देश भक्ति गीत कविता

  1. मेरा भारत
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  3. देशभक्ति रचनाएँ : देशभक्ति शायरी
  4. देशभक्ति कविता बच्चों के लिए
  5. देश भक्ति गीत/कवितायें
  6. देशभक्ति कविता: वीरता का संदेश देने वाली कविता
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  8. desh bhakti poems in hindi on independence and republic Day
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मेरा भारत

मेरा भारत विश्वजाल पर देशभक्ति की कविताओं का सुंदर संकलन अनुक्रम १ १५ अगस्त १९४७ गिरिजाकुमार माथुर २ १५ अगस्त १९४७ सुमित्रानंदन पंत ३ आग बहुत सी बाकी है अभिनव शुक्ल ४ आज तिरंगा फहराता है शान से सजीवन मयंक ५ आज़ादी का गीत हरिवंशराय बच्चन ६ आज़ादी की अर्धशती डॉ. जगदीश व्योम ७ आदमी का गीत शील ८ अरुण यह मधुमय देश हमारा जयशंकर प्रसाद ९ आज क्रांति फिर लाना है डॉ. विजय तिवारी किसलय १० उठो सोने वालों वंशीधर शुक्ल ११ उठो धरा के अमर सपूतों द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी १२ ऐ मातृभूमि तेरी जय हो रामप्रसाद बिस्मिल १३ ऐ मेरे प्यारे वतन प्रेम धवन १४ ऐ मेरे वतन के लोगों प्रदीप १५ ऐ इन्सानों ओस न चाटो गजानन माधव मुक्तिबोध १६ ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ रामसनेहीलाल शर्मा यायावर १७ घाटी मेरे देश की नीरज पांडेय १८ चल मरदाने हरिवंश राय बच्चन १९ जय जन भारत सुमित्रानंदन पंत २० जय जयति भारत भारती पं नरेंद्र शर्मा २१ जय तिरंग ध्वज रमेश कौशिक २२ जहाँ डाल डाल पर राजेंद्र किशन २३ झंडा ऊँचा रहे हमारा श्यामलाल गुप्त पार्षद २४ तिरंगा कविता वाचक्नवी २५ तिरंगा राजेश चेतन २६ तिरंगा गीत सुनील जोगी २७ तिरंगा सबसे ऊँचा रहे राममूर्ति सिंह अधीर २८ तुझे कुछ और भी दूँ रामावतार त्यागी ५२ देश का प्रहरी मेधराज मुकुल २९ देशभक्तों नमन महेश मूलचंदानी ३० देश मेरा प्यारा अभिरंजन कुमार ३१ ध्वजा वंदना रामधारी सिंह दिनकर ३२ धन्य भारतीय संस्कृति शरद आलोक ३३ नमामि मातु भारती गोपाल प्रसाद व्यास ३४ प्यारा हिंदुस्तान है डॉ. गणेशदत्त सारस्वत ३५ पंचतात्विक राष्ट्र-वंदना सोम ठाकुर ३६ पंद्रह अगस्त की पुकार अटल बिहारी वाजपेयी ३७ प्रयाण गीत द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ३८ प्रशस्ति गीत स्नेहलता स्नेह ३९ भारत गीत श्रीधर पाठक ४० भारत तुझको नमस्कार है ...

