डिलेवरी कशी होते

  1. डिलीवरी नंतर पोट कमी करण्याचे घरगुती उपाय, योग आणि एक्स्क्रसीज
  2. डिलीवरी के बाद सेक्स करने का सही समय क्या है?
  3. BabyCare (नवजात शिशु की देखभाल): 9. बच्चो की नार्मल डिलेवरी कैसे होती है?
  4. नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण, कैसे होती है, वीडियो
  5. डिलीवरी के बाद वजन कैसे कम करें (How to lose weight after delivery in hindi)
  6. English to Hindi Transliterate
  7. नॉर्मल डिलिव्हरी कशी होते ? Normal Delivery Process In Marathi
  8. BabyCare (नवजात शिशु की देखभाल): 9. बच्चो की नार्मल डिलेवरी कैसे होती है?
  9. डिलीवरी के बाद सेक्स करने का सही समय क्या है?
  10. नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण, कैसे होती है, वीडियो


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डिलीवरी नंतर पोट कमी करण्याचे घरगुती उपाय, योग आणि एक्स्क्रसीज

Table of Contents • • • • • 1. 2. 3. 4. 5. गरोदरपणात वजन वाढण्याची कारणे (Reasons Of Weight Gain Post Pregnancy) 1.डिलीव्हरीनंतर स्त्रीच्या शरीरात अनेक बदल होतात. ज्यामुळे तुमचं वजन वाढू लागतं आणि पोटाचा घेरही मोठा होतो. 2. बाळ झाल्यावर स्तनपान करणाऱ्या महिलांच्या आहाराचे प्रमाण वाढते. ज्यामुळे त्याच्या शरीरातील चरबीचे प्रमाणही वाढू लागते. त्यामुळे चरबी कमी करण्यासाठी प्रयत्न करणे गरजेचं असतं. ओव्याचं पाणी (Carom Seeds) गरोदरपणानंतर वजन कमी करण्यासाठी ओव्याचं पाणी पिणे नक्कीच लाभदायक ठरेल. यासाठी एका पॅनमध्ये एक ग्लास पाणी घ्या आणि त्यात एक चमचा ओवा टाका. हे मिश्रण मंद गॅसवर उकळी येईपर्यंत गरम करा. पाणी कोमट झाल्यावर ते गाळून घ्या आणि प्या. ओव्याच्या पाण्यामुळे तुमचे पोट स्वच्छ होईल आणि तुमचे वजन कमी होण्यास मदत होईल. बाळंतपणानंतर काही दिवस ओव्याचे पाणी जरूर प्या. दालचिनी आणि लवंग (Cinnamon And Cloves) प्रेगन्सीनंतर जर तुम्हाला तुमच्या पोटाचा घेर कमी करायचा असेल तर दालचिनी आणि लवंग फारच उपयुक्त ठरतील. यासाठी दोन ते तीन लवंग आणि एक दालचिनीचा तुकडा पाण्यात टाकून ते पाणी गरम करा. गरम पाणी कोमट झाल्यावर ते हळूहळू प्या. या उपायामुळे तुम्हाला चांगला परिणाम जाणवले. पोट कमी करण्यासाठी बाळंतपणानंतर कमीतकमी दोन महिने हे पाणी प्या. ग्रीन टी (Green Tea) वजन कमी करण्यासाठी ग्रीन टी पिणे हा एक चांगला उपाय आहे. कोणत्याही वयोगटातील व्यक्ती वजन कमी करण्यासाठी ग्रीन टी पिऊ शकतात. मात्र बाळाला जन्म दिल्यावर वजन कमी करणाऱ्या महिलांसाठी ग्रीन टी पिणे हा अगदी रामबाण उपाय आहे. कारण ग्रीन टीमध्ये नैसर्गिक अॅंटी-ऑक्सिडंट असतात. ज्यामुळे ग्रीन टी प्यायल्याने आई आणि बाळाला कोणताही त्रास होत नाही. मे...

डिलीवरी के बाद सेक्स करने का सही समय क्या है?

