देहगुहा क्या होती है

  1. जन्तु जगत (एनिमेलिया) Animal kingdom क्या है ? जन्तु जगत का वर्गीकरण (Taxonomy of Animal Kingdom)
  2. कॉकरोच क्या खाते हैं? – ElegantAnswer.com
  3. हार्निया क्या है और आयुर्वेदिक उपचार
  4. [Solved] आभासी देहगुहा उपस्थित होती है
  5. ऋग्वेद
  6. खसरा संख्या क्या होती है? खसरा या खतौनी का विवरण कैसे खोजें?
  7. देहगुहा एवं प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहा
  8. खसरा संख्या क्या होती है? खसरा या खतौनी का विवरण कैसे खोजें?
  9. जन्तु जगत (एनिमेलिया) Animal kingdom क्या है ? जन्तु जगत का वर्गीकरण (Taxonomy of Animal Kingdom)
  10. [Solved] आभासी देहगुहा उपस्थित होती है


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जन्तु जगत (एनिमेलिया) Animal kingdom क्या है ? जन्तु जगत का वर्गीकरण (Taxonomy of Animal Kingdom)

जंतु जगत (Animal kingdom) जन्तु जगत के अन्तर्गत सभी प्रकार के यूकैरियोटिक बहुकोशिकीय तथा विषमपोषी (जो पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से दूसरे जीवों पर निर्भर हो) जीव आते हैं। यह यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, विषमपोषी प्राणियों का वर्ग है जिसमे कोशिका भित्ति रहित कोशिकाओं से बना है। ये अधिकांशतया भोजन का अन्तर्ग्रहण करते हैं तथा आन्तरिक गुहा में इसका पाचन होता है। प्रोटोजोआ तथा पोरोफेरा को छोड़कर सभी में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। जन्तु जगत के अन्तर्गत विशिष्ट संघ आते हैं | चुकीं इन प्राणियों की संरचना एवं आकार में विभिन्नता होते हुए भी उनकी कोशिका व्यवस्था, शारीरिक सममिति, पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र एवं जनन तंत्र की रचना में कुछ आधारभूत समानताएँ पाई जाती हैं। इन्हीं विशेषताओं को वर्गीकरण का आधार बनाया गया है। जंतु जगत का वर्गीकरण जंतु जगत का वर्गीकरण निम्न प्रकार से है : प्रोटोजोआ (Protozoa) प्रोटोजोआ का सर्वप्रथम अध्ययन ल्यूवेनहॉक ने किया तथा गोल्डफस ने इस संघ को प्रोटोजोआ नाम दिया। प्रोटोजोआ को सामान्यतया प्रोटिस्टा जगत के अर्न्तगत रखा जाता है। यह एककोशिकीय सूक्ष्मजीव है। इसकी सभी क्रियाएँ कोशिका के अन्तर्गत घटित होती हैं; जैसे-अमीबा, सारकोडिना आदि। इसके अन्तर्गत फ्लेजैलायुक्त यूमेस्टिजिना भी आते हैं, जिसकी अनेक जातियाँ पादपों तथा जन्तुओं पर परजीवी के रूप में रहती हैं। तथापि कई वर्गीकरणों में प्रोटोजोआ को अन्य एककोशिकीय जीवों के साथ प्रोटिस्टा जगत में रखा जाता है। अमीबा (Amoeba) अमीबा की खोज रसेल वॉन रोजेनहॉफ ने 1755 में की। इसका शरीर प्लाज्मालेमा से ढका होता है। यह प्लाज्मालेमा श्वसन और उत्सर्जन दोनों का कार्य करती है। अमीबा कूटपादों (pseudopodia) द्वारा गमन करता है। अमीबा मे...

