दैनिक वेतन भोगी कब तक नियमित हो जाएंगे?

  1. 10 साल सेवा पूरी करने वाले दैनिक वेतनभोगी नियमित होंगे
  2. Central University के दैनिक वेतन भोगी होंगे नियमित, 12 साल बाद हाईकोर्ट का आदेश
  3. New rates fixed for daily wage earners, Labor Commissioner issued orders by issuing orders दैनिक वेतन भोगियो की नई दरें की गई निर्धारित, श्रम आयुक्त ने जारी किए आदेश
  4. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भूपेश सरकार को ऑफर 'नियमितिकरण कर दीजिए, हमेशा आपको ही सीएम बनवाएंगे', daily wage workers promised to make bhupesh government in assembly elections if they are regularised
  5. पीआईसी में प्रस्ताव, दैनिक वेतन भाेगी कर्मचारियों को मिलेगा नया वेतनमान
  6. नियमितिकरण का आदेश : दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने का निर्देश, हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह का दिया समय
  7. Vocal demand for regularization of daily wage workers
  8. वेतन


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10 साल सेवा पूरी करने वाले दैनिक वेतनभोगी नियमित होंगे

दैनिकवेतनभोगी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी सरकारी विभागों में 10 साल से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में पिछले दिनों जारी पत्र क्र.एफ 5-3/2006/1/3 के मुताबिक 10 साल से या इससे ज्यादा समय से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। इस निर्णय का लाभ विभिन्न न्यायालयों से राहत प्राप्त कर्मचारियों को भी मिलेगा। पद रिक्त नहीं होने की स्थिति में समकक्ष पद पर कर्मचारियों को नियुक्ति दी जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव आरके गजभिए द्वारा जारी यह पत्र शासन के सभी विभाग प्रमुखों कलेक्टर्स को भेजा जा चुका है। पुरानेआदेश-प्रावधानों में किया गया संशोधन : दैनिकवेतनभोगी कर्मचारियों को लाभान्वित करने के लिए राज्य सरकार ने अपने पुराने भर्ती नियम प्रावधानों में संशोधन किया है। इसके अनुसार जो कर्मचारी 14 फरवरी 2000 एवं 26 फरवरी 2000 के परिपत्र के विरुद्ध न्यायालय या न्यायाधिकरण के आदेश या स्टे पर सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें भी इस नियमितीकरण प्रक्रिया का लाभ मिलेगा। इसके लिए जरूरी होगा कि संबंधित विभाग ने न्यायालय या न्यायाधिकरण के संबंधित आदेश को मान लिया हो और उसके विरुद्ध किसी न्यायालय में अपील नहीं की हो। आदेश में कहा गया है कि अगर किसी विभाग या कार्यालय में दैनिक वेतनभोगी का पद या उस संवर्ग में कोई पद खाली नहीं होने की स्थिति में कर्मचारियों को नियमितीकरण से वंचित नहीं किया जाए। शासन का कहना है कि पद रिक्त नहीं होने की स्थिति में संबंधित कर्मचारी को समकक्ष पद पर नियुक्त किया जाए। तनख्वाह के अलावा कई फायदे होंगे शासनका यह निर्णय लागू होने पर राज्य के पांच हजार से ज्यादा दैनिक वेतनभोगी कर...

Central University के दैनिक वेतन भोगी होंगे नियमित, 12 साल बाद हाईकोर्ट का आदेश

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के 58 अनियमित कर्मचारियों को सन् 2008 से नियमित कर्मचारी मानते हुए सभी लाभ देने का आदेश दिया है। यह फैसला 12 साल बाद आया है।गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय पूर्व में छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के अधीन था। सामान्य प्रशासन विभाग ने तब विश्वविद्यालय में 1 जनवरी 1989 से 31 दिसंबर 1997 तक की अवधि के दैनिक वेतन भोगी तथा अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के लिए कुलसचिव को परिपत्र भेजा। इसके आधार पर 2008 में 58 अनियमित कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया। इसके बाद गुरु घासीदास विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित हो गया। 19 फरवरी 2010 को यूनिवर्सिटी के तत्कालीन प्रभारी कुलसचिव ने 26 अगस्त 2008 को जारी नियमितीकरण के आदेश को निरस्त कर दिया, साथ ही नियमित कर्मचारी के रूप में किए गए अधिक भुगतान की राशि के रिकवरी का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ उसी वर्ष प्रभावित 58 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की। हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जस्टिस रजनी दुबे की बेंच में अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था। अब इस संबंध में आदेश जारी कर सन् 2008 से सभी 58 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने और उससे संबंधित लाभ देने का आदेश दिया गया है। वर्तमान दौर में पत्रकारिता संक्रमण काल के दौर से गुजर रही है ,इसकी वजह भी है क्योंकि एक तरफ सत्ता प्रतिष्ठान के साथ खड़ा वर्ग है तो दूसरा वर्ग उसके खिलाफ है. पत्रकारिता मूल रूप से जनता की बात करने का बड़ा हथियार रहा है मगर बदले हालात ने उसके स्वरूप को बदल दिया है. जनता की बात हो और 'ब...

