देवनागरी लिपि का जन्म हुआ है

  1. देवनागरी लिपि का जन्म हुआ है
  2. [Solved] देवनागरी लिपि का जन्म �
  3. उर्दू भाषा
  4. देवनागरी लिपि। देवनागरी लिपि की विशेषताएं। देवनागरी लिपि का मानकीकरण » Hindikeguru
  5. देवनागरी लिपि 7 विशेषताएं व न्यूनताएं
  6. देवनागरी लिपि
  7. देवनागरी


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देवनागरी लिपि का जन्म हुआ है

Correct Answer - Option 3 : ब्राह्मी लिपि से • सही उत्तर - ब्राह्मी लिपि से ​ • भारत में प्राचीन समय में तीन लिपियाँ प्रचलित थीं - 1 ) सिन्धु घाटी लिपि 2) खरोष्ठी लिपि 3) ब्राह्मी लिपि • प्रो. बूलर के अनुसार ब्राह्मी लिपि में 41 अक्षर थे - 9 स्वर, 32 व्यंजन ब्राह्मी लिपि - 1 )दक्षिणी शैली 2) उत्तरी शैली< गुप्त लिपि < सिद्धमात्रिका या कुटिल लिपि < 1)देवनागरी लिपि 2)शारदा लिपि • देवनागरी लिपि आक्षरिक हैI • यहाँ एक वर्ण के लिए एक ध्वनि है अर्थात प्रत्येक अक्षर उच्चरित होते हैंI • वर्णमाला का क्रम वैज्ञानिक हैI

[Solved] देवनागरी लिपि का जन्म �

• सही उत्तर - ब्राह्मी लिपि से ​ Key Points • भारत में प्राचीन समय में तीन लिपियाँ प्रचलित थीं - 1 ) सिन्धु घाटी लिपि 2) खरोष्ठी लिपि 3) ब्राह्मी लिपि • प्रो. बूलर के अनुसार ब्राह्मीलिपि में 41 अक्षर थे - 9 स्वर, 32 व्यंजन Important Points ब्राह्मी लिपि - 1 )दक्षिणी शैली 2) उत्तरी शैली< गुप्त लिपि < सिद्धमात्रिका या कुटिल लिपि < 1)देवनागरी लिपि 2)शारदा लिपि Additional Information • देवनागरी लिपि आक्षरिक हैI • यहाँ एक वर्ण के लिए एक ध्वनि है अर्थात प्रत्येक अक्षर उच्चरित होते हैंI • वर्णमाला का क्रम वैज्ञानिक हैI

उर्दू भाषा

अनुक्रम • 1 'उर्दू' शब्द की व्युत्पत्ति • 2 साहित्य • 3 व्याकरण • 4 लिपि • 5 उर्दू की उपभाषाएँ • 6 आधुनिक उर्दू • 6.1 मातृभाषा के स्तर पर उर्दू बोलने वालों की संख्या • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ 'उर्दू' शब्द की व्युत्पत्ति [ ] 'उर्दू' शब्द मूलतः कवि उर्दू शब्द का इस्तेमाल किया जब कि उन्हों ने ख़ुद भाषा के परिचय पर हिंदवी शब्द का प्रयोग किया था। 13वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के अंत तक आज के उर्दू भाषा को हिन्दी हिन्दवी, हिंदुस्तानी साहित्य [ ] • Ethnologue . अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019. • . अभिगमन तिथि 17 मई 2008. • (PDF). Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India. (PDF) से 8 जुलाई 2016 को पुरालेखित . अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2017. • web.archive.org. 2022-10-15. मूल से पुरालेखित 15 अक्तूबर 2022 . अभिगमन तिथि 2022-10-17. सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown ( • Rahman, Tariq (2011). From Hindi to Urdu: a social and political history. Karachi. 978-0-19-906313-0. • Bhat, M. Ashraf (2017). The changing language roles and linguistic identities of the Kashmiri speech community. Newcastle upon Tyne, UK. 978-1-4438-6260-8. • Prasāda, Vinoda Kumāra (1 मार्च 1999). . अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019– वाया Google Books. • . अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2017. • • • • बाहरी कड़ियाँ [ ] • • उर्दू-हिन्दी शब्दकोश - यहाँ उर्दू शब्द और उनके अर्थ देवनागरी लिपि में दिये गये हैं। • • Views on the issue of national language in Pakistan • • • • Acèh • Afrikaans • አማርኛ • Aragonés • Ænglisc • अंगिका • العربية • ܐܪܡܝܐ • الدارجة • مصرى • অসমীয়...