एक ओर जहां गर्भावस्था के दौरान महिला को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं, ठीक उसी तरह डिलीवरी के बाद भी पूरी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। क्योंकि, डिलीवरी के बाद काफी समय तक महिला का शरीर कमजोर रहता है, इसलिए उन्हें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। बहुत-से लोगों के मन में डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery) को लेकर सवाल बना रहता है। ज्यादातर लोगों का सवाल होता है कि बच्चे के जन्म के कितने समय बाद सुरक्षित सेक्स कर सकते हैं? आपको बता दें कि सेक्स के लिए डिलीवरी के बाद होने वाली ब्लीडिंग (lochia) के खत्म होने तक आपको इंतजार करना पड़ सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि डिलीवरी के कितने दिन बाद सेक्स कर सकते हैं? और पढ़ें: डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery) कितने दिन में कर सकते हैं? बच्चे के जन्म के करीब तीन सप्ताह बाद तक महिला को ब्ली़डिंग बंद हो जाती है। हालांकि, इसे पूरी तरह से ठीक होने में चार से छह सप्ताह तक का समय लग सकता है। जिसके बाद सेक्स किया जा सकता है। प्लेसेंटा के बाहर निकलने से जब भी आपको लगे कि बच्चे के जन्म के बाद आप शारीरिक और मानसिक रूप से सेक्स के लिए तैयार हैं, तो आप संभोग कर सकते हैं। इस बात का भी ख्याल रखें कि डिलीवरी के बाद का कुछ समय काफी नाजुक होता है, इसलिए कोशिश करें कि आप डिलीवरी के कम से कम एक महीने का अंतराल जरूर रखें। इसके अलावा, हर महिला की शारीरिक स्थिति अलग होती है, इसलिए आप डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery) को लेकर अपने डॉक्टर से सलाह ले लें। और पढ़ें: पहली बार सेक्शुअल इंटरकोर्स करते समय ध्यान दें ये बातें डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery): डॉक्टर्स की राय इस अध्ययन के दौरान पाया गया कि ऐसे ...

BabyCare (नवजात शिशु की देखभाल): 9. बच्चो की नार्मल डिलेवरी कैसे होती है?

क्योंकि मनुष्य एक द्विपाद और सीधी मुद्रा वाला प्राणी है, और श्रोणी के आकार के हिसाब से, स्तनधारी प्राणियों में मनुष्य का सर सबसे बड़ा होता है, महिलाओं के श्रोणी और मनुष्य के भ्रूण को इस तरह से बनाया गया है की जन्म संभव हो सके. महिला की सीधी मुद्रा उसके पेट के अंगों का वजन उसके श्रोणी के तल पर डालती है, जो की एक बड़ी जटिल संरचना होती है और जिसे ना सिर्फ वजन सहना होता है बल्कि तीन वाहिकाओं को भी अपने अन्दर से बाहर जाने का रास्ता देना होता है: मूत्रमार्ग, योनि और मलाशय.अपेक्षाकृत बड़े सिर और कन्धों को श्रोणी की हड्डी से निकलने के लिए गतिशीलता का एक विशेष अनुक्रम अपनाना पड़ता है। इस गतिशीलता में किसी भी तरह की विफलता होने पर अधिक लम्बी और दर्दनाक प्रसव पीड़ा होती है और यहाँ तक की इस वजह से प्रसव रुक तक सकता है। गर्भाशय ग्रीवा के कोमल उतकों और जन्म नलिका में सभी परिवर्तन इन छह चरणों के सफल समापन पर निर्भर करते हैं: भ्रूण के सिर का अनुप्रस्थ स्थिति में आ कर लगना. बच्चे का सिर श्रोणि के आर पार मुंह करता हुआ माता के कूल्हों पर लगा होता है।भ्रूण के सिर का उतरना और उसका आकुंचन होना.आंतरिक घूर्णन. भ्रूण का सिर ओकीपिटो हड्डी के आगे के हिस्से में 90 डिग्री पर घूमता है ताकि बच्चे का चेहरा माता के मलाशय की ओर हो.विस्तार के द्वारा डिलिवरी. भ्रूण का सिर जन्म नलिका के बाहर आता है। इसका सिर पीछे की ओर झुका होता है ताकि उसका माथा योनि के माध्यम से बाहर का रास्ता बनाता है।प्रत्यास्थापन. भ्रूण का सिर 45 डिग्री के कोण पर घूमता है ताकि यह कन्धों के साथ सामान्य स्थिति में आ जाए, जो अभी तक एक कोण पर टिके होते हैं।बाहरी घूर्णन. कंधे सिर की सर्पिल गति की आवृत्ति करते हैं, जो भ्रूण के सिर की अंतिम चाल...

नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण, कैसे होती है, वीडियो

(और पढ़ें - सभी प्रेग्नेंट महिलाओं के मन की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आगे आपको नॉर्मल डिलीवरी के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इस लेख में आप जानेंगे कि नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या हैं, नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है , नॉर्मल डिलीवरी कितने समय चलती है , नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कब और कैसे निकलता है आदि। साथ हीनॉर्मल डिलीवरी का वीडियो भी दिया गया है। (और पढ़ें - • • • • • • • • महिला द्वारा प्राकृतिक तरीके से बच्चे को जन्म की प्रक्रिया को नॉर्मल डिलीवरी कहा जाता है। इसका मतलब सिजेरियन डिलीवरी की बजाय बच्चा प्राकृतिक तरीके से महिला की योनि से ही बाहर आता है। (और पढ़ें - किसी प्रकार की चिकित्सीय समस्या न होने पर महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से बच्चे को जन्म देने का चयन कर सकती है। बच्चे के जन्म की प्राकृतिक प्रक्रिया बच्चे के स्वास्थ्य और मां को जल्द ठीक करने में मददगार होती है। अगर आप नॉर्मल डिलीवरी करवाना चाहती हैं तो इसको आसान बनाने के लिए कोई शोर्टकट मौजूद नहीं हैं। लेकिन कुछ उपायों को अपनाने से स्वस्थ और नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। नार्मल डिलीवरी के लिए आपको दो विकल्प दिए जाएंगे - • प्राकृतिक चाइल्ड बर्थ (natural childbirth) यदि आप एक प्राकर्तिक प्रसव (यानी दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल के बिना) का निर्णय लेते हैं, तो आपको सभी प्रकार की संवेदनाएं महसूस होंग...

डिलीवरी के बाद वजन कैसे कम करें (How to lose weight after delivery in hindi)

सिजेरियन डिलीवरी के बाद वजन कैसे कम करें, मोटापा कैसे कम करें, घरलू नुस्खे, डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कैसे कम करें (Delivery ke baad wajan kaise kam kare tips, Upay, how to lose weight after normal delivery in hindi, Weight loss, exercise, Food diet chart) किसी भी महिला के लिए मां बनना बहुत बड़ा सौभाग्य होता है और वो समय उसके जिंदगी के सबसे हसीन पलों में से होते है। लेकिन कहते है न खुशी के साथ मुसीबत भी आती है। गर्भवती महिला का गर्भ के दौरान लगातार वजन बढ़ता है, डिलिवरी के बाद भी वह वजन कम नहीं होता बल्कि और बढ़ जाता है। डिलिवरी के बाद बढ़े हुए वजन को कम करना बहुत मुश्किल होता है। इससे बहुत सी महिलाएं तनाव में भी आ जाती है। आज हम आपको कुछ आसान टिप्स दे रहे है जिससे डिलेवरी के बाद आप वजन कम कर सकते है, और पेट का मोटापा भी कम कर सकेंगे। डिलेवरी के बाद वजन कैसे कम करें, इसके लिए आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान से पढ़ें। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • डिलीवरी के बाद वजन बढ़ने का कारण प्रेगनेंसी के बाद वजन बढ़ने की समस्या बहुत आम है। इसके कारण सभी की बॉडी के अनुसार अलग अलग होते है। चलिए आज कुछ कारणों से आपको अवगत कराते है • प्रेगनेंसी के दौरान सभी महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव आते है। ये बदलाव मुख्तः हार्मोन की वजह से होते है। जैसे जैसे हार्मोन चेंज होता है वैसे वैसे बॉडी में भी बदलाव दिखने लगते है। • प्रेगनेंसी के समय महिलाएं पौष्टिक आहार खाने के चक्कर में कई बार अधिक कैलोरी ले लेती है, जिससे उनका वजन बढ़ने लगता है। • थायराइड का असंतुलित होना भी मोटापे का कारण है। • डिलवेरी के बाद भी महिलाएं घी तेल दूध अधिक से अधिक मात्रा में लेत...