New rates fixed for daily wage earners, Labor Commissioner issued orders by issuing orders दैनिक वेतन भोगियो की नई दरें की गई निर्धारित, श्रम आयुक्त ने जारी किए आदेश

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राज्य शासन के श्रम आयुक्त ने आदेश जारी कर दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों एवं कर्मचारियों के लिये 01 अक्टूबर 21 से 31 मार्च 22 तक की अवधि के लिए दैनिक वेतन की नई दरें निर्धारित की गई है। इन दरों में परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता भी सम्मिलित है। नई वेतन दरें अकुशल कर्मचारियों के लिये न्यूनतम मूल वेतन 6500.00 रूपये (प्रतिदिन 216.66), परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता 2300 रूपये (प्रतिदिन 76.66) इस प्रकार कुल प्रतिमाह 8800.00 रूपये (प्रतिदिन 293.00) निर्धारित किया गया है। अर्द्धकुशल के लिये न्यूनतम मूल वेतन प्रतिमाह 7057.00 रूपये (प्रतिदिन 235.23), परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता 2600.00 रूपये ( प्रतिदिन 86.66) इस प्रकार कुल वेतन 9657.00 रूपये (प्रतिदिन 322 रुपए)। इसी प्रकार कुशल के लिये न्यूनतम मूल वेतन 8435.00 रूपये (प्रतिदिन 281.16) तथा परिवर्तनशील मंहगाई भत्ता 2600.00 (प्रतिदिन 86.66) इस प्रकार प्रतिमाह 11035.00 रूपये (प्रतिदिन 368 रुपए) कुल वेतन देय होगा। उच्च कुशल के लिये प्रतिमाह 9735.00 रूपये न्यूनतम मूल वेतन तथा 2600.00 रूपये परिवर्तनशील महंगाई भत्ता सहित कुल 12335.00 रूपये (प्रतिदिन 411 रुपए) कुल वेतन देय होगा।

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भूपेश सरकार को ऑफर 'नियमितिकरण कर दीजिए, हमेशा आपको ही सीएम बनवाएंगे', daily wage workers promised to make bhupesh government in assembly elections if they are regularised

लगभग महीने भर से धरने पर बैठे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने भूपेश सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की है. उनका कहना है कि सिर्फ 9000 रुपये में उनके परिवार का गुजारा नहीं चल सकता. ऐसे में वे प्रदर्शनस्थल से घर जाकर क्या करेंगे. प्रदर्शनकारियों ने सीएम भूपेश बघेल से नियमितकरण या स्थायी करने पर आजीवन कांग्रेस की सदस्यता लेने और आने वाले चुनाव में उनकी ही सरकार बनवाने का वादा किया है.daily wage workers promised to make bhupesh government रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर में बीते 25 दिनों से दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं. प्रदर्शनकारियों ने भूपेश सरकार को एक चुनावी ऑफर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उन्हें स्थायी और नियमित करती है तो अगले चुनाव में वे उन्हें ही सीएम बनाएंगे. उनके इलाके का हर वोट कांग्रेस सरकार को ही जाएगा. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने नियमितीकरण नहीं करने पर इच्छा मृत्यु का आदेश देने की मांग भी सरकार से की है. protest of daily wage workers दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भूपेश सरकार को ऑफर आजीवन कांग्रेस की सदस्यता लेने का वादा: कोरबा की दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ की कार्यकारिणी सदस्य बिंदेश्वरी वैष्णव का कहना है कि "सरकार अगर दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी साथियों का स्थायीकरण और नियमितीकरण करती है तो पूरे प्रदेश भर के लगभग 6500 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे. इसके अलावा आने वाले साल 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में वोट कर भूपेश बघेल को ही सीएम बनवाएंगे. सरकार बजट नहीं होने की बात कह रही है लेकिन छत्तीसगढ़ में अपार खनिज संपदा है. सभी तरह के टैक्स भी सर...