देवनागरी लिपि। देवनागरी लिपि की विशेषताएं। देवनागरी लिपि का मानकीकरण » Hindikeguru

1.2 देवनागरी लिपि का मानकीकरण (devnagri lipi ka mankikaran in hindi) प्रत्येक भाषा की अपनी एक लिपि होती है , जिसमें उस भाषा को लिखा जाता है लिपि का आधार लिखित संकेत होता है हिंदी की लिपि देवनागरी है। देवनागरी लिपि का आविष्कार ब्राह्मी लिपि से हुआ। देवनागरी लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जय भट्ट के एक शिलालेख में हुआ है। यह लिपि हिंदी प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र व नेपाल में प्रचलित है गुजरात में सर्वप्रथम प्रचलित होने से वहां के पंडित वर्ग अर्थात नगर ब्रह्मांणों के नाम से इसे नागरे कहां गया। देव भाषा संस्कृत में इसका प्रयोग होने से इसके साथ जो शब्द जुड़ गया। देवताओं की उपासना के लिए जो संकेत बनाए जाते थे उन्हें देवनगर कहते थे। वे संकेत लिपि के समान थे वहीं से इसे देवनागरी कहा जाने लगा। => सर्वप्रथम महादेव गोविंद रानाडे ने लिपि सुधार समिति का गठन किया काका कालेलकर ने ‘ अ ‘ की बारहखड़ी का सुझाव दिया तथा स्वर ध्वनियों के संख्या को कम कर दिया। => श्यामसुंदर दास पंचमाक्षर के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करने का सुझाव दिया। जैसे हिन्दी-हिंदी , कण्ठ-कंठ। => हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ( 5 अक्टूबर 1941) ने लिपि सुधार हेतु एक बैठक की , जिसमें मात्राओं को उच्चारण क्रम में लगाने तथा छोटी ‘ इ ‘ की मात्रा को व्यंजन के आगे लगाने का सुझाव पेश किया। => वर्ष 1947 प्रदेश सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्षता नरेंद्र देव ने की जिसमें देवनागरी लिपि से संबंधित निम्न सुझाव पेश किए गए। ‘ अ ‘ की बारहखड़ी भ्रामक है। मात्रा यथास्थान रहें , परंतु उन्हें थोड़ा दाहिनी ओर लिखा जाए। अनुस्वार व पंचमाक्षर के स्थान पर बिंदी (ं) से काम चलाया जाए। दो तरीकों से लिखें जाने वाले अक्षरों में निम्न अक्षर...

देवनागरी लिपि 7 विशेषताएं व न्यूनताएं

देवनागरी लिपि एक ऐसी लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कुछ विदेशी भाषाएँ लिखीं जाती हैं। देवनागरी लिपि में 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण हैं। आज देवनागरी लिपि का उपयोग 120 से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है। अधिकतर भाषाओं की तरह देवनागरी भी बायें से दायें लिखी जाती है। देवनागरी लिपि का उद्भव हिन्दी कुछ शिलालेखों में पश्चिम भारत में प्रचलित खरोष्ठी लिपि का प्रयोग भी किया गया है। लेकिन अशोक के समय प्रचलित लिपि ब्राह्मी ही थी। अशोक के बाद ब्राह्मी लिपि में परिवर्तन होना आरम्भ हुआ। शिक्षित लोग लिपि को सुन्दर बनाने का प्रयत्न करने लगे। कलम उठाए बिना अक्षर लिखने की प्रवृत्ति के कारण भी लिपि में परिवर्तन होना स्वाभाविक था। इसके अतिरिक्त शीघ्रता से लिखने के कारण भी लिपि में अनेक परिवर्तन हुए। गुप्त काल में ब्राह्मी लिपि का परिवर्तित रूप गुप्त लिपि कहलाया। उत्तरी भारत में जो परिवर्तन हुए उनमें वर्णों का आकार थोड़ा कुटिल हो गया था इसलिए इस रूप को कुटिल लिपि की संज्ञा दी गई। इस कुटिल लिपि से शारदा और नागरी दो लिपियाँ निकलीं। नागरी लिपि का प्रयोग ईसा की 10वीं शताब्दी से माना जाता है। इसी नागरी को बारहवीं शताब्दी में देवनागरी लिपि कहा जाने लगा। क्यों? इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता। आज की देवनागरी लिपि, प्राचीन देवनागरी का सुधरा हुआ रूप है। भारत में प्रयुक्त होने वाली अन्य लिपियाँ भी ब्राह्मी लिपि से ही निकली हैं। देवनागरी लिपि की विशेषताएं • यह लिपि स्पष्ट एवं सुन्दर है। • देवनागरी लिपि में प्रायः सभी मूल ध्वनियों के लिए पृथक्-पृथक् ध्वनि चिह्न हैं। इस लिपि की यह विशेषता है कि इसमें जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा जाता है और वैसा ही पढ़ा जाता है। इस लिपि का ध्वनि तत्...

