देवस्थान विभाग उदयपुर राजस्थान

  1. राजस्थान में वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रियों से मांग रहे राशि, सरकार ने कहा सावधान रहे
  2. देवस्थान विभाग
  3. राजस्थान के सरकारी मंदिरों में होगा ऑनलाइन दान दुनिया के किसी भी हिस्से से भेज सकते है दान राशि
  4. देवस्थान विभाग, राजस्थान की दरियादिली की कीमत
  5. Ganga Dussehra 2023 Will Be Celebrated On May 30 Bharatpur Ganga Maa Temple Rajasthan ANN


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राजस्थान में वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रियों से मांग रहे राशि, सरकार ने कहा सावधान रहे

देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना 2023 में 40 हजार यात्रियों को यात्रा कराने को लेकर तैयारियां जोरों पर है। इसमें 36 हजार यात्रियों को रेल मार्ग से एवं 4 हजार यात्रियों को हवाई मार्ग से यात्रा करवायी जाएगी। विभाग ने कहा कि ये यात्रा पूर्णतया नि:शुल्क है और यात्री आने वाले फर्जी कॉल से सावधान रहे। देवस्थान आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी ने यात्रा का लाभ लेने वाले यात्रियों को फर्जी कॉल से जागरूक व सचेत रहने को कहा है। प्रज्ञा ने बताया कि देवस्थान विभाग को यात्रियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कतिपय व्यक्तियों द्वारा एक मोबाइल नंबर से फोन कर यात्रा के लिए राशि जमा करा प्रतीक्षा सूची से मुख्य सूची में उनका नाम लाने का झांसा देकर गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यात्रियों को आगाह किया जाता है कि ऐसी फर्जी कॉल से सावधान व सचेत रहे। आयुक्त ने बताया कि इस यात्रा का पूरा खर्चा राजस्थान सरकार द्वारा किया जा रहा है। चयनित यात्रियों को मेडिकल, रिपोर्टिंग किसी भी नाम से कोई शुल्क नहीं देना है। यात्रा के लिए यात्री के रिपोर्ट करने से लेकर यात्रा समाप्ति तक की समस्त व्यवस्था नि:शुल्क है। इस यात्रा के लिए देवस्थान विभाग या किसी संस्था या वेंडर को कोई राशि देय नहीं है। उन्होंने यह बताया कि आईआरसीटीसी एवं अन्य वेंडर्स का समस्त भुगतान राज्य सरकार कर रही है। यात्रा से पहले एवं यात्रा के समय मेडिकल जांच की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा डाक्टर्स की ड्यूटी लगाकर नि:शुल्क कराई जा रही है।

देवस्थान विभाग

अनुक्रम • 1 विभाग का सामान्य परिचय • 2 प्रशासनिक-व्यवस्था • 3 विभाग के नए दायित्व • 4 विभाग का पता • 5 बाहरीकड़ियाँ विभाग का सामान्य परिचय [ ] प्रशासनिक-व्यवस्था [ ] आयुक्त देवस्थान इस विभाग के विभागाध्यक्ष नामित हैं और विभाग का मुख्यालय विभाग के नए दायित्व [ ] विभाग के जालघर के अनुसार -"देवस्‍थान विभाग मन्दिर संस्‍कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का विभाग है। इस विभाग के वर्तमान स्‍वरूप का भूतपूर्व राजपुताना राज्‍य छोटी-बडी 22 रियासतों के विलीनीकरण के पश्‍चात पूर्व देशी राज्‍यों द्वारा राज्‍यकोष के माघ्‍यम से संचालित मन्दिरों, मठों, धर्मशालाओं आदि के प्रबंधन एवं सुचारू संचालन हेतु वर्ष 1949 में बने वृहत् राजस्‍थान राज्‍य के साथ-साथ हुआ, किन्‍तु परिवर्तित परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर राज्‍य सरकार द्वारा विभागीय कार्यकलापों का विस्‍तार किया गया है तथा नवीन दायित्‍व सौंपे गये है। विगत वर्षों में देवस्‍थान विभाग की पहचान मात्र मन्दिरों की सेवा-पूजा और उनकी सम्‍पत्ति के प्रबंधकर्ता विभाग की रही है। अत: संस्‍कृति और आस्‍थाओं के प्रबंध को गतिशील बनाने हेतु शासन की नवीन नीति में देवस्‍थान विभाग को पर्यटन, कला और संस्‍कृति के साथ जोडा गया है तथा तीर्थाटन एवं देशाटन को बढाया देने हेतु पर्यटन, कला एवं संस्‍कृति विभाग् के समन्‍वय से प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्‍थान सार्वजनिक प्रन्‍यास अधिनियम, 1959 के अन्‍तर्गत न्‍यासों का पंजीकरण, शिकायतों की जांच, भूमि सुधार कार्यक्रमों के फलस्‍वरूप मन्दिरों / मठों की भूमियों के पुन: ग्रहण के पश्‍चात निर्धारित वार्षिकी के भुगतान तथा मन्दिरों / संस्‍थाओं का सहायता अनुदान स्‍वीकृत करने के कार्यकलाप भी इस विभाग के कार्यक्षेत्र में विस्‍तारित हुए है।...