कॉकरोच क्या खाते हैं? – ElegantAnswer.com

कॉकरोच क्या खाते हैं? इसे सुनेंरोकेंकॉकरोच सर्वव्यापी कीड़े हैं और व्यापक रूप से फ़ीड करते हैं। रोटी, चावल, केक, मांस और सब्जी पके हुए भोजन, फल और पेय पदार्थ, विशेष रूप से भोजन स्वाद, मीठे, तेल नूडल भोजन सहित विभिन्न प्रकार के भोजन खाएं। कॉकरोच में जहर होता है क्या? इसे सुनेंरोकेंइसका कारण कॉकरोच में पाया जाने वाला सैलमोनेला नामक वायरस होता है। कॉकरोच के मुंह से एक तरह का लार निकलता है जिसके कारण आपको एलर्जी, रैशेज, आंखो से पानी आना, लागातर छींक आना जैसी कई समस्याएं हो सकती है। कॉकरोच खाना को खाते ही है कि अलावा वह जानवरों, पौधों, साबुन, मल आदि जगह लग जाते है। छिपकली भगाने के लिए क्या करें? छिपकली भगाने के लिए घरेलू नुस्खे • मिर्च • अंडे के छिलके अंडों के छिलके की गंध से भी छिपकली भाग जाती है। • कॉफी छिपकली भगाने के लिए कॉफी पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। • Kitchen Hacks: खराब प्याज खरीदने से बचने के लिए जरूर ध्यान रखें ये बातें • लहसुन • नेप्थलीन बॉल्स • मोरपंख • ठंडा पानी कॉकरोच श्वसन कैसे करता है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: कॉकरोच में श्वसन क्रिया अन्तःश्वसन तथा बाह्य श्वसन रन्ध्रों द्वारा होती है। कॉकरोच कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है? इसे सुनेंरोकेंएक कॉकरोच का जीवन काल लगभग 6 से 15 महीने की होती है। वैसे तो एक कॉकरोच 1 महीने में व्यस्क हो जाता है। कॉकरोच को एल्कोहॉल बहुत पसंद है। तिलचट्टे के कितने जोड़े पैर होते हैं? इसे सुनेंरोकेंतिलचट्टे में दस जोड़े श्वासरंध्र होते हैं, दो वक्ष में और आठ उदर में। तिलचट्टे की श्रृंगिकाये तीन भागों में विभक्त होती है । घर में कॉकरोच होने से क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंघर में कॉकरोच होना शारीरिक रूप के साथ साथ मानसिक रूप से भी काफी तक...

हार्निया क्या है और आयुर्वेदिक उपचार

हार्निया क्या है– शरीर के खोखले स्‍थानों में कुछ अंग होते हैं, जिन्‍हें देहगुहा कहते हैं। देहगुहा के ऊपर पतली सी चमड़े की झिल्‍ली होती है। लंबे समय तक खांसते रहने या भारी सामान उठाने से कभी-कभी यह झिल्‍ली फट जाती है जिससे अंग का कुछ भाग बाहर आ जाता है, इसे ही हार्निया रोग _ Hernia Diease कहते हैं। हार्निया के लक्षण जब कोई अंग या आंत झिल्‍ली फटने से कुछ बाहर आ जाता है तो वहां एक उभार हो जाता है जिसे आसानी से देखा जा सकता है। देखने से वहां सूजन लगता है और दर्द भी होता है। इस रोग में पेट की त्वचा के नीचे नाभि के निचले हिस्‍से में एक असामान्य उभार आ जाता है। आंत का कुछ भाग पेट की मांसपेशियों के बाहर आ जाता है। इसके अतिरिक्‍त इंगुइंल हर्निया, फेमोरल हर्निया, एपिगास्त्रिक हर्निया, एंब्‍लाइकल हर्निया भी होता, लेकिन आमतौर पर यह कम नज़र आता है। किसी-किसी को जन्‍मजात हर्निया भी हो सकता है, इसे कॉनजेनाइटल हर्निया कहते हैं। एक उम्र के बाद यह किसी को भी हो सकता है। Hernia Hindi हार्निया का इलाज प्रारंभिक अवस्‍था में योगासन, प्राणायाम से ठीक हो जाता है लेकिन लंबा खिंच जाने पर इसकी सर्जरी करानी पड़ती है। अगर हर्निया की अभी शुरुआत है तो कपड़ा या बेल्‍ट बांधकर धीरे-धीरे प्राणायाम करने से लाभ होता है। योगासनों में पीछे झुकने वाला आसन नहीं करना चाहिए। हार्निया के लक्षण जब भी दिखें तो तत्‍काल चिकित्‍सक से परामर्श लेना चाहिए। झिल्‍ली को मजबूत करने और प्रारंभिक दौर की हार्निया के लिए कुछ उपायों की चर्चा हम कर रहे हैं, लेकिन बढ़ जाने पर आपरेशन कराना ही पड़ता है। घरेलू उपाय भी हो सकता है कि कभी-कभी विपरीत प्रभाव डाल दें, इसलिए योग्‍य चिकित्‍सक से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। हार्निया का आयुर्वेदिक उपच...

