- चुन्नी मुन्नी
- चुन्नी मुन्नी (10) – Dr Archana Gupta – Sahityapedia
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चुन्नी
Author: हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan मुन्नी और चुन्नी में लाग-डाट रहती है । मुन्नी छह बर्ष की है, चुन्नी पाँच की । दोनों सगी बहनें हैं । जैसी धोती मुन्नी को आये, वैसी ही चन्नी को । जैसा गहना मुन्नी को बने, वैसा ही चुन्नी को । मुन्नी 'ब' में पढ़ती थीँ, चुन्नी 'अ' में । मुन्नी पास हो गयी, चुन्नी फ़ेल । मुन्नी ने माना था कि मैं पास हो जाऊँगी तो महाबीर स्वामी को मिठाई चढ़ाऊंगी । माँ ने उसके लिए मिठाई मँगा दी । चुन्नी ने उदास होकर धीमे से अपनी माँ से पूछा, अम्मा क्या जो फ़ेल हो जाता है वह मिठाई नहीं चढ़ाता? इस भोले प्रश्न से माता का हृदय् गद्गद हो उठा । 'चढ़ाता क्यों नहीं बेटी' माँ ने यह कहकर उसे अपने हृदय स लगा लिया । माता ने चुन्नी के चढ़ाने के लिए भी मिठाई मँगा दी । जिस समय वह मिठाई चढा रही थी उस समय उसके मुँह पर सन्तोष के चिह्न थे, मुन्नी के मुख पर ईर्ष्या के, माता के मुख पर विनोद केऔर देवता के मुख पर झेंप के! - हरिवंशराय बच्चन [सरस्वती, १९३२ से] | | Post Comment Name: Email: Content: Captcha:
चुन्नी मुन्नी
चुन्नी मुन्नी(बाल-साहित्य ) Author: हरिवंश बच्चन मुन्नी और चुन्नी में लाग-डाट रहती है । मुन्नी छह बर्ष की है, चुन्नी पाँच की । दोनों सगी बहनें हैं । जैसी धोती मुन्नी को आये, वैसी ही चुन्नी को । जैसा गहना मुन्नी को बने, वैसा ही चुन्नी को । मुन्नी 'ब' में पढ़ती थीँ, चुन्नी 'अ' में । मुन्नी पास हो गयी, चुन्नी फ़ेल । मुन्नी ने माना था कि मैं पास हो जाऊँगी तो महाबीर स्वामी को मिठाई चढ़ाऊंगी । माँ ने उसके लिए मिठाई मँगा दी । चुन्नी ने उदास होकर धीमे से अपनी माँ से पूछा, अम्मा क्या जो फ़ेल हो जाता है वह मिठाई नहीं चढ़ाता? इस भोले प्रश्न से माता का हृदय् गद्गद हो उठा । 'चढ़ाता क्यों नहीं बेटी' माँ ने यह कहकर उसे अपने हृदय स लगा लिया । माता ने चुन्नी के चढ़ाने के लिए भी मिठाई मँगा दी । जिस समय वह मिठाई चढा रही थी उस समय उसके मुँह पर सन्तोष के चिह्न थे, मुन्नी के मुख पर ईर्ष्या के, माता के मुख पर विनोद केऔर देवता के मुख पर झेंप के! - हरिवंशराय बच्चन [सरस्वती, १९३२ से] | | Post Comment Name: Email: Content: Captcha:
चुन्नी मुन्नी (10) – Dr Archana Gupta – Sahityapedia
10 चुन्नी मुन्नी करें शरारत मां की तो आ जाती आफत दोनों के घर पास पास थे रिश्ते उनके बहुत खास थे एक क्लास में वो पढ़ती थीं खूब खेल मस्ती करती थीं इम्तहान अब सर पर आये दोनों का ही दिल घबराये करी उन्होंने नहीं पढ़ाई मम्मी ने भी डांट पिलाई अपना सारा वक़्त गंवाया पढा हुआ अब समझ न आया नम्बर आये उनके गोल समझीं तब पढ़ने का मोल टीचर ने भी डांट पिलाई शर्म उन्हें खुद पर तब आई किया करेंगी खूब पढ़ाई मिलकर कसम उन्होंने खाई 06-02-2020 डॉ अर्चना गुप्ता मुरादाबाद