देवनागरी लिपि

देवनागरी लिपि देवनागरी लिपि को समझने से पहले यहाँ समझने वाली बात यह है कि लिपि किसे कहते हैं ? मौखिक भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने हेतु जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें लिपि कहते हैं। लिपि की मुख्य अवस्थाएं लिपि की चार अवस्थाएं हैं जिनके नाम नीचे दिए गए हैं – • प्रतीक लिपि • चित्र लिपि • भाव लिपि • ध्वनि लिपि देवनागरी लिपि का उद्भव हमारे देश की प्रमुख भाषा हिन्दी है और हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है। देवनागरी लिपि का जन्म ब्राह्मी लिपि से हुआ है ब्राह्मी लिपि संसार की सबसे प्राचीन ध्वनि लिपि मानी जाती है। माना जाता है की ब्राह्मी लिपि का अविष्कार आर्यों ने किया। वैदिक संस्कृति और संस्कृत में इस लिपि का उपयोग किया गया। ब्राह्मी लिपि का सर्वाधिक विस्तार महात्मा बुद्ध के समय में हुआ था इसके बाद राजा अशोक के समय ब्राह्मी लिपि ही प्रचलित थी। राजा अशोक के द्वारा निर्मित शिला लेखों के संदेशों को लिखने में भी ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है। देवनागरी लिपि की विशेषताएँ देवनागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – • देवनागरी लिपि के वर्णों का बनावट सरल और सुन्दर है। • देवनागरी लिपि में जो बोला जाता है वही लिखा जाता है। • देवनागरी लिपि को आसानी से सीखा जा सकता है। • हिन्दी, संस्कृत, मराठी और नेपाली भाषाएँ इसी लिपि में लिखी गई हैं। • जो ध्वनि का नाम वही वर्ण का नाम। • मूक वर्ण नहीं। • एक वर्ण से दूसरे वर्ण का भ्रम नहीं। • भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343 (1) में स्पष्ट घोषणा की गई है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।” देवनागरी लिपि के दोष • अनुस्वार एवं अनुनासिकता के प्रयोग में एकरूपता का अभाव होना। • लिखते समय हाथ को बार – बार उठाना पड़ता है। • व...

देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि . 315 संबंधों: , , ऊ देवनागरी लिपि का छठा वर्ण है। यह एक स्वर भी है। श्रेणी:स्वर. नई!!: चंद्रबिन्दु एक विशेषक चिह्न है जो देवनागरी, गुजराती, बांग्ला, ओडिया, तेलुगु तथा जावा की लिपि आदि में प्रयुक्त होता है। इसका आकार चन्द्रमा जैसा होने से इसे 'चन्द्रबिन्दु' कहा जाता है। यह अनुनासिक को व्यक्त करता है। उदाहरण: चाँद (देवनागरी), দাঁত (बांग्ला)। . नई!!: चाम लिपि में १०वीं शताब्दी का शिलालेख, पो नगर, ९६५ ई चाम लिपि ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न एक लिपि है। यह चाम भाषा को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है जो एक आस्ट्रोनेशियायी भाषा है। वियतनाम और कम्बोडिया के लगभग ढाई लाख लोग इसे बोलते हैं। यह लिपि देवनागरी की तरह बायें से दायें लिखी जाती है। चाम लिपि दक्षिण भारत की ग्रंथ लिपि से लगभग २०० ई के समय व्युत्पन्न हुई थी। ग्रन्थ लिपि से व्युत्पन्न होने वाली आरम्भिक लिपियों में से एक है। हिन्दू धर्म तथा बौद्ध धर्म का जब दक्षिण-पूर्व एशिया ...