देवनागरी लिपि

  1. देवनागरी लिपि
  2. छत्तीसगढी भाषा
  3. अंग्रेजी, उर्दू और चीनी लिपि की तुलना में देवनागरी
  4. भारत में लिपि का विकास
  5. देवनागरी


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देवनागरी लिपि

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छत्तीसगढी भाषा

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कौन

Explanation : मराठी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। देवनागरी लिपि को नागर, देवनागर, लोकनागरी एवं हिंदी लिपि आदि नामों से भी जाना जाता है। आज यह भारत की प्रधान लिपि है। जिसकी वैज्ञानिकता के कारण इसका प्रयोग-हिंदी, मराठी, नेपाली, संस्कृत, आदि बोलियों (भाषाओं) में किया जाता है। मराठी भाषा महाराष्ट्र की एकमेव अधिकारिक राजभाषा है। महाराष्ट्र के बहुसंख्य लोग मराठी बोलते है। यह महाराष्ट्र और गोवा की राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राज्यभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में दसवें और भारत में तिसरे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग 10 करोड़ है। Tags :

अंग्रेजी, उर्दू और चीनी लिपि की तुलना में देवनागरी

देवनागरी लिपि का प्रयोग संस्कृत, हिन्दी, मराठी, नेपाली इत्यादि भाषाओं को लिखने के लिए किया जाता है। अर्थात् अब आप यह लेख जो पढ़ रहे हैं उस की भाषा तो हिन्दी है, परन्तु इस कि लिपि देवनागरी है। तथा गुजराती, बंगाली, पंजाबी लिपियाँ देवनागरी से मिलती जुलती हैं। और दक्षिणी लिपियों में भी कुछ-कुछ अंश समान मिलते हैं। हम मानते हैं कि देवनागरी लिपि की अन्य लिपियों से तुलना चूंकि संस्कृत, हिन्दी, मराठी तथा नेपाली भाषाओं के लिए एक ही लिपि देवनागरी का प्रयोग होता है, इसीलिए यह लेख इन सभी भाषाओं के लिए उपयोगी है। और साथ ही साथ गुजराती, कन्नड, तेलुगु, बाग्ला आदि भाषाओं कि बस लिपियाँ अलग – अलग है किन्तु वर्णमाला तो एक समान ही है। अतः यह लेख सभी भारतीयों के लिए है। तथा स्पेलिंग की समस्या से ग्रस्त अंग्रेजों के लिए भी यह लेख उपयुक्त है। (यदि हिन्दी ना समझे तो गूगल से अनुवाद कर लें) पांच – छः हजार कांजी चिह्नों को याद रखने के कष्ट से पीडित चीनी तथा जापानी लोगों के लिए भी यह लेख बहुत उपयुक्त है। (पुनः वे अनुवाद कर ले।) हम विषय की शुरुआत करते हैं। आजकल के अधपढे लोग तो हिन्दी – मराठी को तक केवल दिखावे के लिए रोमन में लिख रहे हैं – Hme to english boht stylish lgt h. तो चलिए सर्वप्रथम अंग्रेजी को ही देखते हैं – अंग्रेजी (रोमन लिपि) जैसे कि हम जानते हैं – अंग्रेजी लिखने के लिए रोमन वर्णमाला का प्रयोग होता है। १. स्वर – अंग्रेजी वर्णमाला में पांच स्वर हैं – a, e, i, o, u. लेकिन ये जो स्वर हैं वे सब अंग्रेजी वर्णामाला के a से z तक के वर्णों में बिखरे पडे हैं। क्या किसी अंग्रेज विद्वान् को यह पता नहीं लगा की स्वरों की कुछ अपनी विशेषताएं होती हैं जिस वजह से बाकी व्यंजनों से वे अलग होते हैं। इन्हे अलग ...

