डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध हिंदी में

  1. Sarvepalli Radhakrishnan Essay : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर हिन्दी में निबंध
  2. Sarvepalli Radhakrishnan : सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन पर हिंदी निबंध
  3. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध हिंदी में
  4. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi
  5. Sarvepalli Radhakrishnan : सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन पर हिंदी निबंध
  6. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भाषण


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Sarvepalli Radhakrishnan Essay : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर हिन्दी में निबंध

प्रस्तावना : भारत में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षकों की इसी महत्ता को सही स्थान दिलाने के लिए ही हमारे देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पुरजोर कोशिशें की, जो खुद एक बेहतरीन शिक्षक थे। अपने इस महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही, उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाकर डॉ. राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। परिचय एवं शिक्षा- डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को चेन्नई से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एक छोटे से कस्बे तिरूतनी में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था। रामास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे और तिरूतनी कस्बे के जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के समान कार्य करते थे। डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय अत्यंत सीमित थी। इस सीमित आय में भी डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद के रूप में ख्याति प्राप्त की, बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शुरुआती जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर ही बीता। यद्यपि इनके पिता धार्मिक विचारों वाले इंसान थे, लेकिन फिर भी उन्होंने राधाकृष्णन को पढ़ने के लिए क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति मे...

Sarvepalli Radhakrishnan : सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन पर हिंदी निबंध

पिता के महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए हर साल विश्वभर में फादर्स डे (father's day) मनाया जाता है। इस साल फादर्स डे 14 जून को मनाया जाएगा। अगर आपने अभी तक अपने पिता के लिए कोई भी गिफ्ट नहीं लिया है तो आप इन लास्ट मिनट गिफ्ट आईडिया की मदद से गिफ्ट चुन सकते हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं ये गिफ्ट आईडिया... 21 June yoga day 2023 : शरीर में सर्वप्रथम गंदगी तीन जगह पर जमती है। पहला आहार नाल में और दूसरा पेट में और तीसरा आंतों में। इन तीनों जगह यदि गंदगी ज्यादा समय तक बनी रही तो यह फैलेगी। तब यह किडनी में, फेंफड़ों में और हृदय के आसपास भी जमने लगेगी। अंत में यह खून को गंदा कर देगी। अत: इस गंदगी को साफ करना जरूरी है। 'बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है' दंगल फिल्म का आपने यह गाना तो ज़रूर सुना होगा। साथ ही आपने कई बार 'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा' गाना भी गाया होगा। आपके पापा कहे न कहे पर फिल्म देखना सबको बहुत पसंद होता है। फिल्म हमारे जीवन और दुनिया की सच्चाई को दर्शाती है।आप अपने पिता के साथ ये फादर स्पेशल फिल्म देख सकते हैं। कई लोगों को बारिश के मौसम में श्रद्धा कपूर बनना बहुत पसंद है। इस मौसम में छम-छम नचाने के लिए आपके पास सही फुटवियर होना बहुत ज़रूरी है। कई बार हम बारिश के लिए फुटवियर खरीद तो लेते हैं पर कुछ ही दिनों में वो पानी के कारण खराब हो जाती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ज़रूरी टिप्स बताएंगे जो आपको परफेक्ट मानसून फुटवियर खरीदने में हेल्प करेंगी.. international yoga day 2023 : यदि सुबह उठते वक्त या रात सोने के दौरान आपके पैरों में ऐंठन आती है, नसें खिंचाती है तो सबसे पहले तो डॉक्टर से इसका कारण पूछें और यदि कोई गंभीर बात हो तो इसका इलाज कराएं, परंतु यह स्ट्रेस या आपकी क...

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध हिंदी में

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन, शिक्षा और देश सेवा के लिए समर्पित था। उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीतम्मा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुपति और वेल्लूर में हुई। वे बहुत मेधावी थे। 12 साल की उम्र में ही उन्हें बाइबिल और स्वामी विवेकानंद के दर्शन का ज्ञान हो गया था। आगे की पढ़ाई उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से की। उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. की डिग्री हासिल की। उसके बाद वे मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक के रूप में छात्रों को पढ़ाने लगे। अपने दार्शनिक ज्ञान के कारण वे विदेशों में भी लोकप्रिय हो गए। कई सालों तक वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे। उन्होंने अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया था। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो डॉ. राधाकृष्णन ने यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1949 से 1952 तक वे सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी रहे। 1952 में उन्हें भारत का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया। 1962 में वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। इस पद पर वे 1967 तक आसीन रहे। उन्हें कई पुरस्कार भी मिले थे। किताबें भी लिखीं, जिनमें ‘भारतीय दर्शन’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। अंग्रेजों के राज में डॉ. राधाकृष्णन को ‘नाइटहुड’ यानी ‘सर’ की उपाधि दी गई थी। 1954 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया। उन्हें विश्व शांति पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था। इसके अलावा कई बार नोबेल पुरस्कार के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया गया था। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे। हर आदमी उनसे आसानी से मिल सकता था। उन...

