चन्दन की खेती की जानकारी

  1. लाल चन्दन की खेती से सालाना होंगी झोला भर के पैसो की कमाई, जानिए इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकारी
  2. टमाटर की खेती की पूरी जानकारी
  3. कैसे होती है चन्दन की खेती
  4. खेती (Kheti)
  5. पेठा की उन्नत खेती कैसे करें
  6. खेती (Kheti)
  7. कैसे होती है चन्दन की खेती
  8. लाल चन्दन की खेती से सालाना होंगी झोला भर के पैसो की कमाई, जानिए इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकारी
  9. टमाटर की खेती की पूरी जानकारी
  10. पेठा की उन्नत खेती कैसे करें


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लाल चन्दन की खेती से सालाना होंगी झोला भर के पैसो की कमाई, जानिए इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकारी

Red Sandalwood: लाल चन्दन की खेती से सालाना होंगी झोला भर के पैसो की कमाई, जानिए इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकारी, हम सभी लोग ये तो जानते ही है तो हमारा देश हो या कोई विदेश हो हर जगह लाल चंदन की सब जगह भारी डिमांड है जिसके कारण इसके भाव हमेशा ही बढ़े हुए रहते हैं. इसी कारण यदि आप भी चंदन की खेती करते हैं तो इससे आप करोड़ों का केवल मुनाफ़ा कमा सकते हैं तो आइये जानते है इससे जुडी सम्पूर्ण जानकारी। चंदन का उपयोग कई चीजों में किया जाता है. इसकी लकड़ी से फर्नीचर, मूर्तियाँ सहीत कई डेकोरेटिव आइटम्स बनाए जाते हैं. पाउडर का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रधान की चीजों को बनाने में, शर्बत बनाने में किया जाता है. पूजा में भी चन्दन की लकड़ी का व्यापार तौर पर उपयोग होता है वही इसके गुण करे तो चंदन में एंटी बैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है, जिसके कारण त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है. दाग-धब्बों और मुहासों के लिए तो घर-घर में चंदन का उपयोग होता है। साथ ही इसमें आयुर्वेदिक दवाइयों में इसका उपयोग लिया जाता है। चंदन कितने प्रकार की होती है अगर बात करे चन्दन के प्रकार की तो यह आपको चार प्रकार के देखने को मिलते है।जिसमें से एक है लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन, तीसरा मयूर आयर चौथा नाग चंदन. सफ़ेद चंदन की अपेक्षा लाल चंदन की मांग और दाम बहुत अधिक है. इसीलिए आज हम आपको लाल चंदन की खेती से जुडी जानकारी देने वाले हैं. कितने समय में होती है चंदन की फसल तैयार अगर आप इसकी खेती करने में रूचि रखते है तो आपको एक बार लाल चंदन के पौधे लगाने के बाद आपको कम से कम 10 से 15 साल का इन्तजार करना पड़ता है. तब तक पौधों की उचित देखभाल जरुरी है. पौधा जब अच्छे से विकसित होकर पेड़ बन जाए तब उसकी क...

टमाटर की खेती की पूरी जानकारी

WhatsApp Group टमाटर को कौन नहीं जानता? यह एक प्रचलित एवं लोकप्रिय फल है, जिसे हम सब्जी ,सलाद व चटनी के रूप में प्रयोग करते हैं। टमाटर सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु में उगने वाला फसल है कुछ किस्मे सरद ऋतु में भी उगाई जाती है।यह फसल ज्यादा शीत सहन नहीं कर पाती है। यह फसल मूल रूप से साउथ अमेरिका से आती है एवं पूरे भारतवर्ष में इसका सफल उत्पादन किया जाता है। वैश्विक स्तर पर चाइना अमेरिका व भारत टमाटर के सर्वाधिक उत्पादक देश है। टमाटर एंटीऑक्सीडेंट लाइकोप्रोपिन का प्रमुख स्त्रोत होता है। जो हृदय रोग वह कैंसर के साथ साथ कई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी है इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पोटेशियम फोलेट विटामिन k1 ओमेगा 3 ओमेगा 6 फाइबर प्रोटीन 0.9 ग्राम कार्ब 3.9 ग्राम तथा जल 95% तक होता है ताजे फल के अलावा यह बाजारों में चटनी जूस आचार तथा जंक फूड इंडस्ट्री में बहुतायत में केचप के रूप में प्रयोग होता है इसलिए बाजारों में इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है किसान भाई इसके उत्पादन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं तो आइए जानते हैं टमाटर की खेती की पूरी प्रक्रिया- टमाटर की खेती हेतु मृदा का चयन: – टमाटर कई प्रकार की मिट्टी में उग सकती है लोम मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है मृदा अच्छी तरह सुखा हल्की उपजाऊ व नमी सोखने की क्षमता वाला होना चाहिए खेत में जल निकासी की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए तथा खेत का पीएच 6.0 से 7.1 के बीच होना चाहिए क्षेत्र में कई बार जुताई कर के सबसे पहले मिट्टी को भूर- भूरी व समतल बना ले। टमाटर हेतु उपयुक्त जलवायु:- टमाटर के उत्पादन हेतु तापमान का पौधे के अनुसार होना बहुत आवश्यक है सामान्यतः शुरुआत में 18 से 27 डिग्री तापमान पर्याप्त होता है 20 से 24 डिग्री सेल्सियस में फल...