भारत में लिपि का विकास

Install - vidyarthi sanskrit dictionary app भारत में लिपि का विकास || देवनागरी लिपि एवं इसका नामकरण || भारतीय लिपियाँ- सिन्धु घाटी लिपि, ब्राह्मी लिपि, खरोष्ठी लिपि • BY:RF Temre • 14532 • 0 • Copy • Share इसके पूर्व के लेख में हमने जानकारी दी है कि विचारों की मौखिक अभिव्यक्ति के लिए ध्वनि सबसे अनिवार्य है अतः यह "भाषा की रीढ़" है। मानव को विभिन्न जानकारियों को लम्बे समय तक स्थाई रखने की आवश्यकता महसूस हुई होगी, इस हेतु उसने मुख से निकलने वाली ध्वनियों के संकेतों अर्थात चिह्नों को बनाना सीखा होगा। ध्वनियों के लिए बनाए गए संकेत समानता के आधार पर धीरे-धीरे कर लिपि का रूप धारण किया होगा। इस तरह लिपियों का विकास हुआ होगा। इस लेख में हम हिन्दी भाषा ज्ञान को ध्यान में रखते हुए 'देवनागरी लिपि' के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। लिपि का आरंभिक स्वरूप एक अनुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि विभिन्न जानकारियों को व्यवस्थित रखने एवं विचारों की अभिव्यक्ति के लिए लिखने की कला की उत्पत्ति भी हुई होगी। प्रारम्भ में जादू टोने के लिए खींची गई लकीरें, धार्मिक प्रतीकों के चित्र, पहचान के लिए बनाए गए घड़ों आदि के चित्र, किसी वस्तु को सजाने के लिए बनाए गए चित्र आदि लिपि के आरम्भिक रूप रहे होंगे। हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। 1. भाषा का आदि इतिहास - भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप 2. भाषा शब्द की उत्पत्ति, भाषा के रूप - मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक 3. भाषा के विभिन्न रूप - बोली, भाषा, विभाषा, उप-भाषा 4. मानक भाषा क्या है? मानक भाषा के तत्व, शैलियाँ एवं विशेषताएँ डॉ. भोलानाथ तिवारी ने विभिन्न उपलब्ध लिपियों का अध्ययन करके लिपि विकास का ऐतिहासिक क्रम निम्न प्रका...

देवनागरी

देवनागरी, जेकरा नागरी भी कहलऽ जाय छेलै, (एक प्रकार के खंडीय लेखन प्रणाली छेकै), प्राचीन एकरहो देखौ [ | ] • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • बाहरी कड़ी [ | ] • • • • • • • • • • Devanagari character picker v11 • The Influence of Sanskrit on the Japanese Sound System (James H. Buck, University of Georgia) • संदर्भ [ | ] • Afrikaans • العربية • Asturianu • Azərbaycanca • Башҡортса • Boarisch • Беларуская • Български • भोजपुरी • Banjar • বাংলা • Brezhoneg • Bosanski • Català • Qırımtatarca • Čeština • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Zazaki • डोटेली • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Nordfriisk • Gàidhlig • Galego • गोंयची कोंकणी / Gõychi Konknni • ગુજરાતી • עברית • हिन्दी • Fiji Hindi • Hrvatski • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Ido • Íslenska • Italiano • 日本語 • Jawa • ქართული • Қазақша • ភាសាខ្មែរ • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Kurdî • Latina • Lingua Franca Nova • Lietuvių • Latviešu • मैथिली • Malagasy • Македонски • മലയാളം • ꯃꯤꯇꯩ ꯂꯣꯟ • मराठी • Bahasa Melayu • မြန်မာဘာသာ • नेपाली • नेपाल भाषा • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Occitan • ਪੰਜਾਬੀ • Kapampangan • पालि • Polski • پنجابی • پښتو • Português • Runa Simi • Romani čhib • Română • Русский • संस्कृतम् • ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ • سنڌي • Davvisámegiella • Srpskohrvatski / српскохрватски • සිංහල • Simple English • Slovenčina • سرائیکی • Slovenščina • Shqip • Српски / srpski • Svenska • Kiswahili • தமிழ் • తెలుగు • Тоҷикӣ • ไทย • Taga...