[Solved] आभासी देहगुहा उपस्थित होती है

Key Points • प्रगुहा शरीर की भित्ति और आंत की भित्ति के बीच द्रव से भरी गुहा है। • प्रगुहा मीजोडर्म (मध्य त्वचा) से आच्छादित होता है। • प्रगुहा मेटाज़ोन की विशिष्ट विशेषताओं में से एक है। • प्रगुहा की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर जीवों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जाता है: • प्रगुही • कूटप्रगुहिक • अगुहिक स्पष्टीकरण: • कूटप्रगुहिक में, शरीर गुहा मीजोडर्म द्वारा आच्छादित नहीं होती है। • ऐस्केलमिन्थीज़कूटप्रगुहिक जीव हैं। • इन जंतुओं में, मीजोडर्म एक्टोडर्म (बाह्य त्वचा) और एंडोडर्म (अंतः त्वचा) के बीच बिखरे हुए थैली के रूप में उपस्थिति होते है। अत:, सही विकल्प (2) ऐस्केलमिन्थीज़ है। Additional Information • प्लेटीहेल्मिथीज अगुहिक का उदाहरण है, जिसमें शरीर गुहा अनुपस्थित होती है। • ऐनेलिडा और सीलेन्टेरेटा प्रगुही समूह से संबंधित हैं, क्योंकि उनमें वास्तविक प्रगुहा होती है।

ऋग्वेद

अनुक्रम • 1 कालनिर्धारण और ऐतिहासिक सन्दर्भ • 2 प्रमुख विषय • 3 पाठ • 4 भाषा • 4.1 मातृभाषी • 4.2 व्याकरण • 4.2.1 नामन् (संज्ञा) • 4.2.2 ऋग्वैदिक भाषा और संस्कृत में अंतर • 4.3 अवेस्ता की भाषा तथा ऋग्वेद की भाषा की तुलना • 5 संगठन • 6 शाखाएँ • 7 भाष्य • 7.1 आधुनिक भाष्य तथा व्याख्या • 8 हिंदू धर्म में अभिग्रहण • 8.1 श्रुति • 8.2 हिंदू राष्ट्रवाद • 9 अवेस्ता के साथ समानता • 10 इन्हें भी देखें • 11 सन्दर्भ • 12 बाहरी कडियाँ कालनिर्धारण और ऐतिहासिक सन्दर्भ [ ] ऋग्वेद किसी भी अन्य इंडो-आर्यन पाठ की तुलना में कहीं अधिक पुरातन है। इस कारण से, यह [ ] ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है- • ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं जिनमें १०२८ • ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है जो वर्तमान समय में उपलब्ध है। • ॠग्वेद के कई सूक्तों में विभिन्न वैदिक • ऋग्वेद में ३३ • इस वेद में • ऋग्वेद के • इस वेद में • इस में कुछ अनार्यों जैसे - पिसाकास, सीमियां आदि के नामों का उल्लेख हुआ है। इसमें अनार्यों के लिए 'अव्रत' (व्रतों का पालन न करने वाला), 'मृद्धवाच' (अस्पष्ट वाणी बोलने वाला), 'अनास' (चपटी नाक वाले) कहा गया है। • इस वेद लगभग २५ • ऋग्वेद में • ऋग्वेद में 'वाय' शब्द का प्रयोग जुलाहा तथा 'ततर' शब्द का प्रयोग करघा के अर्थ में हुआ है। • ऋग्वेद के ९वें मण्डल में • ऋग्वेद के १०वे मंडल मे पुरुषसुक्त का वर्णन है। • " • इस वेद में • ऋग्वेद में ऐसी • इस वेद में हिरण्यपिण्ड का वर्णन किया गया है। इस वेद में 'तक्षन्' अथवा 'त्वष्ट्रा' का वर्णन किया गया है। आश्विन का वर्णन भी ऋग्वेद में कई बार हुआ है। आश्विन को नासत्य ( • इस वेद के ७वें मण्डल में • ऋग्वेद में कई ग्रामों के समूह को 'विश' कहा गया है...