कैसे होती है चन्दन की खेती

भारत देश मे ये एक तरह का एंटी बायोटिक तत्व है जो की सर दर्द ,घाव भरने ,खुजली दूर करने तनाव दूर करने और दात दर्द में रहत देता है और स्किन संबंधी रोगों में चन्दन एक बहु उपयोगी ओषधि की तरह है चन्दन का उपयोग तेल, धूप, ओषधि, इत्र और सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण, में तो होता ही है इसके अलावा चन्दन बहुत ही पुराने समय से आयुर्वेद के उपचार और ओषधि के रूप में भी लिए किया जाता है। Sandalwood Farming Cost And Benefits चंदन को सबसे ज्यादा मुनाफे देने वाला पेड़ माना जाता है. इस पेड़ की खेती से किसान आसानी से लाखों- करोड़ों कमा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चंदन की अत्यधिक मांग है। हालांकि इस डिमांड को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि चंदन के पेड़ों की लकड़ियों के कीमतों में पिछले कई सालों से भारी वृद्धि देखी गई है। भारत की तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है. इसके बावजूद खेती-किसानी को मुनाफा ना देने वाला सेक्टर माना जाता है. किसान भी अक्सर शिकायत करते हैं कि कृषि से उन्हें वैसा मुनाफा नहीं हासिल हो रहा है जैसी की उम्मीद थी. कृषि विशेषज्ञ इसके पीछे खेती को लेकर किसानों की पारंपरिक और पुरानी सोच को दोष देते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कई किसान अब भी ऐसे हैं कि वे नए जमाने की फसलों की खेती और तकनीकों अपनाने में संकोच करते हैं। चंदन की व्यवसायिक खेती कैसे करें कई किसान तुरंत मुनाफा हासिल करने की चाह रखते हैं, लेकिन चंदन की खेती के लिए आपको धैर्य रखने की जरूरत है. इसकी खेती के दीर्घकालिक लाभ है. एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का हो जाता है, तो उसका हर्टवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है.जब पेड़ बड़ा हो जाता है तो किस...

खेती (Kheti)

खेती (Kheti) - खेती किसे कहते हैं खेती कितने प्रकार की होती हैं भारत में सर्वाधिक प्राचीन व्यवसायों में से खेती (kheti)एक मुख्य व्यवसाय है। भारत में युगों - युगों से खेती-बाड़ी करते हुए मानव नेखेती के कई प्रकारों (kheti ke parkar) कोविकसित किया है। परिस्थिति, आवश्यकता एवं मांग के अनुसार के किसी एक प्रकार का चयन करने से लिए तथा खेती (kheti)किसान को समग्र रूप में समझने के लिए खेती के सभी प्रकारों को भली - भाँति जान लेना साधारण किसान से लेकर आधुनिक कृषिवैज्ञानिक तक सभी को जान लेना अत्यन्त आवश्यक एवं लाभप्रद है। खेती किसे कहते है? | kheti kaise kahate hain? साधारण रूप से खेती किसे कहते हैंयह एकप्रक्षेत्र विशेष पर कृषि व्यवसायों से धर्नाजन अनुपात तथा उत्पादन विधियों से है। अर्थात् जब किसी एक क्षेत्र में स्थित जब कई फार्मस के आकार, वस्तुओं के उत्पादन और उत्पादन में अपनायी जाने वाली विधियों में प्रायः समानता होती है तो उसे खेती (kheti)कहा जाता है। खेती की परिभाषा | Kheti ki paribhasha खेती की परिभाषा - "एक समूह में उत्पादित फसलों और पशुओं के उत्पादन की किस्म और अनुपात में तथा उत्पादन करने में अपनायी जाने वाली विधियों और रीतियों में पूर्णरूप से समान हों तो वह समुह खेती (Kheti)कहलाता है।" सरल शब्दों में खेती की परिभाषा निम्न प्रकार से भी दी जा सकती हैं "भूमि पर को जाने वाली समस्त कृषि क्रियाएं एवं पशुपालन करना ही खेती कहलाता है।" खेती कितने प्रकार की होती है? | kheti ke prakar खेती (kheti) वह एक निश्चित प्रक्षेत्र जिसमें सभी कृषि क्रियाएं की जा सके और साथ ही पशुपालन करके दोहरा लाभ उठाया जा सके। खेती पांच प्रकार की होती है - • विशिष्ट खेती ( Specialized Farming ) • मिश्रित खेती ( Mi...

