दांडी यात्रा का वर्णन कीजिए

  1. 12 मार्च 1930: जब गांधी जी ने दांडी यात्रा शुरू कर हिला दी थी अंग्रेजी सत्‍ता की नींव
  2. दांडी यात्रा का संक्षेप में वर्णन कीजिए? Answer... MP Board Class
  3. दांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं संक्षिप्त करें? » Daandi Yatra Se Aap Kya Samajhte Hain Sanshipta Karen
  4. दांडी मार्च
  5. गाँधी जी की दांडी यात्रा पर टिप्पणी कीजिए
  6. किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध
  7. दांडी पहुंचकर कहा


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12 मार्च 1930: जब गांधी जी ने दांडी यात्रा शुरू कर हिला दी थी अंग्रेजी सत्‍ता की नींव

महात्‍मा गांधी ने देश के आम नागरिकों को एक मंच पर लाकर अंग्रेजी सत्‍ता के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी थी. वो हर काम को बड़ी ही शांति और सादगी से करना पसंद करते थे. यहां तक क‍ि आजादी की लड़ाई भी उन्होंने बिना किसी तलवार और बंदूक के लड़ी. जान‍िए- 12 मार्च से शुरू हुई इस यात्रा ने अंग्रेजी सत्‍ता के सामने क्‍या संदेश दिया. दांडी मार्च को नमक मार्च या दांडी सत्याग्रह के रूप में भी इतिहास में जगह मिली है. साल 1930 में अंग्रेज सरकार ने जब नमक पर कर लगा दिया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के ख‍िलाफ आंदोलन छेड़ा. ये ऐतिहासिक सत्याग्रह गांधी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा (390किलोमीटर) की. 12 मार्च को शुरू हुई ये यात्रा 6 अप्रैल 1930 को नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून भंग करने का आह्वान क‍िया. कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थीं लेकिन पीछे नहीं मुड़े थे. 1930 में गांधी जी ने इस आंदोलन का चालू किया. इस आंदोलन में लोगों ने गांधी के साथ पैदल यात्रा की और जो नमक पर कर लगाया था उसका विरोध किया गया. इस आंदोलन में कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. इनमें सी. राजगोपालचारी, पंडित नेहरू जैसे आंदोलनकारी शामिल थे.

दांडी यात्रा का संक्षेप में वर्णन कीजिए? Answer... MP Board Class

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दांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं संक्षिप्त करें? » Daandi Yatra Se Aap Kya Samajhte Hain Sanshipta Karen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। दांडी यात्रा महात्मा गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलन था जिसमें की अंग्रेजों का विरोध का इस जमीन पर प्रस्तुत करने का समय क्या था जिसके द्वारा हिंदुस्तानी अपना खुद का नमक नहीं बना सकते थे अंग्रेजों निकालना तो महात्मा गांधी ने इसका कानून को कमजोर करने के लिए बहुत से भारतीयों के साथ मिलकर पैदल मार्च कर के आ गुजरात से लेकर अमृतसर तक पहुंचे थे और उन्होंने समुद्र पर जाकर खुद अपने हाथों से ना बुलाया था इस तरीके से उन्होंने दांडी यात्रा की थी और नमक में आने वाले आंदोलन का विरोध किया और भारतीयों को नमक बनाने की आजादी दिलवाई थी तो इसको अक्सर किसी रूप में याद किया जाता है कि नमक का जो बनाने का जो अधिकार था वह हमें दानी यात्रा की रानी daandi yatra mahatma gandhi ji dwara chalaye gaye andolan tha jisme ki angrejo ka virodh ka is jameen par prastut karne ka samay kya tha jiske dwara hindustani apna khud ka namak nahi bana sakte the angrejo nikalna toh mahatma gandhi ne iska kanoon ko kamjor karne ke liye bahut se bharatiyon ke saath milkar paidal march kar ke aa gujarat se lekar amritsar tak pahuche the aur unhone samudra par jaakar khud apne hathon se na bulaya tha is tarike se unhone daandi yatra ki thi aur namak mein aane waale andolan ka virodh kiya aur bharatiyon ko namak banane ki azadi dilvai thi toh isko aksar kisi roop mein yaad kiya jata hai ki namak ka jo banane ka jo adhikaar tha vaah hamein Dani yatra ki rani दांडी यात्रा महात्मा गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोल...