खसरा संख्या क्या होती है? खसरा या खतौनी का विवरण कैसे खोजें?

खसरा संख्या (Khasra Number) भारत के भूलेखों (Land Record) में इस्तेमाल होने वाला शब्द है। चूंकि इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक किया जाता है, इसलिए शहरी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को इसे समझने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप जमीन खरीदने जा रहे हैं और आपको खसरा संख्या (Khasra Number) पता नहीं है तो आपको परेशानी हो सकती है। इस ब्लॉग की मदद से हम आपको ऐसी परेशानी से बचने में मदद कर सकते हैं। खसरा संख्या (Khasra Number) और अन्य संबंधित शब्दों का मतलब समझने के लिए ब्लॉग को पढ़े। बेहतर समझ के लिए, हमने खाता और खतौनी संख्या के बीच का अंतर भी समझाया है। खसरा संख्या क्या होती है? खसरा (Khasra)एक फारसी शब्द है। इसे DAG संख्या के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विशिष्ट संख्या है जो गांवों में स्थित जमीन के लिए निर्धारित की जाती है। शहरी क्षेत्रों में किसी प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार करने के लिए खसरा संख्या होना एक आवश्यक दस्तावेज है। यह उस दस्तावेज़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे शारजा (Sharja) के नाम से जाना जाता है। शारजा में गांव की पूरी जमीन का पूरा नक्शा होता है। लेखपाल इस दस्तावेज़ को तैयार करता है, और रिकॉर्ड को बनाए रखने और अपडेट करने हेतु पटवारी को सौंपा जाता है। प्लॉट संख्या हमेशा खसरा संख्या (Khasra Number) के जैसी नहीं होती है। खसरा संख्या (Khasra Number)बदल जाती है यदि भूमि का कोई हिस्सा बेचा जाता है, उपहार में दिया जाता है और विभाजित किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि भूमि के किसी हिस्सा की निर्दिष्ट खसरा संख्या (Khasra Number) 52 है। इसे बाद में दो भागों में विभाजित किया जाता है, और नई खसरा संख्या (Khasra Number) 52/1 और 52/2 होगी। खसरा संख्या से आप ...