देशभक्ति कविताएँ

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे | जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे || सभी मनाते पर्व देश का आज़ादी की वर्षगांठ है | वक्त है बीता धीरे धीरे साल एक और साठ है || बहे पवन परचम फहराता याद जिलाता जीत रे | गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे | जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे || जनता सोचे किंतु आज भी क्या वाकई आजाद हैं | भूले मानस को दिलवाते नेता इसकी याद हैं || मंहगाई की मारी जनता भूल गई ये जीत रे | गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे | जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे || हमने पाई थी आज़ादी लौट गए अँगरेज़ हैं | किंतु पीडा बंटवारे की दिल में अब भी तेज़ है || भाई हमारा हुआ पड़ोसी भूले सारी प्रीत रे | गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे | जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे || अभी-अभी बम के धमाको़ से चीख़ उठा है शहर बच्चे, बूढे,जवान खून से लथपथ अनगिनत लाशों का ढेर इस हृदय विदारक वारदात की कहानी कह रहा है ओह! यह कैसी आजा़दी है जो घोल रही है मेरे और तुम्हारे बीच खौ़फ, आग और विष का धुआँ? हमारे होठों पे थिरकती हंसी को समेटकर दुबक गई है किसी देशद्रोही की जेब में और हम चुपचाप देख रहे हैं अपने सपनों को अपने महलों को अपनी आकांक्षाओं को बारूद में जलकर राख़ में बदलते हुए. –हरकीरत कलसी ‘हकी़र’ APOORV SRIVASTAVA द्वारा • समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा पर्बत वो सब से ऊँचा हमसाया आसमाँ का वो सन्तरी हमारा वो पासबाँ हमारा गोदी में खेलती हैं जिसकी हज़ारों नदियाँ गुलशन है जिस के दम से रश्क-ए-जिनाँ हमारा ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा, वो दिन है याद तुझ को उतरा तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा यूनान-ओ-मिस्र-ओ...

देशभक्ति रचनाएँ : देशभक्ति शायरी

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है इस देश को अंग्रेजो से आज़ाद करने के लिए कितने ही जंग हमारे वीरों ने लड़ें है और कितनी ही कुर्बानियां दी गयी है। हर दिन लोग अपने दिलों में देशभक्ति का जज्बा लेकर उठते थे। और माँ भारती के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे। उस समय के कवि और रचनाकार भी अनूठे तरीके से आजादी की लड़ाई लड़ते थे। वो ऐसी देशभक्ति रचनाएँ लिखते थे जो पढ़के जन-जन के ह्रदय में देशभक्ति की लहर दौड़ने लगती थी और लोग अंग्रेजो से लड़ने के लिए जोश से भर जाते थे। हम और आज की पीढ़ी आजाद भारत में पैदा हुए है। हमने गुलामी नही देखी है इसलिए ऐसा कहना गलत नही होगा की उस समय जो देशप्रेम लोगो में था वो आज के लोगो में नही है। लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इतने व्यस्त है की किसी को इस बात का अहसास ही नही की हमारे देश का भविष्य किधर जा रहा है। लेकिन आज भी देशभक्ति रचनाएँ ऐसी चीज़ें है जो लोगो के मन में देशप्रेम भर देती है। शायद इसीलिए देश के २ राष्ट्रिय पर्वों स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) से पहले लोग देशभक्ति रचनाएँ ढूंढते रहते है। Watch this playlist on YouTube देशभक्ति कविताएँ: पढ़िए: #देशभक्ति कविता हिंदी में #स्वतंत्र दिवस पर कविता #आजादी पर हिंदी कविता #देश भक्ति बाल कविता #शहीदों पर हिंदी कविता #15 अगस्त पर देशभक्ति कविता #देश प्रेम पर कविता #26 जनवरी की कविता #देश भक्ति कविता इन हिंदी #देश प्रेम पर कविता इन हिंदी #भारत पर कविता #देश भक्ति पर छोटी कविता #शहीदों पर कविता #स्वतंत्रता दिवस पर कविता इन हिंदी #देश पर कविता #सैनिक पर कविता #शहीदों को समर्पित कविता #देश के जव...

