चित्तौड़गढ़ से सांवलिया सेठ की दूरी

  1. On Hariyali Amavasya crowd of devotees gathered at Shri Sanwaliya Seth Chittorgarh
  2. Chittorgarh More than one lakh people played Holi with Kanhaiya by taking out Rath Yatra devotees from other states also came
  3. सांवलियाजी चित्तौड़गढ़ : सांंवरा सेठ का खजाना खुला तो म‍िले 7 करोड़ रुपए, जेवर व मनी ऑर्डर भी
  4. Sanwariya ji Temple
  5. चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर बनेगा हाईटेक, घर बैठे भी कर सकेंगे दर्शन
  6. श्री सांवलिया जी मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान
  7. Chittorgarh More than one lakh people played Holi with Kanhaiya by taking out Rath Yatra devotees from other states also came
  8. On Hariyali Amavasya crowd of devotees gathered at Shri Sanwaliya Seth Chittorgarh
  9. चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर बनेगा हाईटेक, घर बैठे भी कर सकेंगे दर्शन
  10. Sanwariya ji Temple


Download: चित्तौड़गढ़ से सांवलिया सेठ की दूरी
Size: 20.11 MB

On Hariyali Amavasya crowd of devotees gathered at Shri Sanwaliya Seth Chittorgarh

सांवलियाजी कस्बे को जोड़ने वाले चिकारड़ा, आसावरा माता, भाटोली, घोड़ा खेड़ा, भादसोड़ा, बानसेन सभी सड़क मार्गों की यही स्थिति थी कि जितने यात्री वाहनों से आ रहे थे. उससे कई गुना पदयात्री भी पहुंच रहे थे. मण्डफिया के सात किलोमीटर दूरी पर वाहनों की गति पद यात्रियों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थी. यह स्थिति दिनभर बनी रही. Chittorgarh: मेवाड़ के सुप्रसिद्ध कृष्ण धाम सांवलियाजी मंदिर में हरियाली अमावस्या के मेले के अवसर पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. लोगों का इतना बडा रेला पिछले 2 वर्षों में नहीं देखा गया था. मेले में पार्किंग व्यवस्था कस्बे से बाहर कर दिए जाने के कारण कहीं पर भीड़ भाड जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई. जानकारी के अनुसार, हरियाली अमावस्या का मेला पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण आयोजन नहीं हो पा रहा था. इस वजह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. वैसे तो अमावस्या से 1 दिन पूर्व चतुर्दशी के अवसर पर भी हजारों श्रृद्धालु पहुंच चुके थे लेकिन अमावस्या पर तड़के 4 बजे से मंदिर के बाहर मंगला के दर्शन करने के लिए इतनी लंबी कतारें पहले कभी नहीं देखी गई. यह भी पढे़ं- मंगला के 5:30 बजे जब दर्शन खुले तो दर्शनार्थियों ने जयकारों के साथ इस पवित्र दिवस पर भगवान का सानिध्य पाने के लिए उमड़ पड़े. मंगला आरती समाप्त होने के बाद श्रद्धालुओं की कतारें कुरेठा नाका के आगे तक पहुंच गई. यह क्रम दिनभर जारी रहा. सायंकाल में भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया. इससे पूर्व भगवान सांवलिया सेठ को अमावस्या का आकर्षक श्रृंगार करवाया. इसमें स्वर्ण आभायुक्त वाघा धारण कराया तथा विशेष श्रृंगार भी किया. इधर हरियाली अमावस्या पर देवकी सदन धर्मशाला में ब्रह्मभोज की प्रसादी का आयोजन हुआ इसमें भी हजारों श्रद्...

Chittorgarh More than one lakh people played Holi with Kanhaiya by taking out Rath Yatra devotees from other states also came