English to Hindi Transliterate

शरीरात निरनिराळया कामांसाठी निरनिराळया संस्था आहेत. • रचना व बांधणी - अस्थिसंस्था (हाडे आणि सांधे) • हालचाल - स्नायू • पदार्थाची देवाणघेवाण - पचनसंस्था आणि श्वसनसंस्था • पदार्थाची अंतर्गत वाहतूक - रक्त, रस हे माध्यम आणि रक्ताभिसरण संस्था • टाकाऊ पदार्थाची विल्हेवाट- मूत्रसंस्था, (तसेच मोठे आतडे, त्वचा व श्वसनसंस्था) • नियंत्रण -चेतासंस्था, ज्ञानेंद्रिये आणि संप्रेरकसंस्था • संरक्षण - त्वचा हालचाल आणि रोगप्रतिकार व्यवस्था • पुनरुत्पादन -जननसंस्था अस्थिसंस्था आपल्या शरीराचे चलनवलन हाडे, सांधे व त्यांना हलवणारे स्नायू यांमुळे होते. बहुतेक सर्व शारीरिक हालचालींत हाडे व स्नायूंचा भाग असतो. मात्र पापणी,जीभ वगैरे काही भागांत मुख्यतः फक्त स्नायूंचेच काम असते अस्थिसंस्थेच्या रचनेचे मुख्यतः चार भाग पडतात • पाठीचा कणा • डोक्याची कवटी • हात, खांदे, छातीच्या फासळया • पाय, खुबे व कमरेची हाडे पाठीचा कणा हा मध्यभागी असून बाकीचे गट हे त्याला जोडलेले असतात. हातांची व पायांची स्थूल रचना बरीचशी सारखी असते. फक्त हाताच्या विशिष्ट ठेवणीमुळे अधिक कुशल हालचाल शक्य होते. शरीराचा आकार व उंची ही अस्थिसंस्थेमुळेच असते. तसेच हालचालही यामुळेच शक्य होते. कवटीमुळे मेंदूचे संरक्षण होते. छातीच्या पिंज-यामुळे फुप्फुसे व हृदयाचे संरक्षण होते. कंबरेच्या हाडांमुळे लघवीची पिशवी, स्त्रियांची जननसंस्था, इत्यादी सुरक्षित राहतात. हाडांची रचना कठीण पेशींनी बनलेली असते. त्यातला कठीणपणा चुन्याच्या क्षारांमुळे असतो. काही हाडांमध्ये पोकळया असून त्यांत रक्तपेशी तयार होतात. हाडांच्या रचनेवरुन व आकारांवरुन त्यांचे प्रकार पाडलेले आहेत. (उदा. चपटी हाडे, लांब हाडे). सांधे सांध्यांचे काम दोन प्रकारचे असते. एक म्हणजे निरनिराळी ह...

