धातु के वैद्युत शोधन से आप क्या समझते हैं ?

  1. एक धातु के गोले को वैद्युत से आवेशित किया जाता है। इस कथन का क्या तात्
  2. धातु के वैद्युत शोधन से आप क्या समझते हैं ? Dhatu ke vidyut shodhan se aap kya samjhte hai
  3. प्रकाश वैद्युत प्रभाव से आप क्या समझते हैं? आइन्सटीन का प्रकाश वैद्युत समीकरण निगमित कीजिए।
  4. UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter – UP Board Solutions
  5. धातुओं का शोधन, आसवन, विद्युत अपघटनी परिष्करण, वाॅन आर्कल, वाष्प प्रावस्था, मंडल विधि
  6. धातु के वैद्युत शोधन में ऐनोड एवं कैथोड़ किस धातु के बने होते है?


Download: धातु के वैद्युत शोधन से आप क्या समझते हैं ?
Size: 19.40 MB

एक धातु के गोले को वैद्युत से आवेशित किया जाता है। इस कथन का क्या तात्

हेलो स्टूडेंट्स क्वेश्चन दिया है कि एक रात के गोले को वैद्युत से आवेशित किया जाता है इस कथन का क्या तात्पर्य है वहां पर क्या है कि किसी भी बात पर गोले को विद्युत से आवेशित किया जाता है इसका मतलब होता है कि अगर कोई हमारा धातु है तो यह क्या है कि यह भी हमारा के सामने अवस्था में है मतलब न्यूट्रल है इस पर कोई भी आदेश नहीं है तो अगर इस पर से हम कोई आदेश निकाल दें ठीक है इस पर से अगर हम कोई आवेश निकाल दें यश को आवेदन दे दें ठीक है जिसको मैं भेज दे दे यहां पर यहां पर हम आवेश दे दे तो इस अवस्था में क्या होगा कि जब हम आवेश इसमें से क्या करेंगे - करेंगे कोई आवेश 28 में से अगर हम इलेक्ट्रॉन निकाल दें तो इस अवस्था में क्या होगा यह हमारा धन आवेश हो जाएगा यहां पर यहां पर यह हमारा कौन ऐसा वैसा वैसा जाएगा इस पर धन आवेश आ जाएगा और अगर इस पर हम इलेक्ट्रॉन जोड़ दिया था जिसको हम इलेक्ट्रॉन दे दे किसी भी धातु को संगलित अशुद्ध धातु को लकड़ी के हरे रंग के लट्टे के साथ हिलाकर फफोलेदार तांबा को परिष्कृत किया जाता है, क्योंकि इस प्रकार की लकड़ी, हाइड्रोकार्बन गैसों (जैसे CH_4 ) को मुक्त करती है। इस प्रक्रम X को ________ कहा जाता है और इसका उपयोग धातु में प्रारंभ में उपस्थित Y की अशुद्धियों के शुद्धिकरण के लिए किया जाता है। Y _______ है। एक कार्बनिक यौगिक के एक mL को एथेनॉल में विलीन किया जाता है और तनु क्षार की छोटी सी बूंद को इसमें योजित किया जाता है और फिर फ़िनॉल्फथेलिन की बूंद को योजित किया जाता है। सूचक का लाल रंग दिखाई देता है। इस मिश्रण को फिर गर्म किया जाता है। सूचक का रंग कुछ मिनटों में गायब हो जाता है। कार्बनिक यौगिक संभवतः हो सकता है:

धातु के वैद्युत शोधन से आप क्या समझते हैं ? Dhatu ke vidyut shodhan se aap kya samjhte hai

सवाल: धातु के वैद्युत शोधन से आप क्या समझते हैं ? धातु के वैद्युत शोधन से आप समझ सकते हैं कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें धातु या धातु संयोजनों को उनके वैद्युतीय गुणों और विशेषताओं के आधार पर अध्ययन करने का कार्य होता है। इस प्रक्रिया में, वैद्युत शोधन के उपयोग से धातुओं के प्राथमिक और उच्चतर स्तर के गुणों को मापा और विश्लेषित किया जाता है, जैसे कि विद्युत चुंबकीयता, प्रतिरोध, विधुत प्रवाह क्षमता, आदि। यह शोधन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को धातुओं की उनकी उपयोगिता, तापीय और विद्युतीय विशेषताएं, तापमान स्थिरता, आदि की गहराई से समझने में मदद करता है। इस प्रकार के शोधन से वैज्ञानिक संगठन, उद्योग और अन्य क्षेत्रों में धातुओं के नए उपयोग, उत्पादों और प्रौद्योगिकी में विकास का अवसर मिलता है।