Chittorgarh More than one lakh people played Holi with Kanhaiya by taking out Rath Yatra devotees from other states also came| चित्तौड़गढ़: रथ यात्रा निकालकर यहां कन्हैया के संग एक लाख से अधिक लोगों ने खेली होली, दूसरे राज्यों से भी आए श्रद्धालु | Hindi News, Chittorgargh चित्तौड़गढ़: रथ यात्रा निकालकर यहां कन्हैया के संग एक लाख से अधिक लोगों ने खेली होली, दूसरे राज्यों से भी आए श्रद्धालु चित्तौड़गढ़: जिले में भगवान सांवलिया सेठ के विग्रह रुपको बेवाण में बिठाकर पूजा अर्चना कर भक्तों के द्वारा ठाकुर जी सुगंधित द्रव्य ईत्र अर्पण कर अबीर गुलाल श्री सांवलिया सेठ के संग होली खेली. भगवान सांवरिया सेठ के संग होली खेलने के लिए राजस्थान के कई जिलों के अलावा भी देश के कई राज्यों से लोग सांवरिया सेठ के दरबार में पहुंचे. सांवलिया सेठ की नगरी में सभी धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस भी एक दिन पहले ही बुक हो चुके थे. करीब एक लाख लोगों ने भगवान सांवरिया सेठ की शोभायात्रा में सम्मिलित होकर आनंद लिया. रथयात्रा भगवान सांवरिया सेठ के मंदिर से प्रारंभ होकर के कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए उन्हें भगवान सांवरिया सेठ के मंदिर पर शोभायात्रा का समापन किया गया. कार्यक्रम के दौरान मंदिर मंडल के अध्यक्ष भेरू लाल गुर्जर, सदस्य भैरूलाल सोनी, अशोक कुमार शर्मा, ममता शर्मा, सुनील मंडोरा, शंभू लाल सुथार, प्रशासनिक अधिकारी कैलाश चंद शर्मा, नदकिशोर टेलर, रोकड़ी सहित मंदिर मंडल के पदाधिकारी और कर्मचारी गण उपस्थित रहे. Report- Deepak Vyas

सांवलियाजी चित्तौड़गढ़ : सांंवरा सेठ का खजाना खुला तो म‍िले 7 करोड़ रुपए, जेवर व मनी ऑर्डर भी

To Start receiving timely alerts please follow the below steps: • Click on the Menu icon of the browser, it opens up a list of options. • Click on the “Options ”, it opens up the settings page, • Here click on the “Privacy & Security” options listed on the left hand side of the page. • Scroll down the page to the “Permission” section . • Here click on the “Settings” tab of the Notification option. • A pop up will open with all listed sites, select the option “ALLOW“, for the respective site under the status head to allow the notification. • Once the changes is done, click on the “Save Changes” option to save the changes. राशि की गणना करने के दौरान श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल बोर्ड के अध्यक्ष कन्हैयादास वैष्णव, बोर्ड सदस्य भैंरूलाल सोनी, प्रशासनिक अधिकारी कैलाश चंद्र दाधीच, केशियर नंदकिशोर टेलर, संपदा प्रभारी कालु लाल तेली, मंदिर प्रभारी राजेंद्र शर्मा, संस्थापन प्रभारी लेहरी लाल गाडरी, सुरक्षा प्रभारी राम सिंह राठौड़ सहित मंदिर मंडल तथा क्षेत्रीय बैंकों के कर्मचारी मौजूद थे।

Sanwariya ji Temple

श्री सांवरिया जी मंदिर मंडपिया चित्तौडगढ़ भगवान श्री साँवलिया जी की मूर्तिया भगवान श्री साँवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार साँवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात थी जिनके पास ये मुर्तिया थी। बताया जाता है की जब औरंगजेब की मुग़ल सेना मंदिरो को तोड़ रही थी तो मेवाड़ राज्य में पहुचने पर मुग़ल सैनिको को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा तो संत दयाराम जी ने प्रभु प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर (खुला मैदान ) में एक वट-वृक्ष के निचे गड्ढा खोद के पधरा दिया और फिर समय बीतने के साथ संत दयाराम जी का देवलोकगमन हो गया। किवदंतियों के अनुसार किवदंतियों के अनुसार कालान्तर में सन 1840 मे मंडफिया ग्राम निवासी भोलाराम गुर्जर नाम के ग्वाले को एक सपना आया की भादसोड़ा-बागूंड गाँव की सीमा के छापर मे 3 मूर्तिया ज़मीन मे दबी हुई है, जब उस जगह पर खुदाई की गयी तो भोलाराम का सपना सही निकला और वहा से एक जैसी 3 मूर्तिया प्रकट हुयी। सभी मूर्तिया बहुत ही मनोहारी थी। देखते ही देखते ये खबर सब तरफ फ़ैल गयी और आस-पास के लोग प्राकट्य स्थल पर पहुचने लगे। मंदिर निर्माण फिर सर्वसम्मति से 3 में से सबसे बड़ी मूर्ति को भादसोड़ा ग्राम ले जायी गयी, भादसोड़ा में सुथार जाति के अत्यंत ही प्रसिद्ध गृहस्थ संत पुराजी भगत रहते थे। उनके निर्देशन में उदयपुर मेवाड राज-परिवार के भींडर ठिकाने की ओर से साँवलिया जी का मंदिर बनवाया गया। यह मंदिर सबसे पुराना मंदिर है इसलिए यह साँवलिया सेठ प्राचीन मंदिर के नाम से जाना जाता है। मझली मूर्ति को वह...

चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर बनेगा हाईटेक, घर बैठे भी कर सकेंगे दर्शन

सांवलियाजी मंदिर प्रशासन कृष्णधाम सांवलिया सेठ मंदिर को स्मार्ट मंदिर बनाने की दिशा में प्रयासरत है. मंदिर प्रशासन मंदिर को टेलीकॉम की आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है तो मंदिर की सुरक्षा को भी चाक चौबंद करना की भी योजना तैयार की जा रही है. यही नहीं अन्य सुविधाओं के विस्तार के लिए भी मंदिर प्रशासन सजग नजर आ रहा है. मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से बीएसएनएल उसके साथ मिलकर काम कर रही कंपनी सिफी टेक्नोलाॅजी को उसका प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा था. जिसके बाद कम्पनी ने अपना प्रजेन्टेशन मंदिर प्रशासन के समझ प्रस्तुत कर दिया है. इसमें बताया गया कि इस योजना में किस प्रकार और कहां-कहां कैमरे लगेंगे तथा वे कैसे काम करेंगे. इस योजना के लागू हो जाने पर मंदिर क्षेत्र में अवांछित व्यक्ति सामग्री की पहचान होने के साथ ही इसकी सूचना आगे तक पहुंचाने की कार्रवार्इ भी हो सकेगी. बताया जा रहा है कि इस योजना का विस्तार करने पर इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी कोई भी सांवलिया सेठ के दर्शन कर सकेगा. इस योजना में कस्बे के प्रमुख चौराहों-तिराहों पर ड्राेन कैमरे लगेंगे जो उच्च क्षमता के होने से रात में भी काम करेंगे चारों ओर निगरानी करेंगे. वहीं वाहन पार्किंग स्थल भी विशेष कैमरे की निगरानी में होंगे. जिससे वाहनों की चोरी पर अंकुश लग सकेगा. इन सभी व्यवस्थाओं के लिए कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनेगा जहां से नियंत्रण किया जाएगा और इस सेंटर का पुलिस कार्यालय से संपर्क रहेगा. . Tags:

श्री सांवलिया जी मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान

सांवरिया जी मंदिरराजस्थानकेचित्तौड़गढ़जिले में स्थित है। यह सांवलिया जी नाम से भी जाना जाता है। किंवदंती यह है कि वर्ष 1840 में, भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाला ने बागुंड गाँव के छापर में तीन दिव्य मूर्तियों को भूमिगत दफनाने का सपना देखा था; साइट को खोदने पर, भगवान कृष्ण की तीन सुंदर मूर्तियों की खोज की गई, जैसा कि सपने में दिखाया गया था। मूर्तियों में से एक को मंडफिया ले जाया गया, एक को भादसोड़ा और तीसरा बागुंड गाँव के छापर में, उसी स्थान पर जहां यह पाया गया था। तीनों स्थान मंदिर बन गए। ये तीनों मंदिर 5 किमी की दूरी के भीतर एक-दूसरे के करीब स्थित हैं। सांवलिया जी के तीन मंदिर प्रसिद्ध हुए और तब से बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शन करने आते हैं। इन तीन मंदिरों में मंडफिया मंदिर को सांवलिया जी धाम (सांवलिया का निवास) के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहाँ राजस्थान,मध्य प्रदेश,गुजरात से सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते है। चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41किमी. व डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी. पर स्थित मंडपिया अब श्री सांवलिया धाम (भगवान कृष्ण का निवास) के रूप में जाना जाता है और वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए श्री नाथद्वारा के बाद दूसरे स्थान पर है। Shri Sanwaliya Ji seth temple darshan timings सांवरिया सेठ मंदिर दर्शन का समय त्योहारों और खास दिनों में सांवरिया सेठ मंदिर के दर्शन का समय बदल सकता है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं मांगा जाता है। Shri Sanwaliya Ji temple aarti Timing सांवरिया सेठ मंदिर आरती का समय Photos Of Shri Sanwaliya Ji Mandir (श्रीसांवालिया जी मंदिर की तस्वीरें) श्री सांवलिया जी का इतिहास कि वदंती है कि भादसौदा-बगुंद के चापर गांव में भोलाराम गुर्ज...