नॉर्मल डिलिव्हरी कशी होते ? Normal Delivery Process In Marathi

4 नॉर्मल डिलिव्हरीमुळे आई आणि बाळाला होणारे फायदे (Benefits of Natural birth To Baby and New Mother) नॉर्मल डिलिव्हरी कशी होते ? Step By Step Process of Giving Birth Naturally नैसर्गिक प्रसूती म्हंटले कि आईच्या अंगावर काटा उभा राहतो कारण नैसर्गिकरित्या बाळाला जन्म देणे हे अतिशय वेदनादायक प्रक्रिया आहे. पण असे असले तरीही याचे अगणित असे फायदेही आहेत. काही अनुभवी मातांकडून आपण नैसर्गिक प्रसूतीची प्रक्रिया ऐकलेली असते आणि त्यामुळे त्याबद्दल बरेच गैरसमज, काळजी आणि शंकाही मनात असतात. या लेखामध्ये मी थोडक्यात नॉर्मल डिलिव्हरी कशी केली जाते याबद्दल संपूर्ण माहिती दिली आहे . नॉर्मल डेलिव्हरीचे ३ महत्वाचे टप्पे (Normal Delivery in 3 Steps) १ . पहिला टप्पा – गर्भाशयाचे तोंड उघडणे. प्रसूती कळा सुरु झाल्यावर आतील दाबामुळे गर्भाशयाचे तोंड हळू हळू उघडते , गर्भजलाची पिशवी फुटते व बाळाच्या डोक्याच्या दबाव गर्भाशयाच्या तोंडावर पडून गर्भाशयाचे तोंड उघडू लागते . पहिल्या बाळंतपणात गर्भाशयाचे तोंड उघडण्यास बराच वेळ लागू शकतो . जर प्रसूती कळा जोरात येत असतील तर गर्भाशयाचे तोंड लवकर उघडते आणि लवकर प्रसूती होते . २ . दुसरा टप्पा – बाळ बाहेर येणे गर्भाशयाचे तोंड पूर्णतः उघडले कि बाळाचे डोके बाहेर दिसू लागते , त्यानंतर हळू हळू बाळाचे हात , छाती , पाय बाहेर येतात . बाळासोबतच गर्भाशयातील पाणीही बाहेर येते . योनीमार्ग लहान असल्यास त्याठिकाणी थोडासा चिरा देऊन मार्ग मोठा केला वाजतो तसेच बाळ बाहेर येण्यास वेळ लागत असेल तर चिमटा किंवा व्हॅक्युम च्या मदतीने बाळाला बाहेर काढले जाते . बाळ बाहेर आल्यानंतर आईच्या छातीवर बाळाला ठेवले जाते आणि बाळाची नाळ चिमटा लावून योग्य प्रकारे कट केली जाते . ३ . तिसरा टप्पा – ...

BabyCare (नवजात शिशु की देखभाल): 9. बच्चो की नार्मल डिलेवरी कैसे होती है?

क्योंकि मनुष्य एक द्विपाद और सीधी मुद्रा वाला प्राणी है, और श्रोणी के आकार के हिसाब से, स्तनधारी प्राणियों में मनुष्य का सर सबसे बड़ा होता है, महिलाओं के श्रोणी और मनुष्य के भ्रूण को इस तरह से बनाया गया है की जन्म संभव हो सके. महिला की सीधी मुद्रा उसके पेट के अंगों का वजन उसके श्रोणी के तल पर डालती है, जो की एक बड़ी जटिल संरचना होती है और जिसे ना सिर्फ वजन सहना होता है बल्कि तीन वाहिकाओं को भी अपने अन्दर से बाहर जाने का रास्ता देना होता है: मूत्रमार्ग, योनि और मलाशय.अपेक्षाकृत बड़े सिर और कन्धों को श्रोणी की हड्डी से निकलने के लिए गतिशीलता का एक विशेष अनुक्रम अपनाना पड़ता है। इस गतिशीलता में किसी भी तरह की विफलता होने पर अधिक लम्बी और दर्दनाक प्रसव पीड़ा होती है और यहाँ तक की इस वजह से प्रसव रुक तक सकता है। गर्भाशय ग्रीवा के कोमल उतकों और जन्म नलिका में सभी परिवर्तन इन छह चरणों के सफल समापन पर निर्भर करते हैं: भ्रूण के सिर का अनुप्रस्थ स्थिति में आ कर लगना. बच्चे का सिर श्रोणि के आर पार मुंह करता हुआ माता के कूल्हों पर लगा होता है।भ्रूण के सिर का उतरना और उसका आकुंचन होना.आंतरिक घूर्णन. भ्रूण का सिर ओकीपिटो हड्डी के आगे के हिस्से में 90 डिग्री पर घूमता है ताकि बच्चे का चेहरा माता के मलाशय की ओर हो.विस्तार के द्वारा डिलिवरी. भ्रूण का सिर जन्म नलिका के बाहर आता है। इसका सिर पीछे की ओर झुका होता है ताकि उसका माथा योनि के माध्यम से बाहर का रास्ता बनाता है।प्रत्यास्थापन. भ्रूण का सिर 45 डिग्री के कोण पर घूमता है ताकि यह कन्धों के साथ सामान्य स्थिति में आ जाए, जो अभी तक एक कोण पर टिके होते हैं।बाहरी घूर्णन. कंधे सिर की सर्पिल गति की आवृत्ति करते हैं, जो भ्रूण के सिर की अंतिम चाल...