राजस्थान के सरकारी मंदिरों में होगा ऑनलाइन दान दुनिया के किसी भी हिस्से से भेज सकते है दान राशि

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में देवस्थान विभाग से जुडे मंदिरों में अब भक्तों को दान करने के लिए मंदिर आने की जरूरत नहीं है। वे दुनिया के किसी भी हिस्से से मंदिर में दान दे सकते है। विभाग ने इसके लिए ऑनलाइन दान की व्यवस्था शुरू की है। श्रद्धालु गायों के लिए चारे, पक्षियों के लिए दाने से लेकर गरीबों के भोजन और वस्त्र तक के लिए ऑनलाइन मंदिरों में भेंट दे सकते है। देवस्थान विभाग की वेबसाइट पर जाकर भक्त सूची में शामिल मंदिरों में ऑनलाइन दान किया जा सकता है। राजस्‍थान में देवस्थान विभाग के अधीन यू तो 59 हजार 469 मंदिर है। इनमें राजस्थान और राजस्थान के बाहर के राज्यों के कुछ मंदिर भी शामिल है। इनमे से 390 मंदिर पूरी तरह से सरकारी सहायता पर निर्भर मंदिर है। विभाग ने फिलहाल इनमें से भी 24 प्रमुख मदिरों और तीर्थ स्थलों के लिए ऑनलाइन दान देने की व्यवस्था शुरू की है। कुछ श्रद्धालु ऐसे भी होते है जो मंदिर के बजाए किसी खास देवी-देवता के नाम से दान देना चाहते है। उनके लिए भी व्यवस्था है और वेबसाइट पर 34 देवी देवताओं की सूची भी है, जिन्हे श्रद्धालु दान दे सकते है। इस ऑनलाइन दान व्यवस्था का एक खास पहलू यह भी है कि इसमें दान का उद्देश्य और प्रयोजन पूछा जाता है। यानी आप किस उददेश्य के लिए मंदिर में दान देना चाहते है। इसमें कोई सफलता के लिए तो कोई खुद की सुरक्षा के लिए दान कर सकता है। श्रद्धालुओं के लिए कई विकल्प दिए गए है जैसे ग्रहशांति, पूर्वजों की याद में, सुरक्षा के लिए, समृद्धि के लिए संतान के लिए आदि। इसी तरह किस पेटे दान देना चाहते है, उसके विकल्प भी है जैसे कोई मंदिर में पूजन सामग्री के लिए दान देना चाहता है तो कोई पेड लगाने के लिए, कोई गायों के चारे के लिए तो कोई चिकित्सा सहायता के लिए। ...