Chittorgarh More than one lakh people played Holi with Kanhaiya by taking out Rath Yatra devotees from other states also came

Chittorgarh More than one lakh people played Holi with Kanhaiya by taking out Rath Yatra devotees from other states also came| चित्तौड़गढ़: रथ यात्रा निकालकर यहां कन्हैया के संग एक लाख से अधिक लोगों ने खेली होली, दूसरे राज्यों से भी आए श्रद्धालु | Hindi News, Chittorgargh चित्तौड़गढ़: रथ यात्रा निकालकर यहां कन्हैया के संग एक लाख से अधिक लोगों ने खेली होली, दूसरे राज्यों से भी आए श्रद्धालु चित्तौड़गढ़: जिले में भगवान सांवलिया सेठ के विग्रह रुपको बेवाण में बिठाकर पूजा अर्चना कर भक्तों के द्वारा ठाकुर जी सुगंधित द्रव्य ईत्र अर्पण कर अबीर गुलाल श्री सांवलिया सेठ के संग होली खेली. भगवान सांवरिया सेठ के संग होली खेलने के लिए राजस्थान के कई जिलों के अलावा भी देश के कई राज्यों से लोग सांवरिया सेठ के दरबार में पहुंचे. सांवलिया सेठ की नगरी में सभी धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस भी एक दिन पहले ही बुक हो चुके थे. करीब एक लाख लोगों ने भगवान सांवरिया सेठ की शोभायात्रा में सम्मिलित होकर आनंद लिया. रथयात्रा भगवान सांवरिया सेठ के मंदिर से प्रारंभ होकर के कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए उन्हें भगवान सांवरिया सेठ के मंदिर पर शोभायात्रा का समापन किया गया. कार्यक्रम के दौरान मंदिर मंडल के अध्यक्ष भेरू लाल गुर्जर, सदस्य भैरूलाल सोनी, अशोक कुमार शर्मा, ममता शर्मा, सुनील मंडोरा, शंभू लाल सुथार, प्रशासनिक अधिकारी कैलाश चंद शर्मा, नदकिशोर टेलर, रोकड़ी सहित मंदिर मंडल के पदाधिकारी और कर्मचारी गण उपस्थित रहे. Report- Deepak Vyas

On Hariyali Amavasya crowd of devotees gathered at Shri Sanwaliya Seth Chittorgarh

सांवलियाजी कस्बे को जोड़ने वाले चिकारड़ा, आसावरा माता, भाटोली, घोड़ा खेड़ा, भादसोड़ा, बानसेन सभी सड़क मार्गों की यही स्थिति थी कि जितने यात्री वाहनों से आ रहे थे. उससे कई गुना पदयात्री भी पहुंच रहे थे. मण्डफिया के सात किलोमीटर दूरी पर वाहनों की गति पद यात्रियों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थी. यह स्थिति दिनभर बनी रही. Chittorgarh: मेवाड़ के सुप्रसिद्ध कृष्ण धाम सांवलियाजी मंदिर में हरियाली अमावस्या के मेले के अवसर पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. लोगों का इतना बडा रेला पिछले 2 वर्षों में नहीं देखा गया था. मेले में पार्किंग व्यवस्था कस्बे से बाहर कर दिए जाने के कारण कहीं पर भीड़ भाड जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई. जानकारी के अनुसार, हरियाली अमावस्या का मेला पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण आयोजन नहीं हो पा रहा था. इस वजह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. वैसे तो अमावस्या से 1 दिन पूर्व चतुर्दशी के अवसर पर भी हजारों श्रृद्धालु पहुंच चुके थे लेकिन अमावस्या पर तड़के 4 बजे से मंदिर के बाहर मंगला के दर्शन करने के लिए इतनी लंबी कतारें पहले कभी नहीं देखी गई. यह भी पढे़ं- मंगला के 5:30 बजे जब दर्शन खुले तो दर्शनार्थियों ने जयकारों के साथ इस पवित्र दिवस पर भगवान का सानिध्य पाने के लिए उमड़ पड़े. मंगला आरती समाप्त होने के बाद श्रद्धालुओं की कतारें कुरेठा नाका के आगे तक पहुंच गई. यह क्रम दिनभर जारी रहा. सायंकाल में भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया. इससे पूर्व भगवान सांवलिया सेठ को अमावस्या का आकर्षक श्रृंगार करवाया. इसमें स्वर्ण आभायुक्त वाघा धारण कराया तथा विशेष श्रृंगार भी किया. इधर हरियाली अमावस्या पर देवकी सदन धर्मशाला में ब्रह्मभोज की प्रसादी का आयोजन हुआ इसमें भी हजारों श्रद्...

चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर बनेगा हाईटेक, घर बैठे भी कर सकेंगे दर्शन

सांवलियाजी मंदिर प्रशासन कृष्णधाम सांवलिया सेठ मंदिर को स्मार्ट मंदिर बनाने की दिशा में प्रयासरत है. मंदिर प्रशासन मंदिर को टेलीकॉम की आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है तो मंदिर की सुरक्षा को भी चाक चौबंद करना की भी योजना तैयार की जा रही है. यही नहीं अन्य सुविधाओं के विस्तार के लिए भी मंदिर प्रशासन सजग नजर आ रहा है. मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से बीएसएनएल उसके साथ मिलकर काम कर रही कंपनी सिफी टेक्नोलाॅजी को उसका प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा था. जिसके बाद कम्पनी ने अपना प्रजेन्टेशन मंदिर प्रशासन के समझ प्रस्तुत कर दिया है. इसमें बताया गया कि इस योजना में किस प्रकार और कहां-कहां कैमरे लगेंगे तथा वे कैसे काम करेंगे. इस योजना के लागू हो जाने पर मंदिर क्षेत्र में अवांछित व्यक्ति सामग्री की पहचान होने के साथ ही इसकी सूचना आगे तक पहुंचाने की कार्रवार्इ भी हो सकेगी. बताया जा रहा है कि इस योजना का विस्तार करने पर इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी कोई भी सांवलिया सेठ के दर्शन कर सकेगा. इस योजना में कस्बे के प्रमुख चौराहों-तिराहों पर ड्राेन कैमरे लगेंगे जो उच्च क्षमता के होने से रात में भी काम करेंगे चारों ओर निगरानी करेंगे. वहीं वाहन पार्किंग स्थल भी विशेष कैमरे की निगरानी में होंगे. जिससे वाहनों की चोरी पर अंकुश लग सकेगा. इन सभी व्यवस्थाओं के लिए कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनेगा जहां से नियंत्रण किया जाएगा और इस सेंटर का पुलिस कार्यालय से संपर्क रहेगा. . Tags: CNN name, logo and all associated elements ® and © 2020 Cable News Network LP, LLLP. A Time Warner Company. All rights reserved. CNN and the CNN logo are registered marks of Cable News Network, LP LLLP, ...

Sanwariya ji Temple

श्री सांवरिया जी मंदिर मंडपिया चित्तौडगढ़ भगवान श्री साँवलिया जी की मूर्तिया भगवान श्री साँवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार साँवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात थी जिनके पास ये मुर्तिया थी। बताया जाता है की जब औरंगजेब की मुग़ल सेना मंदिरो को तोड़ रही थी तो मेवाड़ राज्य में पहुचने पर मुग़ल सैनिको को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा तो संत दयाराम जी ने प्रभु प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर (खुला मैदान ) में एक वट-वृक्ष के निचे गड्ढा खोद के पधरा दिया और फिर समय बीतने के साथ संत दयाराम जी का देवलोकगमन हो गया। किवदंतियों के अनुसार किवदंतियों के अनुसार कालान्तर में सन 1840 मे मंडफिया ग्राम निवासी भोलाराम गुर्जर नाम के ग्वाले को एक सपना आया की भादसोड़ा-बागूंड गाँव की सीमा के छापर मे 3 मूर्तिया ज़मीन मे दबी हुई है, जब उस जगह पर खुदाई की गयी तो भोलाराम का सपना सही निकला और वहा से एक जैसी 3 मूर्तिया प्रकट हुयी। सभी मूर्तिया बहुत ही मनोहारी थी। देखते ही देखते ये खबर सब तरफ फ़ैल गयी और आस-पास के लोग प्राकट्य स्थल पर पहुचने लगे। मंदिर निर्माण फिर सर्वसम्मति से 3 में से सबसे बड़ी मूर्ति को भादसोड़ा ग्राम ले जायी गयी, भादसोड़ा में सुथार जाति के अत्यंत ही प्रसिद्ध गृहस्थ संत पुराजी भगत रहते थे। उनके निर्देशन में उदयपुर मेवाड राज-परिवार के भींडर ठिकाने की ओर से साँवलिया जी का मंदिर बनवाया गया। यह मंदिर सबसे पुराना मंदिर है इसलिए यह साँवलिया सेठ प्राचीन मंदिर के नाम से जाना जाता है। मझली मूर्ति को वह...