पीआईसी में प्रस्ताव, दैनिक वेतन भाेगी कर्मचारियों को मिलेगा नया वेतनमान

नगरीय निकाय सहित अन्य शासकीय विभागों के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को शासन द्वारा घोषित नए वेतन मान का फायदा जल्द मिलने लगेगा। जिले से निर्देश आने के बाद नगर पालिका के तहत कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों के वेतन में 3 से चार हजार रुपए का इजाफा हो गया। नए दर के आने पर इसका प्रस्ताव भी पीआईसी ने पास कर दिया, इसके बाद दैनिक वेतन भोगियों में खुशी की लहर है। जानकारी के मुताबिक नगर पालिका में इस आशय का पत्र आने के बाद इसे त्वरित पीआईसी की बैठक में रखा गया। नगर पालिका में आए नए वेतन सेटअप के अनुसार अब अकुशल वेतन में अ ब स श्रेणी में 9750,9490 और 9230 रुपए को वेतन मिलेगा। अर्द्ध कुशल की श्रेणी में 10400,10140,9880 रुपए, कुशल श्रेणी में 11180,10920,10660 रुपए वेतन मिलेगा। पहले उक्त श्रेणियों में अधिकतम 6549 रुपए से 6107 रुपए तक का वेतन शामिल था। नए वेतन मान से दैनिक वेतन भोगियों को लगभग तीन से चार हजार रुपए का अतिरिक्त फायदा होगा। वेतन में जोड़े गए परिवर्तन शील महंगाई भत्ता भी शामिल किया गया है। इसमें अधिकतम 130 रुपए भत्ता शामिल किया गया। इसमें अधिकतम 130 रुपए भत्ते को शामिल है। इस हिसाब से अब दैनिक वेतन भोगियों को प्रतिदिन लगभग 86 कर्मी दैनिक वेतन प्रदान किया जाएगा। नगर पालिका में वर्तमान में लगभग 86 कर्मी दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत हैं। इन्हें अतिरिक्त वेतन का लाभ मिलेगा। उच्च कुशल की नई श्रेणी बनाई गई: दैनिक वेतन भोगियों के वेतन में इजाफा के साथ शासन में उच्च कुशन श्रेणी बनाकर इसमें विभिन्न प्रकार के दैनिक वेतन भोगियों को रखा है। इनका वेतनमान भी श्रेणी की अपेक्षा काफी ज्यादा है।

नियमितिकरण का आदेश : दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने का निर्देश, हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह का दिया समय

रांचीः कोर्ट ने राज्य सरकार को 20 साल से दैनिक वेतन पर काम कर रहे कर्मचारियों की नियमित करने को कहा है। एक याचिका की सुनवाई पर झारखंड हाईकोर्ट ने ये अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला दैनिक वेतनभोगियों के पक्ष में तब आया है, जब स्वास्थ्य विभाग के अनुबंधकर्मी भी नियमितिकरण को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। झारखंड में पिछले 20 साल से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी अब नियमित होंगे। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 8 सप्ताह का समय दिया है। झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में पिछले 20 वर्षों से दैनिक वेतन पर काम कर रहे कर्मियों के नियमितीकरण मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत ऐसे कर्मियों की सेवा नियमित करने को कहा है। अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि 20 वर्ष से काम कर रहे कर्मचारी की सेवा नियमित होनी चाहिए। सरकार को निर्णय लेकर उनको अवगत कराने को कहा है। बता दें कि इस संबंध में अजीमुल हक अंसारी समेत छह लोगों ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवा झारखंड को स्थानांतरित की गयी थी. कहा गया था कि यदि कर्मचारी सभी मापदंडों को पूरा करेंगे, तो इनकी सेवा नियमित की जाएगी. प्रार्थियों का कहना है कि झारखंड में दैनिक वेतन भोगी के रूप में इनकी सेवा वर्ष 2012 में ली गयी थी. करीब 20 साल तक काम करने के बाद इन्होंने सेवा नियमित करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन यह कहते हुए इनकी सेवा नियमित नहीं की गयी कि उन्होंने रिक्त और स्वीकृत पद के खिलाफ दस साल तक सेवा पूरी नहीं की है. इसके बाद प्रार्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के बाद अदालत ने आठ सप्ताह में सेवा नियमित करने का निर्देश दिया है।