देहगुहा एवं प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहा

Solution देहभित्ति एवं कुटगृहा (pseudocoelom) के बीच प्रगुहा की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति वर्गीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। देहगुहा जब मिसोडर्म से स्तरिक रहती है तब यह सीलोम (coelom) कहलाती है। जिन जन्तुओ में सीलोम उपस्थित रहती है वे सिलोमेटा (coelomata) कहलाते है, जैसे-ऐनेलिडा, आर्थ्रोपोडा, इकाईनोडर्मेटा, मोलस्का, हेमिकोर्डेटा तथा कॉर्डेटा। कुछ जन्तुओ में देहगुहा मिसोडर्म द्वारा स्तरिक नहीं होती, लेकिन एक्टोडर्म एवं एण्डोडर्म के बीच छोटी-छोटी गोलकार आकृति में छितरा रहता है। इस तरह की देहगुहा आहारनाल कहलाती है एवं ऐसे जंतु स्यूडोसीलोमेटा (pseudocoelomata) कहलाते है, जैसे- ऐस्कहेल्मिथीज (Aschelminthes) । जिन जन्तुओ में देहगुहा अनुपस्थित रहती है वे एसीलोमेट्स (acoelomates) कहलाते है, जैसे-प्लैटीहेल्मिन्थेस (Platyhelimthes)। हेलो फ्रेंड्स यहां पर में एक प्रश्न दिया वेरी के प्रश्न पर इस प्रकार से दे गोवा एवं प्रभाव का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक होता है आएगा जब देख लेते हैं इस प्रश्न के बारे में यहां पर बात कर रहे हैं देखो आया भगवा इसी को बोलते हैं सिलोर दे गुहा यात्रा गुफा ऐसी कम बोलते क्या शिलांग शिलांग होती है वह हमारे जंतुओं के वर्गीकरण एक मुख्य भूमिका निभाती है और शीलू के आधार पर हम क्या करें सीलोन के आधार पर हम जंतुओं को डिवाइड कर लेते हैं तीन कैटेगरी में कौन-कौन सी टीम चेतावनी है देख लेते हैं आप वैली हो जाएगी हमारे पास क्या किलोमीटर क्या है ये सिला मिला तो पहले हमारे पास क्या है सी लो मैं खा पी लो मेटा दूसरा मेरे पास जो होगा इसमें समूह हो जाएगा हमारा सिर 2 किलोमीटर क्या हो जाएगा एक-दो किलो मैदा 100 किलो मीठा सोडा का मतलब जहां पर भी छुड़वा जाता है उसका म...

खसरा संख्या क्या होती है? खसरा या खतौनी का विवरण कैसे खोजें?

खसरा संख्या (Khasra Number) भारत के भूलेखों (Land Record) में इस्तेमाल होने वाला शब्द है। चूंकि इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक किया जाता है, इसलिए शहरी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को इसे समझने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप जमीन खरीदने जा रहे हैं और आपको खसरा संख्या (Khasra Number) पता नहीं है तो आपको परेशानी हो सकती है। इस ब्लॉग की मदद से हम आपको ऐसी परेशानी से बचने में मदद कर सकते हैं। खसरा संख्या (Khasra Number) और अन्य संबंधित शब्दों का मतलब समझने के लिए ब्लॉग को पढ़े। बेहतर समझ के लिए, हमने खाता और खतौनी संख्या के बीच का अंतर भी समझाया है। खसरा संख्या क्या होती है? खसरा (Khasra)एक फारसी शब्द है। इसे DAG संख्या के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विशिष्ट संख्या है जो गांवों में स्थित जमीन के लिए निर्धारित की जाती है। शहरी क्षेत्रों में किसी प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार करने के लिए खसरा संख्या होना एक आवश्यक दस्तावेज है। यह उस दस्तावेज़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे शारजा (Sharja) के नाम से जाना जाता है। शारजा में गांव की पूरी जमीन का पूरा नक्शा होता है। लेखपाल इस दस्तावेज़ को तैयार करता है, और रिकॉर्ड को बनाए रखने और अपडेट करने हेतु पटवारी को सौंपा जाता है। प्लॉट संख्या हमेशा खसरा संख्या (Khasra Number) के जैसी नहीं होती है। खसरा संख्या (Khasra Number)बदल जाती है यदि भूमि का कोई हिस्सा बेचा जाता है, उपहार में दिया जाता है और विभाजित किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि भूमि के किसी हिस्सा की निर्दिष्ट खसरा संख्या (Khasra Number) 52 है। इसे बाद में दो भागों में विभाजित किया जाता है, और नई खसरा संख्या (Khasra Number) 52/1 और 52/2 होगी। खसरा संख्या से आप ...