देशभक्ति कविता बच्चों के लिए

Comments जैसा की हम सभी जानते है की पहले हमारा देश अंग्रेज़ो का ग़ुलाम था हमारे भारत देश पर ब्रिटिश शासन था और उनके शासन से हमें 15 अगस्त 1947 में आज़ादी मिली थी | भारत देश को आज़ादी दिलाने के लिए हमारे कई महान देशभक्तो ने अपनी जान कुर्बान की थी जिनको की हर 15 अगस्त के दिन याद किया जाता है | इसीलिए हमारे कुछ महान देशभक्त कवियों द्वारा देशभक्ति की कविताएं लिखी गयी है जिन कविताओं के बारे में जानने के लिए आप हमारे माध्यम से जान सकते है तथा अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है | Desh Bhakti Kavita in Hindi अगर आप any 5 indian patriotic hindi poem by rabindranath tagore, top 5 desh bhakti’, kavita in marathi small lyrics for republic day, kavita/veer ras/desh bhakti के बारे में जानें के लिए यहाँ से जान सकते है : “होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बह...

देश भक्ति गीत/कवितायें

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देशभक्ति कविता: वीरता का संदेश देने वाली कविता

वीरता का संदेश देने वाली कविता अपने देश से प्रेम करना और सदा उसका कल्याण सोचना सिखाता है. देशभक्ति कविता आदि सभी राष्ट्र भक्ति ही हैं. हमारे प्रसिद्ध कवियों ने फेमस देशभक्ति पर कविता लिखकर देशवासियों को जागृत करने का एक माध्यम तैयार किया था जिससे एकेडमिक स्कूल से ही बच्चों को राष्ट्र पर मर मिटने वाले धरती मां के वीर सपूतों की अद्भुत शौर्य और पराक्रम का बखान और देश हित में जानकारी प्रदान कराया जा सके. ताकि आज की युवा पीढ़ी वीर शहीदों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों के महत्व को समझ सके. देश भक्ति कविता यानि Desh Bhakti Poem केवल मनोरंजन प्रदान करने के लिए नहीं है बल्कि देश में घटित उन सभी घटनाओं का एक संग्रह है जो आपको राष्ट्रिय कविता के माध्यम से देश के लिए प्रेरणा देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. Table of Contents • • • • • • देशभक्ति कविता हिंदी में लिखी हुई | Desh Bhakti Poem in Hindi बच्चे, बूढ़े, युवा, ह्रदय से देश प्रेम की भावना जागृत करने के लिए दिए गए देशभक्ति कविता का उपयोग स्वतंत्रता दिवस कविता, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती एवं अन्य राष्ट्रीय पर्व पर होने वाली प्रतियोगिता में शामिल कर सकते हैं और एक अनूठा संदेश देश हित में जारी कर सकते हैं. आपके लिए 5 ऐसी देश भक्ति कविता लिखी हुई अंकित किया गया है, जिनसे अपने वतन की खुशबू मिलती है,जिसे देश के प्रसिद्ध रचनाकारों द्वारा सजाया गया है. जैसे राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र किशन, रामधारी सिंह दिनकर, सुमित्रानंदन पंत, श्री गोपाल दास व्यास जी, आदी. इन कविताओं के लिए कई रचनाकार भारत रत्न से नवाजे गए हैं जो अपने कलम से संपूर्ण भारत को देशभक्ति कविता के माध्यम से जागृत करने की कोशिश की है. आज आप उन्हीं देश प्रेम भक्ति कविता की...

Desh Bhakti Geet

आपके लिए 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस, 26 जनवरीगणतंत्र दिवस व 2अक्टूबर गाँधी जयंती पर देश भक्ति (Patriotic) गीत व कविता प्रस्तुत है। हर भारतीय के लिए देश प्रेम की भावना अति महत्वपूर्ण होती है जिसको व्यक्त करने के लिए वह देश भक्ति के गीत व कविता गाता है। प्रस्तुत है आप के लिए चुनिंदा देश भक्ति गीत व कविता

