डेडलाइन किसे कहते हैं

  1. कहानी
  2. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी
  3. कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिंदी
  4. संचार किसे कहते हैं
  5. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी
  6. कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिंदी
  7. संचार किसे कहते हैं
  8. कहानी


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कहानी

कहानी क्या है? कहानी ( Story) गद्य साहित्य की सबसे प्राचीन विधा है। मानव सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ कहानी का भी जन्म हुआ, और कहानी सुनाना एवं सुनना मानव का जन्मजात स्वभाव बन गया। इसी कारण से आज भी प्रत्येक समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। भारत में कहानियों की बड़ी लंबी, उत्तम और सम्पन्न परंपरा रही है। कहानियों का आरंभ प्राचीनकाल में प्रसिद्ध वीर योद्धाओं तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाओं से हुआ था। उस समय कहानियों की कथावस्तु ‘ घटना प्रधान‘ हुआ करती थी। प्रायः प्राचीन कहानियों में असत्य पर सत्य की जीत, अन्याय पर न्याय की जीत और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई जाती है। कहानी की प्राचीन रचनाओं में गुणढ्य की ‘ वृहत्कथा‘ को माना जा सकता है। इसमें उदयन, वासवदत्ता, समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं की अधिकता है। वृहत्कथा का प्रभाव दण्डी के दशकुमार चरित, बाणभट्ट की कादम्बरी, सुबन्धु की वासवदत्ता, धनपाल की तिलकमंजरी, सोमदेव के यशस्तिलक पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई पड़ता है। और इसके अतिरिक्त मालतीमाधव, अभिज्ञान शाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय, रत्नावली, मृच्छकटिकम् जैसे प्राचीनकाल की कहानीयों पश्‍चात् आधुनिक कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होने लगा। और कहानी पाठकों और कहानी लेखन करने वाले लेखकों की संख्या बढ़नें लगी। परिभाषा एवं अर्थ एक अच्छी कहानी के गुण परिभाषा में नहीं बांधे जा सकते। परंतु फिर भी कहानी की परिभाषा समय-समय पर देने का प्रयत्न विद्वानों द्वारा किया जाता रहा है। प्रसिद्ध विद्वानों ...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...

कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिंदी

कार्यालयी हिंदी 'स्वरुप, उद्देश्य, क्षेत्र' मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और 'भाषा' समाज के सदस्यों के बीच संपर्क एवं संवाद का माध्यम बनती है। बिना संपर्क और संवाद के कोई भी समाज जीवंत नहीं माना जा सकता अर्थात् बिना भाषा के किसी भी समाज का अस्तित्व संभव ही नहीं है। जिस प्रकार मनुष्य को खाने के लिए अन्न, पीने के लिए पानी, पहनने के लिए कपड़े की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार आपस में सम्पर्क और संबंध बनाए रखने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा से ही मनुष्य अपना जीवन सुगम बनाता है। वर्षों की यात्रा के पश्चात् भाषा में निरन्तर परिवर्तन होते रहे हैं और भाषा का महत्त्व भी लगातार बढ़ता गया है। समाज के बीच संवाद-सम्प्रेषण और संबंध स्थापन भाषा का प्राथमिक कार्य है, किन्तु भाषा समाज की एक सीधी और सरल रेखा में चलने वाली इकाई नहीं है । समाज तथा इसके सदस्यों के अस्तित्व और चरित्र के अनेक आयाम होते हैं और इन सभी आयामों के संदर्भ में भाषा की विशिष्ट भूमिका होती है। भारत में विभिन्न भाषाओं में संवाद होता है। इन सभी भाषाओं की अपनी एक यात्रा रही है लेकिन भारतीय समाज की सम्पर्क भाषा 'हिन्दी' ने जहाँ वैदिक संस्कृत से यात्रा करते हुए आधुनिक हिन्दी का स्वरूप ग्रहण किया है वह एक सामाजिक क्रिया का आधार है। समाज निरन्तर अपने विकास के साथ-साथ भाषाओं का भी विकास करता है। समाज में होने वाले परिवर्तन की तरह ही उसकी अपनी भाषा में भी कभी स्थैर्य नहीं रहा। इसीलिए निरन्तर परिवर्तनों की धार पर चलकर हिन्दी अपने अनेक रूपों के साथ वर्तमान में समाज के सम्मुख उपस्थित है। हिन्दी की प्रयोजनीयता के आधार पर उसके विभिन्न रूप इस प्रकार हैं- 1. साहित्यिक हिन्दी 2. कार्यालयी हिन्दी 3. व्यावसायिक हिन्दी 4. विधिपरक हिन्दी...