प्रकाश वैद्युत प्रभाव से आप क्या समझते हैं? आइन्सटीन का प्रकाश वैद्युत समीकरण निगमित कीजिए।

उत्तर :- प्रकाश वैद्युत प्रभाव जब निश्चित आवृत्ति या उससे अधिक आवृत्ति का प्रकाश (अथवा एक निश्चित या उससे कम तरंगदैर्ध्य) धातु की सतह पर आपतित किया जाता है, तो धातु के पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होता है। यह घटना प्रकाश वैद्युत प्रभाव कहलाती है। आइन्सटीन ने सन् 1905 में प्रकाश वैद्युत प्रभाव की व्याख्या प्रकाश की क्वाण्टम प्रकृति के आधार पर दी। क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार, किसी प्रकाश स्रोत से ऊर्जा का उत्सर्जन ऊर्जा के छोटे-छोटे बण्डलों के रूप में होता है जिन्हें फोटॉन (Photon) कहते हैं। प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = hv होती है, जहाँ, h प्लांक नियतांक तथा Vo प्रकाश की आवृत्ति है। आइन्सटीन के अनुसार, जब प्रकाशीय क्वाण्टा अर्थात् फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित होते हैं, तो एक फोटॉन एक मुक्त इलेक्ट्रॉन से ही अनुक्रिया करता है, तो उसमें सम्पूर्ण ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन पूर्ण रूप से अवशोषित कर लेता है। इलेक्ट्रॉन द्वारा प्राप्त यह ऊर्जा दो रूपों में प्रयुक्त होती है। (i) मुक्त इलेक्ट्रॉनों को धातु की सतह से बाहर निकालने में कार्य फलन (Wo = hVo) के तुल्य ऊर्जा प्रदान करती है। (ii) शेष ऊर्जा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को गतिशील करने में अर्थात् गतिज ऊर्जा प्रदान करती है। यदि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का वेग Vअधिकतम हो तथा द्रव्यमान m हो, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा Kmax = 1/2 mv²max यदि प्रकाश सुग्राही पृष्ठ पर आपतित प्रकाश की आवृत्ति v, धातु का कार्य फलन (Wo) तथा उसके पृष्ठ से उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा K अधिकतम हो, तब E = Wo + Kmax hv = Wo + 1/2mv²max 1/2 mv²max = hv - Wo ...(i) यही समीकरण को आइन्सटीन की प्रकाश वैद्युत समीकरण कहलाती है। Re...

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति) are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 12 Subject Physics Chapter Chapter 11 Chapter Name Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति) Number of Questions Solved 82 Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति) अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर प्रश्न 1: 30 kV इलेक्ट्रॉनों के द्वारा उत्पन्न X-किरणों की (a) उच्चतम आवृत्ति, तथा | (b) निम्नतम तरंगदैर्ध्य प्राप्त कीजिए। हल: दिया है, V= 30 kV = 30 x 10 3v ऊर्जा E = eV = 1.6 x 10 -19 x 30 x 10 3 J= 4.8 x 10 -15 J प्रश्न 2: सीज़ियम धातु का कार्य-फलन 2,14eV है। जब 6 x 10 14 Hz आवृत्ति का प्रकाश धातु-पृष्ठ पर आपतित होता है, इलेक्ट्रॉनों का प्रकाशिक उत्सर्जन होता है। (a) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा (b) निरोधी विभव, और (c) उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम चाल कितनी है? हल: दिया है, सीजियम धातु का कार्य-फलन W = 2.14 eV = 214 x 1.6 x 10-19 जूल आपतित प्रकाश की आवृत्ति v = 6 x 10 14 Hz प्लांक का नियतांक h = 6.62 x 10 -34 जूल सेकण्ड ∴ आपतित फोटॉन की ऊर्जा hν= 6.62 x 10 -34 x 6 x 10 14 जूल (a) यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की उच्चतम गतिज ऊर्जा E max हो तो आइन्सटीन के प्रकाश-विद्युत समीकरण hν = w + E max से (b) यदि विरोधी विभव V 0 हो तो (c) यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की अधिकतम चाल ν max हो तो प्रश्न 3: एक विशिष्ट प्रयोग में प्रकाश-विद्यु...