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi

Table of Contents • • • • • • • • • परिचय Introduction डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी 1952 में भारत देश के प्रथम उप राष्ट्रपति और साल 1962 में दूसरे राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के साथ ही वे देश के महान दार्शनिक के तौर पर भी पूरे विश्व में जाने जाते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को किताबों से बहुत ही लगाव था इन्होंने हिंदू धर्म का आधुनिक रूप का समर्थन करते हुए वेदांग और इसके आध्यात्मिक कुल धारणा को लेकर हिंदी शास्त्र पर एक ऐसी किताब लिखी थी जो बाद में बहुत प्रसिद्ध हुई और उसका प्रकाशन भी हुआ। फिलॉस्फी ऑफ उपनिषद, ईस्ट एंड वेस्टरु सम रिफ्लेक्शन ईस्टार्न रिलीजन एंड वेस्टर्न थॉट बेहद उम्दा किताबे लिखा। 40 साल शिक्षा के क्षेत्र में गुज़ारने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई से प्रेरणा लेकर राधाकृष्णन जी ने कई किताबें लिखी। डॉ राधाकृष्णन अपने गांव सर्वपल्ली से इतना प्यार करते थे कि उन्होंने अपना नाम के आगे में उसे जोड़ लिया। डॉ राधाकृष्णन हेलीकॉप्टर से अमेरिकी राष्ट्रीय भवन वाइट हाउस पहुंचने वाले विश्व के पहले नेता बने। डॉ. राधाकृष्णन को साल 1954 में देश के सर्वोच्च सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। पूरे देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिन 5 सितंबर को टीचर्स डे यानी की शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। पढ़ें: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Early Life and Birth डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुट्टनी गांव, ब्रिटिश भारत, में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था और उनकी माता का नाम सीताम्मा था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की चार भाई और एक बहन थी। रा...

Sarvepalli Radhakrishnan : सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन पर हिंदी निबंध

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार होते हैं जो बिना किसी मोह के इस समाज को तराशते हैं। शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना भी होता है। जीवन परिचय- 5 सितंबर 1888 को चेन्नई से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एक छोटे से कस्बे तिरुताणी में डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था। रामास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे और तिरुताणी कस्बे के जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के समान कार्य करते थे। डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय अत्यंत सीमित थी। इस सीमित आय में भी डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद के रूप में ख्याति प्राप्त की, बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे। अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण अंश याद कर लिए थे, जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान भी प्रदान किया गया था। उन्होंने वीर सावरकर और विवेकानंद के आदर्शों का भी गहन अध्ययन कर लिया था। सन 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण की जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई। स्वयं उनके पुत्र ने भी माना कि उनके पिता की व्यक्तिगत ज़िदंगी के विषय में लिखना एक बड़ी चुनौती थी और एक नाजुक मामला भी। ल...

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भाषण

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Speech 2023 | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर भाषण हिंदी में नमस्कार दोस्तों स्वागत आपका आज के इस भाषण में, दोस्तों आज हम हमारे देश के एक महान वीर होनहार अध्यापक 'डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी' के जीवन पर आधारित उनसे जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर भाषन करने वाले है जो हम नीचे दी गई जानकारी में विस्तारपूर्वक समझेगे और जानेंगे की आखिर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी कौन थे, तो चलीए दोस्तों आगे बढते है और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे जानते है। Dr. sarvepalli radhakrishnan डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में दो चार लाइन || Dr sarvepalli radhakrishnan speech two lines in hindi:- इस प्रकार काम करो कि हमारे जीवन में एक पहचान बन जाए, हर कदम इस कदर चलो कि निशान बन जाए, यहाँ सभी जान लेते हैं, जीवन को इस प्रकार से जियो कि वह एक मिसाईल बने। सुख-दुःख की धूप छांव से परे देख, इन ख्वाबों के गाँव से परे देख, क्या तूफान आपकी नाव को डुबो देगा? तूफान की हवाओं के आगे देखो। जीवन में दुख के बहोत से कारण होते हैं। बिन वजह खुश रहना मजा ही अलग होता है। जहाँ चरागाहों में रोशनी नहीं है, हमें आशा है कि वहाँ भी लौ जलाते रहेगे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भाषण || Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Speech in Hindi मेरे प्रिय माननीय मुख्याध्यापक, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे प्रिय दोस्तों, आज महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिन है। मेरा अपने दोनों हाथों सभी को सलाम और दिल से प्रणाम उस महान व्यक्ति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के लिए, जिनके जन्मदिन को हम 5 सितम्बर को प्रति वर्ष "शिक्षक दिवस" के रुप में मनाते हैं। उन्हीं के संदर्भ में कहना चाहूँगा की वो हमारे देश के ...