करता था. 2013 में यूनेस्को ने इसे राजस्थान (Rajasthan) के पहाड़ी किलों के तहत विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. यह भी पढ़ें • इकोनॉमी टिकट पर बिजनेस क्लास जैसा आराम पाने के लिए महिला ने भिड़ाया गजब का जुगाड़, 1 मिलियन लोग देख चुके हैं वीडियो • पेट पर जमा फैट हटने का नाम नहीं ले रहा है, तो आज से ये 3 तरह के बीज खाना शुरू कर दें, धीरे धीरे कमर होने लगेगी पतली • पेट की सेहत रहती है बहुत खराब तो इन फलों का सेवन करना कर दीजिए शुरू मीरा बाई की मशहूर कहानी चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Kila) रानी मीरा बाई से भी जुड़ा हुआ है जो कवयित्री थीं. उन्होंने अपना जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया था. यहां प्रसिद्ध कवि-संत रहते थे और यहां मीरा बाई को समर्पित एक मंदिर भी है. किंवदंती के अनुसार, एक बार मीरा के देवर ने उनको मारने की कोशिश की लेकिन भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से वे खतरनाक जहर खाकर भी जीवित रहीं. प्रेम और भक्ति की इतनी सारी ऐतिहासिक कहानी के साथ, चित्तौड़गढ़ दुनियाभर में बहुत मशहूर है. चित्तौड़गढ़ किला देखने का समय चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान में गंभीर नदी के पास एक पहाड़ी पर स्थित है. चित्तौड़गढ़ किला 12 महीने टूरिस्ट्स (Tourists) के लिए खुला रहता है. इसका समय सुबह 9 से शाम 6 बजे तक है. यहां के अद्भुत लाइट एंड साउंड शो का समय सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे के बी...

प्रेम की निशानी माना जाता है चित्तौड़गढ़ का किला, इससे जुड़े हैं कई अनोखे किस्से

इसका सबसे आकर्षक हिस्सा सफेद रंग का तीन मंजिला रानी पद्मावती का महल है. यह किला यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है. यह दुनियाभर में काफी फेमस है. Travel to Chittorgarh Fort: भारत की जमीन कई ऐतिहासिक इमारतों को संजोए हुए है, जिसमें इमारतें, महल और कई किले भी हैं. भारत के इन्हीं स्मारकों की खूबसूरती की चर्चा दुनियाभर में होती है. इनमें कुछ इमारतें ऐसी भी हैं, जो प्यार की मिसाल पेश करती हैं. देखा जाए तो इतिहास भी सच्चे प्यार की इन कहानियों को इमारतों के रूप में संजोकर रखे हुए है. पहले के समय में सच्चा प्यार करने वालों ने कुछ ऐसी निशानियां बनवाई थीं, जो उनके प्यार को हमेशा जिंदा रख सके. कोई इमारत प्यार से जुड़ी हुई है तो कोई प्यार में हुई कुर्बानी से. ऐसा ही एक किला है जो प्रेम की निशानी माना जाता है, जिसके कई किस्से भी हैं. यह चित्तौड़गढ़ का मशहूर किला है. यह भी पढ़ेंः जरूर घूमकर आएं चित्तौड़गढ़ का किला चित्तौड़गढ़ का किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है. इस किले को सातवीं शताब्दी में बनवाया गया था. रानी पद्मिनी और राजा रतन रावल सिंह की कभी न भुलाई जा पाने वाली प्रेम कहानी को चित्तौड़गढ़ का किला बयां करता है. रानी पद्मिनी को जीतने के लिए राजा रतन रावल सिंह को काफी परीक्षाएं पास करनी पड़ी थीं. इसके बाद वो रानी को जीतकर चित्तौड़गढ़ के किले में लेकर आये थे. इस किले का सबसे आकर्षक हिस्सा सफेद रंग का तीन मंजिला रानी पद्मावती का महल है. ये महल कुंड के किनारे बसा हुआ है. जिसका नाम कमल कुंड है. इस किले की शिल्पकला और वास्तुकला किसी का भी मन मोह ले. यह भी पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ के किले की खासियत -चित्तौड़गढ़ का किला यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है. -चित्तौड़गढ़ किले पर कई बा...

चित्तौड़गढ़ दुर्ग/चित्तौड़गढ़ का किला

Chittorgarh Fort : आज की इस पोस्ट में "चित्तौड़गढ़ दुर्ग/चित्तौड़गढ़ का किला" पर विस्तृत लेख लिखा गया है। Chittorgarh Ka Kila Histroy in Hindi - इसमें चित्तौड़गढ़ दुर्ग के उपनाम, चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख साके, चित्तौड़गढ़ किले के सात दरवाजे, चित्तौड़गढ़ दुर्ग के दर्शनीय स्थल, विजय स्तम्भ, जैन कीर्ति स्तम्भ, मीरा मंदिर, भीमकुण्ड तालाब आदि को शामिल किया गया है। आप इसको पूरा जरूर पढ़ें:- चित्तौड़गढ़ दुर्ग विषय-सूची चित्तौड़गढ़ दुर्ग/किले का इतिहास • चित्तौड़गढ़ दुर्ग के लिए एक कथन बहुत प्रचलित है - "गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकि सब गढ़ैया"| • चित्तौड़गढ़ दुर्ग/किले के उपनाम -राजस्थान का गौरव, गढ़ों का सिरमौर, मालवा का प्रवेश द्वार, चित्रकूट दुर्ग, खिज्राबाद, वॉटर फोर्ट, राजस्थान का गौरव, राजस्थान का दक्षिणी प्रवेश द्वार। • चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण -इस अभेद्य चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण मौर्य शासक चित्रांगद (चित्रांग) मौर्य ने गम्भीरी और बेड़च नदियों के संगम स्थल के निकट आरावली पर्वतमाला के एक विशाल पर्वत शिखरमेसा के पठार पर करवाया था। • गुहिलवंशीय शासक बप्पा रावल ने हरित ऋषि के आशीर्वाद सेमौर्य शासक मान मौर्य से 734 ईस्वी में चित्तौड़गढ़ दुर्ग को जीता था और मेवाड़ में गुहिल साम्राज्य की नीव रखी थी। इसलिए बप्पा रावल को 'गुहिल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक" कहा जाता है। • चित्तौड़गढ़ दुर्ग के रास्ते में उदयसिंह के वीर सेनापति जयमल एवं पता की छतरियां स्थित है। • चित्तौड़गढ़ दुर्ग व्हेल मछली के आकार में बना हुआ है। • चित्तौड़गढ़ दुर्गराजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट है। • चित्तौड़गढ़ दुर्गमें गौमुख कुंड के पास रानी पद्मिनी का जौहर स्थल स्थित है। • चित्तौड़गढ़ दुर्ग में नौगजा पीर की कब्र भी स्थित है। • चित्तौड़गढ़दुर...