डिलीवरी के बाद सेक्स करने का सही समय क्या है?

एक ओर जहां गर्भावस्था के दौरान महिला को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं, ठीक उसी तरह डिलीवरी के बाद भी पूरी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। क्योंकि, डिलीवरी के बाद काफी समय तक महिला का शरीर कमजोर रहता है, इसलिए उन्हें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। बहुत-से लोगों के मन में डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery) को लेकर सवाल बना रहता है। ज्यादातर लोगों का सवाल होता है कि बच्चे के जन्म के कितने समय बाद सुरक्षित सेक्स कर सकते हैं? आपको बता दें कि सेक्स के लिए डिलीवरी के बाद होने वाली ब्लीडिंग (lochia) के खत्म होने तक आपको इंतजार करना पड़ सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि डिलीवरी के कितने दिन बाद सेक्स कर सकते हैं? और पढ़ें: डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery) कितने दिन में कर सकते हैं? बच्चे के जन्म के करीब तीन सप्ताह बाद तक महिला को ब्ली़डिंग बंद हो जाती है। हालांकि, इसे पूरी तरह से ठीक होने में चार से छह सप्ताह तक का समय लग सकता है। जिसके बाद सेक्स किया जा सकता है। प्लेसेंटा के बाहर निकलने से जब भी आपको लगे कि बच्चे के जन्म के बाद आप शारीरिक और मानसिक रूप से सेक्स के लिए तैयार हैं, तो आप संभोग कर सकते हैं। इस बात का भी ख्याल रखें कि डिलीवरी के बाद का कुछ समय काफी नाजुक होता है, इसलिए कोशिश करें कि आप डिलीवरी के कम से कम एक महीने का अंतराल जरूर रखें। इसके अलावा, हर महिला की शारीरिक स्थिति अलग होती है, इसलिए आप डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery) को लेकर अपने डॉक्टर से सलाह ले लें। और पढ़ें: पहली बार सेक्शुअल इंटरकोर्स करते समय ध्यान दें ये बातें डिलीवरी के बाद सेक्स (Sex after delivery): डॉक्टर्स की राय इस अध्ययन के दौरान पाया गया कि ऐसे ...

नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण, कैसे होती है, वीडियो

(और पढ़ें - सभी प्रेग्नेंट महिलाओं के मन की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आगे आपको नॉर्मल डिलीवरी के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इस लेख में आप जानेंगे कि नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या हैं, नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है , नॉर्मल डिलीवरी कितने समय चलती है , नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा कब और कैसे निकलता है आदि। साथ हीनॉर्मल डिलीवरी का वीडियो भी दिया गया है। (और पढ़ें - • • • • • • • • महिला द्वारा प्राकृतिक तरीके से बच्चे को जन्म की प्रक्रिया को नॉर्मल डिलीवरी कहा जाता है। इसका मतलब सिजेरियन डिलीवरी की बजाय बच्चा प्राकृतिक तरीके से महिला की योनि से ही बाहर आता है। (और पढ़ें - किसी प्रकार की चिकित्सीय समस्या न होने पर महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से बच्चे को जन्म देने का चयन कर सकती है। बच्चे के जन्म की प्राकृतिक प्रक्रिया बच्चे के स्वास्थ्य और मां को जल्द ठीक करने में मददगार होती है। अगर आप नॉर्मल डिलीवरी करवाना चाहती हैं तो इसको आसान बनाने के लिए कोई शोर्टकट मौजूद नहीं हैं। लेकिन कुछ उपायों को अपनाने से स्वस्थ और नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। नार्मल डिलीवरी के लिए आपको दो विकल्प दिए जाएंगे - • प्राकृतिक चाइल्ड बर्थ (natural childbirth) यदि आप एक प्राकर्तिक प्रसव (यानी दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल के बिना) का निर्णय लेते हैं, तो आपको सभी प्रकार की संवेदनाएं महसूस होंग...