संचार किसे कहते हैं

संचार किसे कहते हैं- संचार किसे कहते हैं परिभाषा व प्रकार | Sanchar Kise Kahate Hain (Sanchar Kya hai) प्यारे मित्रों, क्या आप भी यूजीसीनेट परीक्षाकी तैयारी कर रहे हैं? क्या आप भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होना चाहते हैं? जी हाँ, आज हम आपको बताने वाले हैं- संचार, संचार किसे कहते हैं? ( Sanchar Kise Kahate Hain) संचार की परिभाषा क्या है? संचार कितने प्रकार के होते हैं? संचार अर्थात् Communication यह एक ऐंसा टाॅपिक है जो कि विभिन्न परीक्षाओं में पूछा जाता है। जी हाँ, आज हम विशेष रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं तथा UGC NET PAPER 1 SYLLABUS के आधार पर तीसरी यूनिट में रखा गया विषय- संचार, इसकी विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे। संचार क्या है (Sanchar Kya Hai)? संचार किसे कहते हैं? संचार से पूछे गये प्रश्न, आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा करने जा रहे हैं। तो आइये, स्वागत है आपका! दिल की गहराइयों से! इसे भी देखें- संचार किसे कहते हैंं- परिभाषा, अर्थ, प्रकार , उदाहरण - सब कुछ पाओ(Communication) इस लेख में संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kya Hai) संचार किसे कहते हैं- परिभाषा प्रभावी संचार किस कहते हैं संचार माध्यम किसे कहते हैं संचार के मूल तत्व कौन-कौन से हैं संचार कितने प्रकार के होते हैं संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kiss Kahate Hain) दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य सूचनाओं अथवा सन्देशों व विचारों का आदान-प्रदान ही संचार कहलाता है। संचार अथवा सम्प्रेषण को संदेशवाहन, सन्देश, एवं अंग्रेजी में Communication आदि नामों से भी जाना जाता है। सम्प्रेषण अथवा संचार शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्यूनिस (Communi s) शब्द से हुई। कहा जाता है कि संचार शब्द लैटिन भाषा के कम्यूनि...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...

कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिंदी

कार्यालयी हिंदी 'स्वरुप, उद्देश्य, क्षेत्र' मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और 'भाषा' समाज के सदस्यों के बीच संपर्क एवं संवाद का माध्यम बनती है। बिना संपर्क और संवाद के कोई भी समाज जीवंत नहीं माना जा सकता अर्थात् बिना भाषा के किसी भी समाज का अस्तित्व संभव ही नहीं है। जिस प्रकार मनुष्य को खाने के लिए अन्न, पीने के लिए पानी, पहनने के लिए कपड़े की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार आपस में सम्पर्क और संबंध बनाए रखने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा से ही मनुष्य अपना जीवन सुगम बनाता है। वर्षों की यात्रा के पश्चात् भाषा में निरन्तर परिवर्तन होते रहे हैं और भाषा का महत्त्व भी लगातार बढ़ता गया है। समाज के बीच संवाद-सम्प्रेषण और संबंध स्थापन भाषा का प्राथमिक कार्य है, किन्तु भाषा समाज की एक सीधी और सरल रेखा में चलने वाली इकाई नहीं है । समाज तथा इसके सदस्यों के अस्तित्व और चरित्र के अनेक आयाम होते हैं और इन सभी आयामों के संदर्भ में भाषा की विशिष्ट भूमिका होती है। भारत में विभिन्न भाषाओं में संवाद होता है। इन सभी भाषाओं की अपनी एक यात्रा रही है लेकिन भारतीय समाज की सम्पर्क भाषा 'हिन्दी' ने जहाँ वैदिक संस्कृत से यात्रा करते हुए आधुनिक हिन्दी का स्वरूप ग्रहण किया है वह एक सामाजिक क्रिया का आधार है। समाज निरन्तर अपने विकास के साथ-साथ भाषाओं का भी विकास करता है। समाज में होने वाले परिवर्तन की तरह ही उसकी अपनी भाषा में भी कभी स्थैर्य नहीं रहा। इसीलिए निरन्तर परिवर्तनों की धार पर चलकर हिन्दी अपने अनेक रूपों के साथ वर्तमान में समाज के सम्मुख उपस्थित है। हिन्दी की प्रयोजनीयता के आधार पर उसके विभिन्न रूप इस प्रकार हैं- 1. साहित्यिक हिन्दी 2. कार्यालयी हिन्दी 3. व्यावसायिक हिन्दी 4. विधिपरक हिन्दी...