चित्तौड़गढ़ किला

इतिहास की पुस्तकों में से भारत का अगर कोई एक किला मुझे आज भी याद है, तो वह है मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किला। भारतीय इतिहास के कई महान और महत्वपूर्ण व्यक्ति यहां रह चुके हैं। इन महान व्यक्तियों से मेरा परिचय इतिहास की किताबों के द्वारा ही हुआ जब महाराणा प्रताप और राणा संघा जैसे महाराजाओं के किस्से पढ़ाये जाते थे। मीराबाई के काव्य के द्वारा भी चित्तौड़गढ़ से परिचय हुआ। किरण नागरकर के ‘कुक्कोल्ड’ (व्यभिचारी) जैसे ऐतिहासिक उपन्यासों के द्वारा मेरी उनसे भेट होती रही। मैंने रानी पद्मिनी से प्रेरित अनेक कथाओं और उपन्यासों में उनके जौहर के बारे में सुना था। ऐसा लगा जैसे, किसी बड़े निर्माता का पूरा पात्रवर्ग चित्तौड़गढ़ में रह रहा था। बेशक यह सब कुछ कई सदियों की कालावधि में घटित हुआ होगा, लेकिन अगर वर्तमान की दृष्टि से देखें तो सब कुछ एक-दूसरे में संविलीन सा लगता है, जो कि इतिहास है। किले का इतिहास जब मैं चित्तौड़गढ़ पर पहुंची तब मुझे पता चला कि यह विशाल किला 7वी सदी में मौर्य कुल के राजा चित्रांगद मोरी द्वारा बनवाया गया था। इस किले का नाम भी इसी राजा के नाम के आता है। 8वी सदी के दौरान इस किले की बागडोर मेवाड़ के सिसोदिया कुल के हाथों में आयी जिन्होंने इस किले पर 800 सालों तक राज्य किया। बाद में उन्हें उदयपुर में अपनी नयी राजधानी स्थापित करनी पड़ी। इस किले में आज भी कई गाँव बसे हुए हैं जो अब भी इसे अपना घर मानते हैं। आप सोच भी नहीं सकते कि यहां की दीवारों और लोगों के पास इस किले से जुड़ी न जाने कितनी कथाएँ होगी जो सुनने लायक हैं। चित्तौड़गढ़ किले का मानचित्र लंबी सी मछली जैसे आकार का बना हुआ चित्तौड़गढ़ किला, भारत का विशालतम किला है जिसे एक दिन में देख पाना आसान नहीं है। यहां पर विरासती क्षेत्र भी है ज...

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh Fort History in Hindi)

चित्तौड़ का किला चित्तौड़गढ़ का किला UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है और यह किला भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यह किला बेहद ही विशाल है और एक पहाड़ी पर बना हुआ है। जिसकी ऊंचाई 180 मीटर है। इस किले को चित्तौड़ का किला (Chittorgarh ka Kila) भी कहा जाता है। 280 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले इस किले से बेहद ही रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है और यह किला भारत का सबसे बड़ा किला है (Largest Fort of India)। कई बार किया गया हमला चित्तौड़गढ़ किले (chittorgarh ka kila) पर कई बार हमला किया जा चुका है और इस किले को बचाने के लिए कई सारे राजपूत शासकों ने अपनी कुर्बानी दी है। रानी पद्मिनी को हासिल करने के लिए इस किले पर अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा साल 1303 में आक्रमण किया गया था। इस किले पर दूसरा हमला 1567 में अकबर द्वारा किया गया था और महाराणा उदय सिंह से यह किला छीन लिया गया था। हालांकि 1616 में जहांगीर ने यह किला महाराजा अमर सिंह को वापस कर दिया था और दोबारा राजपूतों का हक इस किले पर स्थापित हो गया था। किले के अंदर हैं बेहद ही सुंदर महल • इस किले (chittorgarh kila) के अदंर कई सारे महल हैं जिनमें से एक महल को पद्मिनी महल कहा जाता है। पद्मिनी महल सफेद रंग का है और इस महल में काफी सारे शीशे लगे हुए हैं। इस महल के अलावा इस किले के अंदर राणा कुंभा महल और फ़तेह प्रकाश महल भी हैं। • राणा कुंभा भी काफी सुंदर महल है और यह महल इस किले का सबसे पुराना महल है। ऐसा कहा जाता है कि उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह का जन्म इसी महल में हुआ था। इस महल के अलावा इस किले के पास ही भगवान सूर्य देव का एक मंदिर भी है। • चित्तौड़गढ़ किले के पास ही बेराच नदी भी है जो कि यहां का आकर्षण केंद्रीय...