पेठा की उन्नत खेती कैसे करें

पेठा एक कद्दू वर्गीय फल है. जिसको काशीफल, कुम्हड़ा और कूष्माण्ड के नाम से भी जाना जाता है. इसका पौधा लता के रूप में फैलकर बड़ा होता है. भारत में इसको सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है. जहां इसकी खेती को लोग जुआ खेती भी मानते हैं. क्योंकि अच्छा भाव मिलने पर इसकी खेती से किसानों की अच्छीखासी कमाई हो जाती है. लेकिन कम भाव होने पर इसकी लागत भी मिलनी मुश्किल हो जाती है. Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पेठा की खेती पेठा का खाने में इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है. इससे आगरा का पेठा ( मिठाई) बनती है, जिसकी अपनी एक ख़ास पहचान है. इसका ज्यादा इस्तेमाल इसी मिठाई को बनाने में किया जाता है. मिठाई बनाने में इसके पके हुए फलों का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि इसके कच्चे फलों का इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है. पेठा की खेती कम खर्च में अधिक उत्पादन देने वाली होने की वजह से छोटे किसान भाई भी इसकी खेती आसानी से कर लेते है. इसकी खेती तीन से चार महीने की होती है. इसकी खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है. इसके पौधों गर्मी के मौसम में अच्छे से विकास करते है. अधिक बारिश इसकी खेती के लिए उपयोगी नही होती. अगर आप भी इसकी खेती करने का मन बना रहे हैं तो आज हम आपको इसकी खेती के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं. उपयुक्त मिट्टी पेठा की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि की जरूरत होती है. लेकिन अच्छी पैदावार लेने के लिए गर्मियों में उगाई जाने वाली किस्मों को भारी दोमट मिट्टी में उगा सकते हैं. और जायद की खेती के लिए रेतीली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. क्योंकि इस दौरान बारिश अधिक होने से रेतीली बलुई दोमट मिट्टी में जल भराव नही हो प...

खेती (Kheti)

खेती (Kheti) - खेती किसे कहते हैं खेती कितने प्रकार की होती हैं भारत में सर्वाधिक प्राचीन व्यवसायों में से खेती (kheti)एक मुख्य व्यवसाय है। भारत में युगों - युगों से खेती-बाड़ी करते हुए मानव नेखेती के कई प्रकारों (kheti ke parkar) कोविकसित किया है। परिस्थिति, आवश्यकता एवं मांग के अनुसार के किसी एक प्रकार का चयन करने से लिए तथा खेती (kheti)किसान को समग्र रूप में समझने के लिए खेती के सभी प्रकारों को भली - भाँति जान लेना साधारण किसान से लेकर आधुनिक कृषिवैज्ञानिक तक सभी को जान लेना अत्यन्त आवश्यक एवं लाभप्रद है। खेती किसे कहते है? | kheti kaise kahate hain? साधारण रूप से खेती किसे कहते हैंयह एकप्रक्षेत्र विशेष पर कृषि व्यवसायों से धर्नाजन अनुपात तथा उत्पादन विधियों से है। अर्थात् जब किसी एक क्षेत्र में स्थित जब कई फार्मस के आकार, वस्तुओं के उत्पादन और उत्पादन में अपनायी जाने वाली विधियों में प्रायः समानता होती है तो उसे खेती (kheti)कहा जाता है। खेती की परिभाषा | Kheti ki paribhasha खेती की परिभाषा - "एक समूह में उत्पादित फसलों और पशुओं के उत्पादन की किस्म और अनुपात में तथा उत्पादन करने में अपनायी जाने वाली विधियों और रीतियों में पूर्णरूप से समान हों तो वह समुह खेती (Kheti)कहलाता है।" सरल शब्दों में खेती की परिभाषा निम्न प्रकार से भी दी जा सकती हैं "भूमि पर को जाने वाली समस्त कृषि क्रियाएं एवं पशुपालन करना ही खेती कहलाता है।" खेती कितने प्रकार की होती है? | kheti ke prakar खेती (kheti) वह एक निश्चित प्रक्षेत्र जिसमें सभी कृषि क्रियाएं की जा सके और साथ ही पशुपालन करके दोहरा लाभ उठाया जा सके। खेती पांच प्रकार की होती है - • विशिष्ट खेती ( Specialized Farming ) • मिश्रित खेती ( Mi...