desh bhakti poems in hindi on independence and republic Day

desh bhakti poems in hindi forindependence and republic Day special देशभक्ति कविता इस स्वतंत्रता दिवस पर विशेष desh bhakti poems in hindi 2020-देश भक्ति गीत कविता बच्चों के लिए देशभक्ति कविताओं का संग्रहदोस्तों आज हम आपके सामने पेश करने वाले हैं जिसे पढ़ने के बाद आपके अंदर राष्ट्रप्रेम की एक ऐसी भावना जागृत होगी जो आपको देश के लिए कुछ करने के लिये मजबूर कर देगी। patriotic poems in hindi यह कविता कक्षा 1,कक्षा2, कक्षा 3, कक्षा4, कक्षा 5 ,कक्षा 6 ,कक्षा 7 ,कक्षा 8, कक्षा 9, कक्षा 10, कक्षा 11, कक्षा 12, के विद्यार्थियों के लिए बहुत अच्छी साबित होगी। और जिसे पढ़ने के बाद पढ़ने के बाद बच्चों के दिल में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होगी। देशभक्ति कविता देश भक्ति पर कविता hindi desh bhakti kavita कुछ इस प्रकार है जिसे पढ़ने के बाद बच्चों में राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत होने के साथ-साथ वह राष्ट्रप्रेम की भावना को दूसरे व्यक्तियों तक पहुंचा सकते हैं और patriotic poems in hindi के माध्यम से यह व्यक्त कर सकते हैं कि उनकी अंदर राष्ट्रप्रेम की कितनी भावना है desh bhakti poems in hindi desh bhakti kavita-देशभक्ति कविता तो दोस्तों अगर आपको ये कविताएं अच्छी लगी हो तो प्लीज इन्हे शेयर करें और कमेंट करें औरआप अगर class 1, class 2, cass 3, class 4 ,class 5 ,class 6 ,class 7 ,class 8, class 9, class 10, class 12 ,class 11,के विद्यार्थी है तो इन desh bhakti poems in hindi कविताओं को जरूर एक बार अपने कक्षा में कहें। इन कविताओं को भी जरूर पढ़ें।

कविताएं

कविताएं Literature Under This Category - फणीश्वरनाथ रेणु | Phanishwar Nath 'Renu' साजन! होली आई है! सुख से हँसना जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज- साजन ! होली आई है! हँसाने हमको आई है! साजन! होली आई है! इसी बहाने क्षण भर गा लें दुखमय जीवन को बहला लें ले मस्ती की आग- साजन! होली आई है! जलाने जग को आई है! साजन! होली आई है! रंग उड़ाती मधु बरसाती कण-कण में यौवन बिखराती, ऋतु वसंत का राज- लेकर होली आई है! जिलाने हमको आई है! साजन ! होली आई है! खूनी और बर्बर लड़कर-मरकर- मधकर नर-शोणित का सागर पा न सका है आज- सुधा वह हमने पाई है ! साजन! होली आई है! साजन ! होली आई है ! यौवन की जय ! जीवन की लय! गूँज रहा है मोहक मधुमय उड़ते रंग-गुलाल मस्ती जग में छाई है साजन! होली आई है! - रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar संसार पूजता जिन्हें तिलक, रोली, फूलों के हारों से, मैं उन्हें पूजता आया हूँ बापू ! अब तक अंगारों से। अंगार, विभूषण यह उनका विद्युत पीकर जो आते हैं, ऊँघती शिखाओं की लौ में चेतना नयी भर जाते हैं। उनका किरीट, जो कुहा-भंग करके प्रचण्ड हुंकारों से, रोशनी छिटकती है जग में जिनके शोणित की धारों से। झेलते वह्नि के वारों को जो तेजस्वी बन वह्नि प्रखर, सहते ही नहीं, दिया करते विष का प्रचण्ड विष से उत्तर। अंगार हार उनका, जिनकी सुन हाँक समय रुक जाता है, आदेश जिधर का देते हैं, इतिहास उधर झुक जाता है। - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा, मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा। मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ, प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ? युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से, अब रोष के मारे हुए, वे द...