जन्तु जगत (एनिमेलिया) Animal kingdom क्या है ? जन्तु जगत का वर्गीकरण (Taxonomy of Animal Kingdom)

जंतु जगत (Animal kingdom) जन्तु जगत के अन्तर्गत सभी प्रकार के यूकैरियोटिक बहुकोशिकीय तथा विषमपोषी (जो पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से दूसरे जीवों पर निर्भर हो) जीव आते हैं। यह यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, विषमपोषी प्राणियों का वर्ग है जिसमे कोशिका भित्ति रहित कोशिकाओं से बना है। ये अधिकांशतया भोजन का अन्तर्ग्रहण करते हैं तथा आन्तरिक गुहा में इसका पाचन होता है। प्रोटोजोआ तथा पोरोफेरा को छोड़कर सभी में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। जन्तु जगत के अन्तर्गत विशिष्ट संघ आते हैं | चुकीं इन प्राणियों की संरचना एवं आकार में विभिन्नता होते हुए भी उनकी कोशिका व्यवस्था, शारीरिक सममिति, पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र एवं जनन तंत्र की रचना में कुछ आधारभूत समानताएँ पाई जाती हैं। इन्हीं विशेषताओं को वर्गीकरण का आधार बनाया गया है। जंतु जगत का वर्गीकरण जंतु जगत का वर्गीकरण निम्न प्रकार से है : प्रोटोजोआ (Protozoa) प्रोटोजोआ का सर्वप्रथम अध्ययन ल्यूवेनहॉक ने किया तथा गोल्डफस ने इस संघ को प्रोटोजोआ नाम दिया। प्रोटोजोआ को सामान्यतया प्रोटिस्टा जगत के अर्न्तगत रखा जाता है। यह एककोशिकीय सूक्ष्मजीव है। इसकी सभी क्रियाएँ कोशिका के अन्तर्गत घटित होती हैं; जैसे-अमीबा, सारकोडिना आदि। इसके अन्तर्गत फ्लेजैलायुक्त यूमेस्टिजिना भी आते हैं, जिसकी अनेक जातियाँ पादपों तथा जन्तुओं पर परजीवी के रूप में रहती हैं। तथापि कई वर्गीकरणों में प्रोटोजोआ को अन्य एककोशिकीय जीवों के साथ प्रोटिस्टा जगत में रखा जाता है। अमीबा (Amoeba) अमीबा की खोज रसेल वॉन रोजेनहॉफ ने 1755 में की। इसका शरीर प्लाज्मालेमा से ढका होता है। यह प्लाज्मालेमा श्वसन और उत्सर्जन दोनों का कार्य करती है। अमीबा कूटपादों (pseudopodia) द्वारा गमन करता है। अमीबा मे...

[Solved] आभासी देहगुहा उपस्थित होती है

Key Points • प्रगुहा शरीर की भित्ति और आंत की भित्ति के बीच द्रव से भरी गुहा है। • प्रगुहा मीजोडर्म (मध्य त्वचा) से आच्छादित होता है। • प्रगुहा मेटाज़ोन की विशिष्ट विशेषताओं में से एक है। • प्रगुहा की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर जीवों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जाता है: • प्रगुही • कूटप्रगुहिक • अगुहिक स्पष्टीकरण: • कूटप्रगुहिक में, शरीर गुहा मीजोडर्म द्वारा आच्छादित नहीं होती है। • ऐस्केलमिन्थीज़कूटप्रगुहिक जीव हैं। • इन जंतुओं में, मीजोडर्म एक्टोडर्म (बाह्य त्वचा) और एंडोडर्म (अंतः त्वचा) के बीच बिखरे हुए थैली के रूप में उपस्थिति होते है। अत:, सही विकल्प (2) ऐस्केलमिन्थीज़ है। Additional Information • प्लेटीहेल्मिथीज अगुहिक का उदाहरण है, जिसमें शरीर गुहा अनुपस्थित होती है। • ऐनेलिडा और सीलेन्टेरेटा प्रगुही समूह से संबंधित हैं, क्योंकि उनमें वास्तविक प्रगुहा होती है।