कैसे होती है चन्दन की खेती

भारत देश मे ये एक तरह का एंटी बायोटिक तत्व है जो की सर दर्द ,घाव भरने ,खुजली दूर करने तनाव दूर करने और दात दर्द में रहत देता है और स्किन संबंधी रोगों में चन्दन एक बहु उपयोगी ओषधि की तरह है चन्दन का उपयोग तेल, धूप, ओषधि, इत्र और सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण, में तो होता ही है इसके अलावा चन्दन बहुत ही पुराने समय से आयुर्वेद के उपचार और ओषधि के रूप में भी लिए किया जाता है। Sandalwood Farming Cost And Benefits चंदन को सबसे ज्यादा मुनाफे देने वाला पेड़ माना जाता है. इस पेड़ की खेती से किसान आसानी से लाखों- करोड़ों कमा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चंदन की अत्यधिक मांग है। हालांकि इस डिमांड को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि चंदन के पेड़ों की लकड़ियों के कीमतों में पिछले कई सालों से भारी वृद्धि देखी गई है। भारत की तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है. इसके बावजूद खेती-किसानी को मुनाफा ना देने वाला सेक्टर माना जाता है. किसान भी अक्सर शिकायत करते हैं कि कृषि से उन्हें वैसा मुनाफा नहीं हासिल हो रहा है जैसी की उम्मीद थी. कृषि विशेषज्ञ इसके पीछे खेती को लेकर किसानों की पारंपरिक और पुरानी सोच को दोष देते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कई किसान अब भी ऐसे हैं कि वे नए जमाने की फसलों की खेती और तकनीकों अपनाने में संकोच करते हैं। चंदन की व्यवसायिक खेती कैसे करें कई किसान तुरंत मुनाफा हासिल करने की चाह रखते हैं, लेकिन चंदन की खेती के लिए आपको धैर्य रखने की जरूरत है. इसकी खेती के दीर्घकालिक लाभ है. एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का हो जाता है, तो उसका हर्टवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है.जब पेड़ बड़ा हो जाता है तो किस...

लाल चन्दन की खेती से सालाना होंगी झोला भर के पैसो की कमाई, जानिए इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकारी

Red Sandalwood: लाल चन्दन की खेती से सालाना होंगी झोला भर के पैसो की कमाई, जानिए इसकी खेती की सम्पूर्ण जानकारी, हम सभी लोग ये तो जानते ही है तो हमारा देश हो या कोई विदेश हो हर जगह लाल चंदन की सब जगह भारी डिमांड है जिसके कारण इसके भाव हमेशा ही बढ़े हुए रहते हैं. इसी कारण यदि आप भी चंदन की खेती करते हैं तो इससे आप करोड़ों का केवल मुनाफ़ा कमा सकते हैं तो आइये जानते है इससे जुडी सम्पूर्ण जानकारी। चंदन का उपयोग कई चीजों में किया जाता है. इसकी लकड़ी से फर्नीचर, मूर्तियाँ सहीत कई डेकोरेटिव आइटम्स बनाए जाते हैं. पाउडर का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रधान की चीजों को बनाने में, शर्बत बनाने में किया जाता है. पूजा में भी चन्दन की लकड़ी का व्यापार तौर पर उपयोग होता है वही इसके गुण करे तो चंदन में एंटी बैक्टेरियल प्रॉपर्टी होती है, जिसके कारण त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है. दाग-धब्बों और मुहासों के लिए तो घर-घर में चंदन का उपयोग होता है। साथ ही इसमें आयुर्वेदिक दवाइयों में इसका उपयोग लिया जाता है। चंदन कितने प्रकार की होती है अगर बात करे चन्दन के प्रकार की तो यह आपको चार प्रकार के देखने को मिलते है।जिसमें से एक है लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन, तीसरा मयूर आयर चौथा नाग चंदन. सफ़ेद चंदन की अपेक्षा लाल चंदन की मांग और दाम बहुत अधिक है. इसीलिए आज हम आपको लाल चंदन की खेती से जुडी जानकारी देने वाले हैं. कितने समय में होती है चंदन की फसल तैयार अगर आप इसकी खेती करने में रूचि रखते है तो आपको एक बार लाल चंदन के पौधे लगाने के बाद आपको कम से कम 10 से 15 साल का इन्तजार करना पड़ता है. तब तक पौधों की उचित देखभाल जरुरी है. पौधा जब अच्छे से विकसित होकर पेड़ बन जाए तब उसकी क...