देवस्थान विभाग, राजस्थान की दरियादिली की कीमत

राजस्थान में आज़ादी से पहले कई राजाओं ने मंदिरों के दिन प्रतिदिन के खर्च की स्वचालित व्यवस्था के लिये काफ़ी आबादी या कृषी योग्य भूमि के खातेदारी अधिकार संबंधित मंदिर के नाम किये थे और मंदिर की मूर्ति को नाबालिग घोषित किया था जिससे इसे बेचने या स्थानांतरित करने का अधिकार किसी को नहीं रहता था। विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों के अनुसार राज्य में नाबालिग भगवान के नाम दर्ज ऐसी 18 लाख बीघा जमीनें लोगों द्वारा हड़पी जा चुकी है। अगर ऐसी भूमि की औसत दर केवल 10 लाख रूपये बीघा की मानें तो राज्य में ऐसी खुर्द बुर्द की गई 18 लाख बीघा जमीन की कीमत 1,80,000 करोड़ रूपये होती है जो एक तरह से ऐसे मेदिरों को आज़ादी के बाद संभालने के लिये जिम्मेदार देवस्थान विभाग, राजस्थान, की दरियादिली की कीमत है। पूरा लेख आगे पढ़िये। आज़ादी के पहले के राज में विभिन्न मंदिरों को पूजा अर्चना के लिये आत्म निर्भर बनाए रखने के उद्देश्य से मंदिरों के साथ काफ़ी आबादी या कृषी योग्य भूमि के खातेदारी अधिकार संबंधित मंदिर के नाम कर दिये जाते थे और मंदिर की मूर्ति को नाबालिग माना जाता था जिससे इसे बेचने या स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं रहता था। ऐसे कई मंदिर हैं जिनके खाते की ज़मीने उस समय तो इतनी मूल्यवान नहीं थीं लेकिन शहर के फैलाव के साथ मूल्यवान होती गईं। आज़ादी के बाद राजस्थान में विलीन हुई रियासतों के अधीन आने वाली ऐसी कई परिसंपत्तियाँ राज्य के बाहर के तीर्थस्थानों जैसे हरिद्वार, बनारस आदि में भी है जो आज बहुमूल्य हो चुकी हैं। आज़ादी के बाद सार्वजनिक मंदिरों और इनकी परिसंपत्तियों की देखरेख के लिये देवस्थान विभाग का गठन किया गया लेकिन ये विभाग शुरू से ही दरियादिल रहा और विभिन्न मंदिरों की परिसंपत्तियाँ खुर्द ...

Ganga Dussehra 2023 Will Be Celebrated On May 30 Bharatpur Ganga Maa Temple Rajasthan ANN

Ganga Dussehra 2023: भरतपुर (Bharatpur) के गंगा माता मंदिर (Ganga Maa Temple) में 30 मई को बड़े ही धूम - धाम से गंगा दशहरा मनाया जाएगा. भरतपुर के गंगा माता मंदिर के पुजारी चेतन शर्मा ने बताया है की पापों को हरने और मोक्ष प्रदान करने के लिए गंगा मां धरती पर अवतरित हुई थी. गंगा दशहरा के पर्व के दिन मंदिर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. सुबह गंगा माता का पंचामृत दूध, दही, शहद, घी और बूरा से अभिषेक किया जाएगा. इसके बाद पंचामृत का प्रसाद वितरण किया जाएगा. भरतपुर में भी गंगा मैया को बड़ी ही श्रद्धा भाव से पूजा जाता है. यूं तो देश में हर जगह देवी देवता के मंदिर बहुत मिल जाते है, लेकिन गंगा माता का मंदिर कहीं - कहीं ही देखने को मिलता है. उत्तर भारत में एक मात्र गंगा माता का मंदिर भरतपुर में है. भरतपुर के ऐतिहासिक गंगा मंदिर का निर्माण महाराजा बलवंत सिंह ने शुरू कराया था. बताया जाता है कि, महाराजा बलवंत सिंह के कोई संतान नहीं थी. एक दिन महाराजा बलवंत सिंह हरिद्वार गए. महाराजा बलवंत सिंह ने मांगी थी मन्नत वहां उन्होंने गंगा माता से मन्नत मांगी थी की मां मेरी कोई संतान नहीं है, अगर मेरे घर संतान पैदा होगी, तो मैं भरतपुर में आपका मंदिर बनवाऊंगा. गंगा मां ने महाराजा बलवंत सिंह की पुकार सुनी और उनके घर पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम जसवंत सिंह रखा गया. उसके बाद महाराजा बलवंत सिंह ने भरतपुर में गंगा मां के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य 1845 में शुरू कराया. मंदिर निर्माण का कार्य महाराजा बलवंत सिंह की पांच पीढ़ियों तक चलता रहा. देवस्थान विभाग करता है देख-रेख जब मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया, तो भरतपुर के अंतिम शासक महाराजा बृजेन्द्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 को इस मंदिर में माता गंगा की मूर...