दांडी मार्च

विषय सूची • 1 सरदार पटेल की भूमिका • 1.1 गाँधी जी इच्छा • 2 यात्रा की शुरुआत • 3 नमक क़ानून को तोड़ना • 3.1 अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ाँ का योगदान • 4 रानी गाइदिनल्यू • 4.1 दमन चक्र का भयानक रूप • 4.2 अन्य गतिविधियाँ • 5 आन्दोलन की व्यापकता • 5.1 सरकार की झल्लाहट • 6 गाँधीजी का कथन • 7 यात्रा के मुख्य बिंदु • 7.1 पटेल को सफलता का श्रेय • 8 गाँधी जी की गिरफ़्तारी • 9 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 10 बाहरी कड़ियाँ • 11 संबंधित लेख सरदार पटेल की भूमिका गाँधी जी इच्छा मेरा जन्म ब्रिटिश साम्राज्य का नाश करने के लिए ही हुआ है। मैं कौवे की मौत मरुँ या कुत्ते की मौत, पर स्वराज्य लिए बिना आश्रम में पैर नहीं रखूँगा। दांडी यात्रा की तैयारी देखने के लिए देश-विदेश के पत्रकार, फोटोग्राफ़र अहमदाबाद आए थे। आजादी के आंदोलन की यह महत्वपूर्ण घटना 'वॉइस ऑफ़ अमेरिका' के माध्यम से इस तरह प्रस्तुत की गई कि आज भी उस समय के दृश्य, उसकी गंभीरता और जोश का प्रभाव देखा जा सकता है। अहमदाबाद में एकजुट हुए लोगों में यह भय व्याप्त था कि 11-12 की दरम्यानी रात में गाँधी जी को गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। गाँधी जी की जय और ' शूर संग्राम को देख भागे नहीं, देख भागे सोई शूर नाहीं यात्रा की शुरुआत प्रार्थना पूरी करने के बाद जब सभी लोग यात्रा की तैयारी कर रहे थे, इस बीच अपने कमरे में जाकर गाँधी जी ने थोड़ी देर के लिए एक झपकी ली। लोगों का सैलाब आश्रम की ओर आ रहा था। तब सभी को शांत और एकचित्त करने के लिए खरे जी ने 'रघुपति राघव राजाराम' की धुन गवाई। साथ ही उन्होंने भक्त कवि प्रीतम का गीत बुलंद आवाज में गाया- ईश्वर का मार्ग है वीरों का नहीं कायर का कोई काम पहले-पहल मस्तक देकर लेना उनका नाम किनारे खड़े होकर तमाशा देखे उसके हाथ कुछ न ...

गाँधी जी की दांडी यात्रा पर टिप्पणी कीजिए

Solution गांधी जी ने नमक पर लगने वाले टैक्स का विरोध करने का निर्णय लिया। महात्मा गाँधी का विश्वास था कि पूरे देश को एक करने में नमक एक शक्तिशाली हथियार बन सकता था। ज्यादातर लोगों ने इस सोच को हास्यास्पद करार दिया। ऐसे लोगों में अंग्रेज भी शामिल थे। गाँधीजी ने वायसरॉय इरविन को एक चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में कई अन्य मांगों के साथ नमक कर को समाप्त करने की मांग भी रखी गई थी। दांडी मार्च या नमक आंदोलन को गाँधीजी ने 12 मार्च 1930 को शुरु किया। उनके साथ 78 अनुयायी भी शामिल थे। उन्होंने 24 दिनों तक चलकर साबरमती से दांडी तक की 240 मील की दूरी तय की। कई अन्य लोग रास्ते में उनके साथ हो लिए। 6 अप्रैल 1930 को गाँधीजी ने मुट्ठी भर नमक उठाकर प्रतीकात्मक रूप से इस कानून को तोड़ा। दांडी मार्च ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। देश के विभिन्न भागों में हजारों लोगों ने नमक कानून को तोड़ा। लोगों ने सरकारी नमक कारखानों के सामने धरना प्रदर्शन किया। विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया गया। किसानों ने लगान देने से मना कर दिया। आदिवासियों ने जंगल संबंधी कानूनों का उल्लंघन किया।

किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध

Here you will get Kisi Yatra Ka Varnan in Hindi Essay for students of all Classes in 200, 400 and 800 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध मिलेगा। Meri Yatra / Short Yatra Vritant Essay in Hindi. किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध – Kisi Yatra Ka Varnan in Hindi Essay किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध – Kisi Yatra Ka Varnan Essay in Hindi ( 200 words ) हम सभी अपनी गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए किसी न किसी पर्यटन स्थल पर अवश्य जातें हैं। मैं भी अपनी गर्मी आ हफ्ते की छुट्टियां बिताने के लिए पर्वतीय स्थल शिमला गया था ताकि मैं गर्मी के मौसम में भी ठंडक का आनंद ले सकूँ। मैं और मेरा परिवार शाम की बस से शिमला गए और पहाड़ो में बना रास्ता हमें डरा रहा था। हमने रास्ते में घर का बना खाना खाया, गाने गाए और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया। हम रात के 9 बजे शिमला पहुंचे जहां हमने थोड़ा सा विश्राम कर माल रोड घूमा जिसकी शोभा रात के समय में दौगुनी हो जाती है। अगले दिन हम सब तैयार होकर जाखू मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने गए और नीचे उतरकर रीज में गए। इस समय तक हल्की हल्की बारिश होने लगी जिसने ठंडे मौसम को ओर अधिक ठंडा कर दिया था। हम उस दिन शाम को कुफरी के लिए निकल गए जहाँ पर बर्फ पड़ रही थी। अगले दिन हमने स्कींग का आनंद लिया, चिड़ियाघर देखा और बर्फ में खूब खेले। हमारा वहां इतना मन लगा कि हमने वहीं दो दिन व्यतीत करे। उसके बाद हम शिमला वापिस आए और वहां की संस्कृति और संग्रहालय देखा। अगले दिन हम वापिस घर के लिए निकले और हमारे दिल में यात्रा की यादें थी। वह मेरी आज तक की सबसे बेहतरीन यात्रा थी। किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध – Yatra Vritant in Hin...

दांडी पहुंचकर कहा

'इसलिए हम आजाद हैं’ सीरीज की पांचवीं कहानी में पढ़िए दांडी यात्रा और नमक के काले कानून का अंत... 6 अप्रैल 1930 की सुबह गांधीजी सोकर उठे, तो उनके चेहरे पर दांडी यात्रा की 26 दिनों तक 386 किलोमीटर चलने की थकान नहीं थी। गुजरात के दांडी नाम के छोटे से गांव में देशभर से आए करीब 50 हजार लोग मौजूद थे। सभी की निगाहें 61 साल के इस बुजुर्ग पर टिकी हुईं थीं। गांधी उठे और अपनी तेज चाल में समुद्र के तट की तरफ निकल गए। उनके साथ हजारों लोग भी पीछे-पीछे चल दिए। अंग्रेज पहले से ही तैयार थे। उन्होंने देर रात ही कई मजदूरों को लगाकर समुद्र तट पर जमा नमक और रेत को मिलाकर कीचड़ बना दिया था। ये देखकर गांधीजी के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं आई। उधर जीभूभाई केशवलजी नाम के एक शख्स ने पहले ही कुछ नमक छिपा कर रख दिया था। इसी से बापू ने एक चुटकी नमक उठाया और कहा- ‘’इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं।’’ एक रात पहले ही गांधीजी सैफी विला में ठहरकर उन्हें ‘हिंदू नेता’ कहने वालों को भी जवाब दे चुके थे। 6 अप्रैल 1930 को महात्मा गांधी ने दांडी पहुंचकर नमक कानून तोड़ा था। उन्होंने नमक हाथ में लेकर कहा था कि इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं। समुद्र किनारे दांडी गांव वही है, लेकिन अब नमक नहीं जब मैं दांडी पहुंचता हूं तो ये गांव अब किताबों और तस्वीरों वाले दांडी से एकदम अलग नजर आता है। सबसे पहले मैं उस जगह पहुंचता हूं, जहां एक चुटकी नमक से गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार की बुनियाद में नमक डाल दिया था। अब भौगोलिक स्थिति बदल गई है। अब यहां नमक नहीं बनता है। बीते दिनों नवसारी में आई बाढ़ के चलते समुद्र तट पर भी काफी गंदगी नजर आती है। हालांकि स्थानीय लोग बताते हैं कि ये सब प्राकृतिक है।...