संचार किसे कहते हैं

संचार किसे कहते हैं- संचार किसे कहते हैं परिभाषा व प्रकार | Sanchar Kise Kahate Hain (Sanchar Kya hai) प्यारे मित्रों, क्या आप भी यूजीसीनेट परीक्षाकी तैयारी कर रहे हैं? क्या आप भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होना चाहते हैं? जी हाँ, आज हम आपको बताने वाले हैं- संचार, संचार किसे कहते हैं? ( Sanchar Kise Kahate Hain) संचार की परिभाषा क्या है? संचार कितने प्रकार के होते हैं? संचार अर्थात् Communication यह एक ऐंसा टाॅपिक है जो कि विभिन्न परीक्षाओं में पूछा जाता है। जी हाँ, आज हम विशेष रूप से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं तथा UGC NET PAPER 1 SYLLABUS के आधार पर तीसरी यूनिट में रखा गया विषय- संचार, इसकी विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे। संचार क्या है (Sanchar Kya Hai)? संचार किसे कहते हैं? संचार से पूछे गये प्रश्न, आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा करने जा रहे हैं। तो आइये, स्वागत है आपका! दिल की गहराइयों से! इसे भी देखें- संचार किसे कहते हैंं- परिभाषा, अर्थ, प्रकार , उदाहरण - सब कुछ पाओ(Communication) इस लेख में संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kya Hai) संचार किसे कहते हैं- परिभाषा प्रभावी संचार किस कहते हैं संचार माध्यम किसे कहते हैं संचार के मूल तत्व कौन-कौन से हैं संचार कितने प्रकार के होते हैं संचार किसे कहते हैं (Sanchar Kiss Kahate Hain) दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य सूचनाओं अथवा सन्देशों व विचारों का आदान-प्रदान ही संचार कहलाता है। संचार अथवा सम्प्रेषण को संदेशवाहन, सन्देश, एवं अंग्रेजी में Communication आदि नामों से भी जाना जाता है। सम्प्रेषण अथवा संचार शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्यूनिस (Communi s) शब्द से हुई। कहा जाता है कि संचार शब्द लैटिन भाषा के कम्यूनि...

कहानी

कहानी क्या है? कहानी ( Story) गद्य साहित्य की सबसे प्राचीन विधा है। मानव सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ कहानी का भी जन्म हुआ, और कहानी सुनाना एवं सुनना मानव का जन्मजात स्वभाव बन गया। इसी कारण से आज भी प्रत्येक समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। भारत में कहानियों की बड़ी लंबी, उत्तम और सम्पन्न परंपरा रही है। कहानियों का आरंभ प्राचीनकाल में प्रसिद्ध वीर योद्धाओं तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाओं से हुआ था। उस समय कहानियों की कथावस्तु ‘ घटना प्रधान‘ हुआ करती थी। प्रायः प्राचीन कहानियों में असत्य पर सत्य की जीत, अन्याय पर न्याय की जीत और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई जाती है। कहानी की प्राचीन रचनाओं में गुणढ्य की ‘ वृहत्कथा‘ को माना जा सकता है। इसमें उदयन, वासवदत्ता, समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं की अधिकता है। वृहत्कथा का प्रभाव दण्डी के दशकुमार चरित, बाणभट्ट की कादम्बरी, सुबन्धु की वासवदत्ता, धनपाल की तिलकमंजरी, सोमदेव के यशस्तिलक पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई पड़ता है। और इसके अतिरिक्त मालतीमाधव, अभिज्ञान शाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय, रत्नावली, मृच्छकटिकम् जैसे प्राचीनकाल की कहानीयों पश्‍चात् आधुनिक कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होने लगा। और कहानी पाठकों और कहानी लेखन करने वाले लेखकों की संख्या बढ़नें लगी। परिभाषा एवं अर्थ एक अच्छी कहानी के गुण परिभाषा में नहीं बांधे जा सकते। परंतु फिर भी कहानी की परिभाषा समय-समय पर देने का प्रयत्न विद्वानों द्वारा किया जाता रहा है। प्रसिद्ध विद्वानों ...