धातुओं का शोधन, आसवन, विद्युत अपघटनी परिष्करण, वाॅन आर्कल, वाष्प प्रावस्था, मंडल विधि

अपचयन विधियों से धातुएं पूर्णतः शुद्ध नहीं होती हैं अतः इन्हें निम्न विधियों द्वारा शुद्ध किया जाता है। धातुओं के शोधन की अनेक विधियां हैं। जैसे – (1) आसवन (2) मंडल परिष्करण (3) द्रावगलन परिष्करण (4) विद्युत अपघटनी शोधन (5) वाष्प प्रावस्था परिष्करण (6) वर्णलेखिकी या क्रोमैटोग्राफी विधि 1. आसवन इस विधि का उपयोग कम क्वथनांक वाली धातुओं जैसे – जिंक तथा मरकरी में किया जाता है। इसमें अशुद्ध धातु को वाष्पीकृत करके शुद्ध धातु को आसुत के रूप में प्राप्त कर लेते हैं। 2. मंडल परिष्करण इस विधि का उपयोग अर्धचालकों जैसे – जर्मेनियम, सिलिकॉन तथा गैलियम आदि के शोधन में किया जाता है। इसमें गलित अशुद्ध धातु को पिघलाकर जब ठंडा करते हैं तो शुद्ध धातु के क्रिस्टल बनकर अलग हो जाते हैं। एवं अशुद्ध धातु गलित अवस्था में अलग हो जाती है यह प्रक्रिया निष्क्रिय वातावरण में कराई जाती है। 3. द्रावगलन परिष्करण इस विधि का उपयोग कम गलनांक वाली धातु जैसे टिन आदि से अशुद्धियां दूर करने में किया जाता है। इसमें अशुद्ध धातु को पिघलाकर ढालू सतह पर बहने दिया जाता है जिससे अधिक गलनांक वाली अशुद्धियां पृथक हो जाती हैं। 4. विद्युत अपघटनी शोधन इस विधि द्वारा काॅपर, सिल्वर, निकिल, एल्युमीनियम, सोना आदि धातुओं का शोधन किया जाता है। विद्युत अपघटनी शोधन इस शोधन में शुद्ध धातु का कैथोड तथा अधातु का एनोड बनाते हैं। इसमें धातु के लवण के विलयन को विद्युत अपघट्य के रूप काम में लेते हैं। जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो शुद्ध धातु कैथोड पर एकत्र हो जाती है तथा अशुद्धियां एनोड मड के नीचे बैठ जाती हैं। इसमें निम्न अभिक्रियाएं संपन्न होती हैं। एनोड पर M \longrightarrow M n+ + ne – कैथोड पर M n+ + ne – \longrightarrow M 5. ...

धातु के वैद्युत शोधन में ऐनोड एवं कैथोड़ किस धातु के बने होते है?

हेलो दोस्तो आपका प्रश्न है धातु के बाद यशोधन में एनोड एवं कैथोड किस धातु के बने होते हैं तो चलिए इस प्रश्न को हल करते हैं तो दोस्तों एवं धातु का वैध शोधन क्या होता है वेदों शोधन में दोस्तों हम क्या करते हैं जो हमारी शुद्ध धातु की प्लेट होती है उसको हम बनाते हैं कैथोड और जो अशुद्धि धातु की प्ले अशोक धातु है उसकी एक क्षण बनाते हैं और इस क्षण को हम वैद्युत अपघटन की क्रिया में बनाते हैं एनोड ठीक है तो अशुद्ध धातु की छड़ को हमने बना दिया एनोड और शुद्ध धातु की छड़ को बना दिया क्या छोड़ दो जो अशुद्धि धातु की छड़ होती है यह दोस्तों मोटी होती है आकार इसका बड़ा होता है मोटे आकार की होती है और जो शुद्ध धातु की छड़ होती है यह दोस्तों पत्नी आकार की होती है जैसे कि यहां चित्र में मैंने वो दिखा दिया ठीक है अब इन दोनों को दोस्तों हम यहां पर विद्युत अपघटन विधि से वैद्युत अपघटन दीदी की सहायता से यहां धातु का शोधन करेंगे तो क्या होता है यह एक पात्र ले लेते हम एक पात्र में यह डाल देंगे ठीक है कुछ इस प्रकार से एक बात ले लिया इस बात में हमने इलेक्ट्रॉनों को डाल दिया अब क्या करेंगे यहां पर दोस्तों इस पात्र में जो जो भी धातु है उस धातु के सबसे जैसे हम यहां पर जींस धातु का निष्कर्षण करना चाह रहे हैं जिंक धातु को शुद्ध करना चाह रहे हैं तो यह जिंदगी अशुद्ध जिंग जिंग के की अशुद्ध शुद्ध वाली प्लेट है यानी यहां पर अशुद्ध जिनक है और यह शुद्ध जिनके की प्लेट है तो यह हो गया दोस्तों एनुअल और क्या हो गया यहां पर क्या थोड़ा ठीक है यह बस टर्मिनल है और यह रण आत्मक टर्मिनल है आप यहां पर दोस्तों जिंक का ही हम क्या ले लेंगे सल्फेट ले लेंगे जेड 900 4जी मतलब जैसी धातु कहां में शोधन करना उसी का लाभ ले लेते हैं तो यह...