टमाटर की खेती की पूरी जानकारी

WhatsApp Group टमाटर को कौन नहीं जानता? यह एक प्रचलित एवं लोकप्रिय फल है, जिसे हम सब्जी ,सलाद व चटनी के रूप में प्रयोग करते हैं। टमाटर सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु में उगने वाला फसल है कुछ किस्मे सरद ऋतु में भी उगाई जाती है।यह फसल ज्यादा शीत सहन नहीं कर पाती है। यह फसल मूल रूप से साउथ अमेरिका से आती है एवं पूरे भारतवर्ष में इसका सफल उत्पादन किया जाता है। वैश्विक स्तर पर चाइना अमेरिका व भारत टमाटर के सर्वाधिक उत्पादक देश है। टमाटर एंटीऑक्सीडेंट लाइकोप्रोपिन का प्रमुख स्त्रोत होता है। जो हृदय रोग वह कैंसर के साथ साथ कई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी है इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पोटेशियम फोलेट विटामिन k1 ओमेगा 3 ओमेगा 6 फाइबर प्रोटीन 0.9 ग्राम कार्ब 3.9 ग्राम तथा जल 95% तक होता है ताजे फल के अलावा यह बाजारों में चटनी जूस आचार तथा जंक फूड इंडस्ट्री में बहुतायत में केचप के रूप में प्रयोग होता है इसलिए बाजारों में इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है किसान भाई इसके उत्पादन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं तो आइए जानते हैं टमाटर की खेती की पूरी प्रक्रिया- टमाटर की खेती हेतु मृदा का चयन: – टमाटर कई प्रकार की मिट्टी में उग सकती है लोम मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है मृदा अच्छी तरह सुखा हल्की उपजाऊ व नमी सोखने की क्षमता वाला होना चाहिए खेत में जल निकासी की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए तथा खेत का पीएच 6.0 से 7.1 के बीच होना चाहिए क्षेत्र में कई बार जुताई कर के सबसे पहले मिट्टी को भूर- भूरी व समतल बना ले। टमाटर हेतु उपयुक्त जलवायु:- टमाटर के उत्पादन हेतु तापमान का पौधे के अनुसार होना बहुत आवश्यक है सामान्यतः शुरुआत में 18 से 27 डिग्री तापमान पर्याप्त होता है 20 से 24 डिग्री सेल्सियस में फल...

पेठा की उन्नत खेती कैसे करें

पेठा एक कद्दू वर्गीय फल है. जिसको काशीफल, कुम्हड़ा और कूष्माण्ड के नाम से भी जाना जाता है. इसका पौधा लता के रूप में फैलकर बड़ा होता है. भारत में इसको सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है. जहां इसकी खेती को लोग जुआ खेती भी मानते हैं. क्योंकि अच्छा भाव मिलने पर इसकी खेती से किसानों की अच्छीखासी कमाई हो जाती है. लेकिन कम भाव होने पर इसकी लागत भी मिलनी मुश्किल हो जाती है. Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पेठा की खेती पेठा का खाने में इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है. इससे आगरा का पेठा ( मिठाई) बनती है, जिसकी अपनी एक ख़ास पहचान है. इसका ज्यादा इस्तेमाल इसी मिठाई को बनाने में किया जाता है. मिठाई बनाने में इसके पके हुए फलों का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि इसके कच्चे फलों का इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है. पेठा की खेती कम खर्च में अधिक उत्पादन देने वाली होने की वजह से छोटे किसान भाई भी इसकी खेती आसानी से कर लेते है. इसकी खेती तीन से चार महीने की होती है. इसकी खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है. इसके पौधों गर्मी के मौसम में अच्छे से विकास करते है. अधिक बारिश इसकी खेती के लिए उपयोगी नही होती. अगर आप भी इसकी खेती करने का मन बना रहे हैं तो आज हम आपको इसकी खेती के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं. उपयुक्त मिट्टी पेठा की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि की जरूरत होती है. लेकिन अच्छी पैदावार लेने के लिए गर्मियों में उगाई जाने वाली किस्मों को भारी दोमट मिट्टी में उगा सकते हैं. और जायद की खेती के लिए रेतीली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. क्योंकि इस दौरान बारिश अधिक होने से रेतीली बलुई दोमट मिट्टी में जल भराव नही हो प...