Vocal demand for regularization of daily wage workers

गरुड़ में उत्तराखंड चाय बागान बोर्ड के दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मचारी संघ की यहां हुई बैठक में उन्हें नियमित करने की मांग की गई। वक्ताओं ने कहा कि वह लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें आज तक नियमित नहीं किया गया है। उन्होंने एक पखवाड़ के भीतर नियमित नहीं किया गया तो आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा। राम मंदिर में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि चाय बोर्ड से जुड़े लोग पूरे मनोयोग से काम करते आ रहे हैं। दैनिक वेतन भोगी व संविदा कर्मचारियों को आज तक नियमित नहीं किया गया है। महंगाई के इस दौर में उन्हें मिलने वाला मानदेय ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। अपनी इस समस्या का एक ज्ञापन उन्होंने चाय विकास बोर्ड को भी भेजा गया। 15 दिन के भीतर मांग नहीं माने जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। इस मौके परअध्यक्ष रमेश नाथ, उपाध्यक्ष गोविंद खुल्बे, सचिव चंद्रशेखर लोहुमी समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे।

CG

रायपुर।अनियमित,संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विधि और विधाई कार्य विभाग का अभिमत चाहा गया है।विधि विभाग द्वारा उक्त के संबंध में महाधिवक्ता का भी मत प्राप्त होने पर सामान्य प्रशासन विभाग को प्रेषित करने के लिए किया गया है जो अपेक्षित है। यह जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। सदस्य विद्यारतन भसीन ने जानना चाहा कि क्या यह सही है कि जन घोषणा पत्र 2018 को राज्य सरकार के द्वारा आत्मसात किया गया है? यदि हां तो क्या इसमें अनियमित कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए वादा किया गया था? यदि हां तो इस दिशा में सरकार के द्वारा क्या कार्य किए गए हैं और कब तक इनको नियमित किया जाएगा? जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि अनियमित,संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विधि और विधाई कार्य विभाग का अभिमत चाहा गया है। विधि विभाग द्वारा उक्त के संबंध में महाधिवक्ता का अभिमत प्राप्त होने पर सामान्य प्रशासन विभाग को प्रेषित करने का लेख किया गया है जो अपेक्षित है। अनियमित कर्मचारियों और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में विभिन्न कर्मचारी संघ द्वारा की गई मांग का परीक्षण करने के लिए प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। समिति की बैठक 9 जनवरी 2020 को संपन्न हुई है। बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार विभागों के अधीनस्थ विभाग अध्यक्ष कार्यालय/ निगम मंडल/ आयोग/ संस्था में पूर्व से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी और संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी चाही गई है। समय सीमा ब...

वेतन

इस लेख में दिये उदाहरण एवं इसका परिप्रेक्ष्य वैश्विक दृष्टिकोण नहीं दिखाते। कृपया इस लेख को (December 2008) वेतन किसी नियोक्ता से किसी कर्मचारी को मिलने वाले आवधिक भुगतान का एक स्वरूप है जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है। यह टुकड़ों में मिलने वाली मजदूरी के विपरीत है जहाँ आवधिक आधार पर भुगतान किये जाने की बजाय प्रत्येक काम, घंटे या अन्य इकाई का अलग-अलग भुगतान किया जाता है। एक अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 पहले वेतन का भुगतान • 1.2 रोमन शब्द सैलरियम • 1.3 रोमन साम्राज्य और मध्ययुगीन एवं पूर्व-औद्योगिक यूरोप में भुगतान • 1.4 वाणिज्यिक क्रांति के दौरान भुगतान • 1.5 भुगतान के रूप में आमदनी का साझा • 1.6 दूसरी औद्योगिक क्रांति और वेतनभोगी भुगतान • 1.7 20वीं सदी में वेतनभोगी रोजगार • 1.8 आज के वेतन और भुगतान के अन्य स्वरुप • 2 अमेरिका में वेतन • 3 जापान में वेतन • 4 भारत में वेतन • 5 इन्हें भी देखें • 6 सन्दर्भ इतिहास [ ] पहले वेतन का भुगतान [ ] इस section में अधिक जानकारी के लिए (नवम्बर 2009) चूंकि पहले कार्य-संबंधी-भुगतान विनिमय के लिए कोई पहला भुगतान का अंश (पे स्टब) मौजूद नहीं है, पहले वेतनभोगी कार्य में मानव समाज को इतना अधिक विकसित होने की जरूरत रही होगी कि उसके पास वस्तुओं या अन्य कार्य के बदले वस्तु के विनिमय को संभव बनाने के लिए वस्तु-विनिमय प्रणाली मौजूद हो। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह संगठित नियोक्ताओं - संभवतः एक सरकार या धार्मिक निकाय - की मौजूदगी को पहले से मानकर चलता है जो इस हद तक नियमित आधार पर कार्य के बदले मजदूरी के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करते हैं कि यह एक वेतनभोगी कार्य बन जाता है। इससे ज्यादातर लोग यह अनुमान लगाते हैं कि पह...